सम्भोग से आत्मदर्शन-26

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

अब तक आपने आश्रम से जुड़े रहस्यों के बारे में पूर्ण रूप से जान लिया। अब मैं प्रेरणा और छोटी… प्रेरणा के गांव वाले घर में हैं. यहाँ छोटी ने अचानक मेरा गाल चूम लिया, और खुश होकर दूसरी तरफ देखने लगी, मुझे उसका इशारा समझ आ गया था, और यहाँ साथ आने का कारण भी, मेरे लंड देव ने भी सलामी दे दी।

हम घर से दोपहर में निकले थे और अब शाम होने लगी थी, सूरज मद्धम हो गया था, और घर के भीतर बहुत धीमी लाल रोशनी आ रही थी, मौसम भी कामुकता को बढ़ाने वाला ही था। चुम्बन के जवाब में मैंने छोटी से कहा- आखिर इरादा क्या है? तब तक प्रेरणा चाय और बिस्कुट की ट्रे लेकर आ गई थी, उसने मेरी बात सुन ली और कहा- अब बेचारी मुंह से कहेगी क्या, कि आओ मुझे चोद लो? क्या यार संदीप, इतने बड़े खिलाड़ी होकर भी अनाड़ी बनते हो!

मैंने कहा- समझ तो मैं सब रहा हूं पर तुम इसके साथ, इसकी बातों में कैसे मिल रही हो? तब प्रेरणा ने बताया कि छोटी और प्रेरणा ने बातों ही बातों में अपने मेरे साथ हुए अपने अनुभव बांटे, तब छोटी ने मुझसे चुदने की इच्छा जाहिर की. पर वो नहीं चाहती थी कि उसकी माँ और बहन तनु को इस बात का पता चले। इसलिए प्रेरणा ने ही छोटी को यहाँ आने का उपाय बताया, यहाँ आने से हमारे बहुत से काम एक साथ निपट जायेंगे।

मैंने उनसे कहा- चलो अच्छा ही है, मेरा आँटी को किया वादा कि ‘मैं छोटी को कुछ नहीं करूँगा’, वो कम से कम उसकी नजर में तो नहीं टूटेगा. तभी छोटी ने कहा- तुम अपने वादे की चिंता मत करो, मैं तुम्हारा वादा नहीं टूटने दूंगी। मैंने कहा- क्या मतलब? ऐसे में तुम जो चाहती हो कैसे संभव है? तो उसने कहा- तुमने वादे में कहा है कि तुम कुछ नहीं करोगे, पर यह तो नहीं कहा कि छोटी को भी कुछ करने नहीं दूंगा। अब तुम देखना कि मैंने तुम्ही लोगों से कितना कुछ सीखा है।

छोटी की इस बात पर तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, मैंने खुशी के मारे पास बैठी प्रेरणा के मम्में दबा दिये और गालों को चूम लिया. प्रेरणा ने कहा- अअरररे अअररे मेरे साथ क्यों कर रहे हो, छोटी के दबाओ! तो मैंने कहा- तुमने सुना नहीं कि सब कुछ छोटी खुद करेगी, और ऐसे भी अभी मैंने तुम्हारी चूची छोटी की चूची समझ कर ही दबाई थी।

अब छोटी मेरे और पास आ गई, हम सब कपड़ों में ही थे, छोटी का बदन पीले कपड़ों और हल्की लाल रोशनी में और भी प्यारा लग रहा था, छोटी लगभग 5’2″ की मासूम सी छरहरे बदन की गोरी सी गुड़िया हो चुकी थी, उसके स्तन और शरीर का नाप लगभग 32-26-30 का था जो प्रेरणा से उल्टा था, क्योंकि प्रेरणा का शरीर 30-26-32 का था। मतलब प्रेरणा की गांड उभरी थी तो अब छोटी का स्तन बड़े थे. छोटी की गांड का साइज कम जरूर लग रहा था पर चपटी हुई या बेडौल बिल्कुल नहीं थी।

छोटी ने अपना दुपट्टा निकाल के किनारे रख दिया और अपने हाथों से मेरे सीने को सहलाने लगी. तभी प्रेरणा ने कहा- पहले चाय पी लो, फिर मैं भी ये सारे काम जल्दी से निपटा कर तुम लोगों का साथ देने आती हूँ। वैसे भी मैंने तुम्हारे लंड की ताकत देखी है, तुम हम दोनों को ही नहीं हम चारों को भी एक साथ संभाल सकते हो। छोटी ने भी सहमति जताते हुए कहा- हाँ, मैंने तो बहुत अच्छे से महसूस किया है, पहले पहले की ही बातें मुझे याद नहीं लेकिन जब से मेरे अंदर थोड़ा सा सुधार आया था, तब से ही मैं इसके लंड देख के आहें भरती थी और मन में उस लंड को पाने का ख्वाब देखती थी।

मुझे इस वक्त लग रहा था कि मैंने छोटी से सेक्स ना करके गलती की। पर अब वक्त निकल चुका था इसलिए कुछ सोचने के बजाय कुछ करना ज्यादा अच्छा था।

हमने जल्दी से चाय खत्म की, फिर प्रेरणा ने वहाँ रखे टी टेबल को हटा कर चुदाई के लिए बिस्तर के अलावा और भी जगह बना ली, और ट्रे लेकर किचन में चली गई.

तभी छोटी ने मेरे गले में अपनी बांहों का हार डाल दिया और कहा- तुम मेरे दोस्त भी हो, मेरे प्रियतम भी, और तनु की वजह से मेरे जीजा भी हो, माँ की वजह से पिता भी। कुल मिला कर तुम मेरी जिन्दगी बचाने और संवारने वाले भग…! मैंने छोटी के मुंह मे हाथ रख कर उसे रोक दिया, वो मुझे भगवान कहना चाह रही थी, मैंने कहा- छोटी, मैंने जितना भी किया उस सबके बदले में मुझे भी बहुत कुछ मिला है इसलिए मुझे भगवान मत बनाओ, बस इंसान रहने दो।

छोटी की आंखों में कृतज्ञता के आंसू थे, उसने रोते हुए कहा- तुमने मेरे लिए जो किया है उसका बदला मैं सात जन्मों में नहीं चुका सकती, तुम बहुत अच्छे हो.. बहुत ज्यादा अच्छे हो..! छोटी भावनाओं में बहने लगी थी, साथ ही मैं भी बह गया- तुम भी तो अच्छी हो मन से तो पहले से ही अच्छी थी, और अब तन से भी किसी अप्सरा से कम नहीं हो, निश्छल मन की वजह से चेहरे पर एक तेज है, जिसकी आभा देख कर मेरा मन प्रसन्नता से भाव विभोर हो उठता है।

यह कहते हुए मैंने उसके चेहरे पर प्यार से हाथ फेरा और जैसे ही मेरा हाथ उसके पतले गुलाबी होंठों की ओर आया उसने मेरी उंगलियां लपक कर मुंह में भर ली और चूसने लगी. उसने काम कला कहाँ से सीखी, ये सोचने की आवश्यकता ही नहीं थी, बस यह देखना था कि कितना सीखा है।

उसने बड़ी नजाकत से उंगली चूसी और मुझे संकेत दे दिया कि मेरी कक्षा की वो टॉपर स्टूडेंट है, उसने इसी के साथ अपने हाथों से मेरी शर्ट के ऊपरी दो बटन खोल दिये और हाथ मेरी बनियान के अंदर डाल कर मेरे चौड़े मजबूत सीने के बालों को सहलाने लगी, मेरा लंड कपड़ों के भीतर ही जकड़ा हुआ फड़फड़ा रहा था।

वो अब मेरी गोद में बैठ गई, उस नाजुक बाला का फूल सरीखा बोझ मेरे लंड पर पड़ा जिसका अहसास उसे भी हुआ ही होगा। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिये, अब तक प्रेरणा भी आ गई थी, उसने पीछे खड़े होकर छोटी की कुरती ऊपर उठाई, छोटी को चुम्बन कुछ सेंकड रोकना पड़ा और हाथ ऊपर करके उसने कुरती बाहर निकलवा दी और पुनः चुम्बन करने लगी।

मैंने छोटी का शरीर सैकड़ों बार निहारा था, छुआ था, पर आज कामुकता से गर्म बदन और चढ़ती उतरती सांसों की वजह से छोटी का स्पर्श भी नयेपन का अहसास करा रहा था, मैं कमर और उरोजों तक अपने हाथ चलाने शुरू कर दिये, उसके चिकने कटाव भरे नौयौवन कसे हुए बदन में मेरे हाथ स्वतः फिसल रहे थे। प्रेरणा ने भी खुद के कपड़े शरीर से अलग कर दिये और शाम का वक्त अब रात्रि की ओर झुकने लगा इसलिए प्रेरणा ने लाईट जला दी, ट्यूब लाईट की रोशनी से नहाई दो सुंदर बालाएं मेरे उपभोग के लिए तैयार और तत्पर थी।

अब छोटी लंबे चुम्बन की वजह से अति उत्तेजना में आने लगी, उसने चुम्बन रोका और मेरी शर्ट के बाकी बटन खोल कर और बनियान को उठाते हुए मेरे शरीर से अलग कर दिया, उसके बाद वो मेरे नंगे बदन से चिपकने लगी अपने उरोज मेरे सीने से घिसने लगी, उसके मुंह से कामुक ध्वनि संप्रेषित हो रही थी।

और उसी समय प्रेरणा भी अपने नीले रंग की रेशमी ब्रा पेंटी पहने जलवे बिखेरते हुए पास आ गई और अपने सुडौल कठोर स्तनों को छोटी की पीठ में घिसने लगी और कंधे, गर्दन और गालों पर पीछे से ही चूमने चाटने लगी। छोटी को काम वासना का ये डबल डोज सातवें आसमान में पहुंचाने के लिए काफी था।

छोटी कपड़ों के ऊपर से ही मेरे लंड पर अपनी चूत घिसने लगी, तब प्रेरणा ने उसे उतरने का इशारा किया और छोटी के मेरी गोद से उतरते ही, उसने उसकी सलवार उतार दी और मेरी पेंट और चड्डी भी निकाल दी. वैसे वो मेरे से सेक्स कर चुकी थी पर लंड को देख कर उससे रहा नहीं गया, और उसने उसे मुंह मे भर कर एक बार चूस लिया पर मैंने उसे छुड़ा दिया, मुझे लंड चुसवाना बहुत पसंद है पर अभी वक्त चूसाने का नहीं चूत चाटने का था।

छोटी सफेद ब्रा और पेंटी पहने मेरी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही थी. तभी मैंने उसकी चूत पर पेंटी के ऊपर से हाथ फेरा, पेंटी कामरस से भीग चुकी थी और उसके कानों के पास एक अदा से कहा- तुमने तो कहा है कि सब तुम करोगी, अब इंतजार किसका कर रही हो? अगर चूत चटवानी है तो मेरे मुंह में तुम्हें खुद देना होगा।

उसने शर्म में सर नीचे कर लिया और दूसरे ही पल अपनी पेंटी उतार दी, तब तक नीचे बैठ कर मैंने प्रेरणा की गीली पेंटी को एक बार जोर से सूंघ लिया, उसकी मादक खूशबू ने मेरे बदन में आग लगा दी, मैंने उसकी पेंटी भी पैरों से अलग कर दी। दोनों की हसीन गोरी चिकनी चूत मेरे सामने एक साथ उजागर हो गई थी, मैंने दोनों की चूत में अपनी उंगलियां डाल दी।

छोटी मेरी दायीं ओर थी और प्रेरणा बांयीं ओर… और इस तरह उनकी चूत को सहलाने के साथ ही मैं बारी बारी से उनकी चूत के दाने को भी चाट लेता था. वो दोनों मदहोश हो रही थी, दोनों ने एक दूसरे की ब्रा निकाल दी और शरीर को मसलते हुए आपस में चुम्बन शुरू कर दिया।

‘उउउउ… इइईईईसस…’ जैसी कामुक ध्वनियां स्वतः ही हम तीनों के मुख से निकलने लगी। अब दोनों ही बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी और मेरे लंड में भी अकड़न की वजह से दर्द होने लगा था, तो मैं उठ कर बिस्तर पर लेट गया, छोटी 69 की पोजिशन में आ गई और प्रेरणा मेरे पैरों की तरफ बैठ गई, और दोनों कामदेवियों ने एक साथ मेरे लंड पर अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया।

मैं छोटी की चूत फिर से चाटने लगा, छोटी आनन्द में बेसुध होकर अपनी चूत मेरे मुंह में दबा देती थी, और लंड के गुलाबी सुपाड़े को सबसे ज्यादा वही चाट और चूस रही थी, बीच-बीच में वो लंड अपने गले तक भी ले जाती थी. उधर प्रेरणा ने मेरी गोलियों और जांघो को चाटकर सहला कर मुझे मदहोशी के आलम तक पहुंचा रखा था।

मैंने छोटी के कूल्हों पर दो हल्की चपत लगाई तो वह समझ गई कि अब मुझे लंड पर बैठना है, वो सीधे होकर लंड पर अपना चूत घिसने लगी और प्रेरणा ने छोटी के चूत के लाल होंठों को फैला कर लंड को प्रवेश द्वार पर टिका दिया, छोटी ने अपना पूरा भार मेरे लंड पर डाल कर आहहह… की आवाज हल्की चीख और सिसकियों के साथ लंड पूरे जड़ तक गटक लिया.

लंड चूत की कसी हुई दीवारों पर रगड़ खाकर और भी मस्ती में झूम उठा।

प्रेरणा छोटी के पीछे सट गई और उसकी पीठ पर अपने स्तन घिसते हुए अपने हाथ सामने लाकर छोटी के मदसमस्त करते उरोजों को दबाने लगी। छोटी को मस्ती चढने लगी और उसकी गति बढ़ने लगी. मैंने भी नीचे से कमर उछाल कर चूत चोदना चालू कर दिया।

अब तक मैं चुदाई के साथ ही छोटी का पूरा जिस्म सहला रहा था लेकिन अब मेरे हाथ उसके कमर पर आकर रुक गये और उन्हें कस कर जकड़ लिया और नीचे से ही चुदाई की गति बढ़ा दी। प्रेरणा ने छोटी को इसी मुद्रा में पीछे की ओर झुका दिया जिससे छोटी की चूत में तेजी से आगे पीछे होता मेरा लंड साफ नजर आने लगा.

प्रेरणा यह देख कर खुद को रोक नहीं पाई और छोटी की चूत के दाने और मेरे लंड की जड़ को चूमने चाटने लगी, कामुकता के इस चौतरफे हमले से मैं और छोटी दोनों ही अकड़ने और बड़बड़ाने लगे, ‘आहहह उहहह इइईईसस…’ की आवाज तो सभी के मुंह से आ रही थी।

और अब कुछ ही धक्कों के बाद छोटी कंपकंपाते हुए झड़ने लगी और निढाल हो गई तो उसे मैंने जल्दी से नीचे हटा दिया और वैसी ही स्थिति में अपना लंड प्रेरणा के मुंह में डाल दिया, उसका सर जोरों से अपने लंड पर दबा दिया, वो ऊऊउउ गूंगूगूगू करती रही और एक झुरझुरी के साथ मैं उसके मुंह में ही झड़ गया, मेरा गाढ़ा वीर्य उसके मुंह से होकर मेरे ही लंड पर वापस बह गया, जिसे छोटी ने बड़े प्यार से चाट कर साफ किया।

प्रेरणा को भी तत्काल चुदाई की आवश्यकता थी, इधर छोटी जब तक मेरा लंड चूस कर दोबारा खड़ा करती, तब तक मैंने प्रेरणा की गीली चूत की फांकों को फैलाया और अपनी दो उंगलियां डाल दी, और बहुत तेजी से चूत की जड़ तक आगे पीछे करने लगा.

वह तो शायद झड़ने के कगार पर थी, वो मेरी उंगलियों की चुदाई ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकी और अकड़ने लगी, उसने सिसकारियों के साथ काम रस छोड़ दिया और मैंने लपक कर जितना मुंह में आ सका, पी लिया।

इधर मेरा लंड दुबारा खड़ा हो चुका था और छोटी दुबारा गर्म… छोटी ने अपने वादे के अनुसार सब कुछ खुद करना चाहा और उसने खुद ही अपनी गांड की छेद में बोरोप्लस लगाया और मेरे लंड में भी बहुत सी क्रीम पोत दी, उसके बाद मेरे विकराल लंड पर बैठने की हिम्मत भी उसने खुद ही की।

मेरे लंड का सुपारा उसकी गांड के भूरे छेद में फंस सा गया और छोटी की चीख निकल गई. फिर मैंने उसकी कमर को पकड़ा और नीचे से धक्का लगाया, तब कहीं जाकर उसकी संकरी गांड में मेरा आधा लंड घुसा. ऐसा नहीं है कि उसने कभी गांड ना मराई हो पर बहुत लंबे अंतराल की वजह से और एक ही बार गांड मराने की वजह से छेद लगभग पहले जैसा हो गया था।

हम सभी का यह दूसरा राउंड था इसलिए चुदाई लंबी चली, छोटी ने पसीने पसीने होकर भी अपनी मंजिल हासिल कर ली और थक कर मेरे बगल में लेट गई।

आप तो जानते ही है दूसरे राउंड में मेरा बड़ी मुश्किल से हो पाता है, तो अब मैंने प्रेरणा को घोड़ी बनाया और उसकी गांड के छेद में लंड घिसने लगा. अब प्रेरणा गांड मराने में माहिर हो गई थी, फिर भी मैंने थोडी सी क्रीम उसके गांड के छेद में लगाई और लंड पेल दिया, प्रेरणा ने हल्की कराह के साथ लंड झेल लिया।

हमारी घमासान चुदाई चलती रही, छोटी थोड़ा होश में आई तो उसने अपने उरोज मेरे पीठ में रगड़ने शुरू कर दिये, उसका तो हो चुका था पर वो हमारा पूरा साथ देना चाहती थी. मैंने प्रेरणा के मम्मे और कमर थाम लिये और बीच बीच में कूल्हों पर तबले जैसा थाप देने लगा।

अब हम दोनों के अंदर भी थकावट हावी होने लगी, प्रेरणा कांपने लगी, शायद वो झड़ रही थी और साथ ही मेरा सागर भी छलकने को हुआ तो मैंने छोटी को इशारा करके अपने सामने बिठा लिया और अपने लंड का गाढ़ा वीर्य उसके चेहरे होंठ मुंह और शरीर पर गिराने लगा. मेरे गर्म वीर्य का जितना भाग छोटी के होंठों और मुंह पर आया, उसने चाट लिया और जितना भी दूसरी जगहों पर था, उसे उसने वहीं मल लिया.

अब प्रेरणा भी उसी के पास घुटनों पर बैठ गई और मेरे लंड को पकड़ कर छोटी के गालों पर पीट के कहने लगी- आज तुमने छोटी का पूरा इलाज कर दिया। और हम सब हंस पड़े।

फिर हम कुछ देर यूं ही लेटे रहे, फिर खाना बनाया खाया और रात को एक दौर चुदाई का और चला।

उसके बाद हम वहाँ लगभग दस दिन रहे जिसमें हमने मौका देख कर दिन में और रात को रोज ही इस तरह की कामुक सेक्स का लुत्फ उठाया, साथ ही हमने घर जमीन के लिए एक दलाल के माध्यम से अच्छा ग्राहक खोज लिया और आंटी से पूछ कर उनके भी पुराने घर के लिए ग्राहक तलाशने कह दिया।

काम निपटा कर हम वहाँ से लौट आये, और यहाँ एक अच्छा फ्लैट ले लिया.

छोटी के लिए दो साल बाद एक अच्छा रिश्ता मिला, तब तक मैंने सभी की मौके मौके पर अलग अलग से चुदाई की। मैं आज भी आँटी और प्रेरणा की नियमित चुदाई करता हूं। तनु और छोटी की भी चुदाई का मौका कभी कभी मिल ही जाता है। इस तरह सभी की लाईफ चल रही है.

और आप सबने धैर्य के साथ इस कहानी में मेरा पूरा सहयोग किया… इसके लिए मैं आप सभी पाठकों का आभारी हूं। अब मैं कुछ दिन का आराम लेकर जल्द ही धमाकेदार कहानी के साथ मुलाकात करुंगा।

अभी लगभग छ: सात कहानियों पर काम चल रहा है, जिसमें से एक एक कहानी की कड़ियाँ तीस चालीस के आस पास जा सकती हैं, इसलिए आप सब अन्तर्वासना के साथ बने रहें और मुझे मेल करते रहें।

मैं आभारी हूं आप सबका, जिसने समय दिया प्रर्याप्त। उतार चढ़ाव से भरी कहानी, आज से हो रही है समाप्त।।

आपके अपने संदीप साहू का पुनः नमस्कार! धन्यवाद। आप अपनी अमूल्य राय मेरे निचे दिए गए ईमेल पते पर दे सकते हैं. [email protected] [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000