मिल-बाँट कर..-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

हाय ! हम झंडाराम और ठंडाराम दोनों सगे भाई हैं। हम दोनों एक साथ मिलकर हर काम किया करते हैं फिर वह काम भले ही चोरी-डकैती का हो या अपनी-अपनी महबूबाओं के साथ रंगरेलियां मनाने का हो। बचपन से ही हमारी शक्लें भी बिलकुल एक जैसी हैं। कई बार तो हमारी पत्नियाँ तक हम दोनों में अंतर नहीं कर पातीं अत: हम दोनों अपनी पत्नियों के साथ मिलकर सेक्स का गेम खेला करते हैं।

जब हमने अपनी सुहागरातें मनाई तो भी दोनों ने एक साथ मिलकर मनाई। जब मेरी (अर्थात झंडाराम की) शादी हुई और मैं अपनी पत्नी के सुहागरात वाले पलंग पर पंहुचा तो ठंडाराम पहले से ही वहाँ मौजूद था। मुझे कुछ पल को एक हल्का सा धक्का भी लगा कि देखो पत्नी मेरी और मजे ले रहा है ठंडाराम। परन्तु फिर मैंने यह सोच कर सब्र कर लिया कि एक दिन जब उसकी शादी होगी तो मैं कौन सा पीछे रह जाऊँगा उसकी पत्नी के साथ मजे लूटने से। मेरी पत्नी सिकुड़ी, डरी-डरी सी घूँघट में मुह छिपाए बैठी थी और ठन्डे उसके पास बैठा उसका घूंघट उठा रहा था। उसने मन-ही मन गुनगुनाना शुरू कर दिया, ” सुहागरात है, घूंघट उठा रहा हूँ मैं…….”

मुझे लगा कि आज की रात तो इसने ही मेरी बीवी को अपने जाल में फाँस लिया। चलो दो घंटों के बाद ही सही आखिर मजे तो में भी मार ही लूँगा। यह सोच कर मैं चुपचाप अपनी पत्नी की सुहागरात का जायजा लेने लगा। अब आगे क्या हुआ यह मैं बाद में बताऊंगा। इस समय तो ठन्डे को अपनी पत्नी पर हाथ साफ़ कर ही लेने दिया जाए। यही सब सोच-विचार कर मैं अलमारी की आड़ मैं छुप कर खड़ा हो गया। यहाँ तक ठन्डे तक को भी इसका आभास नहीं हो पाया। और वह निर्विघ्न धीरे आगे बढ़ता रहा। वह बेचारी पीछे, पीछे और पीछे हटती रही और फिर आगे बढ़कर ठन्डे ने उसे दबोच ही लिया……

ठन्डे ने उसका घूंघट हटाकर उसका चेहरा देखा तो देखता ही रह गया। अचानक उसके मुँह से निकल ही गया,” भाभी, मेरी जान ! तुम तो बहुत ही जोरदार चीज निकलीं। हमारे तो भाग ही खुल गए।” भाभी का संबोधन सुनकर दुल्हन का माथा ठनका, पूछा उसने, “भाभी ? कौन भाभी? तुम मेरे पति होकर मुझे भाभी क्यों कह रहे हो?”

ठन्डे को अपनी गलती का एहसास तुरन्त हो गया। उसने बात घुमाई,”अरे मैं तो यूं ही मज़ाक कर रहा था। देखना चाहता था कि तुम पर इन शब्दों का क्या असर होगा। चलो छोड़ो, बात आगे बढ़ाते हैं।” और फिर ठन्डे ने कस कर मेरी पत्नी को अपनी बांहों में भर लिया और उसके ओठों पर अपने ओंठ सटा दिए।

पत्नी का यह पहला मौका था। अत: वह बुरी तरह से लजा गई।

ठन्डे ने पूछा,”क्यों क्या अच्छा नहीं लग रहा? लो, हमने छोड़ दिया तुमको। अगर तुम्हें यह मिलन की रात पसंद नहीं तो नहीं करेंगे हम कुछ भी तुम्हारे साथ…..”

पत्नी बोली,” हमने ऐसा कब कहा कि हमें यह सब पसंद नहीं। हम तो बस अँधेरा चाहते थे..। आप तो यूं ही नाराज होने लगे !”

ठंडा बोला,”इसका मतलब है कि तुम्हें हमारा ऐसा करना अच्छा लगा?”

दुल्हन ने स्वीकृति से सिर हिला दिया। लेकिन ठंडा बोला,”अगर हमने लाईट बुझा दी तो हमें तुम्हारी गदराई जवानी का लुत्फ़ कैसे देखने को मिलेगा? मेरी जान आज की रात भी भला कोई पत्नी अपने पति से शरमाती है? यह तो होती ही सुहाग की रात है, इसमें तो पत्नी सारी-सारी रात पति के सामने निर्वस्त्र होकर पड़ी रहती है, अब यह पति की इच्छा है कि वह उसका जैसे चाहे इस्तेमाल करे।” दुल्हन चौंक उठी, बोली,”जैसे चाहे इस्तेमाल करे, इसका मतलब क्या है? हम कोई चीज लग रहे हैं तुमको?”

ठंडा घबरा उठा, बोला,”चीज नहीं न, तुम तो हमारी सबकुछ लग रही हो रानी। मेरी जान, बस अब तो हम से लिपटा-चिपटी कर लो।”

ऐसा कहने के साथ ही ठंडा उसे दबोच उसके ऊपर छाने लगा।

“पहले लैट बंद कर दो, हाँ, वरना हम कतई ना सो पाएंगे तुम्हारे साथ….”

“देखो रानी, तुम्हें हमारी कसम, आज हमें अपने चिकने गोरे-गोरे बदन का जायजा लेने दो न, आज हम लोग रौशनी में ही सब काम करेंगे और देखेंगे भी तुम्हारे नंगे, गोरे बदन को। अगर तुम्हें पसंद नहीं है तो हम जाते हैं..समझ लेंगे हमारी शादी ही नहीं हुई है।” ऐसा कह कर ठंडा पलंग से उठ खड़ा हुआ।

तभी दुल्हन ने लपक कर उसका हाथ पकड़ लिया, बोली, अच्छा चलो, पहले एक वादा करो कि तुम हमें ज्यादा परेशान तो नहीं करोगे…जब हम कहेंगे हमें छोड़ दो तो छोड़ दोगे न?”

“हाँ, चलो मान ली बात।” ऐसा कहकर ठन्डे ने कहा,”अब तुम सबसे पहले अपना ब्लाउज उतारो और उसके बाद अपनी ब्रा भी। आज हम तुम्हारे सीने का नाप लेंगे।”

दुल्हन खिलखिलाई, बोली,”दर्जी हो क्या, जो हमारे सीने का नाप लोगे?”

“ठीक है, मत उतारो, हम तो चले, देखो कभी झांकेंगे भी नहीं तुम्हारे पास। अच्छी तरह से सोच लेना।”

दुल्हन शरमाते हुए बोली,”हम नहीं उतारेंगे अपनी चोली और ब्लाउज, ये काम तुम नहीं कर सकते? हम अपनी आँखें बंद कर लेते हैं।”

ठंडा पलंग से उठा ही था कि फिर बैठ गया, बोला,” चलो, हम ही तुमको नंगा किये देते हैं।”

ऐसा कहकर उसने दुल्हन के ब्लाउज के हुक खोलने का प्रयास किया।

दुल्हन बोली,” ना जी ना ! हम नंगे नहीं होंगे तुम्हारे सामने।”

“फिर किसके सामने नंगी होगी? अपने बाप के सामने ? जाओ नहीं देखना तुम्हारा नंगा बदन। सोती रहो अकेली ही रात भर…मैं तो चला !”

दुल्हन ने उसको इस बार फिर से रोक लिया, बोली,”चलो हम हार गए। लो पड़ जाते हैं तुम्हारे सामने, अब जो जी में आये करते रहो…”

दुल्हन सचमुच ठन्डे के आगे अपने दोनों पैरों को फैलाकर चित्त लेट गई। ठन्डे ने दुल्हन का ब्लाउज उतार फैंका और फिर उसकी ब्रा भी। अब उसकी गोरी-गोरी छातियाँ बिलकुल नंगी हो गई थी। ठन्डे ने उन्हें धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया। कभी उनकी घुन्डियाँ मुँह में डाल कर चूसता तो कभी उन्हें अपनी हथेलियों में भर कर दबाता। बेचारी दुल्हन अपनी दोनों आँखों पर हथेलियाँ टिकाये खामोश पड़ी थी। मुँह से दबी-दबी सी सिसकियाँ निकल रहीं थीं।

अब ठन्डे के हाथ और भी आगे बढ़ चले। नाभि से नीचे हाथ फिसलाकर उसने दुल्हन के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। दुल्हन उसी भांति निचेष्ट पड़ी रही। उसने अपनी दोनों हथेलियाँ अपनी आँखों पर और जोरों से कस लीं। ठन्डे ने उसकी साड़ी और पेटीकोट दोनों ही उसके शरीर से अलग कर दिए। अब दुल्हन उसके आगे नितांत निर्वसन पड़ी थी। ठन्डे ने उसके नग्न शरीर को चूमना शुरू कर दिया। ऊपर से लेकर नीचे तक ! अर्थात चुम्बन का सिलसिला ओठों से शुरू हुआ और धीरे-धीरे ठोढ़ी, गर्दन, वक्ष, पेट आदि सभी स्थलों से गुजरता हुआ नाभि से नीचे की ओर उतरने लगा।

दुल्हन अब तक काफी गरमा चुकी थी। उसके मुँह से विचित्र सी आवाजें निकल रहीं थीं। अब ठन्डे ने भी अपने कपड़े उतार फैंके और बिल्कुल निर्वसन हो कर दुल्हन से आ चिपटा, उसे अपने बांहों में भरते हुए ठन्डे ने पूछा,”अब बताओ, मेरी रानी, मेरी जान ! कैसा लग रहा है अपना यह मिलन?.. अच्छा लग रहा है न?”

दुल्हन ने हल्का सा सिर को झटका देकर स्वीकृति दी। ठन्डे ने तब दुल्हन की दोनों टाँगें फैला कर असली मुकाम को देखने का प्रयास किया। दुल्हन भी इतनी गरमा चुकी थी कि उसने तनिक भी विरोध न किया और अपनी दोनों टांगों को इस तरह फैला दिया कि ठन्डे को ज्यादा कुछ करने की जरूरत ही न पड़ी।

“वाह ! कितना प्यारा है तुम्हारा यह संगमरमरी बदन, जैसे ईश्वर ने बड़ी फुर्सत में बैठ कर गढ़ा हो इसे। मेरी रानी, बस एक ही बात अखर रही है इसमें….”

क्या ? ….” दुल्हन ने झट से पूछा।

ठंडा बोला,”तुम्हारी जाँघों के बीच के ये काले ,घने, लम्बे-लम्बे बाल। इसमें तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। तुमने शादी से पहले कभी इन्हें साफ़ नहीं किया?”

“चल हट !” दुल्हन ने शरमाते हुए कहा,”हमें ऐसी बातें कौन बताता भला…?”

“क्यों क्या तुम्हारी भाभियाँ नहीं हैं क्या…? ये सारी बातें तो भाभियाँ ही ननदों को शादी से पहले समझाती हैं…”

“ठीक है, इन बालों को अभी साफ़ करके आओ ! तब आगे सोचेंगें कि क्या करना है।”

दुल्हन बोली,”हमसे यह सब नहीं होगा…। हमने आज तक जो काम किया ही नहीं, एकदम से कैसे कर लेंगें?”तब तो हमें ही इन्हें साफ़ करना पड़ेगा। ऐसा कहकर ठन्डे उठा और एक रेजर ले आया और बोला,” चलो, फैलाओ अपनी दोनों टांगें ! बिल्कुल एक दूसरे से हटाकर। बिलकुल चौपट कर दो।”

“हाय राम, कैसी बातें करते हो…? नहीं, हमें तो बहुत शर्म आ रही है।” दुल्हन एक दम लजा गई।

ठन्डे ने उठकर दुल्हन की दोनों जांघें चौड़ी कर दीं और रेजर से योनि पर उगे बालों को साफ़ करने लगा। दुल्हन ने अधिक विरोध नहीं किया और शांत पड़ी अपने बाल साफ़ करवाती रही। ठन्डे ने उसकी चिकनी योनि पर हाथ फेरा और आहें भरता हुआ बोला,”आह ! कितनी प्यारी है तेरी, कतई गुलाबी, बिल्कुल बालूशाही जैसी। दिल करता है खा जाऊँ इसे….”

ऐसा कहते के साथ ही ठन्डे ने अपना मुँह दुल्हन की जाँघों के बीचोबीच सटा दिया और चाटने लगा। दुल्हन के मुँह से सिसकारियां फूट पड़ीं। सीई…आह,,, छोड़ो..क्या करते हो…कोई देख लेगा तो क्या कहेगा…..”

“क्या कहेगा….अपनी बीवी के जिस्म को चूम-चाट रहे हैं। कौन नहीं करता यह सब? हम क्या अनोखा काम कर रहे हैं..” कहते हुए ठन्डे ने एक ऊँगली दुल्हन के अन्दर कर दी।

दुल्हन मारे दर्द के कराह उठी,”हाय राम, मर गई मैं तो…..ऊँगली निकालो बाहर, मेरी तो जान ही निकली जा रही है….”

ठन्डे को दुल्हन का इस तरह तड़पना बड़ा अच्छा लगा। वह और जोरों से ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा। दुल्हन पर तो जैसे नशा सा छाने लगा था। उसकी आँखें मुंद गई और वह अपनी कमर व नितम्बों को जोरों से उछालने लगी।

ठन्डे ने पूछा,” सच बताओ, मज़ा आ रहा है या नहीं?”

दुल्हन ने अपनी दोनों बाँहें ठन्डे के गले में डाल दीं और अपना मुँह उसके सीने में छुपा लिया,” छोड़ो कोई देख लेगा तो….” दुल्हन बांहों में कसमसाई।

ठन्डे बोला,”फिर वही बात, अगर कोई देखे तो अपनी माँ को मेरे पास भेज दे….देखे तो देखे भूतनी वाला……. हम तो तुम्हारा नंगा बदन देख-देख कर ही सारी रात काट देंगें।” ठन्डे ने दुल्हन का एक हाथ पकड़ा और अपनी जाँघों के बीच ले गया।

दुल्हन को लगा कि कोई मोटा सा बेलन उसके हाथों में आ गया हो, किन्तु बेलन और इतना गर्म-गर्म? उसने घबरा कर अपना हाथ वापस खींच लिया और ठन्डे से नाराज होती हुई बोली,”छोड़ो, हमें ऐसी मजाक हमें बिल्कुल अच्छी नहीं लगती…”

“अच्छा जी, उंगली डालने वाला मजाक पसंद नहीं और जब आठ इंच का यह मोटा हथियार अन्दर घुसेगा तो कैसे बर्दाश्त करोगी? अभी देखना तुम्हारा क्या हाल होगा। देखना जरा इसकी लम्बाई और मोटाई…” ऐसा कहकर ठन्डे ने अपना मोटा लिंग दुल्हन के हाथ में थमा दिया।

दुल्हन प्रत्युत्तर में मुस्कुराई भर, बोली कुछ भी नहीं।

कहानी आगे जारी रहेगी।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000