मैं तो शादीशुदा हूँ-1

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

सबसे पहले सभी पाठकों को मेरा प्रणाम! मैं अन्तर्वासना का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ, इसमें प्रकाशित हर एक कहानी को मैं बहुत तबीयत से पढ़ता हूँ क्यूंकि मुझे इसमें आने वाली हर कहानी मुझे अच्छी लगती है।

मेरा नाम रूद्रमान सिंह है, मैं पंजाब का रहने वाला पक्का जाट हूँ, पका हुआ शरीर है, मैं स्कूल में, फिर कॉलेज में कबड्डी का खिलाड़ी भी रह चुका हूँ। मेरी उम्र तेतीस साल है, शादीशुदा हूँ, मेरे दो बेटे भी हैं, मेरी पत्नी एड्मेंटन कनाडा में है।

जैसे कि सभी जानते हैं कि हम पंजाबी विदेश में सेटल होना पसंद करते हैं, अधिकतर परिवार विदेश में भी और भारत में भी, दोनों जगह पाँव जमाना चाहते हैं, ऐसा ही हमारे साथ है, मेरी पत्नी के दोनों भाई कनाडा में हैं और फिर मेरे सास-ससुर भी वहीं चले गए और उसके बाद मेरे सालों ने अपनी बहन को स्पोंसर किया तब वो पेट से थी, तीन महीने की गर्भवती थी, मेडिकल जालंधर में था, हमने किसी तरीके क्लीयर करवा दिया। पहला बेटा दो साल का था, माँ के साथ उसका भी वीसा आया और दूसरा बेटा वहीं पैदा हुआ, यही हम चाहते थे, अब वो जन्म से ही वहाँ का नागरिक बन गया और बच्चे के साथ वहाँ नियम बहुत प्यारे हैं, माँ को भी ग्रीन कार्ड मिल गया और अब मेरे भी पेपर्स भर दिये हैं, इस साल के मध्य तक शायद मैं भी कनाडा चला जाऊँगा।

यहाँ मेरी सरकारी नौकरी है, मैं ग्रामीण विभाग में बी.डी.ओ के पद पर हूँ। वैसे तो हमारा फार्महाउस गाँव में है और वहाँ पापा जी खेती-बाड़ी के काम की देखभाल करते हैं, मैं भी आता जाता रहता हूँ, क्योंकि अमृतसर शहर में हमारी बहुत बड़ी कोठी है, मेरा बड़ा भाई यू.एस.ए में है। दोस्तो, मैं शहर में रहता हूँ और पूरे मजे करता हूँ।

वैसे तो मैंने कई औरतों को पटाया हुआ है, दो तीन भाभियाँ भी मेरे साथ सेट हैं, मेरी मर्दानगी देखते ही दिखती है, मेरा लौड़ा मेरी सबसे बड़ी ताकत है, मेरा नौ इंच का लौड़ा औरत को हर पक्ष से संतुष्ट करता है।

मुझे सरकारी घर भी मिल सकता था लेकिन में आजादी पसंद हूँ, शहर में शाम को पैग-शैग चलता है, मैं खाना खाने होटल चला जाता हूँ। मोहल्ले की ही दो भाभियाँ मैंने सेट कर रखी हैं, एक का पति फौजी है, दूसरी का पति है तो यहीं है लेकिन बहुत दारु पीता है, वो अपने पति के अलावा दो बच्चों के साथ रहती है, जब से उसको मैंने देखा मेरा दिल उसकी लेने को करने लगा था, वो भी मुझ पर मरने लगी थी, लेकिन हम लोगों का एक दूसरे के घर आना जाना नहीं है, क्यूंकि वो लोग दो महीने पहले ही हमारे क्षेत्र में आये हैं और मेरी पत्नी वैसे भी कनाडा है, इसलिए बस गली से गुज़रते हुए एक दूसरे की आँखों को पड़ गए, अब मेरा दिल उसको चोदने को करने लगा। कमाल की हसीना है वो, उसकी चूची देख देख मेरा लौड़ा खड़ा होने लगता था।

एक दिन वो शाम को पास से दूध लेने जा रही थी, मैंने बाईक निकाली और उसके पीछे गया उसको दिखा कर मैंने एक पेपर पर अपना नंबर लिख फेंक दिया, उसने उठा लिया। मैं बहुत खुश हुआ, अब मुझे इंतजार था उसके फ़ोन का!

उसने वापस घर आते मुझे फ़ोन किया, उसने अपना नाम प्रिया बताया, बोली- आपने नंबर क्यूँ फेंका? ‘एक जवान मर्द जवान औरत को क्यूँ नंबर देगा?’ ‘लेकिन मैं तो शादीशुदा हूँ!’ ‘वो तो मैं भी हूँ!’

अब हम फ़ोन पर बातें करने लगे, उसने बताया कि उसका पति बहुत दारु पीता है और उसको कभी कभी पीट भी देता है।

मोहल्ले का काम था हम दोनों ही कोई बचकानी हरक़त करने के मूड में नहीं थे, वो औरत थी, मैं एक ऑफिसर, इसलिए मैंने कोई तरकीब सोचनी चालू की।

एक दिन में गली में सैर कर रहा था अपने कुत्ते के साथ, उसके घर के सामने निकला, दो तीन चक्कर गली के लगाए, इतने में उसका घरवाला अपनी बाईक पर घर लौटा रहा था, उसने काफी पी रखी थी, वो जब मेरे पास को आया तो बोला- सत श्री अकाल भाजी!

मैंने उसको उसी लहजे में जवाब दिया। उस वक्त मैं नहीं जानता था कि वो ही प्रिया का घरवाला है।

वो बोला- आप बी.डी.ओ साब हैं? हाँ! और आप? ‘हम तो भाई क्लर्क हैं! आप बड़े आदमी!’ ‘नहीं, ऐसी बात थोड़ी होती है, इस ज़माने में सरकारी नौकरी कहाँ मिलती है?’

उसने काफी पी रखी थी, मुझे उसके बारे ज्यादा मालूम नहीं था, मैंने पूछा- आपका घर कहाँ है? ‘यही इसी गली में! वो आगे ट्रांसफार्मर के सामने वाला घर है!’

मेरा माथा ठनका ,वो घर तो प्रिया का है, खुद को कहा, सोचा- इसका मतलब यह उसका पति है! ‘आपने काफी पी रखी है, घर छोड़ देता हूँ!’ ‘नहीं नहीं जी बस! वैसे कभी आना, पैग शैग लगायेंगे!’ ‘ज़रूर-ज़रूर! मैं तो कभी भी कहो आ जाऊँगा ,आओ मैं तुम्हें पैग लगवाता हूँ, आज तुम मेरे घर के सामने हो!’

जोर देकर मैं उसको घर ले गया, नौकर ने दो ग्लास लगाये, एक एक मोटा पटियाला बना दिया- पकड़ो! चीयर्स कर दोनों ने गटक लिए। वो पहले ही ज्यादा पिए था, दो तीन मिनट में हिलने लगा। ‘मैं घर छोड़ देता हूँ, बाईक यही लगा दे, मैं छोड़ दूंगा!’

उसको सहारा देकर उसके घर गया। यह रास्ते में मिले, लगता ज्यादा पी ली है! वो प्रिया थी- यह रोज़ का काम है, आओ आप!

मैं उसको लेकर उसके कमरे तक चला गया, उसको लिटा दिया, जूते उतार मैंने कंबल दिया। ‘धन्यवाद!’ प्रिया बोली। ‘कैसी बात करती हो भाभी? मैं बस डौगी को लेकर सैर कर रहा था कि ये दिख गए।’ ‘बैठिये ना!’ ‘नहीं चलता हूँ! बच्चे वो सो गए?’ ‘सुबह स्कूल जाना होता है ना!’ मैंने उसका हाथ पकड़ लिया- भाभी जी, आप बहुत सुंदर हो, फ़ोन पर आवाज़ रोज़ सुनता हूँ, आज सामने हो!

आगे क्या हुआ, अगले भाग में! [email protected]

मैं तो शादीशुदा हूँ-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000