चुदाई की कहानी शबनम भाभी की-4

अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पढ़ने वाले मेरे प्यारे दोस्तो, मेरी हॉट सेक्स स्टोरी के तीसरे भाग चुदाई की कहानी शबनम भाभी की-3 में आपने पढ़ा कि

भाभी ने मेरी नजरों में झांकते हुए कहा- मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए, बेहिसाब प्यार और हमारे बारे में किसी को पता नहीं चलेगा.. इसका वचन दे सकते हो? मैंने उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा- बस इतना.. चलो मैंने वचन दिया. भाभी मुझसे लिपट गईं और सुबकने लगीं.< मैंने कहा- अरे क्या हुआ? उन्हें मैंने अपने से अलग किया और गोद में उठा कर बिस्तर के शुरुआती वाले सिरे पे बिठा दिया. उनकी कमर से नीचे का हिस्सा बेड पे था और पीठ बेड से ऊपर की तरफ निकले वाले हिस्से पे टिका हुआ था. मैंने उनकी ठोड़ी पे अपना हाथ रखके उनके चेहरे को उठाते हुए कहा- क्यों सुबक रही थीं? उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए कहा- पता है एक औरत की ख्वाहिश क्या होती है? और खुद ही जवाब देते हुए बोलीं- उसकी सबसे बड़ी इच्छा होती है कि इस दुनिया में एक इंसान ऐसा हो, जो उसकी भावनाओं को समझे, उसकी कद्र करे और सबसे बड़ी बात उसे बिना किसी स्वार्थ के बेहिसाब प्यार करे. "और सेक्स?" मैंने सीरियस वातावरण को हल्का करने के उद्देश्य से शरारती अंदाज में उनसे पूछा. "वो भी प्यार का ही पार्ट है, मेरे प्यारे बुद्धू.." उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा. मैंने कहा- अच्छा..! फिर मैं उनके मुस्कुराते हुए चेहरे की तरफ बढ़ने लगा. उन्होंने अपनी आँखें बंद कर लीं. मैंने सामने की ओर से अपने होंठ उनके गालों से छुआते हुए उनके कान तक ले गया और फिर नीचे की ओर गले की तरफ चूमते हुए बढ़ने लगा. उनका एक हाथ मेरे सर पे आ गया और वो धीरे धीरे सिसकारियां लेने लगीं. मैं गले से होता हुआ उनके सीने पे आ गया और अपने एक हाथ से उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया. उनके स्तनों में मैंने अपना मुँह घुसेड़ दिया. उनकी चूचियों की मनमोहक खुशबू मेरे नाक से होते हुए मेरे पूरे जिस्म में फैल गई. उनके मुँह से "आह-आह" की आवाज निकलने लगीं. उनकी खुशबू और मादक आवाज ने मुझे पागल बना दिया था. मैंने भाभी के ब्लाउज को उतार दिया और उनके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही निहारने लगा. मेरे रूक जाने से उनकी आँखें खुल गईं. मैंने भाभी के स्तनों को बड़े ही प्यार से चूम लिया तो वो मुझे देखने लगीं. मैं बोला- अरे प्यार कर रहा हूँ इनको. तो वो मुस्कुराते हुए कहने लगीं- हाँ तो करो.. कौन तुम्हें कुछ कह रहा है? मैं चुप हो गया और कुछ सोचते हुए बोला- ये साड़ी का थान कैसे खुलेगा? "मुझे क्या पता, ये तुम्हारा काम है तुम जानो." मैंने कहा- अच्छा.. और फिर उन्हें गोद में उठाकर शीशे के सामने ले आया. फिर साड़ी का सिरा पकड़ कर धीरे-धीरे खींचने लगा, वो गोल गोल घूमने लगीं. अंत में साड़ी खुल गई तो मैंने पेटीकोट का इजारबंद खींच दिया और वो सरसराते हुए नीचे रहम की भीख मांग रहा था. भाभी अब केवल ब्रा और पैंटी में थीं. हल्की नीली ब्रा और पैंटी में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं. उनका चेहरा मैंने शीशे के सामने कर दिया. मैंने शीशे की तरफ इशारा करते हुए कहा- आप मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछ रही थीं न... वो रही मेरी गर्लफ्रेंड. शीशे में अपने आपको देखते ही उन्होंने अपनी आँखें शर्म के मारे झुका लीं. मैंने पीछे से उनकी ब्रा खोल दी तो भाभी ने अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को ढांप लिया. मैंने पीछे से ही उनके दोनों तरफ से अपने हाथ ले जाकर उनके हाथों को नीचे कर दिया, जिससे वो पलट कर मेरे सीने से चिपक गईं. मेरे शरीर पे मेरी टी-शर्ट थी, तो मैंने उसे उतार दिया ताकि भाभी के स्तनों को मैं अपने शरीर पे फील कर सकूं. इस समय हम दोनों एक दूसरे की बांहों में थे. भाभी के नरम स्तन मेरे सीने में धंसे हुए थे. मेरा मुँह शीशे की तरफ था तो भाभी के चूतड़ को देखकर और उनके नंगे स्तनों के कारण मेरा लंड खड़ा हो गया और भाभी के शरीर से लंड टकराने लगा. खड़े लंड को ज्यादा देर तक खड़ा रखना मुझे सही नहीं लगा सो मैं भाभी को बिस्तर पे लाया और लिटा दिया. मैं भाभी के होंठों को चूमने और चूसने लगा, बीच बीच में अपनी जीभ उनकी जीभ से टकरा देता. भाभी चुम्बन में मेरा पूरा सहयोग कर रही थीं. चुम्बन करते समय मैं अपने दाएं हाथ से उनके बाएं मम्मे को जोर से दबा देता और एक घुटी हुई आवाज उनके मुँह से निकलती क्योंकि उनका मुँह मेरे मुँह से बंद था. फिर मैं नीचे आया और उनके एक मम्मे को अपने मुँह में लिया और दूसरे हाथ से उनके दूसरे मम्मे को दबाता रहा. उनके पूरे मम्मे तो मेरे मुँह में जा नहीं रहे थे तो मैंने दोनों हाथों से उनके एक मम्मे को जड़ से पकड़ कर भींच लिया और जितना मुँह में जा सकता था, उसे घुसेड़ दिया. दरअसल ये मेरा पहला अनुभव था तो मैं कुछ ज्यादा ही जोश में था. मेरी इस हरकत से उनकी जोर से सिसकारी निकल गई और काँपती हुए आवाज में भाभी बोल उठीं- आह.. क्या कर रहे हो? मैंने उनकी बातों को अनसुना कर दिया और उनके दूसरे मम्मे को अब मैंने अपने मुँह में लिया. फिर कुछ देर बाद उनके मम्मे के गुलाबी निप्पल को अपने मुँह में लेके चूसने लगा और अंत में उनके निप्पल को हल्के से दांतों से काट लिया. ऐसा करने से भाभी चिहुँक गईं और उनके मुँह से "ईश्श..." की तेज आवाज निकल गई. उन्होंने मेरे बालों को कसके अपने हाथों में भींच लिया, जिसके कारण दर्द से मेरी भी आह निकल गई. भाभी के मम्मों से खेलने के बाद मैं अब नीचे की ओर बढ़ने लगा. उनके शरीर को चूमते हुए मैं नाभि के पास आके रूक गया. दोस्तो मुझे लड़कियों की नाभि बहुत पसंद है, उसको देखने का भी अपना एक अलग मजा है. पहले तो मैंने भाभी की कमर को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उनकी नाभि को चूमा, फिर अपनी जीभ से उसको चाटने लगा. भाभी को भी शायद मजा आ रहा क्योंकि उनकी सिसकारियां बढ़ गई थीं. वो बीच-बीच में "आह रोहण.." कर रही थीं. उसके बाद मैं भाभी के निचले हिस्से की तरफ बढ़ा. जैसे-जैसे मैं भाभी के नीचे की ओर जा रहा था, वैसे वैसे उनकी साँसें बढ़ती जा रही थीं. अब मैं भाभी के दोनों पैरों के बीच में आ गया. उन्होंने अपना पैर मोड़ लिया था. उनकी जांघों को मैंने क्रास करके अपने हाथों से पकड़ लिया और अपना मुँह पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत में घुसेड़ दिया. जिसका इंतजार मुझे बरसों से था, वो घड़ी आ गई थी तो मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था. मैं अपना मुँह उनकी चूत में रगड़ने लगा. उनके चूत की खुशबू मेरे नथुनों में घुसने लगी और मुझे जैसे नशा सा होने लगा. ऐसे हालात में भाभी आउट आफ कंट्रोल थीं. उनके मुँह से जोर जोर से आवाजें निकल रही थीं. उन्होंने अपनी दोनों जांघें जोर से सिकोड़ ली थीं. मतलब मैं उनकी जांघों के बीच में फंसा हुआ था और वो अपनी कमर ऊपर की ओर मेरे मुँह में घुसेड़ रही थीं. उनके दोनों हाथ मेरे सर को नीचे की ओर धकेल रहे थे. अचानक भाभी के शरीर को जैसे झटका लगा और उनकी पकड़ मेरे सर पे कमजोर सी हो गई. बस दो-तीन बार उन्होंने अपने कमर को ऊपर मेरे मुँह में घुसेड़ने की कोशिश की और फिर शांत होकर, निढाल सी बेड पे पसर गईं. वो हांफ रही थीं और उनके दोनों हाथ मेरे सर से हटके उनके कमर के दोनों तरफ बेड पे पड़े हुए थे. मैंने अपना सिर ऊपर कर लिया और उनके तृप्त चेहरे को कुछ देर के लिए देखने लगा. उनकी हालत देखके मेरा खड़ा लंड भी शांत हो गया. मैं उनके बगल में जाके लेट गया और उनके बालों में अपने हाथों की उंगलियां फेरने लगा. फिर कुछ देर के लिए उनके माथे पे अपनी हथेलियां रखके पीछे की ओर ले जाता. ऐसे ही माथे और उनके बालों में बारी बारी से इस सहलाते हुए इस तरह से उनको प्यार करने लगा. कुछ देर बाद वो नार्मल हो गईं और आँखें खोलकर बोलीं- काफी दिनों बाद मुझे ऐसी खुशी मिली है और इसी लिए मैं जल्दी झड़ भी गई. उनके इतना बोलते ही मैंने अपनी तर्जनी उंगली उनके होंठों पे रख दी और अपने होंठ उनके होंठों के पास लाया. उसी समय अपनी उंगली हटाके उन्हें किस करने लगा. साथ में, मैं अपने हाथों से उनके मम्मों के साथ खेलने लगा. वो अब फिर से जोश में आने लगीं. मैं फिर से नीचे की तरफ आया और उनकी नीली पैंटी उतार दी. पहले तो मैंने उनकी नंगी चूत को देखा, एकदम सफाचट चूत, आज ही शेव किया था. मतलब भाभी पूरी तैयारी से आई थीं. उनके नंगे गोरे बदन पे ये छोटी सी गुलाबी चूत बड़ी ही प्यारी लग रही थी. मैंने चूत पे एक जोर से पप्पी ली और भाभी की ओर देखते हुए कहा- आज तो मैं आपको खा जाऊंगा भाभी. बिना उनका जबाव सुने मैंने अपना मुँह उनकी चूत के छेद पर लगा दिया. पहले तो मैंने उनकी चूत को मुँह में भरकर खूब चूसा, फिर अपनी जीभ को चूत के अन्दर-बाहर करने लगा. भाभी फिर से जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं. मैंने अपनी जीभ की रफ्तार तेज कर दी, जिससे वो चिल्लाने लगीं- रोहण अब डाल भी दो.. मुझसे सहन नहीं हो रहा है. मैं नहीं चाहती कि मैं फिर से वैसे ही झड़ जाऊं. मैं चाहता था कि भाभी जब एकदम चरम पे पहुंच जाएं, तो मैं अपना लंड उनकी चूत में डालूँ. उनकी बात सुनके मैं समझ गया कि वो क्षण आ गया है और मैंने अपनी कैप्री उतार फेंकी. मेरा लंड भी एकदम टाईट था और उसे भी चूत का सुख चाहिए था. ये मेरी पहली चुदाई थी तो मैं इसके हर पल को एंजॉय करना चाहता था और सबसे बड़ी बात, भाभी जिस खुशी से इतने महीने से महरूम थीं, वो खुशी भी मैं उन्हें देना चाहता था. सो मैंने हल्के से अपना लंड उनके चूत में फंसा दिया, जिसके कारण भाभी के मुँह से हल्की सी आह निकल गई. मैं लंड सैट करके उनके ऊपर लेट गया. उनकी आँखें अभी भी बंद थीं. मैं अपना मुँह उनके कान के पास ले गया और धीरे से बोला- भाभी, आज आप मेरी सील तोड़ने वाली हो. ये कह कर मैं भी अपनी वर्जिनिटी तोड़ने के लिए तैयार हो गया. मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा लंड भाभी के चूत में धंसता चला गया. उनके मुँह से एक लंबी सी "उम्म्ह… अहह… हय… याह…" की आवाज निकली. मैंने कहा- भाभी अपनी आँखें खोलो. उन्होंने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं. उनके आँख खोलते ही मैंने दुबारा एक झटका दे मारा. उनकी हिचकी सी निकल गई. अब मैं और भाभी ऐसे ही एक-दूसरे को देखते रहे और मैं नीचे से झटके पे झटके लगाता गया. हर झटके पे उनकी हिचकी सी निकलती, लेकिन फिर भी वो मुझे देखे जातीं और मैं उन्हें. इस वक्त बहुत ही खूबसूरत सा माहौल बन गया था. फिर मेरी स्पीड अचानक ही बढ़ गई और उनकी हिचकी की आवाज भी. मैंने उनकी आँखें अपने हाथों से बंद कर दीं क्योंकि अब मेरे लिए ही आँखें खोले रखना मुमकिन नहीं था.. तो भाभी के लिए भी जरूर ही मुश्किल रहा होगा. मेरी भी आँखें बंद हो गईं और भाभी के साथ मेरी भी सिसकारियां निकलने लगीं- आह भाभी.. ओह... आई लव यू भाभी.. भाभी ने अपने दोनों पैरों से मेरे शरीर को बांध लिया. वो अपने हाथों के नाखून मेरे पीठ पे गड़ाने लगीं, जिसके कारण मुझे दर्द भी हो रहा था, लेकिन उस समय उस दर्द का भी अपना मजा था. उस समय मेरी स्पीड एकदम चरम पर थी. मैं कभी भी झड़ सकता था. भाभी भी नीचे से कमर उचका उचका कर धक्के लगा रही थीं और मेरा भरपूर साथ दे रही थीं. अचानक भाभी के शरीर में ऐंठन सी होने लगी. उनकी पकड़ मेरे पीठ पे कमजोर होती जा रही थी, लेकिन उनके पैर अभी भी मेरे शरीर को जकड़े हुए थे. अब धक्के लगाने के बजाए वो अपनी कमर को ऊपर की ओर धकेले जा रही थीं, जैसे वो मेरे लंड को पूरा निगल जाना चाहती हों. उनके इस व्यवहार से मेरी भी हालत खराब होने लगी और मेरा सिर भाभी के सिर के दाएं तरफ निढाल होकर गिर पड़ा. मेरे मुँह से एक धीमी सी आवाज निकली- भाभी, आई एम कमिंग... उसी समय वो झड़ गईं और फिर मेरे लंड ने भी जोर की पिचकारी मारी और मैंने भाभी की चूत को अपने रस से सराबोर कर दिया. मेरे लंड ने दो तीन बार और बची-खुची बूंदों से भाभी की चूत को अपना रसपान करा दिया. मैंने इस वक्त अपने लंड को भाभी की चूत में जितना अन्दर हो सकता था, उतना अन्दर डाल दिया और वैसे ही निढाल होके भाभी के शरीर पे अपना सारा बोझ डालते हुए गिर पड़ा. फिर करवट लेके भाभी के पास ही लेट गया. तीन-चार मिनट तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा. कुछ देर बाद मेरे बालों में हलचल हुई तो मैंने अपनी आँखें खोलीं. मैंने देखा कि भाभी लेटे लेटे ही कोहनी के बल करवट ली हुई थीं. वे दूसरे हाथ से मेरे बालों को प्यार से सहला रही थीं. मेरी नजर उनसे मिली तो वो हल्के से मुस्कुरा दीं.. बदले में मैंने भी अपने चेहरे पे हंसी बिखेर दी. फिर वो उठते हुए बोलीं- उठ जाओ और दरवाजा बंद कर लो.. रात काफी हो गई, मुझे अब चलना चाहिए. भाभी खुद अपनी ब्रा पहनने लगीं. मैं उनको ब्रा पहनते हुए देखने लगा. फिर वो पहनने के लिए अपनी पैंटी को उठाने लगीं तो मैंने वो पैंटी को उनके हाथ से छीन लिया और बोला- सॉरी भाभी ये तो आपको नहीं मिलेगी. भाभी ने हंसते हुए कहा- अब तुम पैंटी पहनोगे? मैंने पैंटी को अपने नाक के पास लाकर सूंघते हुए कहा- अब आप चाहे जो समझ लें. उन्होंने कहा- ठीक है रखो अपने पास.. वे सलवार-समीज पहनने लगीं. कुछ देर बाद वो जाने लगीं तो मैं उनके पीछे पीछे दरवाजे तक गया. दरवाजे के बगल दीवार पे मैं उनको सटाके अपना मुँह उनके पास में ले जाकर उदासी भरे अंदाज में बोला- थोड़ी देर और रूक जाओ न शब्बो. "मुझे सुबह उठना भी होता है रोनू; तुम्हारी तरह नहीं कि 8 बजे तक सोते रहो.." और ये कहके मुझसे छूटते हुए उन्होंने दरवाजा खोला और अपने फ्लैट में चली गईं. मैं फिर से ये रोनू नाम सुनके सोचने लगा कि मेरी शब्बो ने ये मुझे निक नेम दिया है या मुझे चिढ़ाने के लिए बोलती है "रोनू", लेकिन मैं रोता तो नहीं हूँ. उदास होने का मतलब "रोना" तो नहीं होता न दोस्तो. तो दोस्तो, यह थी मेरी और शब्बो भाभी की चुदाई की कहानी. आपको कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे नीचे दिए गए ई-मेल पते पे जरूर मेल करें. [email protected]