अठरह वर्ष पूर्व दिए गए वचन का मान रखा-1

लेखिका : नलिनी रविन्द्रन अनुवादक एवं प्रेषिका: तृष्णा…

दोस्ती और प्यार के बीच का अहसास-1

हैलो दोस्तो.. वैसे तो मैं अन्तर्वासना बहुत सालों से …

मेरा गुप्त जीवन- 120

कम्मो बोली- छोटे मालिक, अब कुछ दिन तो आपको यह दूध …

बहन का लौड़ा -64

अभी तक आपने पढ़ा.. रोमा ने अपने दिल का हाल टीना को…

जन्मदिवस पर चूत का तोहफा -2

अब तक आपने पढ़ा.. वो रसोई में से कुछ खाने को ले आई…

मेरा गुप्त जीवन- 19

बिंदू और फुलवा का आपस का प्रेमालाप देख कर मन बड़ा व…

भाई के दोस्तों ने मुझे रण्डी बनाया -2

अब तक आपने पढ़ा.. दोस्तो.. अब आप समझ ही गए होंगे कि…

मेरे लण्ड का नसीब -1

दोस्तो, नमस्कार.. मेरा नाम राहुल शर्मा है.. मैं हरिय…

धोबी घाट पर माँ और मैं -8

ज़लगाँव बॉय मेरा लौड़ा अब पूरी तरह से उसके थूक से भ…

मेरा गुप्त जीवन- 18

मैं चोद रहा था फुलवा को लेकिन मेरा मुंह तो बिंदू …