पापा की चुदक्कड़ सेक्रेटरी की चालाकी-2

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अब तक पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मेरी सेक्रेटरी बिंदु ने मेरे साथ चुत चुदाई का खेल खेला और एक दिन उसने मुझे माँ बनने की बात कह कर मुझसे शादी करने का कहा. अब आगे..

आखिर ना चाहते हुए भी मुझे उससे शादी करनी पड़ी. मैंने उससे कहा कि तुम आज ही ऑफिस से त्यागपत्र दे दो, जो उसने बिना किसी झिझक के मुझे पकड़ा दिया.

अगले दिन ही हम दोनों ने जा कर एक मंदिर में शादी कर ली.

अब रोज़ ही चुदाई का दौर शुरू हो जाता था. चूंकि घर में मेरी लड़की और उस का लड़का भी था, इसलिए मैंने उन दोनों को हॉस्टल में दाखिल करवा दिया ताकि वो यहां से कुछ दिनों के लिए दूर रहें.

वो दोनों हॉस्टल में रह रहे थे और इधर घर में चुदाई का नंगा डांस होता रहा.

एक महीने बाद मैंने उससे कहा कि डॉक्टर से चैकअप करवाने के लिए कब जाना है? तो वो बोली- किस लिए? मैंने उससे कहा कि जो तुम्हारे पेट में बच्चा पल रहा है.. उसकी जांच नहीं करानी है क्या? उसका जवाब था- उसमें तो बस तुम्हारा लंड ही जाता है रोज़ रोज़ और कुछ नहीं है. वो तो तुम मान नहीं रहे थे, इसलिए डॉक्टर को साथ मिला कर एक ड्रामा करना पड़ा था और उसका नतीजा भी निकल आया, मैं फर्स्ट डिवीजन डिस्टिंग्शन से पास हो गई.

उसकी बात सुनका मुझे गुस्सा तो बहुत आया मगर अब कुछ हो नहीं सकता था इसलिए खिसयानी हँसी हंस कर रह गया.

खैर.. मेरा लंड आज कल बिंदु की चूत से मज़े ले रहा था और उसकी चूत मेरे लंड से अपनी भूख मिटा कर मजे ले रही थी. इस तरह से दो साल निकल गए.

इधर मैंने अपनी बेटी (नेहा) को हॉस्टल से वापिस घर बुला लिया और उसके बेटे (आशीष) को हॉस्टल में ही रहने दिया.

इस पर बिंदु ने मुझसे कहा कि वो भी अभी छोटा है, उसको मेरे पास ही रहने दो. मैंने कहा कि उसके फ्यूचर को देखो.. वो वहाँ पढ़ कर किसी अच्छे कॉलेज में चला जाएगा.

उसकी समझ में आ गया और वो अब पता नहीं दिखावा करती थी या कुछ और.. वो मेरी बेटी को बहुत ही प्यार से रख रही थी. वो भी उसे अपनी रियल मदर ही समझती थी.

एक दिन मुझे आशीष के हॉस्टल से फोन आया कि आप यहाँ आ जाइए.

बिना बिंदु को बताए में हॉस्टल में गया तो वहाँ मुझे बताया गया कि आपका लड़का गंदा सेक्सी साहित्य और ब्लू फिल्मों की डीवीडी देखता है, जो कि उसके रूम से पकड़ी गई हैं. आशीष मुझसे माफी माँगता रहा और वार्डन से भी माफी माँगता रहा. वो बोला- सर आगे से आपको किसी भी शिकायत का कभी कोई मौका नहीं मिलेगा.

मैं वार्डन से बाद में जाकर उसके कमरे में उससे बोला- सर बच्चा है, अभी नासमझ है.. इसे माफ़ कर दीजिए, वरना इसका फ्यूचर खराब हो जाएगा. मैंने उसको दस हजार रुपए भी यह कहते हुए दिए कि मैं आपके लिए और भाभी जी के लिए कोई गिफ्ट नहीं लाया हूँ.. प्लीज़ उनकी पसंद की कोई गिफ्ट खरीद लीजिएगा. मना मत कीजिएगा, मैं आपसे पहली बार मिल रहा हूँ.

इसका नतीजा यह हुआ कि आशीष का केस रफ़ा दफ़ा हो गया और मैं वापिस आ गया.

मगर आप लोग जानते ही हैं ना कि जब किसी लड़के को सेक्सी किताबें और ब्लू फिल्मों की लत लग जाए तो वो छूटती नहीं है. उसकी लुल्ली पूरा लंड बन जाती है और वो किसी चूत को ढूँढता रहता है. यही सब आशीष के साथ हुआ.

मुझे बाद में पता चला कि उससे दो तीन औरतों ने उससे पैसे ले कर अपनी चूत चुदवा थी और उसको अच्छी तरह से चुदाई सिखा दी.

जब मुझे यह सब पता लगा तो मैंने बिंदु से कहा, तो वो मुझ पर ही नाराज़ हो गई और बोली- जब बच्चे के पास लंड है, तो वो खड़ा भी होगा और जब खड़ा होगा तो चूत ही माँगेगा ना.. इसमें क्या बुराई दिखती है.. मुझे लगता है आपको तो मेरा बेटा अच्छा ही नहीं लगता. जिस लड़की को अपनी चूत चुदवानी होगी, वो ही उसके पास आएगी ना.. वो किसी के साथ ज़बरदस्ती करे, तब तो मैं उससे कुछ कहूँ भी. अब उसका लंड खड़ा होता है तो वो किसी चूत को खोजेगा ही ना.

मैंने चुप ही रहना ठीक समझा. मगर मुझे नहीं पता था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा था.

इसके आगे की कहानी नेहा की ज़ुबानी सुनिए.

वैसे तो बिंदु मेरी सौतेली माँ है, मगर वो मुझसे जिस तरह से प्यार करती है, वो अपनी माँ से भी कम नहीं महसूस होता था. मेरा एक भाई आशीष यानि बिंदु माँ का लड़का हॉस्टल में रह कर पढ़ाई करता है. अब छुट्टियों में वो एक महीने के लिए घर पर आने वाला था. इधर पापा से माँ की कुछ कहा सुनी हुई थी, जो मुझे नहीं पता था कि क्या बात है, मगर इतना तय था कि वो बात आशीष को लेकर ही थी.

खैर पिछले दो तीन दिनों से मैं माँ के व्यवहार में कुछ चेंज देख रही थी. वो मुझसे कुछ कम बात करती थीं और मैं अगर कुछ पूछती भी थी तो छोटा सा जवाब देकर अपने रूम में चली जाती थीं. एक दिन वो मुझसे बोलीं- बेटी मैं ज़रा बाहर जा रही हूँ और शाम तो देर से आऊंगी, ज़रा घर का ख्याल रखना. मैंने कहा- ठीक है.

जब वो चली गईं तो मुझे लगा कि माँ के रूम में कुछ खास चीज़ है, ज़ो वो मुझे नहीं हाथ लगाने देती हैं. आज मैं घर की सुलतान थी, इसलिए सोचा कि देखती हूँ कि ऐसी क्या चीज है, जो वे मुझसे हमेशा छुपा कर रखती हैं.

मैंने देखा कि उनके रूम में एक फोटो का एल्बम था, जिसमें पापा और माँ की चुदाई की फोटो लगी हुई थीं. वो देख कर मेरा सारा शरीर काँपने लगा. मुझे नहीं पता था कि ऐसे फोटो भी माँ ने अपने पास रखे हुए हैं. वो शायद जानबूझ कर उस एल्बम को टेबल पर रख कर चली गई थीं. उस एल्बम के पास ही कुछ डीवीडी भी पड़ी थीं. मैंने सोचा इन में भी ज़रूर कुछ मसाला होगा. मैं उनमें से एक को चला कर देखने लगी. वो पूरी ब्लू फिल्म थी, जिसमें शुरू से ही लंड और चूत का मसाला था. मैं उस वक़्त किशोरावस्था में थी. मैं गर्म भी हो गई और डर भी गई. फिर मैं जल्दी से उस कमरे से बाहर हो गई. मगर मुझे नहीं पता था कि उसने वहाँ सीसी टीवी कैमरा फिट किया हुआ था.

अगले दिन माँ ने मुझ को बुलाया और बोली- तुम मेरे कमरे में क्यों आई थीं? मैं बनने की कोशिश करते हुए बोली- कब? माँ- कल जब मैं बाहर गई हुई थी और अगर तू आई भी थी तो मेरी चीजों से छेड़छाड़ क्यों की? जब मैंने कहा कि मैं तो आई ही नहीं. तो वो बोलीं- तुम झूठ कब से बोलने लग गईं, आने दो तुम्हारे पापा को शाम को मैं उनसे सब बता दूँगी, जो तुमने कल किया है.

इतना कह कर माँ ने सीसी टीवी कैमरा का क्लिप जो रिकॉर्ड हुआ था, मुझे दिखा दिया.. जिसमें मैं एल्बम को देख रही थी और ब्लू फिल्म भी देखी थी.

मैं हाथ जोड़ कर माँ से माफी माँगने लगी. मगर वो मान ही नहीं रही थीं. अब सिवाए रोने के मेरे पास कुछ भी नहीं था. जब मैं दो तीन घंटे रो चुकी.

तो उन्होंने मुझे फिर से बुलाया और बोलीं कि अच्छा अगर मैं तुम्हारे पापा को ना बताऊं तो तुम क्या करोगी? मैंने कहा- जो भी आप कहोगी, मैं करूँगी. माँ- ठीक है, मैं नहीं कहूँगी.. मगर अपना कहा हुआ याद रखना. जैसे ही मैं कमरे से बाहर जाने लगी, तो वो बोलीं- नहीं जा कहाँ रही हो, अभी तो कहना मानना है ना.. तो ज़रा इसी रूम में रुको.

इतना कह कर माँ ने टीवी पर कोई ब्लू फिल्म लगा दी, जिसमें दो लड़कियां एक दूसरे की चूत को चाट रही थीं. वो बोलीं- तुमको मेरे साथ यह करना पड़ेगा. मैंने अन्दर ही अन्दर खुश होते हुए मरी सी आवाज में कहा- ठीक है.

उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए और पूरी नंगी हो गईं, फिर मुझे भी नंगी कर दिया. मेरी चूत पर अभी बाल पूरी तरह से नहीं निकले थे मगर फिर भी बहुत ही मुलायम से निकले हुए थे. मगर माँ की चूत पर तो कोई बाल का निशान भी नहीं था. उन्होंने मुझसे अपनी चूत चटवाई और मेरी चूत चाटी. इसको भी उन्होंने सीसी कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया और मुझको दिखा कर बोलीं- अगर कभी मुँह खोला तो यह सब तुम्हारे पापा को दिखा दूँगी.

खैर अब यह उनका रोज़ का काम हो गया था, मुझसे अपनी चूत चटवाना और मेरी फुद्दी चाटना. इसका नतीजा यह निकला कि मैं भी पूरी सेक्स की भूखी बन गई.

एक दिन वो रबर का लंड लेकर आईं और बोलीं- इसको मेरी चूत में डाल कर गोल गोल हिलाओ. मैंने वो सब किया तो देखा मेरी माँ उछल उछल कर मज़े ले रही थीं. उन्होंने मुझको बताया कि चूत हम लोगों की वो ख़ान है, जिससे पूरे मज़े मिलते हैं और लड़के इसके दीवाने बनने घूमते हैं.

फिर एक दिन मुझसे माँ बोलीं- तुमको अब मैं असली लंड का मज़ा दिलवा दूँगी तभी तुम को पता लगेगा कि चूत की महिमा क्या होती है.

दो तीन दिनों बाद वो मुझसे बोलीं कि आज रात को तुम मेरे दरवाजे के की-होल से देखना, जब मैं कमरा में जाते समय और जोर से बोलूं कि पानी पी कर सोना और दरवाजा बंद कर लूँ. तो तुम वहाँ इसी की-होल से देखना कि चुदाई किस तरह से होती है.

रात को लगभग दस बजे माँ ने जोर से बोला कि पानी पी कर सोना और अपना रूम बंद कर लिया.

यह मुझको इशारा था कि आकर देखो. मैं कुछ मिनट बाद की-होल में से जाके देखने लगी. मैंने देखा कि मेरे पापा बिंदु माँ की चूत को खोल खोल कर चाट रहे हैं और माँ उनके लंड के सुपारे का मजा नीचे करके मुँह में लंड लेकर चूस रही थी.

बिंदु से अपनी चुदाई और चुत चटवाई का एंगल इस तरह से रखा हुआ था कि की होल से पूरी सीन देखा जा सके. माँ ने रूम में पूरी लाइट जला रखी थी ताकि सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे.

पापा ने चूस चूस कर चूत को लाल कर दिया था. फिर उन्होंने माँ के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद दोनों ने अपने लंड और चुत की लड़ाई शुरू कर दी. जब पापा का लंड माँ की चूत में जाकर वापिस आता था तो चूत झट से उछल कर लंड को बाहर जाने से रोकती थी. इस तरह से दोनों एक दूसरे के साथ गुत्थम गुत्था होते रहे.

पापा ने माँ से कुछ बोला, जो मुझे सुनाई नहीं पड़ा क्योंकि दरवाजा पूरी तरह से बंद था और आवाज़ बाहर नहीं आ सकती थी. पापा ने जो कुछ कहा होगा, उसे सुन कर माँ झट से अपने घुटनों और हाथों के बल जानवर की तरह से हो गईं. पापा ने पीछे से आकर अपना पूरा लंड एक ही झटके में बिंदु माँ की चूत में घुसेड़ दिया और फिर धक्के पर धक्का मारने लगे पापा आगे को झटका मारते थे और बिंदु माँ पीछे को अपनी गांड पापा के लंड पर मारती थीं. इस तरह से दोनों बहुत देर तक चुदाई करते रहे.

फिर शायद पापा का माल निकल गया था, वो सीधा लेट गए. माँ भी उन पर उल्टी होकर लेट गईं, जिससे माँ के चूचे पापा की छाती से दब रहे थे. कुछ देर बाद रूम में लाइट बंद हो गई और मैं अपने रूम में वापिस आ गई. अब मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी, मुझे भी चूत में डालने के लिए एक लंड चाहिए था, जो नहीं मिल पा रहा था.

दो दिनों बाद आशीष घर आ गया. उसको मेरे साथ वाला कमरा दिया गया था. जिसका दरवाजा मेरे रूम में भी खुलता था मगर मुझसे पापा ने कहा हुआ था कि अपना रूम अन्दर से बंद करके रखा करूँ.

जब पापा ऑफिस चले गए तो माँ ने अपना रंग दिखाना शुरू किया. वो मुझसे बोलीं- आज रात को अपने रूम का दरवाजा अन्दर से बंद ना करना क्योंकि आज तेरी सुहागरात मनवाई जाएगी.

उस दिन पापा को ऑफिस के किसी काम से बाहर जाना था और अगले दिन ही वापिस आना था. उस रात को बिंदु माँ मेरे रूम में आईं और उन्होंने ही अपने हाथों से रूम का दरवाजा खोल दिया. फिर उसको खुला ही रहने को कहा.

माँ मुझसे बोलीं- आज रात को मैं तेरे पास ही रहूंगी.

उधर उन्होंने आशीष को पूरी तरह से समझा दिया था कि आज तुमको इस मुर्गी को अच्छी तरह से चोद कर हलाल करना है और मैं सब कुछ देखने के लिए वहीं पर रहूंगी. मेरी चुत की सील टूटने की तैयारी हो गई थी.

[email protected] कहानी जारी है.

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