बात बनती चली गई-2

विजय पण्डित भैया दोपहर का भोजन करके एक बजे ड्यूटी प…

पराया मर्द बेचैन निगाहें

लेखिका : नेहा वर्मा मेरी शादी हुये दो साल हो चुके …

प्रेस वाले से गांड मरवाई

लेखक : सनी सबसे पहले गुरूजी और उसके बाद अन्तर्वासन…

गनपत से अपनी प्यास बुझाई

मैं रचना अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाने जा रही ह…

पेइंग-गेस्ट

मैं पूना की एक बड़ी कंपनी में इंजिनियर हूँ। मेरी आ…

लेडीज़ टॉयलेट में बुर्के वाली की चुत चुदाई

मैं आपको एक सच्ची चुदाई कहानी सुनाता हूँ। मैं एक ब…

वो अक्षत योनि की क्षति -2

मेरी पिछली कहानी वो अक्षत-योनि की क्षति -1 प्रकाशित …

शिष्या की पहली चुदाई

प्रेषक : कुमोद कुमार बात उस समय की है जब मैं अपनी …

क्या है प्रेम?

प्रेषिका : सिमरन शर्मा प्रेम का परिणाम संभोग है या क…

मैं कुछ करता हूँ

यह कहानी 1964 की गर्मियों की है. हमारे परिवार के स…