जवानी का ‘ज़हरीला’ जोश-6

अभी तक आपने पढ़ा कि पीआर पर सौरव से हुई लड़ाई के बाद मेरा दिल दुख गया और मैंने गगन को अपनी आपबीती बताई। उस दिन पहली बार मुझे गगन के लिए कुछ फील हो रहा था। उसके ऑफिस में गया और उसको किस करने के बाद हम दोनों गर्म हो गए। गगन ने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया और मैंने उसकी गांड को दबाना, उसने देर न करते हुए पैंट उतार ली और अपनी गांड में मेरा लंड डलवा लिया।

गांड चोदने का वो मेरा पहला अहसास था। कुछ देर मेरा लंड गांड में लेने के बाद गगन ने लंड को चूसना शूरू कर दिया और मैं उसके मुंह में झड़ गया। उसने दोबारा से अपनी गांड मेरे आधे सोए हुए लंड से लगाई और अपनी मुट्ठ मारने लगा, मैंने पीछे गर्दन पर उसको किस करना शुरू कर दिया और वो तेजी से मुट्ठ मारते हुए ऑफिस के फर्श पर झड़ गया। वो हमारा पहला फिज़ीकल कॉन्टेक्ट था। अब आगे:

अंतर्वासना शांत करने के बाद हम दोनों बातें करने लगे। गगन बोला- आखिरकार तुम मेरे पास आ ही गए। मैंने कहा- हां यार… अगर तुम पहले मिले होते तो शायद इतने दिन यूं जगह-जगह भटकना ना पड़ता।

उस दिन हम दोनों ही खुश थे। उसे मेरा साथ मिल गया था और मुझे शायद वो जिसके बिना अब तक ज़िंदगी में एक अधूरापन… एक खालीपन था। धीरे-धीरे हम और करीब आते गए। अब वो दोस्ती वाली बात नहीं रही थी, अब हम पार्टनर्स की तरह बातें किया करते थे। बाहर घूमने जाते तो हाथ में हाथ डालकर चलते थे। अगर पसीना मुझे आता तो रूमाल उसकी जेब से निकलता था। भूख उसे लगती तो निवाला मेरे हाथ में होता था। मैं गगन से सच्चा प्यार करने लगा। अब मैंने अपना पीआर का अकाउंट भी डिएक्टिवेट कर दिया था क्योंकि जो ढूँढ रहा था वो मुझे मिल गया था।

रात को उसका फोन आता तो हम घंटों बातें करने लगे थे। मेरे घर वालों को शक हो गया था कि मैं किसी लड़की के चक्कर में तो नहीं फंस गया हूं। मेरी माँ ने एक दिन मुझे टोक भी दिया कि इतनी रात को किसके साथ बातें करता रहता है। उस दिन के बाद मैंने बातें कुछ कम कर दीं लेकिन आधा घंटा तो फिर भी कैसे निकल जाता पता नहीं चलता था।

मैंने अपने एक-दो करीबी दोस्तों को भी अपने रिलेशनशिप स्टेटस के बारे में बता दिया था। क्योंकि ये प्यार होता ही ऐसा है, खुद ही दूसरों के सामने एक्सप्रेस करने की लगी रहती है। इसीलिए कहते हैं प्यार छिपाए नहीं छिपता, किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है।

अब मैं अक्सर गगन के ऑफिस में चला जाता था और वहां जाकर हम दोनों आपस में समूच ही करते रहते थे।

दिन सुहाने और रातें बेचैनी में गुज़रने लगी थीं। हर पल उससे मिलने की ललक लगी रहती थी। पता नहीं ऐसा क्या हो गया था मुझे। उसी के बारे में सोचता रहता था। कभी बेवजह उसको याद करके रोने लगता तो कभी उसको याद करते हुए देर रात तक लव सॉन्ग्स सुनता रहता।

एक दिन हमने उसके घर पर डेट करने का प्लान बनाया। उसके घरवाले किसी काम से बाहर जा रहे थे। उस दिन हम दोनों ने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। सुबह 11 बजे मैं उसके घर पर पहुंच गया। घर में अकेले हम दोनों ही थे। जाते ही उसको हग किया और समूच किया। थोड़ी देर इधर-उधर की बातें की। फिर हम दोनों ने साथ में नहाने का सोचा। उनके घर में बड़ा सा बाथरूम था, दोनों नंगे होकर अंदर घुस गए।

उसने शॉवर ऑन कर दिया, हम दोनों नंगे थे, शॉवर के नीचे खड़े होकर भीगने लगे। मैंने उसको बाहों में भर लिया। उसके नंगे भीगते बदन को बाहों में भरकर उस वक्त जो फीलिंग आ रही थी वो शायद उस वक्त दुनिया की सबसे खूबसूरत फीलिंग थी। शॉवर पानी बरसा रहा था और किस्मत प्यार… उसको चूमा, प्यार किया, समूच किया… बहुत ही अलग अहसास था वो भी। मन कर रहा था दुनिया की सारी खुशी उस पर लुटा दूं।

उसने मेरे बदन पर साबुन लगाया और मैंने उसके बदन पर। साबुन लगाते हुए जब उसकी गांड की दरार में चिकनाहट पैदा हो गई तो मैं उंगली उसकी गांड में डाल दी। उंगली अंदर जाते ही उसने गर्दन पीछे घूमाते हुए मुझे फिर से सूमच करना शुरू कर दिया। मन कर रहा था उसको वहीं चोद दूं लेकिन अभी सिर्फ नहाने का प्लान था। किसी तरह कंट्रोल किया और पानी से उसको नहलाने लगा। नहाने के बाद उसने मेरे बदन को तौलिया से पौंछा और मैंने उसके बदन को।

नहाकर हम बाहर आ गए लेकिन नंगे ही रहे। बाहर आकर सीधे उनके बेडरूम में जाकर बेड पर लेट गए। मैं बेड के सिरहाने पर दीवार से कमर लगाकर बैठ गया और वो मेरी नंगी गोद, जिसमें नीचे मेरा लंड लटक रहा था, आकर बैठ गया। मैंने दोनों टांगों से उसकी गांड को घेरते हुए सामने उसकी जांघों पर अपने पैर फंसा लिए और उसको गर्दन पर किस करने लगा- ओह्ह्ह… गगन… आई लव यू…

बहुत ही कमाल की फीलिंग थी वो… मैं उसकी छाती के दोनों निप्पलों को दोनों हाथों में लेकर ज़ोर से मसल रहा था और वो सिसक जाता। मेरा लंड तनतना गया। अब वो मेरी तरफ घूमा और मुझे दीवार से हटाकर पूरा बेड पर लेटा दिया, मेरे निप्पल्स को मुंह में लेकर चूसने लगा, मुझे गुदगुदी होने लगी। मज़ा भी आ रहा था और हंसी भी। किस करते हुए वो पेट पर पहुंचा और फिर मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा। मैं प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराने लगा। वो कभी मेरी गोटियों को चाट रहा था तो कभी वापस आकर होठों पर किस करने लग जाता।

अब मैंने उसको अपने ऊपर लेटा लिया और उसकी गांड की दरार में हथेली से सहलाते हुए धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद पर उंगली की टिप को फिराने लगा। उसकी गांड चुदने के लिए तैयार होती हुई महसूस हो रही थी, धीरे-धीरे फैल रही थी।

उसने पहले से ही कॉन्डॉम साथ में रखे हुए थे, एक कॉन्डोम उठाया औऱ फाड़कर मेरे लंड पर चढ़ा दिया। मेरे लंड को कॉन्डोम पहना कर उसने अपनी गांड में क्रीम लगा ली और मुझे होठों पर लम्बा समूच करते हुए मुझे अपने ऊपर लेटा लिया।

मैंने उसके होठों को चूसते हुए उसकी टांगों को फैलाते हुए आगे से उठा कर लंड उसकी गांड पर लगाया और दोबारा से अपना पूरा वज़न उस पर डाल दिया। लंड उसकी गांड में अंदर जाने लगा और मैं उसके होठों पर समूच करता रहा।

लेकिन आज लंड पूरा नहीं उतर पाया, उसने थोड़ा सा और एडजस्ट किया और मेरी गांड को अपने हाथों से अपनी तरफ धकेलते हुए पूरा लंड गांड में ले लिया। मैंने उसको चोदना शुरू कर दिया। आह्ह्ह… इस पोजिशन में गांड मारने में जो मज़ा आया ना वो उस दिन ऑफिस में भी नहीं आया।

मैं उसको चोद रहा था और आनंद में डूबता जा रहा था। वो भी मज़े से गांड में लंड लेकर मुझे चूमे जा रहा था। ऐसी मस्ती छाई कि मैं 2-3 मिनट में ही झड़ गया और उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा। नंगे जिस्म…हवस और प्यार की मिली-जुली फीलिंग। वो दिन मैं कभी नहीं भूलता।

उस दिन मैंने तीन बार उसकी गांड मारी। सुबह से शाम हो गई और थकान भी होने लगी थी। उसके घर वालों के आने से पहले मुझे निकलना था।

उस दिन घर पहुंचा तो काफी थका हुआ था। लेकिन ऐसा मौका दोबारा नहीं मिला कि पूरा दिन हम साथ में रह पाएं। हां, जब भी ऑफिस जाता तो वहां पर चूमा-चाटी हो जाती थी लेकिन फिर भी एक डर लगा रहता था कि कहीं कोई आ न जाए।

अब प्यार के साथ पज़ेसिवनेस भी बढ़ने लगी थी। ऐसा नहीं था कि उसके मिलने के बाद मैंने किसी मर्द को नहीं छेड़ा. एक दिन मैं बस से अपने गांव जा रहा था तो मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने बगल में बैठे करीब 30 साल के लड़के की जांघ पर हाथ फिरा दिया तो उसका खड़ा हो गया। लड़का देसी था, पैंट में लंड भी मोटा दिखाई दे रहा था. मैंने खड़े लंड को हाथ से छूकर मज़ा लेने के लिए धीरे से उसके लंड पर हाथ रख दिया तो उसने आराम से अपनी टांगें अच्छी तरह सीट पर फैलाकर मेरा हाथ अपने तने हुए लंड पर रखवा लिया.

मेरा मन उसके लंड को पकड़कर दबाने सहलाने का कर तो रहा था लेकिन पता नहीं क्या सोचकर मैंने हाथ वापस हटा लिया… मैं सोचने लगा कि ये सब तो मैं गगन के मेरी जिंदगी में आने से पहले भी कर रहा था. मेरे दिल ने अंदर से आगे बढ़ने की गवाही नहीं दी, हाथ हटाने के बाद उस लड़के ने खुद ही पूछ लिया- क्या हुआ… पसंद नहीं आया क्या? मैंने कहा- नहीं, वो बात नहीं है… “तो फिर पकड़ ले ना… अब खड़ा तो कर दिया तूने…”

मैंने मना कर दिया और उसकी सॉरी बोलकर किसी तरह मना लिया क्योंकि अब मैं गगन के लिए खुद को इतना तो कंट्रोल कर ही पा रहा था कि हवस के साथ किसी और के साथ ना बहकूं। मैंने उस लड़के को मना कर दिया। मैंने बस वाली बात गगन के साथ भी शेयर की।

वो बोला- कोई बात नहीं, इतना तो हो जाता है, वो इस मामले में काफी अंडरस्टेंडिंग था। लेकिन मैं खुद को गाली देने लगता था कि गगन के होते हुए फिर भी क्यों यहां-वहां मुंह मारने की आदत बना रहा है। इसलिए खुद पर काफी गुस्सा आता था मुझे। पता नहीं मेरे साथ ही ऐसा हो रहा था सबके साथ ऐसा होता है।

लेकिन मैंने गगन से अपने रिलेशन से जुड़ी छोटी से छोटी बात भी नहीं छिपाई क्योंकि मैं उसको लेकर बहुत पज़ेसिव था। अब वो कई बार जब दूसरे लड़कों की बातें करता तो मुझे जलन होने लगती थी, मुझे लगता था कि वो सिर्फ मेरा है। उसे कोई और छुए, यह बात मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता था इसलिए इस बात को लेकर कई बार हमारी लड़ाई भी हो जाती थी, कई बार नाराज़ भी रहने लगे थे। लेकिन प्यार में लड़ाई न हो ऐसा कभी हो सकता है क्या…

इसी तरह एक दिन लड़ बैठा उससे… और हमने एक हफ्ते बात नहीं की। ना तो उसका ही कोई मैसेज आया और ना ही मैंने उसको मैसेज या कॉल किया। फिर सोचा कि चलकर उसको सरप्राइज़ देता हूं, मैं उसको बिना फोन किए उसके घर पहुंच गया। डोरबेल बजाई तो वो 3-4 मिनट बाद फर्स्ट फ्लोर पर आ गया। मैं नीचे गली में खड़ा था। लेकिन वो मुझे देखकर खुश नहीं हुआ। मैंने सोचा शायद नाराज़ है अभी तक।

वो गेट खोलने नीचे आया और मुझे अंदर ले जाने के बाद गेट अंदर से दोबारा बंद कर दिया। मैंने सीढियाँ चढ़ते हुए पूछा- अभी तक नाराज़ है क्या? उसने कहा- मैं क्यों नाराज़ होने लगा। मैं तो नाराज़ नहीं हूं। उसकी ये बात सुनकर मैं खुश हो गया.

हम फ्लोर पर पहुंचकर अंदर रूम में दाखिल हुए। उसने फैन ऑन कर दिया, मेरे लिए पानी लेकर आया। उसका बिहेव आज कुछ अजीब सा लग रहा था मुझे। मैं पानी पीने लगा और वो वापस अंदर वाले कमरे में चला गया। मैं बैठा रहा, सोच रहा था कि वॉशरूम गया होगा।

कुछ देर बाद वो बाहर आया, मुझसे कहा- अचानक कैसे आज…फोन भी नहीं किया आने से पहले, अगर मैं घर में नहीं होता तो? मैंने कहा- तो मैं वापस चला जाता, इसमें कौन सी बड़ी बात है। वो बोला- फिर भी कॉल करके आया कर पागल!

मैंने कहा- तू मेरे आने से खुश नहीं है क्या…मैं तो बस तुझे सरप्राइज़ देने आ गया, मैंने सोचा तू नाराज़ होगा? वो बोला- अगर मैं तुझे कुछ बताऊं तो तुझे बुरा तो नहीं लगेगा? मैंने कहा- नहीं, बता, क्या बात है? वो बोला- आज घर पर कोई और भी है हमारे साथ… तू थ्रीसम करना पसंद करेगा? मैंने कहा- और कौन है?

तभी उसने किसी को आवाज़ लगाई। मैंने सोफे पर बैठे हुए गर्दन घुमाई तो अंदर से एक 6.5 फीट लम्बा सांवला सा नाइजीरियन नंगा ही बाहर निकलकर आया। उसका 6-7 इंच लंबा का सोया हुआ काला लंड उसकी जांघों के बीच में झूल रहा था। मैं एक बार हक्का-बक्का रह गया… ये क्या बला है.. लेकिन समझते देर नहीं लगी कि ये यहां पर क्यूं है… घर में कोई नहीं है और गगन इसके साथ अंदर रंगरेलियां मनाने में लगा हुआ था। उस नाइजीरियन ने मुझसे हाथ मिलाया, मैंने उसको हैल्लो कहा।

मैंने गगन की तरफ देखा, आंखों ही आंखों में उससे पूछा, बस यही था तेरा प्यार… वो मेरा चेहरा देखते ही समझ गया कि मेरे अंदर क्या चल रहा है. मेरे अंदर ऐसी फीलिंग आ रही थी जैसे मेरा दम घुटने वाला हो, एक गंदी सी बेचैनी होने लगी। मैंने गगन से कहा- मैं जा रहा हूं, फिर किसी दिन आऊंगा! कहकर मैं रूम से बाहर आ गया.

गगन मेरे पीछे-पीछे आया और बोला- सॉरी यार… लेकिन वैसा कुछ भी नहीं है जैसा तू सोच रहा है. मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा। वो भी मेरे पीछे-पीछे नीचे उतरता हुआ मुझे रोकने की कोशिश करने लगा- प्रवेश… सुन ना यार… मेरी पूरी बात तो सुन ले, कहां जा रहा है… रूक तो एक बार…

मैं मेन गेट पर पहुंच गया तो उसने मेरा हाथ पकड़़ लिया- रुक जा यार… आई एम रिअली सॉरी. मैंने उसकी आंखों में देखा, मुझे खोने का डर साफ दिखाई दे रहा था. मैंने हाथ छुड़ाया और गेट से बाहर निकल गया. प्रवेश… प्रवेश… वो आवाज़ लगाता रहा. मैंने वापस मुड़ कर नहीं देखा.

नाइजीरियन के सामने तो दिल में गुस्सा था लेकिन जैसे-जैसे घर से दूर गली में कदम आगे बढ़ रहे थे मेरा गला भरने लगा था, कलेजा फटने लगा.. रोकने की लाख कोशिश करने के बाद भी आंसू गिरने लगे। किसी तरह रूमाल की तहों की नीचे मुंह छिपाता हुआ उसकी गली से बाहर निकल आया… बहुत रोका लेकिन अंदर से दिल रो रहा था। इतना बड़ा धोखा… अगर उसे यही सब करना था तो मेरे साथ रिलेशन में आया ही क्यों… दिल टूट गया मेरा…

रोड पर चलते हुए आंसू पौंछता हुआ बस चला जा रहा था… क्या कमी रह गई थी मेरे प्यार में जो उसने मेरे साथ ऐसा किया?

कहानी जारी रहेगी. [email protected]