दोस्त की शादीशुदा बहन को चोद डाला

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

नमस्कार दोस्तो, मैं मेरी जिंदगी की पहली सेक्स स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ. कहीं गलती दिखे, तो माफ कीजियेगा. मैं अपना परिचय दे दूँ. मेरा नाम अभिषेक राजपूत है, मैं औरंगाबाद से हूँ. मेरी उम्र 19 साल की है, रोजाना जिम जाता हूं और अपनी पर्सनालिटी का ध्यान रखता हूं. मेरा मर्दाना जिस्म है, लंड 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है.

यह बात पिछले वर्ष 2017 की है, नवम्बर का महीना था. मौसम में हल्की हल्की सर्दी होना शुरू हो गई थी. मुझे भी जवानी का सुरूर चढ़ा हुआ था, सेक्स का भूखा था. आपको तो पता ही है कि इस उम्र में सेक्स की कितनी प्यास लगती है.

इस कहानी की नायिका है छाया, यह नाम बदला हुआ है. छाया मेरे दोस्त की शादीशुदा बहन थी. मैं अपने इस दोस्त के घर हमेशा आता जाता रहता था. वो मेरे घर के सामने ही रहता था. उसकी बहन की शादी हो चुकी थी, मगर वो अपने पति के साथ यहीं रहती थी.

यह कहानी यहां से ही शुरू हुई. मैं अक्सर किसी न किसी काम से उसके घर जाता रहता था.

एक दिन उसके घर कोई नहीं था. मैं हेडफोन लौटाने उसके घर गया था, उस वक्त दोस्त के घर में कोई नहीं था, दरवाजा खुला था. मैंने अपने दोस्त को आवाज दी, जब कोई जवाब नहीं आया, तो मैं उसे ढूंढते उसके घर घुस गया. मैं लगातार आवाज देकर दोस्त को बुलाता रहा. जब किसी ने रिप्लाय नहीं दिया, तो मैं वापिस लौटने को मुड़ा.

तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और उसमें से छाया बाहर आयी. उसके अंग पर एक कपड़ा भी नहीं था. वो अपना सिर सुखा रही थी. उसका ध्यान नहीं था. मैं उसके नंगे शरीर को घूर रहा था. मेरा लंड अपनी रियल साइज में आ चुका था. नाईट पैन्ट में से लंड का पहाड़ साफ दिखाई दे रहा था.

उसकी नजर मुझ पर पड़ी, उसको ध्यान ही नहीं था कि वो बिना कपड़े की बाहर आयी थी, उसने मुझसे पूछा- क्या काम है? मैंने उसकी तनी हुई चूचियों को देखते हुए कहा- कुछ नहीं, ये शंकर का हेडफोन देने आया था. तो वो बोली- ला दे मुझे.

मैंने दे दिया, उसके हाथों का स्पर्श बहुत मुलायम था. मैं उसे लगातार घूरे जा रहा था. फिर उसने मेरी नजर पकड़ी, तो खुद को बिना कपड़े की पाकर हड़बड़ा गयी और पीछे मुड़ गयी. मुझे पीछे से उसकी गांड दिख रही थी. मैं पलटा और अपने घर आ गया.

ऐसे ही 4-5 दिन गुजर गए. मैं शुक्रवार के दिन उसके घर गया था, तब मेरा दोस्त कहीं बाहर गांव गया हुआ था. उस वक़्त घर पर छाया और उसके पति थे. उसके पति भी कहीं जा रहे थे. मैंने पूछा- शंकर कहां है? तो वो बोले- वो बाहर गांव गया हुआ है. मैं बोला- दीदी उससे मुझे मेरी किताब वापिस लेनी है, आप जरा निकाल दोगी? वो बोली- रुको … तुम्हारे जीजा को टिफ़िन पैक करके दे दूँ, फिर तुम्हें दे दूँगी.

तब तक मैं बैठ गया. छाया ने मुझे पानी दिया, मैंने पानी पिया. दस मिनट बाद उसका पति चला गया. फिर छाया दो कप चाय लेकर आयी. वो मेरे साथ बैठ कर चाय पीने लगी.

हम दोनों बातें कर रहे थे. मैंने जानबूझ कर उससे कहा- दीदी दरवाजा बंद किया करो, आप डायरेक्ट इस तरफ बाहर आती हो, कोई दूसरा होता तो न जाने क्या हो जाता. वो बोली- अरे यार उस दिन तेरे जीजा जी घर पर ही थे, इसलिये दरवाजा खुला था … मुझे मालूम ही नहीं चला और वो मार्किट चले गए थे. मैं बाथरूम में थी तो दरवाजा कैसे लगाती. मैं बोला- चलो ठीक है … मगर आगे से ध्यान रखना.

मैं बात खत्म करना चाह रहा था, लेकिन शायद छाया उस बात को लम्बा खींचना चाहती थी. वो बोली- अगर तेरी जगह कोई और होता … तो क्या होता? मैं चुप रहा तो वो फिर बोली- बता ना क्या होता? मैं बोला- कोई और होता, तो वो आपकी इज्जत लूट लेता. तो दीदी बोली- इज्जत तो तूने भी लूट ली मेरी. मैं घबरा कर बोला- मैंने कब? वो बोली- उसी दिन … तू मेरी पूरी बॉडी को देख रहा था … तू आंखों से ही मेरा ब*त्कार कर रहा था. मैंने बोला- ऐसा तो कुछ नहीं था दीदी … मैं आपको नहीं घूर रहा था. तो वो बोली- अच्छा तो क्या कर रहा था? मैंने देखा था तुम्हारा वो पूरा टाइट हो गया था.

मैं उसकी इस बात पर नजर नीचे करके बैठा हुआ था. तो वो बोली- अब तक कितनी लड़कियों को चोदा है? छाया के मुँह से साफ़ ‘चोदा’ शब्द सुनकर मैं भी समझ गया कि ये मुझे छेड़ रही है. मैंने भी बिंदास जबाव दिया. मैं बोला- एक भी नहीं. वो बोली- क्यों? मैं बोला- कोई मिलती ही नहीं है.

वो बोली- तेरी इतनी अच्छी बॉडी है, ऐसे कैसे नहीं मिली? मैं बोला- बॉडी होने से कुछ नहीं होता, वैसी किस्मत होना चाहिए. फिर वो अपने मम्मे उठाते हुए बोली- उस दिन तूने मेरा क्या क्या देखा था? मैं साफ़ बोला- आपके ऊपर के दूध और आपकी हल्के बाल वाली बुर. वो बोली- अच्छा तो कैसी लगी मेरी? मैं बोला- क्या? तो वो बोली- मेरी बुर? मैं बोला- अच्छी है. तो वो बोली- फिर से देखनी है?

मैं चुप रहा. उसने फिर सवाल किया- देखनी है? मैंने हां में सिर हिलाया तो उसने अपनी साड़ी ऊपर की, पैंटी हटाई और मुझे अपनी चूत दिखा दी.

उसकी चूत देख कर मैं गर्म होने लगा. मैं उसकी चूत देख रहा था. उसने छूने का इशारा किया. तो मैंने उसकी चूत को हाथ से छुआ, तो वो गर्म भट्टी जैसे तप रही थी. मैंने करीब होकर छाया की चूत को सूंघा, तो मदहोश करने वाली सुगंध आ रही थी. फिर वो बोली- तूने मेरी चूत देख ली, अब अपना नहीं दिखाएगा? मैंने बोला- आप खुद देख लो.

वो नीचे झुकी, मेरी नाईट पैन्ट उतारी और मेरे लंड को बाहर निकाल के हाथ से हिलाने लगी. मैंने उसे अपने पास खींचा और उसे किस करने लगा. उसका हाथ अभी भी मेरे लंड को हिला रहा था. मेरा एक हाथ उसके उरोजों पर था, एक हाथ उसकी बुर पर था. फिर मैंने उसका ब्लाउज निकाला, ब्रा के ऊपर से ही उसके एक बॉल को चूसने लगा. मैंने ब्रा निकाल कर फेंक दी और उसके उरोजों को जोर जोर से दबाने और चूसने लगा.

छाया भी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए अपने दूध मुझे पिलाने लगी थी. उसके दूध बड़े ही मस्त और रसीले थे.

फिर मैं नीचे आया और छाया की साड़ी खोल दी, पेटीकोट निकाल फेंका. फिर पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत चूसने लगा. दो पल बाद ही मैंने उसकी पैंटी भी उतार फेंकी और चूत को जोरों से चूसने लगा. मैं खड़ा हुआ, अपनी पैन्ट पूरी तरह से उतार दी. वो नीचे बैठ गयी और मेरा लंड चूसने लगी. मैंने उसके मुँह को चोदा और अपनी टी-शर्ट उतार दी. फिर उसे खड़ा करके अपनी गोद में उठा कर बेडरूम तक लेकर गया.

छाया को बिस्तर पर चित लिटा कर मैं उसके ऊपर छा गया. अब मैंने अपना लंड चूत की फांकों में सैट किया और पेल दिया. उसके मुँह से एक आह निकली और उसने मेरे लंड को अपनी चूत में जज्ब कर लिया. मैंने चुदाई शुरू कर दी.

करीब 20 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा. वो एक बार झड़ गयी लेकिन मैं उसे चोदता रहा. फिर वो बोली- बस अब और नहीं … मैं थक गई हूँ. मैं बोला- अभी मेरा नहीं हुआ है … बस 2 मिनट और चोदने दे.

कुछ देर धकापेल के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. लंड का पानी निकालने के बाद मैं वैसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा. वो मुझे चूमते हुए बोली- तेरा स्टैमिना तो तेरे जीजा से बहुत ज्यादा है. मैं बोला- हां, वो तो है.

फिर हम दोनों उठे, बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया. फिर हम दोनों वहां गर्म पानी से नहाने लगे. वहीं पर नहाते वक्त छाया को कुतिया बना कर एक बाद और चोदा. वापस कमरे में आ गए. छाया मेरे लिए नाश्ता ले आई.

मैंने जाने का कहा तो उसने मुझे रोक लिया और बोली- आज इधर मेरे पास ही रह जा. तो मैंने घर पर फोन कर दिया कि मुझे घर आने में देर हो जाएगी.

इसके बाद मैंने उस दिन छाया दीदी को 6 बार चोदा. मैं पूरी तरह थक चुका था, सो घर आकर सो गया.

शाम को मैंने खाना खाया और फिर सो गया. अब मैं मौक़ा पाकर उसे हर रोज चोद देता था.

जनवरी में उसके पति का ट्रांसफर हो गया और वो मुंबई चले गए. उसके जाने से पहले मैंने उसे 2-3 दिन में 20-25 बार चोदा था. उससे बिछड़ते वक़्त हम दोनों की आंखों में आंसू आ गए थे. मैं छाया दीदी की याद में अब भी बहुत तड़पता हूँ.

आपको मेरी दीदी की चुदाई स्टोरी कैसी लगी. मेल जरूर करना. धन्यवाद. [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000