कलयुग का कमीना बाप-8

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

पापा मेरी फुर्ती और व्याकुलता देखकर हैरान रह गये।

फिर वो मुस्कुराते हुए झुके और मेरी चूत पर एक प्यार भरा किस देकर अपना लंड मेरी चूत से रगड़ने लगे। “ओहह पापा… मेरे अच्छे पापा! अपना लंड जल्दी से मेरी चूत में डालो न।”

मेरी बात अभी पूरी ही हुयी थी कि पापा ने हल्का सा धक्का दिया और फच के साथ उनके लंड का सुपारा मेरी चूत में घुस गया। मैं एकदम से ‘आउच…’ की आवाज़ के साथ आगे खिसक गयी। मुझे अचानक दर्द का अहसास हुआ पर मैं अपने होंठों को चबाती हुयी शांत पड़ी रही।

कुछ देर बाद पापा अपने लंड को अंदर पेलने लगे, मेरा दर्द बढ़ने लगा। धीरे धीरे प्यार से पापा अपना लंड मेरी चूत की गहराई में उतारते रहे। मैं अपनी साँस रोके उनके लंड को अपनी चूत के अंदर लेती रही।

5 मिनट लगे होंगे, पापा का पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में घुस चुका था। इस बीच मुझे कितना दर्द हुआ, ये सिर्फ मैं ही जानती हूँ। बेटी की छोटी सी चूत पापा के विशाल लंड में कस चुकी थी। उनके जरा सा हिलने से ही ऐसा लगता था जैसे मैं मर जाऊँगी।

पापा कुछ देर शांत पड़े रहे रहे मैं कभी आँख खोलकर उन्हें देखती तो कभी आँखें बंद करके अपने होंठों को चबाती हुयी अपना दर्द पीती। पांच मिनट तक चुपचाप रहने के बाद मेरा दर्द कम हो गया। अब पापा धीरे से अपना लंड बाहर को खींचने लगे तो मैं फिर से कराह उठी, पूरा लंड बाहर निकालने के बाद पापा फिर से लंड अंदर घुसाने लगे।

वैसे 4 से 5 बार करने के बाद उन्होंने अपनी रफ़्तार बढ़ायी। मैं भी उनके ताल से ताल मिलाती चली गई। पापा मेरी चूचियों को मसलते चूमते हुए मेरी कोमल चूत पर जोरदार प्रहार करते रहे। उनके हर धक्के से मेरा रोम रोम मस्ती से भरकर झूम उठता। मैं उनके हर धक्के के बदले अपनी गांड नीचे से उछाल कर जवाब देती।

लगभग 15 मिनट तक लंड अंदर बाहर करने के बाद पापा ने एक तेज धार मारी और मेरी चूत को अपने गर्म लावा से भर दिया। उनके गर्म चूत से मेरे अंदर ऐसी गुदगुदी उठी कि मैं खुद को संभाल नहीं पायी, मेरे शरीर में एक अचानक मस्ती की लहर दौड़ी और फिर सारी मस्ती मेरी चूत के रास्ते से बाहर निकलने लगी। मेरा शरीर बिजली का करेंट लगे इंसान की तरह झटके खाने लगा। फिर मैं शांत पड़ गयी।

पापा मेरे ऊपर ढह चुके थे, मैं भी ढीली हो चुकी थी। हम दोनों का शरीर पसीने से नहा चुका था। अब मुझे पापा का शरीर भारी लगने लगा तो पापा से बोली- पापा अब मुझे तकलीफ हो रही है। आपका शरीर कितना भारी है।

मेरे होंठों पर पापा ने एक किस किया और एक ओर लुढ़क गये। उनके लुढ़कते ही मैं फुर्ती से उनके ऊपर चढ़ गयी और उनके होंठों को चूम लिया- आई लव यू पापा! आप बहुत अच्छे हो। आज मुझे बहुत मजा आया। आप ऐसे ही रोज मुझे प्यार करोगे न? “हाँ… रोज प्यार करुँगा। लेकिन वही एक बात हमेशा ध्यान में रखना… तुम्हारी मम्मी को यह मालूम नहीं होना चहिये।” “मैं यह बात कभी नहीं भूलूँगी। उनके भूत को भी यह मालूम नहीं होने दूँगी।”

उन्होंने मेरी बात सुनकर मेरे बूब्स को दबा दिया, मैं झुककर उनके होंठों को चूसने लगी।

अब यह रोज की बात हो गयी थी। रोज ही पापा मम्मी के सोने के बाद आते और मेरे साथ नंगे होकर ये गर्म खेल खेलते। मैं पापा की दीवानी बन गयी थी, एक रात भी मैं उनके बगैर गुजारूं, ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकती थी।

मैं पापा की हर वो ज़ायज़ नाज़ायज़ बात मानती जो वो कहते। जब भी वो मुझे अकेले देखते, दिन हो या रात… अपना लंड मेरे मुंह में डाल देते। मैं खुद भी उनकी इतनी आदी हो गयी थी कि मम्मी के घर से बाहर जाते ही उन पर टूट पड़ती। मैं हर पल उनके सामने बिछने को तैयार रहती।

इसी तरह 3 माह बीत गये। पापा और मेरा ये खेल रात दिन अपने शवाब पर बना हुआ था। मैं प्रेग्नंट न हो जाऊ इसलिए पापा मुझे दवाइयाँ भी देते रहते थे। लेकिन कभी भी कंडोम का इस्तेमाल नहीं करते थे।

एक दिन मेरी तबीयत ख़राब हुई, मेरे पेट में दर्द सा हो रहा था। शायद कुछ उल्टा सीधा खा लेने से हुआ था। पापा उस वक़्त घर पर नहीं थे, मम्मी ने मुझे परेशान देखा तो मुझे अपनी एक सहेली डॉक्टर के पास ले गयी। मम्मी के साथ कहीं जाना मुझे अच्छा नहीं लगता था लेकिन उस वक़्त मैं मजबूर थी। उस दिन उस लेडी डॉक्टर ने जाने मम्मी से क्या कहा पर उनकी आँखें गुस्से से लाल हो गयी।

जैसे ही हम घर पहुंचे पापा आ चुके थे। उनके सामने ही मम्मी मुझ पर टूट पड़ी… गालियाँ चाँटे… सब मुझे खाने को मिला।

पापा मम्मी की बात सुनकर अपने रूम से बाहर निकले और मम्मी से पूछा- क्या हुआ ? क्यों चिल्ला रही हो? “पूछो अपनी बेटी से… किसको अपना खसम बनाया है इस कलमुही ने? तुम्हें तो अपने घर में झाँकने की फुर्सत ही कहाँ है!” मम्मी की बात सुनकर पापा का चेहरा पीला पड़ गया।

मैं सोच रही थी कि पापा मुझे मम्मी से बचाएँगे लेकिन वो एक तरफ दुबके खड़े रहे। उस दिन पहली बार मुझे पता चला कि जो मैं पापा के साथ अब तक करती रही, वो गलत था। शायद इसलिए पापा खामोश थे और डरे सहमे मेरी ओर देख रहे थे। उन्हें यह चिंता हो रही थी कि कहीं मैं मम्मी के सामने पापा का भेद न खोल दूँ।

लेकिन मैं ऐसा कुछ भी नहीं करने वाली थी। मैं पापा के प्यार की आदी हो चुकी थी उन्हें मम्मी के सामने लाकर मैं उनसे दूर नहीं होना चाहती थी। मैं खामोश सुनती रही, गालियाँ और चाँटे ख़ाती रही लेकिन अपनी जुबान नहीं खोली। पापा दूर खड़े अपनी बेबसी पर सर खुजाते रहे।

आखिरकार थक हार कर मम्मी सोफ़े पर बैठ गयी और रोने लगी। मैं भी सिसकती हुई अपने कमरे में चली गयी। उसके बाद हॉल में क्या हुआ मुझे मालूम नहीं।

उस पूरे दिन पापा मेरे कमरे में नहीं आए। डिनर में मैं एक बार फिर मम्मी पापा के सामने हुई। लेकिन वहां पूरी शांति थी कोई कुछ भी बोलने में अपना अपमान समझ रहा था।

कुछ देर के बाद मम्मी मेरे रूम में आयी और मेरा सर अपनी गोद में लेकर मुझे दुलारने लगी। एक लम्बे अरसे बाद आज मम्मी मुझे वैसे ही प्यार कर रही थी जैसे मेरे बचपन में किया करती थी। मुझे उनका स्नेह से भरा हाथ बहुत अच्छा लगा और मैं मम्मी के गोद में सर छुपा कर सुबकने लगी।

मम्मी मुझे प्यार से दुलारती रही फिर बोली मुझे समझाने लगी। उस दिन मुझे मम्मी का प्यार अच्छा लगा। लेकिन उनके प्यार में उनके छूने में मुझे उतना अच्छा नहीं लगता था जितना की पापा के छूने और प्यार करने से मिलता था।

उस रात मम्मी देर तक मेरे साथ रही ढेर सारी नसीहतें दी फिर चली गई। अब पहले की तरह मम्मी मेरा पूरा ख्याल रखने लगी। मेरे जागने से लेकर सोने तक मेरी हर जरुरत का ख्याल रखती। मैं अब उनसे बोर होने लगी थी क्योंकि उनकी वजह से पापा मेरे क़रीब नहीं आ पा रहे थे। मैं जितना उनसे दूर रहने की कोशिश करती वो उतना ही मुझसे चिपकने लगी थी।

पूरा 1 माह बीत गया। मैं पापा के प्यार को फिर से नहीं हासिल कर सकी। कुछ देर के लिए मम्मी इधर उधर जाती तो हम दीवानों की तरह एक दूसरे को चूमने चाटने लगते लेकिन चुदाई को तरसते रहते।

एक दिन तक़दीर ने हमें वो मौका दिया। मेरी नानी की मृत्यु का समाचार मिला। हम लोग उनकी अन्तिम क्रिया में शामिल होने गए। नाना नानी भी मुंबई में ही रहते थे। दोपहर तक नानी का अन्तिम संस्कार हो गया। मम्मी 13 दिनों के लिए वहीं रुक गयी, मैं पापा के साथ घर के लिए लौट पड़ी।

एक महीने से पापा से दूर रहने की वजह से मैं इतनी व्याकुल हो गयी थी कि मैं उन्हें रास्ते में ही नोचने खसोटने लगी। उन्हें चूम कर, छेड़ कर इतना गर्म कर दिया की मजबूरन उन्हें गाड़ी रोक कर मेरी चुदाई करनी पड़ी।

वे 13 दिन हमारे लिए बहुत शानदार रहे। पहले ही दिन पापा सुबह ही उठ गए। सुबह सुबह मैं सो रही थी तभी पापा ने मेरे पास आकर अपना लंड मेरे गाल से सटाने लगे. मैं शायद कोई सपना देख रही थी इसीलिए मैंने अपना मुंह खोल दिया, पापा ने मेरे मुंह में अपना लंड घुसा दिया और पेलने लगे. मैं सपने में ही पापा का लंड चूसने लगी, पापा को बहुत मजा आ रहा था इसीलिए वो कस कस कर धक्के लगाने लगे।

धक्कों की वजह से मेरी नींद खुल गई, मुझे देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि पापा को सुबह-सुबह क्या हो गया है। मैं भी खुश होकर पापा का लंड चूसने लगी, मैं उनके लंड को पूरा अंदर तक लेकर चूस रही थी। पापा इतना उत्तेजित हो गए कि सुबह-सुबह ही मेरे मुंह में झर गए। सुबह-सुबह ही मैं नाश्ते के बदले उनका पूरा बीज पी गई.

पापा ने मुझे पूरी नंगी कर दिया और बोले- आज से 13 दिन तक तुम कोई भी कपड़ा नहीं पहनोगी और मेरी रखैल बनकर रहोगी. मैं तुम्हें हर जगह, हर तरीके से चोदना चाहता हूं! यह कह कर पापा ने मुझे गोद में उठा लिया और बाथरूम में ले गए.

सुबह सुबह का समय था, पापा ने मुझे सीट पर बैठा दिया और मेरे मुंह में अपना लंड घुसा दिया और बोले- मेरी जान तुम पॉटी भी करती रहो और मेरा लंड भी चूसती रहो, आज मैं सारा दिन तुम्हें चोदूंगा इसलिए सुबह से ही शुरुआत कर रहा हूं!

मैंने कुछ देर तक पॉटी की और पापा का लंड चूसती रही. फिर मैंने अपनी गांड साफ किया।

कुछ ही देर बाद पापा ने मुझे सीट के सहारे झुका दिया और फिर मेरी चूत में लंड घुसा दिया और मुझे कुतिया की तरह जोर जोर से पेलने लगे. वे मुझे इतनी तेजी से चोद रहे थे कि मैं आगे की तरफ झुक जा रही थी.

कुछ देर चोदने के बाद फिर उन्होंने मुझे सीट पर बैठा दिया और मेरे चेहरे पर मुट्ठ मारने लगे. कुछ ही देर में मेरे पापा का पूरा माल मेरे चेहरे पर था. फिर पापा उंगलियों से अपने वीर्य को मेरे मुंह में डालने लगे, मैं धीरे-धीरे उनका सारा रस चाटने लगी. 5 मिनट में ही उन्होंने मेरा चेहरा पूरा साफ कर दिया.

फिर पापा खड़े हुए और मेरे मुंह पर पेशाब करने लगे, पेशाब कर कर के उन्होंने मेरा पूरा चेहरा साफ कर दिया और कुछ पेशाब मुझे पिला भी दिया. मुझे उनका पेशाब बहुत खराब लगा.

फिर पापा ने मुझे नहलाया और खुद भी नहा कर हम दोनों बाहर आए।

मेरी यह सेक्स कहानी आपको कैसी लग रही है? आप मुझे मेल करके अवश्य बतायें. मेरा ईमेल है [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000