बाथरूम का दर्पण-1
अन्तर्वासना के तमाम पाठकों एवं पठिकाओं को रोनी का प्…
गुरूजी का आश्रम-1
‘हेलो..! रुचिका!’ मेरे सम्पादक की आवाज सुनते ही मै…
बाथरूम का दर्पण-3
मेरे होंठ उसके गाल पर थे और हाथ चुची पर! मैंने पू…
दोस्ती का उपहार-2
प्रेषक : विनय पाठक दोपहर बाद जब सब खाना खाने के लि…
बाथरूम का दर्पण-2
मैंने सोचा कि बाथरूम में जाकर दर्पण का मुआयना करूँ…
बाथरूम का दर्पण-4
मैं आपको बता दूँ कि मैंने कभी किसी को मजबूर करके …
बारिश की एक रात-1
मेरा नाम तनिषा है, मैं यहाँ अपनी कहानी पहली बार ब…
रानी के साथ मस्ती
मैंने पिछली कहानी में आपको बताया था कि रानी को पा…
हाय रे मेरी किस्मत
सभी दोस्तों का साजन शर्मा का नमस्कार। दोस्तो, आज मैं …
कैसे बन गया गाण्डू
कैसे बना मैं एक चुदक्कड़ गाँडू दोस्तों मेरा नाम सनी …