क्सक्सक्स स्टोरी: रिश्तों में चुदाई स्टोरी-10

कहानी के पिछले भाग में बहू ने अपने ससुर को अपनी चूत चुदाई से मना कर दिया तो वह सीधा अपनी बेटी कमरे में चला गया. वहां उसने देखा कि उसकी बेटी ज्योति अंदर बाथरूम में नहा रही थी. वह तौलिया लपेट कर बाहर आई तो महेश उसकी नंगे जिस्म को देख कर अपने लंड को हिलाने लगा. जब ज्योति नजर अपने पिता पर पड़ी तो उसने बदन को ढक लिया लेकिन महेश ने उसके पास आकर अपना लंड अपनी बेटी के हाथ में दे दिया और ज्योति उसके मोटे लंड को देख कर मुट्ठ मारने लगी और दोनों ही वहीं पर खड़े हुए झड़ गये.

अब आगे:

महेश अपनी बेटी को शरमाती हुई देख कर मुस्कराते हुए अपनी धोती को लेकर बाथरूम की तरफ चला गया और थोड़ी देर बाद वह अपने आप को साफ़ करने के बाद धोती पहने हुए ही बाहर निकल आया।

महेश बाहर आते ही सोफ़े की तरफ जाने लगा। अपने पिता को फिर से अपने पास आता हुआ देखकर ज्योति का दिल ज़ोर से धड़कने लगा।

“बेटी कैसा लगा तुम्हें?” महेश ने भी अपनी बेटी के साथ बैठते हुए कहा. “अच्छा लगा बापू जी!” ज्योति ने इस बार हिम्मत करते हुए कहा।

“बेटी तुम बेवजह शरमा रही हो अगर तुम मेरा साथ दो तो मेरा यह लंड तुम्हें जन्नत की सैर करवायेगा.” महेश ने अपनी बेटी के हाथ को अपनी धोती के ऊपर अपने लंड पर रखते हुए कहा। “नहीं पिता जी, आप जाइये मैं आपके साथ यह नहीं कर सकती.” ज्योति ने इस बार अपने हाथ को जल्दी से वहां से हटा दिया।

“बेटी जैसे तुम्हारी मर्ज़ी! मैंने तुमसे कहा न कि मैं तुम्हारी मर्ज़ी के बगैर कुछ नहीं करूँगा लेकिन अपने पिता पर एक अहसान कर दो। मैं एक बार तुम्हारे इन गुलाबी लबों को चूमना चाहता हूं.” महेश ने अपने दोनों हाथों से ज्योति का चेहरा ऊपर करके उसके होंठों की तरफ घूरते हुए कहा। “नहीं पिता जी, मैं यह न कर पाऊंगी. आप मेरे पिता हो.”

“क्यों बेटी … क्या मैं अपनी बेटी से यह उम्मीद भी नहीं रख सकता? जब तुम अपने भाई को इतने मजे दे सकती हो तो क्या तुम्हारे पिता का तुम पर कोई हक नहीं बनता?” महेश ने अपना मुँह बनाते हुए कहा। “पिता जी मुझे शर्म आती है. आप ही कर लो जो करना है और फिर चले जाओ.” ज्योति ने अपने पिता का दिल रखने के लिए कह दिया।

ज्योति को अपने पिता की साँसें बिल्कुल अपने लबों के नज़दीक महसूस होने लगी जिसकी वजह से एक्साइटमेंट में वह फिर से गर्म होने लगी। “बेटी, क्या मैं तुम्हारे गुलाबी लबों को चूम सकता हूं?” महेश ने अपनी बेटी से विनम्रता से पूछा। ज्योति भी गर्म हो चुकी थी इसलिए उसने पिता को पहली बार में ही हां कह दिया.

महेश ने अपनी बेटी की बात सुन कर अपने होंठों को उसके गुलाबी लबों पर रख दिया और बड़े प्यार से अपनी बेटी के दोनों लबों को एक एक करके चूसने लगा। ज्योति की हालत भी बहुत ख़राब हो चुकी थी इसीलिए वह भी अपने दोनों हाथों से अपने पिता के बालों को सहलाते हुए उसका साथ दे रही थी.

महेश जाने कितनी देर तक अपनी बेटी के होंठों से खेलता रहा और अपने एक हाथ को अपनी बेटी की साड़ी के ऊपर से उसकी चूची पर रख दिया।

ज्योति अपने पिता का हाथ अपनी चूची पर लगते ही सिहर उठी और एक झटके के साथ अपने पिता के होंठों से अपने होंठों को अलग कर दिया। ज्योति सीधी होते हुए अपने पिता से दूर होकर खड़ी हो गई और ज़ोर से साँसें लेते हुए अपनी साँसों को ठीक करने लगी।

“क्या हुआ बेटी?” महेश ने अचानक अपनी बेटी के ऐसा करने से हैरान होते हुए कहा। “कुछ नहीं पिता जी, आपने चूम लिया न … अब जाइये यहाँ से!” ज्योति ने अपने पिता को जवाब देते हुए कहा।

ज्योति अपने पिता की नियत को भांप चुकी थी और समझ गई थी कि जब उसके पिता ने अपनी बहू की चूत को नहीं बख्शा तो वह अपनी सगी बेटी की चूत को भी नहीं छोड़ेगा.

“ठीक है बेटी जैसे तुम्हारी मर्ज़ी. मैं जा रहा हूँ.” महेश समझ गया कि चिड़िया इतनी आसानी से फँसने वाली नहीं इसीलिए वह सोफ़े से उठकर बाहर चला गया।

महेश अपनी बेटी के कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाने लगा वह अपने कमरे में आते ही बेड पर लेट गया और अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा। वह सोच रहा था कि जब उसकी बेटी उसके इतना नज़दीक आ गयी है तो अब वह बचकर कहाँ जायेगी। यही सोचते सोचते कब वह नींद के आग़ोश में चला गया उसे पता ही नहीं चला, ऐसे ही दिन बीत गया और रात का खाना खाने के बाद सभी अपने कमरों में जाकर सोने की तैयारी करने लगे।

महेश अपने कमरे में करवटे लेते हुए आने वाले टाइम के बारे में सोच रहा था कि उसकी आँखों के सामने उसकी बहू का ख़ूबसूरत जिस्म घूम रहा था जिसे सोचते हुए उसका लंड ज़ोर के झटके मार रहा था।

इधर नीलम भी बेड पर लेटे हुए अपने पति के जाने का इंतज़ार कर रही थी क्योंकि जो मजा उसे अपने ससुर से मिला था शायद वह उसे ज़िंदगी भर न भुला पाएगी। “नीलम इधर आओ न … कब तक यूँ ही रूठी रहोगी?” समीर ने अचानक नीलम को अपनी बांहों में भरते हुए कहा।

“क्या है? मुझसे दूर हटो.” नीलम ने गुस्से से अपने पति को दूर रहने के लिए कहा. “क्या हुआ नीलम … क्या अब मैं इतना गिर गया कि तुम मुझे अपने क़रीब भी आने नहीं देती?” समीर ने गुस्से और गम से अपनी पत्नी को देखते हुए कहा। “हाँ तुम मुझे नहीं छू सकते क्योंकि मुझे भी तुम्हारी तरह किसी और से ज्यादा लगाव हो गया है.” नीलम ने गुस्से में सीधे अपने पति को बताते हुए कहा।

“नीलम तुम्हें क्या हो गया है? पहले तो तुम ऐसी नहीं थी. वह तुम्हारे पिता के समान हैं कुछ तो शर्म करो.” समीर ने लगभग रोते हुए कहा। “हाँ शायद तुम सही हो मगर मुझे ऐसी राह पर धकेलने में भी तुम्हारा हाथ है और शायद तुम ने अच्छा ही किया क्योंकि उसके बाद ही मुझे ज़िंदगी के अनमोल मज़े का अहसास हुआ जो मुझे तुमने नहीं किसी और ने दिलाया.” नीलम ने अपने पति को दो टूक जवाब दे दिया.

“नीलम अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ?” समीर ने गुस्से से बेड पर मुक्का मारते हुए कहा। “अरे इतना गुस्सा मत हो और अब जाओ यहाँ से, तुम्हारी बहन चुदाई के लिए तुम्हारा इंतज़ार कर रही होगी.” नीलम ने मुस्कराते हुए कहा।

“बहुत चिंता हो रही है तुम्हें मेरी बहन की? सब समझता हूँ मैं. तुम्हें उसकी नहीं अपनी पड़ी है क्योंकि तुम मेरे जाने के बाद ही पिता जी के साथ रंगरेलियां मनाओगी.” समीर ने अपनी पत्नी की बात सुनते ही गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा। वह जानता था कि उसकी पत्नी बस उसके जाने का इंतजार कर रही है.

“हाँ यार, तो इसमें गुस्से की क्या बात है तुम भी तो वही करने जाते हो अपनी बहन के पास!” नीलम ने फिर से एक क़ातिल हँसी के साथ अपने पति को जवाब देते हुए कहा। “ठीक है भाड़ में जाओ, मैं जाता हूँ.” समीर ने गुस्से से कहा और अपने कमरे से निकलकर अपनी बहन के कमरे में आ गया।

नीलम ने भी अपने पति के जाते ही सुख का साँस लिया और वह लेटे हुए ही अपने ससुर का इंतज़ार करने लगी।

समीर अपनी बहन के कमरे में जाते ही सीधा होकर बेड पर लेट गया. वह बहुत ज्यादा गुस्से में था। “क्या हुआ भैया?” ज्योति ने अपने भाई को आज ऐसे आते ही बेड पर लेटते देखकर हैरान होते हुए उसके क़रीब बैठकर कहा। “बहन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। नीलम हर रोज़ ज्यादा ही बदलती जा रही है. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता!” समीर ने अपनी बहन को देखते हुए कहा. उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे।

“भैया धीरज रखो तुम कर भी क्या सकते हो? जितना ज्यादा सोचोगे उतना ही तुम परेशान होगे.” ज्योति ने अपने कोमल हाथ से अपने भाई के आंसू को पौंछते हुए कहा। “बहन, तुम नहीं होती तो शायद में खुदकुशी कर लेता.” समीर ने अपनी बहन को निहारते हुए कहा। “बस अब आगे कुछ भी बोले तो मेरे मरा मुंह देखोगे. तुम चुपचाप लेटे रहो। मैं अभी आपके सारे गम ख़त्म करती हूं.” ज्योति ने अपना एक हाथ अपने भाई के मुँह पर रखते हुए कहा। समीर अपनी बहन की बात सुनकर चुप होकर लेटा रहा।

ज्योति ने अपने भाई की बांहों को पकड़कर ऊपर कर दिया और खुद अपनी नाइटी को उतार कर बेड पर फेंक दिया। ज्योति अब सिर्फ एक ब्रा और पेंटी में थी वह अपनी दोनों टांगों को फ़ैलाकर अपने भाई के लंड पर उसकी पैंट के ऊपर ही बैठ गयी और नीचे झुकते हुए धीरे धीरे अपने भाई की शर्ट के बटन खोलने लगी।

समीर का लंड अपनी बहन के ऐसा करने से हरकत में आने लगा. वह बड़े गौर से अपनी बहन की चूचियों को घूरने लगा जो उसके झुके होने के कारण तकरीबन पूरी नंगी ही समीर की आँखों के सामने आ गयी थी।

ज्योति ने अपने भाई की शर्ट के बटन खोलने के बाद उसकी शर्ट को उसके आगे से खोल कर साइड में किया और खुद नीचे झुक कर अपने भाई के बालों से भरे सीने को अपने होंठों से चूमने लगी। ज्योति अपने भाई के सीने को पूरी तरह से चूमने के बाद अपनी जीभ निकालकर अपने भाई के सीने पर फिराने लगी। “आह्ह्ह्ह बहन …” समीर भी अपनी बहन की हरक़तों से बहुत ज्यादा गर्म हो गया था इसीलिए उसने सिसकते हुए कहा और अपने दोनों हाथों को अपनी बहन के बालों में डाल दिया।

ज्योति ने अपने दोनों हाथों से समीर के दोनों हाथों को पकड़ कर फिर से ऊपर कर दिया और खुद नीचे होकर अपनी जीभ को समीर की निप्पलों के दाने पर फिराने लगी। “आह्ह्ह्ह …” समीर के मुंह से एक और सिसकारी निकली मगर इस बार उसने अपने हाथ को वहीं पर पड़ने दिया।

ज्योति कुछ देर तक अपने भाई के दाने को अपनी जीभ से चाटने के बाद अपना मुंह खोलकर उसके पूरे निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और ज़ोर से चूसने लगी। “ओहह आहहह बहना …” समीर को आज तक इतना मजा नहीं आया था जो आज उसकी बहन की हरक़तों से मिल रहा था जिस वजह से वह जोर ज़ोर से सिसकारियां ले रहा था।

ज्योति ने अचानक अपने भाई के निप्पल को अपने दांतों से हल्का काट दिया और बार बार उसे चूसते हुए हल्का काटने लगी। “उईईई आह्ह्ह्हह बस करो ज्योति!” समीर का मज़े के मारे बुरा हाल था. उसका पूरा जिस्म मज़े से झटके खा रहा था और वह अपने हाथ को सीधा करने की कोशिश कर रहा था मगर ज्योति ने जल्दी से अपने मुँह को वहां से हटाते हुए अपने भाई के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया।

ज्योति अपने भाई के हाथों को पकड़ कर खुद नीचे हो गई और अपने होंठों को अपने भाई के होंठों के बिल्कुल क़रीब कर लिया। समीर को अपनी बहन की साँसें महसूस होने लगी. उसने जैसे ही अपनी बहन के गुलाबी होंठों को चूमने के लिए अपने होंठों को थोड़ा ऊपर किया तो ज्योति ने अपने होंठों को ज्यादा ऊपर कर दिया और समीर अपनी बहन को देखता ही रह गया।

ज्योति ने फिर से अपने मुँह को नीचे किया और इस बार अपने भाई के होंठों पर अपने होंठों को ज़ोर से दबा दिया।

समीर ने जैसे ही अपनी बहन के गुलाबी होंठों को अपने होंठों पर महसूस किया वह अपना पूरा मुँह खोलकर ज़ोर से ज्योति के होंठों को चूसने लगा। ज्योति भी अपने भाई का पूरा साथ देते हुए उसके साथ चूमा-चाटी करने लगी और अचानक अपनी जीभ को भी अपने भाई के मुंह में डाल कर चूसने लगी।

समीर अपनी बहन की जीभ अपने मुंह में घुसते ही बड़े प्यार से उसे अपने होंठों और जीभ से चाटने लगा. ज्योति कुछ देर तक ऐसे ही अपने भाई से अपने होंठों को चुसवाने के बाद अचानक सीधी हो गई और बुरी तरह हाँफने लगी।

अपनी बहन के सीधे होते ही उसके हाथ समीर के हाथों से अलग हो गये और समीर ने उसी पल का फ़ायदा उठाते हुए अपने हाथों से अपनी बहन की ब्रा को उसकी चूचियों से नीचे सरका दिया। समीर अपनी बहन की ब्रा के हटाने के बाद अपने हाथों से उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगा, ज्योति ने अपने आप को संभालते हुए अपने भाई के दोनों हाथों को पकड़कर फिर से ऊपर कर दिया और खुद नीचे झुक कर अपनी दोनों चूचियों को अपने भाई के होंठों पर रगड़ने लगी. समीर जैसे ही अपना मुँह खोलकर अपनी बहन की चूची को अपने मुंह में भरने की कोशिश करता वह अपनी चूचियों को ऊपर कर लेती।

समीर अगर चाहता तो अपने हाथों को अपनी बहन से छुड़ाकर अभी उसकी चूची को अपने मुँह में भर लेता मगर उसे भी यह खेल मजा दे रहा था।

ज्योति ने कुछ देर तक यूं ही अपने भाई को परेशान करने के बाद अपनी चूचियों को अपने भाई के मुँह पर रख दिया, समीर ने जैसे ही मुंह खोला वह यह देखकर हैरान रह गया कि उसकी बहन ने इस बार अपनी चूचियों को ऊपर नहीं किया। समीर ने जल्दी से अपनी बहन की एक चूची को अपने मुँह में लिया और बड़े ज़ोर से उसे चूसने लगा।

“आआह्ह्ह भैया आराम से!” ज्योति ने सिसकते हुए कहा क्योंकि उत्तेजना में समीर अपनी बहन की चूची को बहुत ज़ोर से चूस चाट रहा था।

समीर अब बारी बारी अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था.

ज्योति कुछ देर तक अपने भाई से अपनी चूचियों को चुसवाने के बाद सीधे हो गई और वह नीचे होने लगी समीर हैरानी से अपनी बहन को देखने लगा। ज्योति अपने भाई की टांगों के बीच आ गयी और अपने हाथों से समीर की पैंट को खोलने लगी, ज्योति ने अपने भाई की पैंट को खोलने के बाद उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया।

पैंट के उतरते ही समीर का लंड उसके अंडरवियर में तम्बू की तरह खड़ा हो गया। ज्योति ने अपने भाई के लंड को देखते हुए अपना मुँह उसकी तरफ झुकाने लगी और अंडरवियर के ऊपर से ही अपने भाई के खड़े लंड को अपने होंठों से चूम लिया।

ज्योति ने अपने भाई के लंड को चूमने के बाद उसके अंडरवियर को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया। समीर का लंड अब बिल्कुल नंगा ज्योति की आँखों के सामने लहरा रहा था, ज्योति ने अपना एक हाथ बढ़ाकर अपने भाई के झटके खाते हुए लंड को पकड़ा और उसके गुलाबी सुपाडे को अपने होंठों से चूमने लगी।

ज्योति कुछ देर तक अपने भाई के लंड को चूमने के बाद अपनी जीभ निकाल कर पूरे लंड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी। “आह्ह्ह्ह बहन …” समीर की हालत बिगड़ती जा रही थी. ज्योति ने अपने भाई के लंड को चाटते हुए देखा कि उसके सुपाडे के छेद से प्रीकम की कुछ बूँदें निकल रही हैं। उसने जल्दी से अपनी जीभ को अपने भाई के लंड के छेद पर रखा और उसके प्रीकम को अपनी जीभ से चाटने लगी, ज्योति अपने भाई के प्रीकम को चाटने के बाद अपनी जीभ से उसके सुपाड़े के छेद को ही चाटने लगी।

“ओह बहन!” समीर ने ज़ोर से सिसकारी लेते हुए कहा. अपनी बहन की इस हरकत से उसका पूरा जिस्म कांपने लगा था।

ज्योति अब अपनी जीभ को नीचे ले जाने लगी और वह अपनी जीभ से अपने भाई की दोनों गोटियों को चाटने लगी, समीर का मज़े के मारे बुरा हाल था. पहले कभी भी ज्योति ने ऐसा कुछ नहीं किया था। ज्योति ने अचानक अपनी जीभ को अपने भाई की गोटियों से नीचे करते हुए उसकी गांड को चाट लिया, “आह्हह बहन ओह्हह्ह …” समीर का पूरा बदन ज्योति की इस हरकत से सिहर उठा और उसने अपनी बहन को बालों से पकड़ते हुए अपने ऊपर लिटा दिया।

समीर ने अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए उसकी पेंटी को नीचे सरका दिया और उसे कमर से पकड़ते हुए अपने लंड के ऊपर बिठा दिया। अपने भाई से छेड़-छाड़ करते हुए ज्योति की चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि उसके लंड पर अपनी चूत के रखते ही समीर का लंड आराम से उसकी चूत में घुसता चला गया।

“आह्ह्ह्ह भैया!” अपनी चूत में अपने भाई का लंड घुसते ही ज्योति के मुंह से एक सिसकारी निकली और वह अपने चूतड़ों को उछाल उछालकर अपने भाई का लंड अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी।

समीर भी नीचे से अपने चूतड़ों को उछालते हुए अपनी बहन को पेलने लगा और साथ में उसके होंठों का रस भी पीने लगा। कुछ देर की चुदाई के बाद ही ज्योति का बदन अकड़ने लगा क्योंकि वह पहले से ही बहुत ज्यादा गर्म थी। वह अपने भाई के होंठों को छोड़ते हुए सीधी हो गई और पूरी तेज़ी के साथ अपने भाई के लंड पर कूदने लगी, समीर ने भी अपनी बहन की चूचियों को, जो उसके ऊपर नीचे होने से तेज़ी के साथ हिल रही थीं. पकड. लिया और अपने हाथों से उन्हें मसलने लगा।

“उम्म्ह… अहह… हय… याह… भैया मैं आई…” कुछ देर के बाद ही ज्योति का पूरा बदन अकड़कर झटके खाने लगा और वह ज़ोर से सिसकारते हुए झड़ने लगी।

ज्योति ने झड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और बहुत ज़ोर से अपने भैया के लंड पर उछलने लगी, इधर समीर भी इतनी देर की छेड़खानी से बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था इसीलिए अपनी बहन के झड़ते ही उसकी चूत के सिकुड़ने की वजह से वह भी सिसकारते हुए अपनी बहन की चूत में अपना वीर्य गिराने लगा।

ज्योति तब तक अपने भाई के लंड पर उछलती रही जब तक उसके लंड से वीर्य की आखिरी बूँद निकल कर उसकी चूत में न गिर गई और उसके बाद वह अपने भाई के ऊपर ही निढाल होकर लेट गई। “भाइ अब कैसा महसूस हो रहा है?” ज्योति कुछ देर तक ज़ोर से हाँफते रहने के बाद अपनी साँसों को ठीक करते हुए अपने भाई से बोली। “ओहहहह बहना … अगर तुम नहीं होती तो मैं तो मर …” समीर ने इतना ही कहा था कि ज्योति ने अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और अपने भाई के साथ खोती चली गई।

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. इस कहानी पर आप अपने विचार दे सकते हैं। [email protected]