मेरी कामुकता का राज-3

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मेरी कामुकता का राज-1 मेरी कामुकता का राज-2

मेरा बॉयफ्रेंड मुझे बिना चोदे छोड़ कर चला गया लेकिन मेरी सहेली पायल अब भी अक्सर मुझे अपनी चुदाई के किस्से सुनाती, और मैं उसकी बातें सुन कर रात को अपने ख्यालों में उसके बॉयफ्रेंड से वैसे ही चुदाई करवाती और अपना हस्त मैथुन करती।

दिन, महीने साल बीत गए पर फिर भी मुझे कोई बॉयफ्रेंड नहीं मिला, मगर हस्त मैथुन में मैंने तरक्की कर ली थी। अब मैं उंगली नहीं अपनी चूत में खीरा, गाजर, मूली, बैंगन जैसी चीज़ें लेती और खूब रगड़ रगड़ कर अपने आप को चोदती।

कॉलेज पास किया तो घर वालों ने मेरी शादी कर दी। शादी हुई, मगर पति सुहागरात को इतनी दारू पी कर आया कि बिना कुछ किए ही सो गया।

शादी के तीन दिन बाद जब उसने मेरे से सेक्स किया तो मैं रो पड़ी। इससे पहले कि मैं गर्म होती, उसने चार घस्सों में ही अपना पानी निकाला और लुढ़क गया। ये क्या हुआ? मैंने सोचा।

वो सो रहा था और मैं उसका लंड चूस रही थी कि ये खड़ा हो तो मैं खुद ही कर लूँ। मगर साला मुर्दा लंड कहाँ खड़ा होता है।

उसके बाद मेरी यही किस्मत… अंदर डालता, 2 मिनट भी नहीं लगाता था और लीक हो जाता था। मैं बड़ी परेशान… मुझे तो उसने एक बार भी संतुष्ट नहीं किया। अतृप्त, असंतुष्ट, काम कुंठित, मैं तो पागल हुई जा रही थी।

6 महीने बाद ही सासु माँ और घर की और औरतों ने बच्चे की बात छेड़ ली। मगर मैं किस को बताऊँ के ये मेरी सासू माँ का पूत तो खेलने से पहले ही आउट हो जाता है। फिर भी हिम्मत कर के मैंने ये बात अपनी जेठानी को बताई। मगर मेरी मदद तो उसने क्या करनी है, उल्टा साली ने अपने पति को ये बात बता दी।

उसके बाद मेरे जेठ की निगाह बदल गई, और एक दिन मेरे जेठ ने मौका देख कर मुझे पकड़ लिया। मैं रसोई में कुछ काम कर रही थी, घर वाले सब बाहर बैठे थे, मैं झुकी हुई थी तो पीछे से आकर उसने मुझे दबोच लिया। अपना लंड मेरी गांड से लगा कर पीछे से मेरे दोनों बोबे पकड़ कर दबा दिये। मैं एकदम से चौंकी- भैया जी, ये आप क्या कर रहे हो? वो बोला- तू घबरा मत ममता, मैं हूँ, अगर छोटे में कोई कमी है, तो मैं भी तो उसका ही रूप हूँ, उसका बड़ा भाई, तू मुझ से मदद ले ले।

मगर मैं तो छिटक कर दूर खड़ी हो गई और वो चले गए।

एक दिन ऐसे ही जब मैं उनके कमरे में अपनी जेठानी के पास बैठी थी, तो जेठानी किसी काम से उठ कर बाहर को गई तो जेठ जी बिल्कुल नंगे, बाथरूम से निकले और एकदम से मेरे सामने आ कर बोले- देख ममता, ये मेरा लंड तेरे लिए है, जब चाहे ले लेना। अपना खड़ा लंड वो मेरे सामने मेरे मुँह के पास हिलाते हुये बोले और मुझे अपने लंड की एक झलक देकर वो फिर से गायब हो गए। मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए, एकदम जैसे ब्लड प्रैशर बढ़ गया हो, मैं तो उठ कर अपने कमरे में आ गई।

बार मेरी आँखों के आगे जेठ जी का खड़ा लंड घूम रहा था। मैं सोचने लगी, क्या मुझे जेठ जी की बात मान लेनी चाहिए। पर अगर कल को किसी को पता चल गया तो? मैं बड़ी परेशानी में फंस गई। पति एक नंबर का शराबी, रोज़ रात को दारू पी कर आता, और जब कभी सेक्स करता भी तो 2 मिनट में ही फारिग हो जाता, उसकी तो लुल्ली भी छोटी सी थी, मगर जेठ जी का लंड तो तगड़ा था। मैं सोचने लगी, पर किसी फैसले पर नहीं पहुँच पा रही थी।

उसके बाद भी एक दो बार जेठ जी ने मेरे बदन को छूआ, जैसे आते जाते मेरे चूतड़ों पर हाथ फेर दिया, या बहाने से मुझसे टकरा गए और मेरे बोबे दबा दिये। मैं भी धीरे धीरे ये मन बना रही थी कि जो होगा देखा जाएगा, मैं जेठ जी को हाँ कर दूँगी। अब मैं जेठ जी को हंस कर मुस्कुरा कर देखने लगी थी।

एक दिन मैं अकेली कमरे में बैठी थी तो वो मेरे कमरे में आए, उन्होंने लुंगी और कुर्ता पहन रखा था, मेरे पास खड़े हो कर बोले- देखो ममता, मैं जानता हूँ कि तुम छोटे के कारण परेशान हो, मैं तुम्हें एक विकल्प उपलब्ध करवा रहा हूँ, अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो? वो खड़े थे, मैं बैठी थी, मैंने ऊपर उनकी ओर नहीं देखा, मगर अपना हाथ आगे बढ़ाया, और लुंगी के ऊपर से ही उनके लंड को छू लिया।

वो बहुत खुश हुये, उन्होंने झट से अपनी लुंगी में से अपना लंड बाहर निकाला और बोले- प्लीज ममता, बस एक बार चूम ले इसे… प्लीज यार! मैं तो पिछली रात ही अतृप्त रही थी, मैं तो खुद उबल रही थी, मैंने अपना मुँह आगे किया और उनके गुलाबी रंग के टोपे को चूम लिया, मगर जैसे मैंने चूमा उन्होंने अपना लंड ज़ोर लगा कर मेरे मुँह में घुसा दिया- चूस मेरी जान, चूस इसे! वो बोले और मैं चूस गई। मगर सिर्फ 10 सेकंड ही चूस पाई कि उनका लंड पूरी तरह से अकड़ गया।

उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह से निकाल लिया और मेरे चेहरे को ऊपर उठा कर बोले- बोल ममता कब आऊँ? मैं कहा- जब आपका दिल करे, मैं हमेशा तैयार हूँ।

मेरी स्वीकृति पा कर वो बहुत खुश हुये, मेरे होंठ को चूम कर बोले- आई लव यू मेरी जान। मुझे बड़ी खुशी हुई, ऐसा लगा जैसे मेरा बॉयफ्रेंड फिर से लौट आया हो।

उस रात मैंने अपने कमरे के दरवाजा बंद नहीं किया, मगर जेठ जी नहीं आए। बाद में पता चला उस दिन जेठानी जी ने रोक लिया था।

अगले दिन मुझे पीरियड्स शुरू हो गए, तो 5 दिन और मैं उन्हें नहीं मिल सकती थी मगर इन पांचों दिनों जेठ जी कहीं न कहीं से मौका निकाल कर आ जाते और मुझे अपना लंड चुसवा जाते, कभी मेरे बोबे दबा जाते, कभी मेरा मुँह चूम जाते, एक से एक शरारत करते, मैं भी खुश होकर उनकी हर शरारत को मज़े ले ले कर प्रोत्साहित कर रही थी। अब मैं उनके छूने का कोई बुरा नहीं मानती थी, बल्कि उनकी राह देखती थी कि वो आयें और मेरे साथ कोई और शरारत कर के जाएँ।

मगर चार दिन बाद जेठ जी का एक्सीडेंट हो गया और वो हम सबको छोड़ कर चले गए। मैं फिर प्यासी रह गई। मैं बहुत रोई, भगवान से बहुत लड़ी कि मेरा ऐसा क्या कसूर है, जो मेरी सिर्फ एक इच्छा ही पूरी नहीं हो पा रही। मैं भी चाहती हूँ कि मुझे कोई ऐसा मर्द मिले जो मेरी चूत में अपना लंड डाल कर इतना पेले इतना पेले कि मैं हाथ जोड़ कर उससे माफी मांग कर कहूँ- बस करो, अब मैं और नहीं कर सकती।

पता नहीं कब मुझे ऐसा मर्द मिलेगा जो मेरी लंड की प्यास को और मेरी चूत की आग को ठंडा कर सके।

पढ़ी लिखी तो मैं थी, फिर मैंने एक ऑफिस में नौकरी कर ली। ताकि घर से बाहर निकलूँगी, क्या पता आते जाते, ऑफिस में या बाज़ार में कहीं कोई तो ऐसा मिल जाए, जो मेरी सिर्फ एक इच्छा पूरी कर सके।

पति भी कभी कभी सेक्स करते थे, मगर दो मिनट में ही अपने वीर्य से मेरी चूत भर जाते। इसका नतीजा ये हुआ कि मैं प्रेगनेंट हो गई। पहले एक बेटी हुई, 3 साल बाद एक बेटा हुआ। मगर दो बच्चों के होने बाद भी मैं यही सोचती रहती कि मेरा क्या होगा, कब मेरी चूत ठंडी होगी। जब पति की शराब की आदत नहीं छूटी तो मैंने फिर पति को ही छोड़ दिया, अपना अलग रहने लगी और अपने बच्चों का पालन पोषण करने लगी।

बच्चे बड़े होने लगे। साल दर साल बीतने लगे, मेरी बेटी जवान हो गई, कॉलेज में गई तो वहाँ उसको एक बॉयफ्रेंड मिला, लड़का बहुत अच्छे घर का था, पता ही नहीं चला कब कैसे सब इंतजाम होते चले गए और मेरी बेटी की शादी हो गई। मैं माँ से सास बन गई।

बेटी के भी अगले साल बेटा हो गया, मैं नानी बन गई, मगर आज भी मैं सोचती थी कि मैं क्या प्यासी ही मर जाऊँगी। कभी कभी सोचती, दामाद जी भी तो मेरी बेटी से सेक्स करते होंगे, क्या वो मेरी बेटी को पूरा संतुष्ट करते होंगे?

फिर कुछ समय बाद बेटे की भी एक बहुत अच्छी कंपनी में जॉब लग गई, वो भी दूसरे शहर में चला गया। मैं बिल्कुल अकेली हो गई।

एक दिन बाज़ार में मुझे मेरे एक्स हसबेंड मिले, बड़ा प्रेम से मिले। मेरे साथ मेरे घर आए, जब उन्हें पता चला कि बेटी की शादी हो गई, बेटे की अच्छी जॉब लग गई, तो बहुत खुश हुये। फिर बोले- अब तो तुम बिल्कुल अकेली हो गई हो, क्यों नहीं हम साथ रहते? मैंने भी अब नाम ले लिया है, शराब बिल्कुल छोड़ दी है।

मैंने उस दिन उन्हें सब कुछ सच में बताया- देखिये, मैंने आपका घर सिर्फ इस लिए नहीं छोड़ा था कि आप शराब बहुत पीते थे, दरअसल दिक्कत ये थी कि आप मुझे कभी भी संतुष्ट नहीं कर पाये, जिस वजह से मैं अंदर ही अंदर मरने लगी थी। इसी बात का फायदा जेठ जी उठाना चाहते थे, मगर इससे पहले ही उनका देहांत हो गया। तब से लेकर आज तक मैं प्यासी हूँ। अगर आप आज भी मेरी प्यास बुझा सकते हो तो आ जाओ।

वो बोले- मुझे भी लगता था कि तुम मुझसे दुखी हो। पर अगर तुम मुझे तब ये बात बताती तो मैं अपनी खुशी से तुम्हें किसी के साथ भी सेक्स करने देता। मुझे कोई आपत्ति नहीं थी। आज भी तुम चाहो तो किसी से भी कर सकती हो।

मैंने कहा- आज तो मैं आपकी पत्नी नहीं हूँ, इसलिए मुझे आपकी आपत्ति होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मगर दिक्कत है, अब डर बहुत लगता है, इसलिए मैं किसी से संबंध ही नहीं बना सकी। मेरे पति बोले- तुम्हारे जाने के बाद मैंने भी अपने आप से दुखी होकर पहले दारू से तौबा की, नाम लिया, और फिर अपना इलाज कराया। अगर तुम कहो तो हम दोबारा कोशिश करके देख सकते हैं। मैंने कहा- तो क्या तुम अब मेरे साथ सेक्स करने के लिए आए हो? वो बोले- नहीं, मैं सिर्फ तुमसे मिलने आया था, पर अब बात इस तरफ को चल पड़ी है तो हम कोशिश कर के देख सकते हैं, अगर तुम्हारी इच्छा हो तो? मैंने कहा- और अगर पहले की तरह 2 मिनट में फारिग हो गए तो? वो बोले- तो दोबारा तुम्हें कभी अपना मुँह नहीं दिखाऊँगा।

मैं काफी सोच विचार में पड़ गई। मगर वो उठे और अपना पाजामा उतार दिया, कच्छा भी खोल दिया, और अपनी लुल्ली मेरे सामने करके बोले- ये लो तुम्हारी अमानत! मैं उनकी लुल्ली को देखती रही, उन्होंने खुद मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लुल्ली मेरे हाथ में पकड़ाई। मैंने पकड़ी तो वो खुद अपनी कमर हिलाने लगे और मेरे पकड़ने से उनकी लुल्ली, अपना आकार बदलने लगी। तीन इंच की लुल्ली थोड़ी सी ही देर में 5 इंच का लंड बन गई।

मैंने उनके लंड की चमड़ी पीछे हटाई, तो नीचे से भूरे से रंग का टोपा बाहर आ गया। “ममता चूसो इसे, मुझे याद है, तुम लंड बहुत अच्छा चूसती थी। क्या अब भी वैसा ही चूसती हो?” मैंने शरारत से उनकी और देखा तो उन्होंने धकेला और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने चूसने लगी, 18 साल बाद आज मैं फिर वही लंड चूस रही थी, मगर इस लंड और उस लंड में बहुत फर्क था, ये सख्त था।

मेरे चूसते चूसते उन्होंने मेरे सारे बदन पर अपना हाथ फिरा दिया, फिर मुझे खड़ा किया और मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया। मैंने भी उनका कुर्ता और बनियान उतार दी। वो मुझे पहले से ज़्यादा तगड़े लगे। मैं उन्हें अपने बिस्तर पे ले गई और बेड पर लेट गई। वो भी आकर मेरे ऊपर लेट गए, मैंने खुद उनका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और उन्होंने धकेल कर अंदर डाल दिया। बहुत बरसों बाद कोई लंड मेरी चूत में घुसा था, मगर मेरी चूत भी आज उतनी ही पानी पानी थी, जितनी मैं पहले होती थी।

मेरे पति अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोदने लगे। हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी, दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, और एक दूसरे को जी भर कर चूम चाट चूस कर संभोग का मज़ा ले रहे थे। मैं संभोग के समय ज़्यादातर शांत और खामोश ही रहती हूँ।

वो लगे रहे, पता नहीं कितना समय वो आराम से मेरा योनि मर्दन करते रहे। मैं शांत से उत्तेजित, उत्तेजित से स्खलित हो गई, मगर वो फिर भी लगे रहे। एक बार नहीं मैं दो बार सखलित हुई। इतनी संतुष्टि मिली, जैसी मैं अपने ख्यालों में अपने सपनों में सोचती थी।

मेरे सारा चेहरा, मेरे दोनों बोबे, उनके थूक से भीग चुके थे, नीचे मेरी चूत के पानी से मेरी और उनकी जांघें भीग चुकी थी, मगर वो तो जैसे आउट होने का कोई इरादा ही नहीं रखते थे। मुझमें हर वक़्त सेक्स की प्यास रहती थी, इसलिए मैं स्खलित ही जल्दी होती हूँ।

15 मिनट की चुदाई में मैं 4 बार स्खलित हो चुकी थी। फिर वो बोले- ममता, कहाँ गिराऊँ? मैंने कहा- मेरा सारा बदन आपका है, जहां दिल चाहे! उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे पेट पे छाती पे अपने वीर्य से चित्रकारी कर दी। मैं इतनी संतुष्ट आज से पहले कभी नहीं हुई थी, पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी। थोड़ी देर बाद वो उठ कर अपने कपड़े पहनने लगे, तैयार होकर वो बोले- अच्छा ममता मैं चलता हूँ। हो सके तो मुझे माफ कर देना।

मैं अभी भी उनके वीर्य में भीगी, बिस्तर पे लेटी थी, मैं एकदम से उठी और उनके पाँव पकड़ लिए- नहीं, अब मुझे छोड़ के मत जाओ. मैंने कहा- जब तक मैं अतृप्त थी, हम दोनों एक दूसरे से दूर रहे, आज मुझे आपने तृप्त कर दिया। अब मैं अपना बाकी जीवन आपके चरणों में बिताना चाहती हूँ, मुझे अपनी दासी बना कर ही रख लीजिये। वो बोले- मैं जिस गुरु जी का चेला बना हूँ, उनकी ही मुझ पर ये अपार कृपा हुई है, जिस वजह से मैं तुम्हारे लायक बन सका, मगर अब मुझे अपने गुरु के पास वापिस जाना है, चाहो तो तुम भी साथ आ जाओ।

और वो चले गए, मैं वहीं फर्श पर नंगी बैठी, उन्हें जाते हुये देखती रह गई।

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