क्रोस ड्रेसर से रंडी बनने का सफर-2

मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग क्रोस ड्रेसर से रंडी बनने का सफर-1 में आपने पढ़ा कि मेरा महँगा मोबाइल खो जाने के कारण मुझे गैर मर्दों से सेक्स के लिए हाँ करनी पड़ी.

अब आगे:

थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर ये मेरे बूब्स दबाते हुए बोले- आज तुम रंडी बनने वाली हो। मैं कुछ न बोली.

फिर ये बोले- चलो बाजार चलना है। अब हम दोनों रेडी होकर बाजार के लिए निकल लिए।

जब हम दोनों बाजार पहुँच गए तब मैंने इनसे कहा- तुम्हारा सीनियर मुझे किस ड्रेस में मेरी गांड मारेगा? ये बोले- वो तुम्हारे साथ रंडी जैसा सलूक करेगा, वो तुम्हारी गांड साड़ी में मारेगा।

फिर हम एक साड़ी वाली दुकान पर गए, मैंने वहां से एक लाल रंग की साड़ी गोल्डन बॉर्डर के साथ पसन्द की. फिर हमने एक रेडीमेड पेटीकोट और रेडीमेड ब्लाउज लिया। वहाँ से हम हाई हील सैंडल खरीदने गए।

रास्ते में ये मुझे एक जान पहचान वाले लेडीज टेलर के पास ले गए और वहां हमने पेटीकोट और ब्लाउज की फीटिंग करवाई। इन्होंने मेरा ब्लाउज कुछ ज्यादा ही टाइट करवाया जिससे कि मेरे बूब्स थोड़े से बाहर निकले रहें और मैं सेक्सी दिखूं।

अब 6 बज चुके थे और 7 बजे मुझे होटल के कमरे में पहुँचना था।

फिर ये मुझे एक होटल में ले गए. वहाँ इन्होंने मुझे कमरे में जाने को कहा। मैं अपने सामान के साथ कमरे में पहुंच गई।

मैंने वहाँ जाकर दरवाजे पर खटखटाया तो अंदर से एक आदमी ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुला लिया। अंदर जाते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई, वहाँ एक नहीं तीन आदमी थे। मैं मना भी नहीं कर सकती थी क्योंकि मुझे रुपए की जरूरत थी।

वहाँ इन तीनों के अलावा एक लेडी भी थी, वो मुझे समझ नहीं आया कि क्यों थी।

थोड़ी देर बाद उनमें से एक आदमी ने उस लेडी से कहा- इसको तैयार करके लाओ। वो शायद पार्लर वाली थी, वो मुझे बाथरूम के अंदर ले गयी और दरवाजा बंद कर लिया।

मैंने उस लेडी से उन तीनों के नाम पूछे. वो बोली- इनमें से जो गोर रंग का आदमी है वो महेश है, जो कद में थोड़ा छोटा है, वो राहुल है और जिसके बाल सफेद हैं वो करनजीत है।

अब उसने मुझे नंगा होने को बोला तो मैं थोड़ी सी झिझकी। वो बोली- जल्दी करो। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गयी।

बाल तो मैं पहले ही साफ कर चुकी थी तो उसने मुझे सिलिकॉन बूब्स पहनाये, उसके बाद ब्रा पैंटी। फिर उसने मुझे ब्लाउज पहनाया, मेरा ब्लाउज पीछे से पूरा खुला हुआ था। पीछे उसमें सिर्फ एक डोर थी, उसने डोर को बांध दिया। ब्लाउज टाइट होने की वजह से मेरे बूब्स आधे बाहर निकले हुए थे। उसने मुझे पेटीकोट पहनाया, उसके बाद साड़ी पहनाई.

उसने मेरा मेकअप शुरू किया, उसे करीब एक घण्टा लगा होगा मेरा मेकअप करने में। मेकअप हो जाने के बाद मैंने अपने आप को आईने में देखा तो मैं पूरी रंडी नजर आ रही थी।

उसके बाद पार्लर वाली मुझे बाहर लेकर आयी और बेड पर बिठाया।

करनजीत ने उसको रुपए दिए, वो रुपए लेकर चली गयी।

अब मैं उन तीनों के बीच अकेली थी और डर की वजह से मेरा हाल खराब था।

तभी तीनों मेरे पास आये और बोले- तुम कमाल की हो, तुमको देखकर कोई नहीं कह सकता कि तुम लड़का हो। हमको तुम्हारी जैसी ही लड़कियों में मजा आता है।

फिर राहुल ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मेरे होंठों का रसपान करने लगा। तब तक करनजीत ने ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे दूध दबाने शुरू कर दिए। थोड़ी देर चूमने के राहुल ने मुझे उन तीनों के कपड़े उतारने को कहा। राहुल मेरे सबसे नजदीक था तो मैंने उसकी शर्ट और पैंट उतार दी, उसके अंडरवियर से ऊपर से पता लग रहा था कि उसका लन्ड लगभग आठ इंच का तो होगा ही।

अब मैंने करनजीत और महेश के भी कपड़े उतार दिए। उनके लन्ड भी कम से कम सात इंच के तो होंगे ही।

करनजीत और महेश बोले- हमारे अंडरवियर उतार और लंड को चूस।

मैंने करनजीत का लन्ड मुँह में लिया और चूसने लगी। इतने में राहुल और महेश भी मेरे पास आ गए और अपने लन्ड को मेरे हाथों में पकड़वा कर मुठ मरवाने लगे। अचानक करनजीत ने अपना लन्ड मेरे मुँह में अंदर तक डाल दिया, मुझे साँस लेने में तकलीफ होने लगी। मैंने उसको आराम से करने का इशारा किया तो वो आराम से मेरे मुँह को चोदने लगा।

तब तक राहुल और महेश बोले- रंडी हमारा लन्ड भी चूस! अब मैं बारी बारी से सबके लन्ड चूस रही थी। मैं वास्तव में रंडी बन चुकी थी।

करीब दस मिनट की लन्ड चुसाई के बाद वो तीनों मेरे कपड़े उतारने लगे।

ये तो अच्छा हुआ कि ये मेरे साथ बेरहमी से पेश नहीं आ रहे थे। मैं अब इन लोगों के बीच नंगी लेटी हुई थी। इन्होंने सिलिकॉन बूब्स को भी उतार दिया।

मेरे बूब्स देखकर राहुल बोला- तेरे पास तो असली दूधू हैं तो ये तू नकली दूधू क्यों लगाती है? जीरा चबाने की वजह से मेरे बूब्स एक छोटे संतरे के आकार के हो गए थे और मेरे चूतड़ भी मालिश करने की वजह से लड़कियों की तरह हो गए।

अब राहुल मेरे एक बूब्स को दबा रहा था और एक बूब्स को पी रहा था। करनजीत मेरे होंठों को चूम रहा था और महेश चूतड़ों पर चूम रहा था और उन पर चांटें मार रहा था, साथ ही मेरे लन्ड को सहला रहा था।

मेरी सिसकारियां अब बाहर आने लगीं और मेरी आह आह की आवाजें हर चांटे पर निकल रहीं थी।

महेश ने अचानक मेरी गांड में अपनी जीभ डाल दी और अपनी जीभ अंदर बाहर करने लगा। इस अचानक के हमले ने मेरा पानी निकलवा दिया।

अब महेश बूब्स चूसने लगा; करनजीत मेरी गांड में उंगली कर रहा था और राहुल मेरे होंठों को चूमने लगा। मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रही थी।

थोड़ी देर में करनजीत ने मेरी गांड में तेल लगाया और कंडोम पहनकर मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख और गांड में अपना लन्ड डाल दिया था। करनजीत बहुत तेजी से अपने लन्ड को अंदर बाहर कर रहा था जिससे मेरी आह आह की आवाजें तेज हो गयीं।

मेरी आवाज न निकले इसलिए राहुल ने अपना लन्ड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरे मुँह को गांड समझ कर अपना लन्ड पेलने लगा। महेश अभी भी मेरे बूब्स पी रहा था। मैं इसे सजा समझ रही थी लेकिन इसमें तो इतना मजा आ रहा था कि मैं बयान नहीं कर सकती। अब ये सब बिना कंडोम के ही मेरी गांड को पेले जा रहे थे।

मेरा डर अब जा चुका था और अब मैं खुल के रंडियों की तरह अपनी गांड मरवा रही थी। जब भी राहुल अपना लन्ड मेरे मुँह से बाहर निकालता, मेरी आह उह आह उह की आवाजें बाहर आने लगती। साथ ही साथ मैं उनको ये बोल बोल के उकसा रही थी- तुम भड़वों में दम नहीं है क्या?

ये सब भी मुझे रंडी, रखेल बोल बोल के उकसा रहे थे, मैं भी कामवासना की आग में इनको बोल रही थी- हाँ, मेरी तुम तीनों की रंडी हूँ, रखैरल हूँ। मेरी गांड की प्यास बुझा दो।

दस मिनट तक करनजीत मेरी गांड मारता रहा। फिर करनजीत हट गया और महेश ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा तो मैं उसके लन्ड के ऊपर बैठ कर अपनी गांड को ऊपर नीचे करने लगी। अब करनजीत मेरे बूब्स पी रहा था।

करीब दस मिनट तक मैं महेश के लन्ड से अपनी गांड मरवाती रही। फिर महेश और राहुल ने अपनी जगह बदल ली। अब राहुल का आठ इंच का लन्ड मेरी गांड की सैर कर रहा था। आज मुझे असलियत में लड़की बनने का सुख मिल रहा था, मन कर रहा था तीनों से शादी कर लूँ और रात दिन इनके लन्ड अपनी गांड में लेती रहूँ।

अब तक मैं दो बार झड़ चुका था लेकिन इनमें से कोई झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। तीनों के तीनों शायद गोली खाकर आये थे। इन तीनों मेरी गांड को पूरी तरह से खोल दिया था।

थोड़ी देर में करनजीत सोफे पर जा कर बैठ गया और मुझे अपने लन्ड पर बैठाया। मैं करनजीत के लन्ड पर बैठी ही थी कि महेश भी अपना लन्ड मेरी गांड में डालने लगा। मैं दर्द से चीखने लगी तभी राहुल ने अपना लन्ड मेरे मुँह में डाल दिया और अब सिर्फ मेरी घुटी घुटी सी चीखें बाहर आ रहीं थी।

तभी महेश ने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया शायद उनकी खाल छील गयी थी। अब उसने तेल की बोतल ली और करनजीत के लन्ड पर तेल डालने लगा और अपने लन्ड पर भी खूब सारा तेल लगा लिया।

अब महेश दोबारा से अपना लन्ड मेरी गांड में डालने लगा, इस बार उसने अपना लन्ड मेरी गांड में डाल ही दिया। अब करनजीत और महेश दोनों के लन्ड मेरी गांड फाड़ रहे थे।

करीब दस मिनट तक मुझे दर्द के साथ मजा मिलता रहा, जब दस मिनट बाद दोनों के लन्ड मेरी गांड में फिट हो गए तो मुझे सिर्फ मजा ही आ रहा था। मेरी सिसकारियों से कमरा गूँज रहा रहा था। कमरे में सिर्फ आह आह जोर से चोदो की आवाजें ही सुनाई दे रहीं थीं।

करनजीत थक गया था तो अब उसकी जगह राहुल ने ले ली। दोनों के लन्ड मुझे असीम सुख की अनुभूति करवा रहे थे। मैं आसमान में उड़ रही थी।

अब करनजीत ने अपना लन्ड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरे मुँह को पेलने लगा।

ये सब करीब एक घंटे तक मुझे जगह जगह बदल कर मेरी गांड मारते रहे। अब थकान मुझ पर हावी हो रही थी। जब ये सब झड़ने को आये तो सबने अपने लन्ड का पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया, मैं इनके लन्ड के पानी को पी गयी और इनके लन्ड को चाट कर साफ किया।

रात के साढ़े नौ बज चुके थे। फिर महेश ने डिनर आर्डर किया और हम सबने नंगे ही अपना डिनर किया।

अगले राउंड में इन सब ने अपना पानी मेरी गांड में छोड़ कर मेरी गांड को अपने वीर्य से भर दिया, थोड़ा थोड़ा वीर्य बाहर आ रहा था तो मैंने अपनी गांड में उंगली डाल कर चाटने लगी। रात को ग्यारह बजे मैं फ्री हो गयी।   फिर मैंने बाथरूम जाकर अपनी गांड को साफ किया और नंगी ही इन तीनों बीच सो गई।

सुबह जाने से पहले इन तीनों ने मुझे 50-50 हजार रुपये दिए और बोले- तुमने हमें खुश कर दिया, इसलिए दिए हैं। मैंने कहा- रवि की नौकरी तो बच जाएगी? तो ये बोले- हाँ।

मैं होटल में ही नहाया और अपना मेकअप हटाया। उसके बाद मैंने अपने लड़कों वाले कपड़े पहने और अपना सामान पैक किया।

तब तक रवि मुझे लेने आ गया और उसने मुझे चारबाग स्टेशन छोड़ दिया। रास्ते में उसने मुझे रुपए दे दिए और साथ ही मुझे मेरे गुम हुए मोबाइल के जैसा मोबाइल दिलाया। मैंने कहा- ये क्यों? तो रवि बोला- मेरी तरफ से गिफ्ट है।

मैंने अपनी ट्रेन पकड़ी और घर आ गयी।

रास्ते में मैंने डिसाइड किया कि मैं क्रोसड्रेसिंग छोड़ दूँगी और मैंने रास्ते में ही लेडीज कपड़ों वाला बैग फेंक दिया।

दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके बताइये। मेरी मेल आईडी है [email protected]