बॉय से कॉलबॉय का सफर-6

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

प्यासी जवानी की मेरी सेक्सी कहानी के पिछले भाग बॉय से कॉलबॉय का सफर-1 बॉय से कॉलबॉय का सफर-5 में अभी तक आपने पढ़ा… चुदाई की प्यासी मधु की चूत की चुदाई के बाद मेरा मन उसकी गाण्ड मारने का भी था। मैं मधु को चुदाई के साथ बातों में भी खोलना चाह रहा था। अब आगे..

मैं बोला- मधु तुम बहुत सुन्दर हो और तुम्हारा नंगा जिस्म पाकर मैं धन्य हो गया। उसने बस “हूँ” कहा और चुप हो गई। मैं बोला- अब रोज तुम्हें अपने लण्ड से चोदूँगा.. चोदने दोगी? “ऊउउउ..”

“क्या ऊउ..? बोलो न कुछ मुँह से..” “हाँ..” “अरे जान.. पूरा बोलो कि हाँ मैं रोज तुम्हारे लण्ड से चुदूँगी।” “नहीं.. मुझे शर्म आती है।” “यार अब क्या शर्माना..? इतनी देर से मेरा लण्ड तेरी चूत में है.. और मुझे ही तो कहना है.. फोन पर भी तो बोलती थीं.. अब बोलो प्लीज।”

मधु थोड़ी ना-नुकुर और शरमाने के बाद धीरे से बोली- हाँ.. मैं रोज तुम्हारे लण्ड से चुदूँगी. ये कहते हुए उसने मुँह छिपा लिया।

मैंने उसके हाथ हटाते हुए बोला- कभी मना तो नहीं करोगी? “नहीं.. जब तुम्हारी मरजी हो कर लेना।” “कर लेना?” “हाँ हाँ.. चोद लेना।” “क्या चोदने दोगी?” “जो तुम अब चोद रहे हो।” “क्या चोद रहा हूँ?”

मधु मेरी कमर पर चपत लगाते हुए “ऊउऊ..” “फिर वही.. बोलो न जान।” थोड़ा शरमाते हुए बोली- मैं अपनी चूत चोदने दूँगी.. कभी मना नहीं करूँगी।” “और गाण्ड?” “अब मैं कुछ नहीं बोलूँगी.. बसस्..”

मैंने भी ज्यादा परेशान नहीं किया और चूमते हुए धक्के तेज कर दिए और मधु की चूत को पेलने लगा। कुछ देर बाद फिर मधु ने मुझे कसकर पकड़ लिया और निढाल पड़ गई। उसकी बरसों की प्यास शान्त होने से खुशी से उसकी आँखों से आँसू निकल आए।

मैं समझ गया कि वो झड़ गई है। थोड़ी देर बाद मधु बोली- प्लीज जल्दी करो.. अब सहन नहीं हो रहा।

मैं भी थक चुका था। मैं मधु की चूचियों को पकड़ कर जोर से धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर में मैंने मधु की चूत में वीर्य भर दिया और हाँफते हुए मधु के ऊपर लेट गया।

लगभग 5 मिनट तक उसके ऊपर पड़ा रहा। फिर मैं उसके बराबर में आँखें बन्द करके लेट गया। मेरा एक हाथ उसकी चूचियों पर था और एक पैर उसकी जांघ पर था। हम दोनों ही लम्बी चुदाई के बाद थक गए थे। मधु की ऐसी चुदाई आज पहली बार हुई थी। किसी मर्द के कड़क लण्ड की ताकत का उसे पहली बार अहसास हुआ था।

मधु को अपने पति पर गुस्सा था परन्तु चूत के सन्तुष्ट होने से वो खुश थी। पति चाहे कितना कमाये और कितना ही पत्नी को दौलत से लाद दे। लेकिन शरीर की प्यास न बुझा पाए तो पत्नी कभी खुश नहीं रह सकती। पति की यही कमजोरी पत्नी को पतिता बनने के लिए मजबूर कर देती है।

मधु के साथ भी ऐसा हुआ इसलिए वो आज एक गैर मर्द से चुदी थी, वरना उस जैसी लड़की कभी किसी दूसरे मर्द की तरफ आँखें उठा कर नहीं देखती।

तभी किसी ने गेट खटखटाया… मधु ने मेरी तरफ देखा। मेरी आँखें बन्द थी.. पर मैंने थोड़ी सी खोल रखी थी। मधु को लगा कि मैं सो गया हूँ। मधु ने पूछा- कौन? बाहर से आवाज आई “दीदी खाना लग गया है.. आकर खा लीजिये।” मधु ने फिर मेरी तरफ देखा और बोली- तुम माँ जी को खिला दो। हम बाद में खाएंगे.. भईया अभी सो रहे हैं। “ठीक है दीदी..” कहते हुए चली गई।

कुछ मिनट के बाद मधु उठने लगी; शायद चुदाई की उसकी थकान कम हो गई थी; उसने धीरे से मेरा हाथ चूचियों से हटाया और बैठ कर मेरा पैर भी जाँघों से हटा कर बिस्तर से खड़ी हो गई। मधु पूरी नंगी थी और बहुत सुन्दर लग रही थी। बाहर की तरफ निकली उसकी गोल और बड़ी-बड़ी चूचियां और बड़े-बड़े चूतड़ उसे बहुत कामुक बना रहे थे। वो वैसे ही नंगी बाथरूम की तरफ जाने लगी। लेकिन आईने के सामने जाकर रुक गई और अपने नंगे शरीर को देखने लगी। पता नहीं वो क्या सोच रही थी।

थोड़ी देर खुद को आईने में देखने के बाद मन्द मन्द मुस्कुराते हुए उसने मेरी तरफ देखा और बाथरूम में चली गई। बाथरूम में जाकर शावर चलाया और नहाने लगी। दस मिनट नहाने के बाद वो तौलिया उठा कर नंगी ही कमरे में आ गई। नहाने से मधु के गोरे बदन पर चमक सी आ गई; वो एक पैर स्टूल पर रखकर पौंछने लगी। उसके बाल कमर पर कमर पर बिखरे थे।

मधु की मस्त गाण्ड और बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया और उसकी चूत में जाने को मचलने लगा। मैं खड़ा हुआ और मधु के पीछे जाकर उसके खूबसूरत बदन को निहारने लगा. मधु को ये नहीं पता था; वो अपने बदन को पोंछने में लगी थी।

फिर मैंने मधु को पकड़कर अपना लण्ड उसके बड़े चूतड़ों की दरार में गाण्ड पर पर दबा दिया और हाथों से चूचियों को पकड़ लिया। मधु ने जैसे ही देखने के लिए गर्दन घुमाई तो उसके रसीले और गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख कर चुम्बन करने लगा।

मधु नाम मात्र विरोध कर रही थी। मैं उसके होंठों को चूसते हुए चूचियों को मसल रहा था और लण्ड को गाण्ड पर रगड़ रहा था। मधु भी गर्म होने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी।

मैं अपना एक हाथ नीचे ले जाकर चूत को रगड़ने लगा और एक उंगली चूत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा। मधु गाण्ड पर लण्ड और चूत में उंगली के घर्षण से मचल गई और होंठों को छोड़कर सिसकारियाँ लेने लगी। मैंने उंगली की रफ्तार बढ़ा दी जिससे मधु के पैर काँपने लगे और चूत से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा।

मधु से खड़ा होना मुश्किल हो गया; वो काँपते हुए नीचे बैठने लगी। मैंने उसे ढीला छोड़ दिया और वो फर्श पर बैठ गई। मैं उसके सामने खड़ा हो गया और लण्ड उसके होंठों के सामने कर दिया। मधु ने मुँह खोल कर मेरे लौड़े को अन्दर ले लिया और चूसने लगी।

थोड़ी देर मुँह को चोदने के बाद मैंने लण्ड बाहर खींच लिया और मधु को खड़ा करके उसका एक पैर स्टूल पर रखकर आगे की तरफ झुका दिया। अब उसकी मस्त गाण्ड पीछे को निकली थी। मैंने गाण्ड पर थूका और उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगा। सामने ड्रेसिंग टेबल के आईने में मधु चेहरा और चूचियां साफ दिखाई दे रही थीं। मधु की आँखें नशे से बन्द सी हो रही थीं। ऐसा लग रहा था कि उसने शराब पी रखी हो और वो दाँतों से अपने होंठों को काट रही थी।

मैंने गाण्ड में से उंगली निकाली और एक हाथ से उसकी चूची को पकड़ कर दूसरे हाथ से टेबल पर रखी क्रीम उठा ली। अब मैंने मधु को छोड़ दिया। वो वैसे ही झुकी खड़ी रही। मैंने क्रीम अपने लण्ड पर लगाई और मधु की गाण्ड के गुलाबी छेद पर लगाने लगा। मधु को जैसे एकदम होश आया.. वो समझ गई कि मैं उसकी गाण्ड मारने वाला हूँ।

बोली- राज आज पीछे नहीं डालना प्लीज.. मैं खुद किसी और दिन डलवा लूँगी; आज बस मेरी चूत की खुजली मिटा दो।

उसने इतनी मासूमियत से कहा तो मैंने भी अपना प्लान बदल दिया; फिर उसकी कमर पकड़कर लण्ड पीछे से चूत पर रगड़ने लगा।

थोड़ी देर बाद मधु अपना हाथ पीछे लाई और लण्ड को पकड़कर चूत पर लगा दिया। मैं उसे और तड़पाना नहीं चाहता था, इसलिए एक झटके में ही पूरा लण्ड चूत में ठोक दिया। मधु के मुँह से “आहह्..” निकल गई; मैंने झटकों की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ा दी।

अब मधु भी मेरे हर धक्के का जवाब गाण्ड को आगे पीछे करके देने लगी। थोड़ी देर में मधु के पैर लड़खड़ाने लगे… शायद वो थक गई थी। मैंने लण्ड चूत से निकाला और मधु को उठा कर बिस्तर के किनारे पर घोड़ी बना दिया। मधु ने अपने चेहरे के नीचे तकिया रख लिया और घुटनों को चूचियों से भिड़ा कर गाण्ड पूरी तरह बाहर की तरफ निकाल दी, जिससे उसकी चूत पीछे को उभर आई।

मैंने बिस्तर के नीचे खड़े खड़े ही मधु की कमर को पकड़ा और लण्ड को चूत पर रख कर अन्दर पेल दिया। मैं कमर पकड़ कर जोर जोर से धक्के मारने लगा। मधु के मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसने बिस्तर की चादर को मुठ्ठियों में भींचा हुआ था।

मैं लगातार झटके मार रहा था; मेरे झटके इतने तेज हो गए कि मधु हर झटके पर आगे को बढ़ जाती। कुछ मिनट में मधु की चूत से पानी निकलने लगा; मैं भी झड़ने के करीब था.. मैं पूरी जान लगा कर झटके मारने लगा और अपने वीर्य से मधु की चूत भर दी।

मधु कुछ देर वैसे ही घोड़ी बनी आँखें बन्द किए पड़ी रही। मैं उसके साइड में लेटकर उसके प्यारे चेहरे को देखने लगा। थोड़ी देर बाद मधु ने आँखें खोलीं.. तो मुझे अपनी ओर देखते पाया। वो थोड़ी सी मुस्कराई और शर्म से आँखें झुका लीं।

प्यासी जवानी की इस अदा ने मानो मुझ पर बिजली गिरा दी। मैंने उसे सीधा लिटा और गालों को चूमने लगा। मधु मुझे दूर करते हुए बोली- अब बस भी करो राज। मैं बोला- जान तुमसे अलग होने का दिल ही नहीं कर रहा। मधु ने मुझे अपनी बांहों ले लिया और बोली- मन तो मेरा भी नहीं कर रहा। लेकिन नीचे माँ जी इन्तजार कर रही होंगी। अब मुझे छोड़ो.. बाद में जी भरके करना जो करना हो। हमारे पास काफी टाइम है। अब तुम नहाकर कपड़े पहनो जब तक मैं माँ जी से मिल कर आती हूँ और खाना ले आती हूँ।

मैं बोला- जान.. जैसी आपकी इच्छा।

मधु खड़ी होकर बाथरूम में चली गई और नहाकर कपड़े पहने लगी, नीचे जाते हुए बोली- जल्दी तैयार हो जाओ.. मैं खाना लेकर आती हूँ।

मैंने भी नहा कर कपड़े पहन लिए और टीवी देखने लगा।

थोड़ी देर बाद मधु नौकरानी के साथ खाना ले आई, हमने साथ में खाना खाया और इधर उधर की बातें करते रहे। खाना खाने के बाद नौकरानी बर्तन ले गई।

हमने एक बार फिर चुदाई की और सो गए।

मैं दो दिन मधु के घर रुका और न जाने दो दिन में कितनी बार चुदाई की। तीसरे दिन मैं वहाँ से निकलने की तैयारी करने लगा। मधु कमरे में आई और बोली- राज अब कब आओगे? “जान, जब तुम बुलाओगी।” “राज, तुमसे दूर होने का दिल नहीं कर रहा।” “जान मुझे जाना तो पड़ेगा.. क्योंकि मजबूरी है।”

मैंने बैग से रूपये निकाले और मधु को दे दिए। मधु बोली- ये क्या? मैं बोला- यार, मैं तुमसे पैसे नहीं ले सकता.. तुम जब कहोगी मैं आ जाऊँगा। मधु बोली- तो जनाब अब हम पर एहसान कर रहे हैं।

हमारी इस बात पर काफी बहस हुई। आखिर में वो रूपये देकर ही मानी; उसने मुझे 20 हजार रूपये दिए और बोली- राज मुझे अब पैसों की कमी नहीं है.. कमी है तो प्यार की, जो अब सिर्फ तुम दे सकते हो और मैं तुम्हारे इस एहसान का बदला कभी नहीं उतार पाऊँगी।

मैं वहाँ से आ गया।

उसके बाद जब भी मौका मिलता.. घर या बाहर हम चुदाई करते।

ऐसे ही एक दिन मधु का फोन आया, वो बोली- राज मेरी एक सहेली है उसकी जवानी भी प्यासी है, उसकी भी यही परेशानी है.. जो मेरी थी। क्या तुम उसके साथ भी कर सकते हो? मैंने साफ मना कर दिया- मधु ये मेरा काम नहीं है.. कि मैं सबकी प्यास बुझाऊँ… इच्छा पूरी करूँ। मधु बोली- तो अपना काम बना लो.. तुम्हें अच्छे पैसे भी मिलेंगे और मजे भी। मैं बोला- लेकिन.. “लेकिन वेकिन कुछ नहीं.. राज तुम नहीं समझोगे कि एक औरत पर क्या बीतती है.. जब उसका पति उसे बिस्तर में शान्त नहीं कर पाता।”

मधु ने इस टॉपिक पर मुझे काफी लेक्चर दिए। अंत में मुझे मानना ही पड़ा; मैं बोला- ये काम मैं अकेला कब तक करूँगा। मधु बोली- मैंने कब कहा तुम अकेले करो.. तुम अपने विश्वास के दोस्तों का ग्रुप बना लो। हमारी जैसी प्यासी औरतों की कमी नहीं है।

मैंने सोचा ‘यार, ये काम भी ठीक है.’ और मैंने अपने चार दोस्तों को अपने साथ मिला लिया और प्यासी जवान औरतों की सेवा शुरु कर दी।

इस तरह मैं बॉय से कॉल बॉय बन गया।

तो दोस्तो.. प्यासी जवानी की मेरी कहानी पर अपने विचार मुझे जरूर भेजना। आप सभी को मेरा नमस्कार और समय मिला तो नई कहानी के साथ फिर मिलूँगा। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000