होली पर देसी भाभी की रंगीन चुदाई-1

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मैं अमित दुबे एक बार फिर हाजिर हूँ. आपने मेरी स्टोरी देसी भाभी ने सोते देवर का लंड चूसा को पढ़ कर जो मेल किए, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. दोस्तो, उसी कहानी से आगे चलता हूँ.

दूसरे दिन में थोड़ा लेट उठा. उठते ही मुझे रात वाली बात याद आई कि कैसे भाभी ने मेरा लंड चूसा था. ये सोच कर ही मैं उत्तेजित हो गया. इतने में भैया की आवाज आई- भावना, देख तो अमित उठा या नहीं? नहीं उठा हो तो उसे उठा दे. भाभी भैया की बात सुन कर मेरे कमरे में आईं. इस वक्त भाभी ने एक क्रीम रंग की पारदर्शी टाइप साड़ी पहन रखी थी और होली खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार दिख रही थीं. मैंने मन में सोचा पहली ही रात लंड चूस लिया, तो आज तो होली के माहौल में भाभी की चुत जरूर चुदाई के लिए मिलेगी.

भाभी ने कमरे में आकर प्यार से आवाज लगाई- अमित … उठ जा! उन्होंने मेरे बालों में हाथ फेरा. मैंने भी बेशर्म बनते हुए अपनी पेंट में हाथ डाल कर अपने लंड को एक दो बार मसला. मेरी इस हरकत से भाभी का चेहरा लाल हो गया और हमारी नजरें मिली ही थीं कि भाभी शर्मा कर किचन में चली गईं.

मैं मस्त अंगड़ाई लेते हुए उठा और भैया की लोकेशन देखी कि भैया कहां हैं. इस समय भैया नहाने गए हुए थे, तो मैं सीधा भाभी के पास किचन में पहुंच गया. भाभी इस समय चाय बना रही थीं. किचन का नजारा बहुत ही मस्त था. भाभी की मस्त गांड दिखाई दे रही थी. मैंने जाते ही भाभी के बिल्कुल पीछे खड़े हो कर अपना लंड उनकी गांड पर टच कर दिया.

कड़क लंड की छुअन से भाभी एकदम से सिसिया उठीं- सीईई … आह अमित ये क्या कर रहे हो? मैं लंड रगड़ते हुए बोला- कुछ नहीं भाभी आप चाय बना रही हो, तो मैं आपको देख रहा हूँ. ये बोल कर मैंने भाभी की कमर को पकड़ लिया और हल्का सा सहलाने लगा.

मैं बोला- भाभी आज तो आपके साथ जम कर होली खेलूँगा, आपके पूरे का पूरा रंग दूंगा. ये बोलते हुए मेरे हाथ भाभी की कमर पर लगातार चल रहे थे. अब मैंने लंड को भी उनकी गांड पर थोड़ा जोर से मसल दिया.

इससे भाभी उचकते हुए बोलीं- अच्छा देवर जी … आज सुबह सुबह बड़ी मस्ती चढ़ी है. मैं बोला- हां रात को आपको चढ़ी थी, अभी मुझे चढ़ी है. इस बात से भाभी एकदम से शर्मा गईं … और बोलीं- चलो दूर हटो … अभी मुझे काम कर लेने दो, दिन में होली खेलेंगे.

मैंने भी सोचा कि भैया कभी भी आ सकते हैं, तो मैं भी उनसे दूर हट गया. कुछ ही देर में भैया भी आ गए. भाभी ने भैया और मुझे दोनों को चाय दी.

चाय पीते हुए भैया बोले- अमित, मैं और तू मेरे एक दोस्त के यहां होली खेलने चलते हैं, वहीं से दारू पी कर और मूड बना के आएंगे. मैं बोला- भैया, अगर हम कहीं और होली खेलने जाएंगे, तो यहां भाभी के साथ कौन होली खेलेगा? यह बोलते हुए मैंने भाभी को ऊपर से नीचे तक खा जाने वाली नजरों से देखा.

भैया बोले- अमित अभी तेरी भाभी किचन में काम करेगी, जब तक हम बाहर से मस्ती करके आते हैं, फिर तेरी भाभी के साथ होली खेल लेंगे, आज मुझे भी इसको जम के रंगना है क्योंकि ये हम दोनों की पहली होली है. अब भैया ने भी भाभी को हवस से भरी नजरो से देखा. भाभी ने शर्माते हुए नजरें नीचे कर लीं.

कुछ देर में हम भैया के दोस्तों के यहां चले गए, जहां हमने जम कर होली खेली और साथ में दारू भी चढ़ा ली. वहां भैया ने तो जम कर पी, लेकिन मैं बिल्कुल लिमिट में ही पीता रहा क्योंकि मेरे दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि घर जा कर भाभी के साथ होली के बहाने मस्ती करनी है.

दोपहर में हम दोनों वहां से नशे में टुन्न होकर वापस आए. मैं उधर से अपने साथ में पक्का रंग और पानी सब लेकर आया था … ताकि घर जाते ही भाभी को रंग लगा सकूं.

भैया को कुछ ज्यादा ही चढ़ गई थी, वो चलते हुए लड़खड़ा रहे थे. घर में घुसते ही भैया ने आवाज लगाई- भावना डार्लिंग कहां है तू … अब रंग लगवाने को तैयार हो जा. जैसे ही भाभी हमारे सामने आई, भैया ने लपक के उन्हें पकड़ना चाहा, पर भाभी पूरे हॉल में भागने लगीं.

भैया हल्का सा उनके पीछे भागे पर लड़खड़ा गए. भैया मुझसे बोले- अमित पकड़ तो इसे … आज कुछ ज्यादा ही तेज भाग रही है.

मैं थोड़ा कम नशे में था, तो मैं भाभी की ओर लपका और थोड़ी सी भागा-भागी के बाद मैंने उन्हें पकड़ लिया. उनकी कमर के उनको पकड़ कर भैया के पास ले आया. भैया ने भी रंग हाथ में लेकर पानी मिला कर तैयार किया और भाभी के चेहरे पर मल दिया.

अब भैया पागलों की तरह उनकी कमर गर्दन और जहां जहां जगह मिलती, रंग लगाने लगे. मैंने अभी भी भाभी को कस के पकड़ रखा था, तो मैंने भी मौके का फायदा उठा कर भाभी की गांड पर अपना लंड मसलना चालू कर दिया.

भैया मुझसे बोले- अमित, तू भी अपनी भाभी को रंग लगा ले.. इस पर मैं बोला- अरे भैया अभी आप लगा लो, फिर मैं लगा लूँगा. वो बोले- तू एक काम कर … दारू के एक दो पैग और बनाने की व्यवस्था कर … मैं इसे थोड़ा और रंग के आता हूँ.

भैया भाभी को पकड़ के दूसरे कमरे में ले गए. मैंने जल्दी जल्दी घर में रखे दारू का सामान निकाला और भैया भाभी के रूम के अन्दर झांकने की जुगाड़ लगाने लगा. उनके कमरे की खिड़की का वेंटिलेशन खुला था, तो मैं एक कुर्सी पर चढ़ कर अन्दर झांकने लगा. कमरे के अन्दर का नजारा बहुत ही सेक्सी था. भैया भाभी का ब्लाउज और ब्रा खोल चुके थे और उनके मम्मों को मसल मसल कर रंग मल रहे थे. उन्होंने भाभी के मम्मों को लाल कर दिया था और बुरी तरह से मम्मों को मसल रहे थे. बीच बीच में भैया भाभी के मम्मे चूस भी रहे थे.

भाभी के मुँह से निकल रहा था- उईईईई … शीईई … धीरू मेरी जान … धीरे मसलो न … आह … ये कैसी होली खेल रहे हो तुम मेरे साथ … आहहहह ऊऊऊउ.. भैया- चुप रे साली मादरचोद. … वो तो घर में अमित भी है, वरना आज तुझे पूरी नंगी करके पूरे शरीर पर दिन भर रंग और लंड मलता रहता.

अब भैया भाभी के पेटीकोट को भी ऊपर करके उनकी जांघों पर भी रंग ले ले कर मलने लगे. फिर एक ही झटके में भैया ने भाभी की चड्डी निकाल फेंकी और भाभी की चुत पर भी रंग मल दिया.

अब भाभी भी गर्म हो गईं, उन्होंने भी रंग लिया और फटाफट भैया की पेंट और चड्डी नीचे करके उनके लंड पर रंग मल दिया. अब तक भाभी तड़फ उठी थीं- धीरू, अब लंड मेरी चुत में लंड कर दो … आआहह उईईईई … शीई …

भैया ने भी भाभी को वहीं जमीन पर पटका और अपना लंड दो तीन बार चुत पर रगड़ कर एक ही झटके में अन्दर कर दिया. भाभी की जोरदार चीख निकल गई आह मर गई … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उईईईइ धीरू मर गई मैं आःह ऊऊऊ शीईईई …

भैया पर तो चूत का भूत सवार था. उन्होंने जोरदार धक्के दिए और तकरीबन 15 मिनट की पारी में उन्होंने भाभी की हड्डी पसली चटका दी. फिर आखिरी में दोनों ने एक दूसरे पर अपने नाखून और दांत गड़ा के अपनी अपनी गर्मी निकाली और शांत हो गए.

कुछ देर बाद भैया उठे और बोले- मैं बाहर जा कर अमित के साथ दारू पीता हूँ … तू थोड़ी बहुत देर आराम कर ले. आज पूरी रात तुझे पेलूँगा.

मैं मन ही मन में सोच रहा था कि यहां तो मैं भाभी को चोदने की जुगाड़ लगा रहा था और भैया ही इन्हें नहीं छोड़ रहे हैं. मुझे अगर भाभी को पेलना है, तो कुछ रास्ता तो निकालना ही होगा.

भैया जैसे ही बाहर के हॉल में आने लगे, मैं जल्दी से जाकर दारू की बोतल ग्लास के पास जाकर ऐसे बैठ गया … जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं हो. भैया और हमारा पीने का एक बार फिर दौर चला. इस बार भी मैंने पैग बनाने में वही चालाकी की और भैया को हार्ड हार्ड पैग देता रहा. तकरीबन आधे घंटे बाद भाभी भी एक सेक्सी सा गाउन पहन कर आ गईं और वहीं बैठ कर टीवी देखने लगीं.

जब भैया को जम कर नशा चढ़ गया, तब मैं बोला- भैया, अब मैं भाभी के साथ होली खेल लूँ? भैया बोले- हां हां आज तो होली का दिन है … रंग दे अपनी भाभी को … भाभी बोलीं- नहीं अमित … मैं अभी नहा कर साफ़ होकर आई हूँ … अब रहने दो. मैं बोला- अरे ये तो नहीं हो सकता.

मैं भाभी की ओर रंग हाथ में लेकर बढ़ा. इस बार भी भाभी हॉल में इधर उधर भागने लगीं, पर मैंने थोड़ी ही देर में उन्हें पकड़ लिया. अब मैं भाभी के गाल पर रंग लगाने लगा. मैंने उन्हें पकड़ा, तो मुझे अहसास हुआ कि उन्होंने गाउन के अन्दर कुछ नहीं पहन रखा है. मैंने भैया की तरफ नजर डाली, तो भैया ज्यादा दारू पीने और सुबह से होली की थकान के कारण सोफे पर ही लुड़क कर सो गए थे.

मैंने अपनी हल्की सी पकड़ ढीली कर सीधे सीधे भाभी के मम्मों को पकड़ के मसला ही था कि भाभी एक बार फिर मुझे धक्का दे कर भाग गईं. इस बार वो छत पर जाने वाली सीढ़ियों की ओर भागीं और छत का दरवाजा खोल उस पर चली गईं. वो छत का दरवाजा बंद ही करने वाली थीं, पर मैं भी वहां पहुंच गया और दरवाजे को जोर से धक्का दे कर छत पर पहुंच गया. उनकी छत पूरी खुली थी.

भाभी अब छत पर बने बाथरूम में घुसने लगीं. मैंने पहले सीढ़ियों वाला दरवाजा बंद किया और लपक के उनके बाथरूम वाला दरवाजा भी धक्का दे कर खोल कर अन्दर घुस गया. बाथरूम में जाते ही मैंने वो दरवाजा भी अन्दर से बंद कर दिया.

अब मैंने भाभी से बोला- बहुत हो गई भागा भागी … अब आप तैयार हो जाओ मुझसे रंगने और चुदने के लिए.

ये बोल कर मैंने अपनी कैपरी की जेब से रंग का पाउच निकाला और हाथ में रंग और पानी ले कर भाभी को जोर से पकड़ा. इस बार मेरी पकड़ बहुत जोरदार थी और पहले उनके चेहरे पर फिर गर्दन पर रंग मलने लगा. मैंने अपने पैरों से उनके दोनों पैर फैलाए और अपने लंड को उनकी चुत के आस पास जमा कर रगड़ने लगा.

भाभी बीच बीच में कहे जा रही थीं कि अमित ये कैसी होली खेल रहे हो … छोड़ दो मुझे … आह ऊऊ यार मत करो … कहीं तुम्हारे भैया ऊपर न आ जाएं … आआह.. मैं बोला- भैया टुन्न हो कर सो गए हैं और मैंने छत का दरवाजा भी बंद कर दिया है. आप ज्यादा नखरे मत करो. मैं आपको इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला. ये बोल कर मैं उनके बोबे दबाने लगा अब वो भी ‘उईईई … अह … अमित..’ करने लगीं.

कब हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए, पता ही नहीं चला. जोरदार चुम्बन ‘मूऊआह … ऊऊउ म्हुह..’ होने लगे. अब मैं भाभी का गाउन खोलने लगा, तो वो बोलीं- अमित कपड़े मत खोलो, जो करना हो ऊपर ऊपर से कर लो.

मैं अब अति उत्तेजित हो गया था, तो मैंने उनकी एक नहीं सुनी और गाउन उतार फेंका और उन्हें वहीं बाथरूम में लेटा कर उनके पूरे शरीर को मसलने लगा. मैं बोला- भैया ने तो पूरे शरीर पर रंग लगा दिया … कोई खाली जगह ही नहीं बची … तो अब तो मैं अपने लंड पर रंग लगा के आपकी चुत के अन्दर रंग लगाऊंगा. यह बोल कर मैं उनकी चुत को अपनी उंगली से मसलने लगा और मैंने अपना लंड उनके हाथ में दे दिया. वो भी कैपरी के ऊपर से ही लंड मसलने लगीं.

भाभी संग होली के रंग के साथ चुदाई का मजा भी मिलने का सोच कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया था.

तभी कुछ ऐसा हुआ, जिससे मुझे उनकी चूत का नशा एक ऐसे मुकाम पर ले गया. जहां मेरी सेक्स ने मेरी लाइफ में ही जबरदस्त रंग भर दिए.

दोस्तो, भाभी की चुदाई कहानी में बहुत मजा आने वाला है. मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिये, बस कल आपके साथ भाभी की चूत में लंड पेलने की सेक्स कहानी पूरी करता हूँ. आपके मेल का इन्तजार रहेगा. आपका अमित दुबे [email protected]

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