मेरा गुप्त जीवन-102

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

जाते हुए कम्मो बोली- छोटे मालिक आप को नाश्ते में वो स्पेशल डाइट बना दूंगी क्योंकि आपको शायद जल्दी ही उसकी ज़रूरत पड़े। कम्मो की भविष्यवाणी एकदम सही निकली। दोपहर के खाने में जो लड़की भी खाने के टेबल पर आ रही थी वो पहले मेरे पास आती थी और हल्के से मुस्करा के चली जाती थी। खाना खाते हुए भी मेरी साथ वाली बहुत ही चुलबुली लड़की के पैर मेरे पैरों से लग रहे थे और टेबल के दूसरी तरफ वाली लड़की अपने पैरों से मेरी जांघों को छेड़ रही थी. दोनों साइड में बैठी हुई लड़कियाँ भी बार बार अपनी कोहनियाँ मेरे बाज़ुओं से टकरा रही थी और हर बार ऐसा करने पर वो रहस्यमयी हंसी हंस रही थी।

खाने के बाद जब में हाथ धोने के लिए बाथरूम में घुसा तो मेरे पीछे 3 लड़कियाँ भी मेरे साथ अंदर आ गई और मेर दोनों तरफ खड़ी हो गई और एक मेरे पीछे खड़ी हो गई और पीछे वाली तो अपने शरीर को मेरे साथ जोड़ कर खड़ी थी और उसके गोल मुम्मे और उसकी चूत वाला हिस्सा उसकी सलवार के अंदर से मुझको पीछे से छू रहा था।

दोनों साथ खड़ी लड़कियाँ तो ऐसे जुड़ कर खड़ी थी जैसे कि वो मुझको धक्का दे कर हटाना चाहती हों वाश बेसिन से लेकिन दोनों के भी मुम्मे मुझको मेरे बाज़ुओं पर लग रहे थे और उनकी कोहनी मेरी साइड में लग रही थी। ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग की अप्सराओं से चारो तरफ से घिरा हूँ।

यह बहुत शुक्र हुआ कि मम्मी जी वहाँ मौजूद नहीं थी वर्ना यह बेशर्मी वाला माहौल नहीं बनने देती।

मैं रसोई में गया और कम्मो को बुलाया अपने कमरे में… उससे पूछा- यह सब क्या चल रहा है? कम्मो हँसते हुए बोली- आपकी दिली इच्छा थी इतनी और जवान और सुन्दर लड़कियों में घिरा रहने की… वो आज पूरी हो रही है।

मैं घबराते हुए बोला- लेकिन कम्मो, कुछ तो हद होती है इन सब बातों की! तुम अभी पता लगाओ कि इन लड़कियों को बेशर्म बनने के लिए कौन उकसा रहा है और वो ऐसा व्यवाहर क्यों कर रही हैं? कम्मो बोली- मैं जानती हूँ छोटे मालिक, इन सब के पीछे किसका हाथ है। मैं बोला- जल्दी बताओ, किसका हाथ है?

कम्मो बोली- शायद तुमको याद हो, चंदा नाम की एक औरत तुमसे एक दो बार मिली थी कॉटेज में, तुम्हारे कॉलेज जाने से पहले? मैं सोच कर बोला- हाँ, याद आ रहा है, वो भी बार बार गर्भवती होने की इच्छा ज़ाहिर कर रही थी लेकिन मैं नहीं मान रहा था क्यूंकि उसका पति उसके साथ रहता था तो उसको गर्भाधान की कोई ज़रूरत नहीं थी। कम्मो बोली- बस उसी चंदा ने यह बात फैलाई है कि छोटे मालिक बड़े चोदू हैं। हमारे आने से पहले वो कुछ दिन हवेली में काम करती रही थी और इन सब लड़कियों से मिल चुकी है।

मैं हैरान रह गया और बोला- उफ़ कम्मो, अब क्या होगा? तभी ये लड़कियाँ एकदम निर्लज्ज व्यवहार कर रही हैं? लेकिन हम क्या कर सकते हैं इस मुसीबत से बचने के लिए? कम्मो बोली- बस दो तीन दिन की बात है, जैसे ही दशहरा खत्म हुआ, ये सब चली जाएँगी अपने अपने गाँव या शहर में… लेकिन तब तक सोचना है कि इनसे कैसे छुटकारा पाया जाए!

मैं बहुत ही परेशान होते हुए बोला- कम्मो रानी, दिमाग लड़ाओ। यह तो तय है कि यहाँ इन सबकी चुदाई नहीं हो सकती और कोई जगह नहीं है जहाँ यह किया जा सकता है मम्मी और पापा के जाने बगैर! तभी कम्मो हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आप भी न कभी कभी भूल जाते हो! अपने गाँव वाली कॉटेज है न, यह सारा प्रोग्राम वहीं रख लिया करेंगे। क्यों छोटे मालिक? मैं एकदम खुश होते हुए बोला- वाह कम्मो, छोटी मालकिन, तुम्हारा जवाब नहीं। हाँ, यही ठीक रहेगा। अब यह तुम्हारा काम है कि कैसे इनको कंट्रोल करो? कम्मो बोली- मैं आज इन 6 लड़कियों से मिलती हूँ आपके कमरे में और साथ में 2 भाभियों को भी ले लेती हूँ अपने साथ, फिर हम इनको तगड़ी डांट पिलाती हैं।

एक घंटे के बाद कम्मो मुझको हवेली के बाहर लॉन में मिली और बताया कि कैसे इस समस्या को हल किया जाएगा। कम्मो की प्लान के मुताबिक़ हर रोज़ रात को एक भाभी मेरे कमरे में सोयेगी और साथ में एक लड़की भी सोयेगी जैसे कि मम्मी जी ने फैसला किया है। भाभी बारी बारी से सोयेंगी और हर रात को एक नई लड़की रात में मेरे साथ सोयेगी। इस तरह 3 रात में तीन लड़कियाँ चुद जाएँगी और बाकी हर रोज़ एक लड़की को कॉटेज में चोदा करूँगा। इस तरह 3 दिन में 6 लड़कियों के साथ काम क्रीड़ा हो जाया करेगी।

कम्मो बोली- छोटे मालिक, आप घबराएं नहीं, सब की सब अब तक कई बार अपने गाँव में चुद चुकी हैं तो इनके लिए यह कोई नई बात नहीं है। तभी यह इतनी निर्लज्ज हो रही हैं। इन सबने अपने यहाँ काम करने वाले नौकरों या फिर ड्राइवर या मालियों के साथ शारीरिक संबंध बनाये हुए हैं और चुदाई के काम में पूरी तरह से माहिर हैं। मैं हैरान होकर बोला- अच्छा, मुझको मालूम नहीं था कि गाँव के बड़े लोगों की लड़कियाँ इतनी गिर चुकी हैं। खैर छोड़ो, वो नई बावर्चिन से तो मिलवाओ ना… देखें तो सही कैसी है वो?

कम्मो गई और थोड़ी देर में नई बावर्चिन को ले आई, काफी सुन्दर शरीर की मालिक थी, चाहे रंग सांवला था लेकिन शरीर बहुत ही आकर्षक था, खूब मोटे और गोल, सॉलिड मुम्मों के साथ खूब उभरे हुए नितम्ब उसके बड़े आकर्षक लग रहे थे और कम्मो ने बताया कि उसका नाम था परबतिया लेकिन सब प्यार से पर्बती बुलाते थे।

फुर्सत में इसके बारे में भी सोचेंगे, ऐसा मैंने फैसला किया।

रात को खाने के बाद मम्मी और पापा को गुडनाईट कह कर मैं अपने कमरे में आ गया लेकिन वहाँ रिया आई हुई थी, वो कहने लगी- हम सब लड़कियाँ और लड़के लॉन में कुछ खेलने का फैसला किया है, चलिए आप भी चलिए ना प्लीज। मैंने कहा- ठीक है, चलो!

वो चलते चलते मेरे से टकराने से पीछे नहीं हट रही थी, उसके चूतड़ों पर हाथ फेरना और यदा कदा उसके मुम्मों को भी हाथ लगाना मैंने जारी रखा। एक जगह थोड़ी अँधेरी थी, मैंने रिया को बाहों में भर लिया और उसके गीले लबों पर एक ज़ोरदार चुम्मी कर दी और उसकी साड़ी के बाहर से उसकी चूत और चूतड़ों पर हाथ फेरने से बाज़ नहीं आया।

लॉन में आये तो सब लड़कियाँ वहाँ एकत्रित हो गई थी और दो मरियल से लड़के भी थे उनके साथ। उन सबसे मैं ही लम्बा लड़का था सो वो सब मेरे साथ ही खेलना चाहती थी। रिया और पार्टी ने फैसला किया कि हम सब जा कर छुप जायेंगे और सुधा हम सब को ढूंढने लगेगी।

सुधा की तरफ देखा तो वो काफी सुंदर और सुघड़ शरीर वाली लड़की थी, उसने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी। हम सब छुप गए और जिस जगह मैं छुपा था वो कोई और नहीं जानता था, सिर्फ मैं ही जानता था कि क्यूंकि मैं बचपन में ही यहाँ खेलता रहा था।तो मैं हर छुपने वाली जगह को अच्छी तरह से जानता था।

थोड़ी देर बाद मैंने देखा एक और लड़की छुपने की जगह ढूंढते हुए वहाँ ही आ रही थी और जैसे ही वो मेरे स्थान के पास पहुँची, मैंने हाथ बढ़ा कर उसको अपनी जगह में खींच लिया। पहले तो वो हैरान हुई लेकिन जब उसने मुझको देखा तो तो खुश हो गई और मैंने उसको अपने से चिपटा लिया और उसको चुप रहने का इशारा किया।

जब सुधा वहाँ से चली गई तो मैंने उसको अच्छी तरह से देखा, वो भी अच्छी लगी, मैंने उसको अपने गले से लगा लिया और फिर अपने होटों को उसके लबों पर रख दिया। मेरे अनुभवी हाथ उसके मोटे मुम्मों को दबा रहे थे और एक हाथ उसके चूतड़ों पर चल रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वो भी अब पूरी तरह सहयोग देने लगी और अब मैंने अपने पज़ामे को नीचे खिसका दिया और अपना खड़ा लौड़ा उसके हाथ में दे दिया और लौड़े को छूते ही उसके शरीर में हल्का सा करंट दौड़ गया। मैंने भी उसकी साड़ी पीछे से ऊपर कर दी और अपने खड़े लंड को उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा। जब वो अंदर नहीं जा पा रहा था तो मैंने उसको थोड़ा झुकने के लिए कहा और जैसे ही वो झुकी तो मैंने लंड का फिर निशाना लगाया और खटाक से मेरा लंड उसकी गीली चूत में चला गया, मैं उसके चूतड़ों को दोनों हाथ में लेकर हल्के हल्के धक्के मारने लगा।

थोड़ी देर में ही वो लड़की भी गर्म हो गई और धक्के का जवाब अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके देने लगी और जल्दी ही मैंने उसको बड़ी तेज़ स्पीड से चोदना शुरू कर दिया। वो लड़की चंद मिनटों में ही झड़ गई, मैंने उसको पलट कर अपनी बाहों में ले लिया और उसके मुंह पर ताबड़ तोड़ चुम्बन देने लगा और वो भी जवाब में मुझको चूमने लगी।

मैंने उसके कान में कहा- मज़ा आया क्या तुमको? उसने भी वैसे ही जवाब दिया- थैंक यू सोमू, मेरा नाम लीलू है और आज रात को आपके साथ सोने की बारी मेरी है। मैं बोला- ठीक है जानू, जाओ और किसी और को भेज दो यहाँ छुपने के लिए!

लीलू हँसते हुए मेरे लौड़े को झुक कर चूम कर चली गई।

थोड़ी देर में एक और लड़की को उधर आते हुए देखा, जैसे ही वो मेरे पास से गुज़री, मैंने उसको खींच लिया अपनी छुपने वाली जगह में! वो लड़की भी शायद यह जानती थी, वो मेरे पास आते ही मुझ से लिपट गई और मुझको लबों पर चूमने लगी। मैंने भी उसको चूमना शुरू कर दिया और इस तरह मैंने उसको दीवार के सहारे खड़ा करके उसकी टांग को ऊपर कर उसकी चूत में ऊँगली डाली जो अभी तक सूखी थी। मैंने उसकी भग को रगड़ना शुरू कर दिया तो जल्दी ही वो गीली होने लगी और अब मैंने उसको अपने हाथों पर उठा लिया और उसकी साड़ी को उसकी कमर में डाल कर उसकी चुदाई शुरू कर दी। मुझको ऐसा लगा कि वो भी पूरी तरह से तैयार हो कर आई थी और वो अब खुद ही आगे बढ़ बढ़ कर चुदवा रही थी और उसको भी झड़ने में ज़्यादा टाइम नहीं लगा। उसका नाम नीलू था।

लेकिन वो मेरी इस थोड़ी देर की चुदाई से पूरी तरह से खुश नहीं थी तो मैंने उसको नीचे घास पर लिटा दिया और उसकी साड़ी को पुनः ऊपर कर के पूरी मस्ती से चोदने लगा। अब नीलू ने भी नीचे से पूरी तरह से सहयोग देना शुरू कर दिया और हम दोनों चुदाई में इतने मस्त हो गए कि हमको पता ही नहीं चला कब सुधा वहाँ आ कर चुपचाप हमारी चुदाई को देख रही थी।

जब मैंने आखिरी धक्का ज़ोर से मारा और नीलू मुझ से चिपट कर छूटने लगी तो सुधा ने हल्के से ताली मारी और ‘वाह वाह’ करने लगी तो हमको पता चला कि कोई हमारे करतब देख रहा है। मैं तो नहीं शरमाया लेकिन नीलू एकदम शर्म से लाल पड़ गई।

मैं जैसे ही नीलू के ऊपर से उठा और अपने एकदम गीले लंड को निकाल कर खड़ा हुआ तो सुधा उसकी तरफ ही टकटकी बाँध कर देखती रह गई। मैंने एकदम आगे बढ़ा कर सुधा को अपनी बाँहों में गिरफ्तार कर लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगा और मैंने उसको कुछ भी बोलने का मौका ही नहीं दिया।

सुधा भी सुंदर लड़कियों में से एक थी और काफी सेक्सी लग रही थी। उसकी लाल साड़ी अपना अलग ही समाँ बाँध रही थी। मैंने उसको कस के जफ्फी मारी और उसके कान में कहा- अभी या फिर रात में? जैसा तुम कहो? वो बोली- रात में मेरी बारी नहीं है, अभी कर दो ना! मैं बोला- बारी नहीं है तो क्या हुआ, मैं तुमको आज रात को एडजस्ट कर लूँगा।

वो मान गई और हम तीनों एक साथ मेरी छुपने वाली जगह से निकल कर सबके बीच में आये ही थे कि उधर से कम्मो आ गई और कहने लगी- छोटे मालिक, आपको मम्मी जी बुला रहीं हैं, जल्दी चलिए।

मैंने सबसे विदा ली और कम्मो के साथ हो लिया और जैसे ही हम थोड़ी दूर पहुँचे तो कम्मो ने कहा- छोटे मालिक, तुमको कोई नहीं बुला रहा वो तो मैंने बहाना बनाया था तो तुमको इन लड़कियों से बचाने के लिए! वैसे कितनी चोदी अभी तक?

मैं बड़ी ज़ोर से हंस दिया कम्मो की इस हरकत से और उसके चूतड़ों को टीपते हुए बोला- वाह छोटी मालकिन, तुमने मुझको बचा लिया। अभी तक सिर्फ तीन ही हुई थी। कम्मो हँसते हुए बोली- आधे घंटे में सिर्फ तीन? मुझको लगा कि कम से कम 5 तो हो गई होंगी! चलो सस्ते में छूटे हो छोटे मालिक। मैं धीमे से बोला- सस्ते में कहाँ? अभी तो रात बाकी है और वो दो तो तैयार खड़ी हैं चुदवाने के लिए!

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000