मेरे घर में सेक्स का नंगा नाच

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दोस्तो, मेरा नाम बिलकीस है और मैं दिल्ली में रहती हूँ। आज मैं आपको अपने घर के बारे में बताने जा रही हूँ कि हमारे घर में क्या क्या होता है।

बात दरअसल ये है कि हमारे घर को मैं सेक्स हाऊस कहती हूँ, वो इस लिए के जितना सेक्स हमारे घर में होता है, शायद ही किसी और के घर में होता हो, और ये सेक्स का नंगा नाच हम सब भाई बहनों ने बचपन से ही देखा है। अभी मैं अपने पहले सेक्स की कहानी आपको बताने जा रही हूँ, इसके बाद और भी हमारे घर में क्या क्या होता है, वो सब भी बताऊँगी, तो, ज़रा ध्यान से सुनना। पहले मेरी चुदाई की पहली कहानी। मेरा नाम है बिलकीस इलयास बानू। इलयास मेरे अब्बा का नाम है और वो 50 साल के लंबे चौड़े, बड़े ही शानदार मर्द है, रंग थोड़ा सांवला है मगर देखने में बड़े ही खूंखार दिखते हैं। मेरी अम्मी इनायत की उम्र 42 साल है, कद थोड़ा छोटा, साधारण सी कद काठी, मगर बेहद गोरी हैं और देखने में भी हसीन हैं जबकि वो कोई मेकअप नहीं करती। मेरा बड़ा भाई, रोशन इलयास 25 साल का है और अब्बू की तरह लंबा चौड़ा है, मगर रंग अम्मी की तरह साफ, पूरा पठान लगता है। फिर मैं बिलकीस 20 साल की, अम्मी की तरह दरम्याना कद, हल्का जिस्म, पर बेहद गोरा रंग। फिर मुझसे छोटा, रौफ़ 18 साल का है, वो भी बड़े भाई पर ही जा रहा है, गोरा, लंबा और खूबसूरत।

अब्बू का जरदोज़ी का काम है। दिल्ली के बड़े बड़े शादी ब्याह के कपड़े बेचने वालों से उनका बिजनेस है। अब्बू ने आगे भी बहुत से कारीगर रखे हैं, जो शादी के जोड़ों पर बारीक ज़री का काम करते हैं। काम बहुत अच्छा है, और अब्बू भी अच्छे पैसे कमाते हैं। अब पैसे खुले हैं और जो काम हम करते हैं उसमें पढ़ाई की कोई खास ज़रूरत नहीं है, तो बेशक अब्बू ने हमे बहुत अच्छे अँग्रेजी स्कूल में पढ़ाया है, मगर हम तीनों भाई बहन पढ़ाई में 50% से ऊपर कभी नहीं गए। बस पढ़े और पास हो गए, इतनी ही पढ़ाई की हमने।

बचपन से एक बात जो मैंने अपने घर में देखी, वो ये थी कि अम्मी और अब्बू को जैसे हर वक़्त सेक्स की आग सी लगी रहती थी। जब से मैंने होश संभाला है, तब से अपने अब्बू को अपनी अम्मी को खुल्लम खुल्ला ही सेक्स करते देखा है। अक्सर ये होता था कि अगर मैं कभी अम्मी अब्बू के कमरे में गई तो देखा कि अम्मी कभी घोड़ी बनी हैं, कभी अपनी टाँगें ऊपर उठाए लेटी हैं, कभी कुछ कभी कुछ। अभी अम्मी अक्सर अब्बू को टोकती- अरे रुको, बिलकीस आ गई। मगर अब्बू ने कभी भी शर्म नहीं की, बल्कि अम्मी को डांट कर चुप करवा देते।

और ये सब तब नहीं होता था, जब मैं अम्मी अब्बू के कमरे में जाती थी, जब मेरे भाई भी जाते थे, तब भी अब्बू और अम्मी कोई शर्म नहीं करते थे। बचपन से ही हम सभी भाई बहन ने अपने माँ बाप को न सिर्फ नंगा बल्कि सेक्स करते हुये भी देखा था। जिस उम्र में बच्चों को मूतने की अक्ल नहीं होती, उस उम्र में हम सभी भाई बहन को चोदने का भी पता था, न सिर्फ चोदने का बल्कि किस किस तरह से चोदा जा सकता है, और चोदते हुये और क्या क्या किया जाता है, सब पता था।

शायद यही वजह थी कि हम तीनों भाई बहनों की किसी से भी कोई दोस्ती नहीं हुई थी, न स्कूल में, न पड़ोस में। हमें डर लगता था, कहीं अगर हमरे घर की बात बाहर पता चल गई तो कहीं हमारे दोस्त लोग हम पर हँसे, और हमारा मजाक उड़ाएँ। इसी वजह से हम तीनों भाई बहन आपस में ही खेलते थे, और इसी अकेलेपन का फायेदा, हमारे घर में काम करने वाले एक कारीगर ने उठाया। मुझे लगता है, शायद उसके मेरे अम्मी से भी नाजायज ताल्लुकात थे क्योंकि मैंने एक दो बार उसको अम्मी को बाहों में भरते, उनके होंठ चूमते देखा था। अगर अम्मी को ये पसंद न होता तो अम्मी उसका विरोध करती मगर अम्मी तो हंस रही थी, मतलब अम्मी की मर्ज़ी थी, मगर अम्मी को चूमने से ज़्यादा मैंने उस कारीगर को और कुछ नहीं करते देखा। ये भी हो सकता है कि मुझसे चोरी अम्मी ने उसके साथ सब कुछ किया हो।

हमारे घर में 7 कमरे थे, 4 नीचे और 3 ऊपर। ऊपर के तीन कमरों में हम रहते थे, और नीचे के तीन कमरों में कारीगर बैठ कर काम करते थे, और एक कमरे को अब्बू ने अपनी दुकान बना रखा था। कारीगरों को चाय पानी और खाना हम ही देते थे, तो कभी मैं, कभी मेरे भाई तो कभी अम्मी उन सब को खाने पीने का समान देने जाते थे। हमारा एक कारीगर थे, फरीद। इसी फरीद को मैंने अम्मी के साथ देखा था, और वो मुझे भी बहुत घूरता था। एक दो बार हंसी मजाक में उसने मेरे जिस्म के नाज़ुक हिस्सों को छुआ था। बेशक मेरी उम्र नहीं थी, मगर जो कुछ मैं अपने घर में देखती थी, उस हिसाब से मुझे बहुत पहले से सेक्स के प्रति लगाव सा हो गया था। मेरा भी दिल करता था कि मैं भी किसी के साथ नंगी हो कर अम्मी अब्बू वाला खेल खेलूँ।

एक दिन मैं जब कारीगरों को चाय देने गई, तो फरीद अपने अड्डे पर नहीं था, मैंने उसकी चाय रखी और जैसे ही पलटी वो पीछे से आ गया। शायद पेशाब करने गया था। मुझे देखते ही उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया, और मेरे पीछे अपनी कमर घिसाने लगा। मुझे इस एकदम से हुये हमले ने डरा दिया, मगर वो बोला- अरे डरो मत जान, मैं तो तुमसे बहुत मोहब्बत करता हूँ, बस थोड़ा सा प्यार तुम भी करो।

मचल तो मैं भी रही थी, मगर मैंने उस से छूटने की कोशिश की। फिर उसने मुझे धक्का दे कर गिरा दिया और भाग कर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। और जब मैं उठ कर खड़ी हुई, तो उसने अपनी लुंगी ऊपर उठा दी, नीचे से बिल्कुल नंगा, कोई चड्डी नहीं पहने था। 4 इंच का काला लंड, काला ही टोपा। झांट बिल्कुल साफ की हुई, गोल गोल टट्टे लंड के साथ लटक रहे थे। अभी लंड खड़ा नहीं था, मगर मुझे पता था कि जब खड़ा होगा तो ज़बरदस्त होगा। और हो सकता है यही वो लंड है जिसने मेरी माँ को भी चोदा होगा।

मैं कुछ कहती इस से पहले ही फरीद बोला- देखो बेबी, मेरी शादी नहीं हुई है, पहले तो तेरी अम्मी मेरे इस लंड का ख्याल रखती थी, मगर अब वो मेरी बात नहीं मानती, इस लिए अब तुम्हें इसका ख्याल रखना पड़ेगा. कहते कहते वो अपने लंड की मुट्ठ मारने लगा।

मैं सिर्फ चुपचाप उसको देख रही थी, मैं समझ नहीं पा रही थी कि मैं क्या करूँ, शोर मचाऊँ, या कुछ उठा कर इसके मारूँ, या जो ये कहता है, इसकी बात मान लूँ। उसने अपनी लुंगी की गांठ खोल दी और उसकी लुंगी नीचे गिर गई, अब उसके बदन पर सिर्फ एक बनियान थी, वो मेरे पास आया, और फिर से मुझसे लिपट गया, और मेरे को चूमने लगा।

पहले मेरे गाल, माथा सब चूमा, जब मैंने कोई विरोध नहीं किया तो उसने मुझे अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ाया। मेरे हाथ में आने से उसका लंड ताव खा गया और अकड़ गया। बहुत बार अम्मी को अब्बू के लंड से खेलते देखा था, मगर आज ये तो मेरा अपना लंड था, जिसके साथ मैं खेल सकती थी। मैंने उसके लंड को पकड़ कर दबाया। जब फरीद को भी लगा कि मैं उसके लंड से खेल रही हूँ, तो उसने मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरी जांघों को सहलाया और चड्डी के ऊपर से ही मेरे चूतड़, और फिर मेरी चूत को सहला कर देखा।

मेरी चूत पर जब उसने छूआ तो मुझे भी बड़ी खुशी सी हुई, एक अलग सा एहसास। उसने मेरी स्कर्ट ऊपर उठाई और मेरी चड्डी का इलास्टिक आगे को खींच कर अंदर मेरी चूत को देखा, और अपना हाथ मेरी चड्डी में डाल दिया। पहली बार मेरी चूत को किसी मर्द ने छूआ, मेरी चूत के दाने को उसने हल्के हल्के सहलाया, तो मैंने भी उसके लंड को हिलाया। उसने मेरी चड्डी नीचे को खिसका दी और नीचे फर्श पर बैठ गया। एक बार मेरी ओर देखा, मैं चुप खड़ी थी, उसने मेरी स्कर्ट उठाई, अपना चेहरा मेरी स्कर्ट के अंदर घुसा दिया और मेरी कमर पकड़ कर अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया। पहली बार मेरी कुँवारी चूत को किसी मर्द ने चाटा।

कई बार मैंने जब अम्मी को अब्बू से अपनी चूत चटवाते और तड़पते देखा था, आज वही मजा मुझे भी मिल रहा था। जैसे जैसे फरीद अपनी जीभ मेरी चूत में घूमा रहा था, मेरा सुरूर बढ़ रहा था। मुझ पर एक नशा, एक खुमार सा चढ़ता जा रहा था, दिल कर रहा था कि फरीद ऐसे ही मेरी चूत चाटता रहे। मगर थोड़ी देर चाटने के बाद, फरीद उठ खड़ा हुआ और उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर के कहा- अब चूसो इसे भी। मैंने अम्मी को बहुत बार अब्बा का लंड चूसते देखा, मगर जब मैंने फरीद का लंड पकड़ कर अपने चेहरे के पास लेकर आई, तो मुझे पहले एक गंदी सी बदबू आई, शायद उसके पेशाब की थी।

मैं अभी सोच ही रही थी, तभी फरीद ने मेरा सर पकड़ कर जबरी अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया, कितना गंदा, बेमजा सा स्वाद था। अम्मी कैसे चूस जाती हैं, इस गंदे से लंड को। मैंने फरीद का लंड अपने मुँह से बाहर निकालना चाहा, मगर फरीद ने मुझे ऐसा नहीं करने दिया। मगर फिर भी मैं ज़्यादा देर उसका लंड नहीं चूस सकी, थोड़ा सा मौका मिलते ही मैं उठ कर भाग गई, ऊपर आ कर मैं सीधा अपने बेड पर जा कर लेट गई। मेरी सांस तेज़ चल रही थी, बेशक मेरा मुँह बदमजा हो चुका था, फरीद के गंदे से लंड का स्वाद मेरे मुँह में घुला था, मगर फिर भी मैं न जाने क्यों कुल्ला करके या पेस्ट करके अपना मुँह फ्रेश करना नहीं चाहती थी।

कितनी देर मैं बेड पे लेटी खुद से ही कशमकश में उलझी रही। बेशक मैं अपने कमरे में थी, मगर फिर भी दिल चाह रहा था कि मैं फिर से नीचे जाऊँ और फिर से फरीद के लंड के साथ खेलूँ। दोपहर के बाद अम्मी खुद चाय देने गई, मैं ऊपर से खड़ी देख रही थी, अम्मी के साथ फरीद ने काफी बात की, मगर क्या बात हुई, मुझे पता नहीं चल पाया।

अगले दिन सुबह अम्मी ने मुझे कहा- देखो बिलकीस, आज मैं और तुम्हारे अब्बू किसी काम से बाहर जा रहे हैं, तुम आज स्कूल मत जाना, कारीगरों को चाय पानी और खाना देना तुम्हारी ज़िम्मेवारी है। और मुझे और भी बहुत से हिदाएतें करके वो अब्बू के साथ गाड़ी में बैठ कर चली गई।

करीब 11 बजे मैं किचन में चाय बना रही थी, तभी फरीद ऊपर आया, और आकर मुझसे चाय लेकर चला गया, पर बोला कुछ नहीं, हाँ उसकी आँखों में बड़ी चमक थी आज। मैं भी बैठ कर चाय पीने लगी और टीवी देख रही थी। थोड़ी देर बाद फरीद आया और किचन में चाय के बर्तन रख गया। मैं वैसे ही टीवी देख रही थी, तभी मुझे लगा, मेरे पीछे कोई है। मैंने एकदम से चौंक कर पीछे देखा, मेरे ठीक पीछे फरीद खड़ा था, बिल्कुल नंगा, अपने लंड को सहलाता हुआ, पूरा तना हुआ लंड। मैं भी उसको देख कर मुस्कुरा दी, मुझे अंदर ही अंदर फीलिंग आ गई थी कि आज मैं चुदने वाली हूँ, जो मजा इस बिस्तर अम्मी लेती हैं अब्बू से वही मजा मुझे भी मिलने वाला है।

फरीद मेरे पास आया, उसने फिर से अपना लंड मेरे सामने किया, मैं आज पूरी तरह से तैयार थी, मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया, तो उसने मेरा सर आगे को धकेल कर अपना लंड मेरे मुँह से लगा दिया। आजा शायद वो अपना लंड धो कर आया था। कोई गंदी बदबू नहीं, तो मैंने भी उसका लंड अपने होंठों में पकड़ लिया। मगर उसने थोड़ा सा ज़ोर लगा कर अपना आधा लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया। ये सब करते भी मैंने अम्मी और अब्बा को देखा था, तो मुझे इस तरह अपने मुँह में लंड लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई। मेरे मुँह में लंड डाल कर, फरीद मेरे सीने पर हाथ घुमाने लगा। मेरी कमीज़ के ऊपर से ही वो मेरे छोटे छोटे से नए नए उभर रहे मम्मो को दबाने लगा।

मर्दों को औरतों के मम्मों से इतना प्यार क्यों होता है, ये मुझे आज तक नहीं पता चला।

कुछ देर सहलाने के बाद उसने मेरी कमीज़ ऊपर को उठानी शुरू की तो मैंने भी इंकार नहीं किया और उसने मेरी कमीज़ उतार कर मुझे नंगी कर दिया। जब उसने अपनी उंगलियों से मेरे कच्चे कच्चे मम्मों की निपल को छुआ तो वो भी सख्त हो कर बाहर को उभर आए। फरीद ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाल लिया और मेरे सामने बैठ गया, पहले उसने मेरे माथे पर चूमा और फिर मेरे होंठों पर… जैसे ही उसने मेरे होंठ चूमे मैं बेड पे पीछे को लुढ़क गई, वो मेरे ऊपर छा गया और मेरे दोनों मम्मो को अपने हाथों से पकड़ कर दबा कर देखा फिर मेरा एक निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसा।

यह तो मज़ेदार काम था, मुझे बहुत अच्छा लगा जब उसने मेरे निप्पल को चूसा, फिर उसने दूसरा निप्पल भी चूसा। आज मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं अपनी ही माँ बन गई हूँ। क्योंकि ये सब मैंने अपनी को करते देखा था, तो मैं भी महसूस कर रही थी कि अम्मी जब ये सब करती होंगी, तो उन्हें कितना मजा आया होगा।

मेरे निप्पल चूसते चूसते फरीद ने मेरी लेगिंग भी उतार दी और साथ में मेरी चड्डी भी सरका दी। एक बार में भी उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया, मेरी चूत पर कोई बाल नहीं था। बिल्कुल साफ, गोरी और चिकनी चूत थी मेरी। और मेरी इस चिकनी चूत को देखते ही फरीद ने मुँह लगा दिया। चूत तो मेरी उसने पहले भी चाटी थी, मगर तब खुल कर नहीं चाट पाया था। आज तो मैं खुद उसके सामने अपनी टाँगें फैला कर लेटी थी, तो उसने मेरी चूत में ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से अपनी जीभ घूमा कर चाटा, मेरी चूत भी और गांड भी चाट गया। गांड चटवा कर तो इतना मजा नहीं आया, मगर चूत में जब वो अपनी जीभ फेरता तो मैं तड़प जाती।

फिर फरीद ने टीवी का रिमोट उठा कर उसकी आवाज़ काफी तेज़ कर दी और मेरे ऊपर लेट गया। उसका तना हुआ लंड मेरी चूत के ऊपर रखा हुआ था। मुझे आगे आने वाले किसी भी खतरे का कोई एहसास नहीं था, मैं तो सिर्फ यही समझ रही थी कि इस खेल में बस मजा ही मजा है। फिर जब फरीद ने अपने लंड का दबाव बढ़ाया तो वो तो जैसे मेरे बदन को चीर कर अंदर घुसने लगा। मैं तो एकदम से जैसे तड़प उठी, मेरा सुंदर सपना मेरा सबसे दर्दनाक सपना बन गया और मेरे संभलते संभलते फरीद के लंड का काला टोपा मेरी चूत में घुस गया।

मैं बहुत छटपटाई, फरीद को चांटे मारे, अपने हाथ पाँव चलाये और फरीद को अपने ऊपर से उतार दिया और उठ कर जाने लगी। मगर फरीद भी पूरे जोश में था, इससे पहले के मैं उठ भी पाती, उसने फिर से मुझे दबोच लिया- कहाँ जाती है, साली मादरचोद! बोल कर फरीद ने मुझे अपनी आगोश में कस लिया। मैंने उसके आगे हाथ जोड़े- अंकल, छोड़ दो मुझे, मैं ये नहीं कर सकती, बहुत दर्द होता है।

मगर मेरी फरियाद पर उसने कोई ध्यान नहीं दिया- आज कैसे छोड़ दूँ तुम्हें मेरी जान, आज तो तुम्हें हर हालत में चोदना है मुझे, आज जैसा मौका मुझे फिर कहाँ मिलेगा. वो बोला और उसने फिर से अपना लंड मेरी चूत पे सेट किया। मैंने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ लिया और बोली- अंकल आपका बहुत मोटा है, और बड़ा है, मैं तो अभी खुद छोटी सी हूँ, मैं ये नहीं ले सकती, प्लीज़ छोड़ दो। वो बोला- छोड़ दूँगा, मगर तेरी चूत मारने के बाद। आज मैं नहीं रुकने वाला, चाहे प्यार से या ज़बरदस्ती से आज तो तुझे हर हाल में चोदूँगा! और उसने मेरे हाथ से अपना लंड छुड़वा कर फिर से मेरी चूत में घुसाया। फिर से मुझे बहुत दर्द हुआ और मैं रो पड़ी, तड़प उठी।

मैं जितना उसकी गिरफ्त से निकलना चाहती वो मुझे और कस कर पकड़ लेता। अब तो मैं ज़ार ज़ार रो रही थी, मगर टीवी की तेज़ आवाज़ में मेरी कमजोर आवाज़ दब कर रह गई। उसने ज़ोर लगाया और अपना और लंड मेरी चूत में घुसा दिया। मुझे नीचे बहुत गीला गीला सा लगा, शायद खून निकल आया था, पर मैं देख नहीं पाई। फरीद एक अच्छे इंसान से एक वहशी बन चुका था। उसे किसी के दर्द की कोई परवाह नहीं थी। मैंने फिर से ज़ोर लगाया, मगर मैं आज़ाद नहीं हो पाई, पर जब वो ज़ोर लगता तो उसका बेशर्म लंड और बेदर्दी से मेरी कमसिन सी चूत को चीर कर अंदर घुसता ही जा रहा था। जिस काम मैं मज़े से करना चाहती थी, उस काम से सारा मजा छूमंत्र हो चुका था, और अब सिर्फ दर्द ही दर्द था।

कुछ और जोरदार धक्के और फरीद का जवान लंड मेरी नन्ही सी चूत को फाड़ कर पूरा अंदर घुस चुका था। उसके बाद मैं सिर्फ रोती रही और इस बुरे वक़्त के बीतने का इंतज़ार करती रही, मगर फरीद के लिए तो जैसे जन्नत का दरवाजा ही खुल गया था। वो इतना खुश था, जैसे उस को कोई खज़ाना मिला गया था। वो बड़े जोश से मुझे चोद रहा था, खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार कर मेरी चूत को और खुला कर कर रहा था।

अब तो उसका लंड आराम से अंदर बाहर जाने लगा। मगर मेरे लिए जैसे मेरे पेट के अंदर तक उसका लंड जा घुसा हो। जब फरीद को कुछ देर हो गई चोदते हुये, मैंने फिर से उसके आगे हाथ जोड़े- अंकल अब तो आपने जो करना था, कर लिया, अब तो मुझे छोड़ दो, मुझे नीचे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़।

मगर फरीद बोला- अब जब चुद ही चुकी हो तो थोड़ा और चुद लो! मैंने कहा- और कितना अंकल, कितना तो हो गया. और मैं रो पड़ी। वो बोला- लो, अरे रो मत जान, इस काम का मजा लो, अभी मुझे थोड़ा टाइम लगेगा झड़ने में… बस जैसे ही मैं झड़ा, काम खत्म। मैं सोचने लगी कि पता नहीं ये कब झड़ेगा, और झड़ना क्या होता है।

कुछ देर की चुदाई के बाद फरीद ने अपनी पकड़ ढीली कर दी, मैं भी लेटी अब सिर्फ उसके झड़ने का इंतजार कर रही थी। मैंने सर उठा कर नीचे अपनी चूत की तरफ देखा, उसका काला लंड सच में खून से सना था, जो शायद मेरी कुँवारी चूत को फटने से निकला था। मैं लेटी लेटी घड़ी की तरफ देखने लगी, टाइम ही पास नहीं हो रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे घड़ी रुक गई हो।

फरीद के चेहरे पर मुस्कान थी, वो मेरे चेहरे पर यहाँ वहाँ चूम रहा था, मगर होंठों पर चूमने नहीं दिया मैंने। जब भी वो मेरे होंठ चूमना चाहता मैं अपना मुँह फेर लेती। करीब 5 मिनट बाद, उसने ज़बरदस्ती मेरे मुँह पकड़ कर मेरे होंठ अपने होंठों में पकड़ लिए और बड़ी ज़ोर से चूसे, मुझे बुरी तरह जकड़ कर उसने बहुत से धकके मारे, मेरी तो जैसे आंतड़ियाँ इकट्ठी कर दी उसने… फिर एकदम से उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरे पेट पर उसने अपने लंड से गाढ़ा सफ़ेद बदबूदार सा पानी गिरा दिया। मुझे याद है, अब्बा भी अपना ये सफ़ेद पानी कई बार अम्मी की छाती पर या उनके मुँह पर गिराते थे और अम्मी बहुत खुश होती थी।

मगर मुझे तो दर्द से आराम चाहिए था, लंड निकलते ही मुझे बड़ा सुकून मिला। अपना माल मेरे पेट पे गिरा कर फरीद उठ गया, और अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में चला गया। मैं अपने घुटने अपनी छाती से लगा कर, फूट फूट कर रोई। बेशक लंड मेरी चूत से निकल चुका था, मगर दर्द अब भी हो रहा था। थोड़ी देर में फरीद आया और मेरे पास बैठ गया, मुझे उसने आने हाथों से गरम दूध करके पिलाया, फिर मुझे उठा कर बाथरूम में ले गया और मुझे खुद नहलाया। फ्रेश हो कर मैंने नए कपड़े पहने। फिर बाहर से उसने मुझे दवा भी ला कर दी।

शाम तक जब तक अम्मी अब्बू आए, मैं काफी ठीक हो चुकी थी। रात को अब्बू ने अम्मी को खूब पेला, मैंने उठ कर खुली खिड़की से देखा, मैं सोच रही थी कि ये क्या चीज़ है, अब्बू का लंड तो फरीद से भी बड़ा है, फिर अम्मी को इसमे इतना मजा और मुझे इतना दर्द क्यों हुआ।

अगले दिन मुझे फरीद फिर मिला, मगर मुझे उससे कोई दुश्मनी नहीं थी। मैंने उस से बात की, तो उसने बताया कि पहली बार में हमेश दर्द होता है।

मैं वापिस अपने कमरे में आ गई। चार दिन बाद मैं बिल्कुल ठीक हो चुकी थी और अब मेरा खुद का दिल कर रहा था कि मैं किसी मर्द के जिस्म से खेलूँ। मैं ऊपर अपने रूम के बाहर खड़ी थी, नीचे सामने वाले रूम में फरीद जरदोज़ी का काम कर रहा था। अम्मी उसको चाय देने गई, तो दोनों में कुछ बात हुई। मैंने देखा फरीद ने अम्मी को 10000 रुपये दिये। अम्मी पैसे ले कर चली गई।

उनके जाने के बाद फरीद ने ऊपर मेरी तरफ देखा और अपनी लुंगी में ही अपने लंड को हिला कर मुझे दिखाया और मुझे आँख भी मार दी। उसकी इस हरकत से मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई क्योंकि अब मैं कोई बच्ची नहीं रही थी, मैं जवान हो चुकी थी और कली से फूल बन चुकी थी।

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