जिस्म की जरूरत-4
रेणुका तेज़ क़दमों के साथ दरवाज़े से बाहर चली गईं… म…
जिस्म की जरूरत-2
उनके मुड़ते ही मेरी आँखें अब सीधे वहाँ चली गईं जहा…
जिस्म की जरूरत-3
रैक के ऊपर के सारे बर्तन गंदे पड़े थे इसलिए वो झुक …
गर्मी की वह रात
प्रेषक : ऋतेश कुमार मित्रो, अंतर्वासना के लिए यह मेर…
जिस्म की जरूरत-5
‘जी नहीं… यह हमारी मम्मी का हुक्म है और उनकी बात को…
जिस्म की जरूरत-8
‘उफ्फ… बड़े वो हैं आप!’ रेणुका ने लजाते हुए कहा और …
जिस्म की जरूरत-9
मैं मज़े से उनकी चूत चाट रहा था लेकिन मुझे चूत को …
लव की आत्मकथा-3
आपने मेरी कहानी के दो भाग पढ़े। आपके पत्र मुझे मिले…
जिस्म की जरूरत-6
‘ठीक है समीर जी, अब तो रोज़ ही मिलना मिलाना लगा रह…
लव की आत्मकथा-2
दिसम्बर का महीना था मैं अपने गाँव गया हुआ था। एक द…