कभी साथ न छोड़ना रवि जी, प्लीज!

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रवि जी ने स्पीड ब्रेकर के पहले अपनी मोटर साइकल को धीमा किया और ब्रेकर को पार करते वक्त इस तरह आगे की और झुक गए कि मेरे बूब्स उनकी पीठ से न टकरा जाये। दूसरा कोई लड़का होता तो मौका देखकर चौका लगा देता। इतनी तेज गति से स्पीड ब्रेकर को क्रॉस करता कि मैं पूरी उस पर जा गिरती और वो मेरे मस्त बड़े बड़े नर्म नाजुक बूब्स की अपनी पीठ पर रगड़ का आनन्द ले लेता। पर ये रवि जी हैं। मुझसे उम्र में काफी बड़े हैं। मैं उन्नीस की हूँ और वो अड़तीस के हैं। एकदम जेंटलमेन।

मैं उनकी दोस्त बन गई हूँ। अन्तर्वासना ने मिलाया हमको। मेरी कहानी पढ़कर उन्होंने मुझे ई-मेल किया। अपनी और अपनी पत्नी रीति की तस्वीरें भी भेजीं। मेरे कहने पर भी उन्होंने कभी चूत, लंड या चुदाई की बात नहीं की। मैं उन्हें स्वीटहार्ट कहती हूँ और वे मुझे प्यार से रानी कहकर बुलाते हैं। आप मुझे पहचान तो गये ना … मैं नन्दिनी हूँ। मेरी दो कहानियाँ कुंवारी लड़की की कहानी: थेंक यू धर्मेन्द्र जी और सच का सामना करिए राहुल जी आप पढ़ चुके हैं।

कॉलेज के गेट पर गाड़ी रुकते ही मैं कूदकर उतर गई। मैंने काले रंग की एकदम टाइट जींस और गुलाबी रंग का टॉप पहना हुआ था। टॉप स्लीवलेस था। मेरे कूदते ही मेरे दोनों बूब्स भी कूद पड़े। काफी देर तक कम्पन चलता रहा। जब मैं चलती हूँ तो लोग इस असमंजस में पड़ जाते हैं कि मुझे आगे से देखे या पीछे से। आगे माउंट एवरेस्ट की तरह नुकीले बूब्स और पीछे पामीर के पठार की तरह फैली हुई और उठी हुई गांड। दोनों नजारे धड़कनें बढ़ाने वाले!

पता है !! कोई कोई तो मेरा पीछा करते हुये कभी बहुत तेजी से आगे निकल जाता है और दूर खड़ा होकर मुझे आते हुये मेरे बूब्स को टकटकी लगाकर देखता है और फिर पीछे खड़ा रहकर मेरी गांड को घूरता है।

स्त्री के ये दो अंग ऐसे हैं जो मर्दों को दीवाना बनाते हैं। अगर ये न होते तो!?! कल्पना कीजिये!! आगे पीछे सपाट होता तो स्त्री इतनी आकर्षक नहीं होती।

कामसूत्र में वात्स्यायन ने स्त्री के कितने रूपों का मनमोहक वर्णन किया है। मुझे स्त्री का गजगामिनी रूप पसंद है। थोड़ा भरा हुआ शरीर और मस्त उभार। भगवान का शुक्रिया कि उन्होंने मुझे बनाते हुये किसी तरह की कंजूसी नहीं की। खूब गोरा रंग दिया, लाल सुर्ख होंठ दिये, सुनहरे बालों वाली प्यारी चूत दी. इतनी प्यारी है मेरी चूत कि मैं स्नान के बाद दर्पण के सामने खड़ी होकर निहारती रहती हूँ … खुद की चूत पर खुद ही मोहित होकर कहती हूँ- मेरे रचयिता!! तुम वाकई पुरस्कार के हकदार हो।

क्या आप भी!! कहाँ खो गए। आइये न कहानी पर …

रवि जी ने कहा- सुनो रानी! अपना ध्यान रखना। नन्दिनी- जी, रखती तो हूँ ध्यान, देखो न मोटी-ताजी लग रही हूँ।

मैं सेक्स स्टोरी की लेखिका हूँ … बिंदास। रवि जी और मैं खुलकर बातें करते हैं। सेक्स भी विषय होता है। मगर उन्होंने कभी लोलुपता नहीं दिखाई। सदा मुझे समझाते हैं और कहते हैं- पहले पढ़ाई कर लो। नीट क्लियर कर लो। फिर लिखना कहानी। मैं उन्हें कहती हूँ- रवि जी, सेक्स जीवन का अनिवार्य अंग है। अन्तर्वासना बहुत ही प्रतिष्ठित साइट है। कहानी के बाद मुझे जो ई-मेल और हेंगआउट्स मेसेजेस मिलते हैं, उनसे मुझे लोगों को और दुनिया को समझने का मौका मिलता है। मैं उन्हें ई-मेल भी बताती हूँ। मुझे जो लंड के फोटो प्राप्त होते हैं, वो भी उन्हें दिखाती हूँ. तो वो मज़ाक में बोलते हैं- रानी, तुम्हारे लिए कितने लोग रोज नंगे होकर अपने ही लंड की फोटो ले रहे हैं।

मैं पहले हँसती और फिर गंभीर हो जाती और कहती- रवि जी!! ये वो लोग हैं जो यह चाहते हैं कि उनकी शादी ऐसी लड़की से हो जो सील पैक हो और ये खुद अपने लंड हाथ में लेकर किसी को भी चोदने के लिए तैयार खड़े हैं। किसी भी उम्र से लेकर अस्सी साल की बूढ़ी औरतें भी इनसे बच नहीं पाई हैं। मानव में इतनी वहशियत कैसे आ गई रवि जी!! रवि जी बेचारे क्या कहते। जो सत्य है उसे गलत कैसे बताते।

मैं रवि जी का इशारा समझ गई। वो चाहते हैं कि मैं ड्रेस सिलेक्शन करते वक्त ध्यान रखूँ। मगर मैं एक महानगर के बहुत बड़े कॉलेज में पढ़ती हूँ। इस गर्ल्स कॉलेज की लड़कियों को तो छोड़ो, यहाँ की प्रोफेसर महिलाएं भी पूरी पटाखा बनकर आती हैं। खूब मेकअप, भड़कीले कपड़े। वहाँ मैं ग्रामीण बहिन जी बनकर नहीं आ सकती हूँ ना! जैसा देश वैसा भेष तो जरूरी है।

पर रवि जी की इसी तरह की बातों से उनके प्रति मेरा सम्मान का भाव बढ़ जाता।

क्लास के बाद मैं केंटीन गई तो वहाँ मेरी चांडाल चौकड़ी वाली फ्रेंड्स बैठी थीं। मैं जैसे ही कुर्सी पर बैठी, वैसे ही तेजी से खड़ी हो गई। सबकी सब हंस पड़ीं। सुनयना ने अपनी मुट्ठी कुर्सी पर रखी हुई थी और अंगूठा ऊपर किया हुआ था वो सीधे मेरे गांड के छेद पर टच हुआ। मैं- ले खोल देती हूँ पैन्ट और पेंटी, कर ले अपनी हसरत पूरी। जब देखो तब मेरे गांड के पीछे पड़ी रहती हो तुम मुट्ल्ली। सुनयना- हाय सच ! खोल न !! चल मेरे हॉस्टल पर … लेसबियन करेंगे।

रजनी- अरे नन्दिनी!! जा ना इसके साथ!! बिल्कुल लड़कों की तरह चूत चूसती है ये … और बूब्स को तो रौंद डालती है। शकीना- यार! अब तो रहा नहीं जाता। मेरे बेबी को कोई बाबा चाहिए। वह अपनी चूत को बेबी और लंड को बाबा बोलती है।

हाँ जी … लड़कियां भी जब अकेली होती हैं तो ऐसी ही बातें करती हैं। जो बालिकाएँ आपके सामने सीधेपन का साक्षात अवतार दिखाई देती हैं ना … वो वैसी होती नहीं हैं। कई बार उनकी बातें लड़कों से भी ज्यादा अश्लील होती हैं।

हमारी बातें भी जमीन छोड़ रही थीं। हम सभी गर्म हो गईं। केंटीन के उस कोने में मौका देखकर एक दूसरे के बूब्स को दबा देतीं और सिसकारी से अपने आनंद और प्यास को दर्शा देती। सभी को लंड लेना था … मगर किसका लें? बदनामी का डर था।

वैष्णवी ने सभी की समस्या का हल करते हुये कहा- मैं एक जिगोलो को जानती हूँ, एकदम मस्त माल है। चलो गार्डन में, मैं दिखाती हूँ उसकी पिक।

हम सभी बेताब थीं, सबकी चूतें गीली हो चुकी थीं और निप्पल्स तन चुके थे। सब की सब तुरंत उठ गईं। मेरे गांड की दीवानी सुनयना ने मेरे कूल्हों पर हाथ रखा और चलने लगी। आज मुझे उसका स्पर्श बहुत अच्छा लगा। सच ही कहा गया कि जब भूख बहुत लगती है तो हर खाने की चीज स्वादिष्ट लगती है।

उद्यान में झाड़ियों के पीछे हम सभी इस तरह बैठ गई कि कोई सामने से आए तो हमें दिख सके। हम चारों की मनोदशा इस तरह की हो गई थी कि अगर वहाँ कोई आकर हमें अपना लंड दिखाता तो हम सभी तुरंत नंगी हो जाती, आँखें बंद करके अपनी अपनी चूत खोल देतीं।

शरीर से पहले कोई भी कार्य मन करता है। शरीर तो बेचारा मन का गुलाम है, वह मन के आदेशों का अनुसरण करता है और अभी हम चारों का मन कह रहा था कि लंड चाहिये। वैष्णवी ने अपनी बिग स्क्रीन वाले स्मार्ट फोन में व्हाट्सएप पर एक पिक दिखाते हुये कहा- इसका नाम भुजंग है। छह फीट दो इंच इसकी हाइट है। बॉडी बिल्डर है। सुनयना- इसके हथियार की साइज़ कितनी है? वैष्णवी- नौ इंच, देखना है क्या? हम सभी- हाँ ना … दिखा जल्दी।

वैष्णवी ने मुसकुराते हुये भुजंग की नंगी तस्वीर हमारे सामने कर दी। ‘ओ माय गॉड …’ हम सभी खुशी से चीख़ पड़ी।

मैं- ये आदमी का लंड है!?! इतना बड़ा!! ये तो लौकी की तरह है। हरी लौकी को काले रंग से रंग दो तो बिल्कुल भुजंग के लंड की तरह हो जायेगी। वैष्णवी ने कहा- इसकी काम कला भी दिखाती हूँ.

उसने एक विडियो ऑन किया। भुजंग एक बेडरूम में एक मोटी और एजेड औरत के साथ था। वह उस औरत के कपड़े उतारता है। बहुत ही भद्दी और मोटी औरत। पेट बाहर और बूब्स लटके हुये। मगर भुजंग के चेहरे पर नापसंदगी के कोई भाव नहीं। वह उसे चूमता है और उसके बूब्स को चूसता है। वह औरत भुजंग के कपड़े उतारती है। भुजंग का लंड बाहर आते ही झटके मारने लगता है। बहुत प्यार से भुजंग उस औरत को डोगी स्टाइल में झुकाता है और फिर चुदाई प्रारम्भ करता है। धीरे से शुरू करके जिस स्पीड पर ले जाता है तो ऐसा लगता है कि मशीन में पिस्टन अंदर बाहर जा रहा हो। वह आदमी न होकर मशीन हो। एक जैसी रफ्तार। और वह औरत आनंद के चरम दौर से गुजरती हुई सिसकारियाँ लेती है।

“उफ़्फ़ … शानदार चुदाई … दमदार चुदाई … वाकई कामदेव है भुजंग तो! जिसे भुजंग मिल जाये … उसकी चूत की तो किस्मत ही खुल जाये।” हम सब जो सोच रही थी, उसे सुनयना ने कह दिया। सुनयना- अब तो इसका लिए बिना नहीं रहेंगे। बोल कैसे चोदेगा ये हमको? वैष्णवी- चोदना इसका धंधा है। यह रोज तीन चार औरतों को चोदता है। एक साथ कितनी ही औरतें हों यह सबको खुश करता है। वियाग्रा खाता है। इसका रेट बीस हजार रुपए है। बोलो !! क्या करना है? शकीना- डन !! हम पाँच हैं। सब मिलकर उसको बीस नहीं पच्चीस हजार दे देंगे। बुलाओ इसको।

सुनयना- गांड भी मारता है ना ये। ऐसा न हो कि फिर नखरे करे। मैं तो गांड में भी लूँगी।

वैष्णवी ने फोन लगाया। कुछ ही देर बाद हम सभी कॉलेज के बाहर थीं। तभी एक कार गेट के पास आई और उसमें से भुजंग उतरा …लंबा तड़ाग बंदा … बाहुबली की तरह कद-काठी। पैन्ट के सामने का भाग बता रहा था कि अंदर ऐसा राकेट है जो हम सभी को आसमान की सैर करवा सकता है।

भुजंग को हम सभी ने घेर लिया। वह बहुत ही सलीके से बात कर रहा था।

अगले दिन दोपहर बारह बजे का समय तय हुआ। एक साथ पाँच लड़कियों को चोदने की फीस तीस हजार रुपए तय हुई। उसने पता दिया। जाने से पहले जब वह हम सभी से हाथ मिला रहा था तभी रवि जी वहाँ आ गये। मैं रवि जी की बाइक पर बैठ गई। आँख मारते हुये सभी को बाय बाय कहा। सुनयना ने चिल्लाकर कहा- स्वीट ड्रीम नंदू!

रवि- कौन था यह आदमी? गुंडा लग रहा था। रवि जी को मैं सब बात बता देती थी, मैंने कहा- जिगोलो है। नाम भुजंग और कल मैं इसके पास जा रही हूँ। रवि- ओह! नहीं नहीं नन्दिनी!! इससे बिल्कुल मत मिलो। ये लोग ठीक नहीं होते। न जाने किस किस औरत के पास जाते हैं। मत करो ऐसा! मैं- देखो रवि जी! अगर आप मेरी निजी ज़िंदगी में हस्तक्षेप करोगे तो मैं आपसे बात नहीं करूंगी। मैं और मेरे सारी फ्रेंड्स कल दोपहर बारह बजे उसके बताए हुये इस स्थान पर जाएँगी। हमने उसको दस हजार रुपए एडवांस भी दे दिये हैं. कल वह हम सभी को चोदेगा.

रवि जी खामोश हो गये, उन्हें मेरे बात का बुरा लगा। मेरे घर के बाहर मुझे उतारकर रवि जी बस इतना बोलकर आगे बढ़ गये- अब हम दोस्त नहीं रहे नन्दिनी जी।

मैंने उन्हें जाते हुये देखा। वो आँखों से ओझल हुये तो सामने भुजंग और उसका लंड आ गये। दिल पागल हो गया।

अगले दिन ठीक ग्यारह बजे रवि जी मेरे घर के सामने आकर खड़े हो गये। वे ही मुझे रोज कॉलेज छोड़ते थे। उधर ही उनका ऑफिस था।

मैंने अपनी चूत के सुनहरे बालों को साफ कर लिया था। वहाँ भी चंदन का स्प्रे किया। गांड पर गुलाब सेंट का स्प्रे किया। बहुत ही सेक्सी कपड़े पहनकर और गहरा मेकअप करके मैं घर से निकली। रास्ते भर कोई बात नहीं हुई। रविजी ने मुझे कॉलेज छोड़ा और बिना कुछ बोले ही आगे निकल गये।

मैं कामान्ध हो चुकी थी। मैंने रविजी की नाराजगी पर कोई ध्यान नहीं दिया। चुदाई के हसीन नजारे को ख्यालों में बसाकर मैं आने वाले पलों के बारे में सोचने लगी।

बहुत बड़े उद्योगपति की बेटी सुनयना की कार में बैठकर हमारा काफिला चल पड़ा। पांचों ही सौंदर्य की देवियाँ लग रही थीं। सुनयना ने पूछा- सच सच बताना … अभी तक किसने लंड नहीं लिया है। मैं- मैंने नहीं लिया सुनयना। सुनयना- ओके … तो फिर सबसे पहले तुम चुदोगी आज। उसके बाद तुम्हारी चूत से यात्रा करके आए भुजंग बाण को हम घुसवा लेंगी. ठीक है। सभी ने स्वीकार किया। मैं खुश हो गई।

ठीक समय पर हम बताए हुये स्थान पर पहुँच गये। सुनयना ने रिंग दी। भुजंग ने एक फ्लैट से बाहर आकर हमको रिसीव किया। वह बहुत ही हेंडसम लग रहा था।

अंदर जाते ही भुजंग ने दरवाजे को लॉक किया। हम जैसे ही बेडरूम में पहुंचे तो चौंक गये। वहाँ चार और आदमी थे। सुनयना- भुजंग!! ये कौन हैं? हमारी बात तो सिर्फ तुम्हारा लंड लेने की हुई थी। भुजंग- ये मेरे पार्टनर हैं। हम सभी मिलकर तुम्हें चोदेंगे। आज तुम सभी की चूत और गांड फाड़कर रख देंगे। शकीना- नहीं !! हम बस तुम्हारा ही लंड लेंगे।

वो पांचों ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। डरावना वातावरण बन गया। भुजंग- तुम जैसी चुदक्कड़ छिनालों को हम केवल चोदते ही नहीं है बल्कि विडियो भी बनाते हैं। वो देखो केमरे सामने। कई एंगल से लगे हैं केमरे। हर लड़की एक लाख रुपए देगी तो विडियो डिलीट कर देंगे नहीं तो इनको वायरल कर देंगे। उन पांचों ने अपने चेहरे पर मास्क लगाए। विडियो के स्विच ऑन किए और हम पर टूट पड़े। मैं भुजंग के हाथ में पड़ गई।

तभी बेल बजी और दरवाजे को ज़ोर ज़ोर से ठोकने की आवाजें भी आने लगी। भुजंग के इशारे पर उन चारों ने हम पांचों को कंट्रोल में किया। सभी को वो दबोचे हुये थे और हमारे मुंह पर हाथ था। सभी मुस्टंडे थे और हम नाजुक कलियाँ। भुजंग ने दरवाजा खोला। सामने आठ दस पुलिस वाले थे। उन्होंने भुजंग को दबोच लिया। इंस्पेक्टर- लड़कियां कहाँ हैं?

भुजंग समझ गया कि वह फंस चुका है, उसने बेडरूम की तरफ संकेत किया। सिपाहियों ने तुरंत ही रिवाल्वर से उन गुंडों को कंट्रोल किया। हम भी उनके साथ बाहर आए। हाल में इंस्पेक्टर के पास सिर झुकाये रवि जी खड़े थे।

मैं उन्हें देखते ही ज़ोर से रोने लगी और दौड़कर रवि जी से लिपट गई। रवि जी की आँखें भी भरी हुई थीं। उनके हाथ मेरे पीठ पर फिर रहे थे सांत्वना देते हुये। सुनयना ने इंस्पेक्टर को सारी बात बताई। उन्होंने पहले तो हमें डांटा और फिर भुजंग और उनके गुंडों को गाड़ी में बैठाकर चल दिये।

चारों लड़कियां सुनयना की गाड़ी में बैठ गई। सब डरी हुई थीं। चुदाई का भूत न जाने कहाँ भाग गया था। मैंने रविजी की तरफ देखा। वो अपनी बाइक की तरफ बढ़ गये। मैं- रवि जी! रवि- …!!

रवि जी ने गाड़ी स्टार्ट की। सुनयना ने सोचा कि मैं रवि जी के साथ जा रही हूँ तो वो जा चुकी थी। मैं रो पड़ी, रोती हुई ही चिल्लाई- सुनो! कभी साथ न छोड़ना रवि जी।

रवि ने गाड़ी बंद की और सिर झुकाकर खड़े हो गये। मैं उनके पास गई और उनसे लिपटकर रोने लगी, सिसकते हुये बोली- क्या आप मुझे अकेला छोडकर जा रहे थे? रवि- नंदू मेरी रानी!! अगर तुम्हें अकेला छोड़ना होता तो यहाँ आता ही क्यों? अरे पागल तुझसे दोस्ती की है। दोस्त को कोई ऐसे छोड़ता है। मेरे उम्र तुमसे डबल है रानी !! मैं इस दुनिया को ज्यादा अच्छे से जानता हूँ। तुम्हें सेक्स ही करना है तो शादी कर लो। अब तुम व्यस्क हो गई हो। बाजारू लोगों से कोई तृप्ति नहीं मिलती रानी!! सच्चा प्यार पति से ही मिलेगा तुम्हें। मैं तो समझा था कि यहाँ भुजंग अकेला होगा और मैं उसे अवैध धंधा करने के आरोप में गिरफ्तार करवा दूंगा। पुलिस विभाग में मेरी पहचान थी। पर यहाँ तो बहुत बड़ी वारदात हो जाती।

मैं समझ गई कि जो रास्ता हमने चुना था वह ठीक नहीं था.

मैं उन सब लड़कियों से भी अनुरोध करती हूँ जो मेरी इस कहानी को पढ़ रही हैं। ‘प्लीज सेक्स उसी से कीजिये जिस पर आपको विश्वास हो। भुजंग जैसे लोगों के चक्कर में मत पड़ना। ये बहुत बुरे लोग होते हैं। और जो आदमी मेरी इस कहानी को पढ़ रहे हैं उसने भी मेरा निवेदन है कि अगर कोई लड़की अपनी कामवासना से विवश होकर आपके पास अपनी प्यास बुझाने के लिए आए तो उसकी चुदाई तो करें लेकिन उनका वीडियो न बनाएँ और न पिक लें। उन्हें ब्लेकमेल न करें।’

मुझे तो रविजी ने बचा लिया। मैं उनकी आभारी हूँ और मैं एक बार फिर बिना चुदी रह गई हूँ।

आशा है आपको मेरी तीसरी कहानी भी पहले की दो कहानियों की तरह पसंद आएगी और आप मुझे ई-मेल तथा हेंगआउट्स मेसेज के जरिये अपनी राय बताएँगे। मुझे एक हजार से अधिक ई-मेल रोज आती हैं तो भी सभी को जवाब देने की कोशिश करती हूँ।

मेरी ईमेल आईडी है- [email protected] अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी होगी तो मैं आपको अपनी अन्य कहानियाँ भी सुनाऊँगी.

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