गर्ल्स हॉस्टल की वॉर्डन मेरी माँ

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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा सलाम।

बात काफ़ी पुरानी है, जब मैं बारहवीं में पढ़ता था, मेरी माँ गर्ल्स हॉस्टल की वॉर्डन थी और मेरे पिता क्यूंकि फौज में थे तो मेरी माँ ने हॉस्टल में ही क्वाटर ले रखा था। रोज़ स्कूल से आने के बाद मेरी रुटीन थी कि मैं हॉस्टल की लड़कियों के साथ वॉलीबॉल खेला करता था। इसमें कोई ख़ास बात नहीं थी क्यूंकि बचपन से ही मैंने लड़कियों को हाफ पैंट में ही देखा था, कुछ सूट सलवार में भी होती थी लेकिन मुझे निक्कर वाली ही अच्छी लगती थी।

मेरी माँ के हॉस्टल में ना होने पर अक्सर मेरी माँ की जगह वॉर्डन का काम मैं ही किया करता था और ऐसे मौकों पर लड़कियाँ अक्सर जो शराब की शौकीन हुआ करती थी, उन्हें मैं खुली छूट दिया करता था। एक दो बार तो शराब की बोतल मैं भी लाया था। मैं अपने दोस्तों को बताता कि लड़कियाँ भी शराब पीती हैं तो वो नहीं मानते थे, तो मैंने ये किस्से अपने दिल के कोने में छिपा दिए।

एक बार की बात है, रीटा जो कि मेरी बहुत अच्छी सहेली थी, उसने मुझसे पहली बार शराब मँगवाई, मैंने पूछा- कौन सी?

तो उसने कहा- जो तुम्हारी इच्छा हो ले आओ।

मैंने उससे पैसे लिए और वोड्का ला दी।

देते समय मैं उसे यह बताना भूल गया कि वोड्का मात्रा में थोड़ी पीनी होती है।

रात अचानक ग्यारह बजे मुझे यह ख़याल आया और मैं उसके कमरे में गया कि उसे आगाह कर आऊँ। पर मैंने देखा कि उसने 200 मिली से ऊपर वोड्का गटक ली है।

सुबह मेरी माँ जल्दी आने वाली थी, मैंने सोचा कि मैं इसे नींबू का रस पिला दूँ, सुना है इससे नशा उतर जाता है। पर बाहर चौकीदार आ चुका था, मैं हॉस्टिल के किचन से नींबू और चाकू ले आया, मैंने नींबू निचोड़ा ही था, अचानक नशे में उसने मेरा हाथ एक तरफ झड़क दिया, मेरा पैर स्टडी टेबल से अटक कर नींबू के रस पर फिसल गया और मैं पीछे स्टूल पर पेट के बल जा गिरा।

मुझे एहसास हुआ कि वो गहरे नशे में है, मैंने उसकी ओर देखा, उसने साटन की नाइटी पहन रखी थी और मुझे धक्का देने के दौरान जो थोड़ी सी खुल गयी थी,वहाँ मेरी नज़र अटक गई।

मैंने थोड़ी कोशिश की कि अपना ध्यान वहाँ से हटा लूँ, पर वो नशे की हालत में थी, और मैं हूँ एक लड़का, कब तक अपने विचारों को रोक पाता। मैंने सोचा, क्यूँ ना परखा जाए कि उसे कितना गहरा नशा चढ़ा है। मैंने उसे उसके बेड पर बैठे हुए ही दीवार की ओर धक्का दिया, उसका सिर दीवार पर हल्का सा लगा, मुझे पता चल चुका था कि वो अब नशे में धुत्त हो चुकी है।

मेरे अंतर का कामदेव जाग गया और मैने होस्टल के कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने ध्यान दिया कि वो 19 साल की लड़की और उसकी 32 इंच कूल्हे, और 32 इंच के वज़नदार मम्मे जैसे मुझे आवाज़ लगा रहे हों।

फिर क्या था, मैं उसके दोनों हाथ पकड़ कर उसे बेड पर लिटा रहा था, जब वो लेट गई तो मैंने उसकी नाइटी खोल दी, उसने एक स्पेगेट्टी डाल रखी थी, जिसमें से मैं उसके मम्मे अच्छी तरह से महसूस कर सकता था। मैंने उसकी काले रंग की पैंटी भी देखी और उसे उतार दिया।

मुझमें हिम्मत नहीं थी कि आगे बढ़ सकूँ, मैंने वोड्का की बॉटल मुंह से लगाई और थोड़ी पी गया। कड़वी वोड्का गले से नीचे उतारी, मैं 5 मिनट तक फ़ैसला करता रहा कि अब क्या करूँ, मुझे कोई जवाब ना मिला। मैंने वोड्का पी और कोने में बैठ गया,।

उसके बाद सुबह 11 बजे मेरी नींद खुली, मेरे मोबाइल में मैंने टाइम देखा, तो पता चला कि वो यहाँ से जा चुकी है। मैं सकपका रह गया कि पता नहीं अब क्या होगा।

मैं बारह बजे घर पहुँचा, माँ आ चुकी थी, उन्होंने सोचा कि मैं अभी ट्यूशन से आ रहा हूँ, शाम के समय मैं जब बाहर निकला तो रीटा मेरी तरफ देख कर हंस रही थी, मुझे पता चल गया कि उसे ऐतराज़ नहीं।

मैं रीटा के रूम में अंधेरा होने पर गया, मेरे घुसते ही उसने पूछा- कल पूरा क्यूँ नहीं किया? डर लग रहा था क्या?

मैंने कहा- वो असल में… !

उसने मुझे टोका और कहा- फटतू कहीं का !

मैं खुद को एक खोए हुए बच्चे की स्थिति में देख रहा था, तभी उसने अपने कपड़े उतारे, उसने वही, सफेद स्पेगेट्टी पहन रखी थी और नीचे शॉर्ट्स में थी।

मैंने सकपका कर पूछा- तुम्हारा क्या मतलब है..

उसने जवाब दिया.. “जो तुम्हारा है !”

अब ऐसी हालत में देर कौन लगाता है, खड़ा तो मेरा हो ही चुका था, मैं उसकी ओर बढ़ा और उसका हाथ पकड़ा, उसने मेरा दूसरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड पर धकेल दिया।

मैं बैठ तो चुका ही था, मैं खुद ही गिर भी गया, बेड बार लेटने के बाद वो मेरी छाती पर आई, उसने खुद ही स्पेगेट्टी उतार दी, फिर उसने मुझे इशारा किया, मैंने पकड़ ढीली की और मेरी चेक शर्ट के साथ ही बनियान भी उतार दी, फिर उसने मेरी बेल्ट खोली, मैंने खोलने दी, मना कौन करता है, मेरी पैंट और कच्छा मेरे घुटनों पर था, खंबे में ज़ोर था, तो ज़ाहिर है, खड़ा तो वो था ही।

मैंने उसकी पेंटी उतार दी, उसने मेरा खंबा पकड़ा और अपने छेद में घुसा दिया।

मैंने पूछा- चूसोगी नहीं क्या?

वो बोली- चूसना मुझे पसंद नहीं।

मैंने कहा- ज़रा मुझे तो चूसने दो !

वो रुकी और बेड पर लेट गई, मैंने जीभ लगाई और टाँगों के बीच उसके होंठ चूसने लगा, ज़रा नमकीन थे वो !

दो मिनट तक चूसने के बाद वो गर्म हो गई, आवाज़ें निकालने लगी- ..ऊ आ.. यह सिलसिला अगले कुछ मिनट तक जारी रहा और फिर उसने पानी छोड़ दिया।

मैं उठा, तो देखा, खंबे में ज़ोर ज़रा कम था, मैंने खंबा खड़ा किया और उसे छाती पर बैठा लिया।

वो मेरे तोप पर चढ़ गई, मैंने तोप गुफा में घुसा दी, उसकी चीख निकली तो मैं घबरा गया और मैने उसका मुँह चुन्नी से ढक दिया, दबी हुई चीखें जारी थी, मैं १-२, १-२, १-२ की उछाल जारी रखे हुए था।

अचानक मैं अपने स्तर पर आ गया और उसकी चूत में ही सारा माखन छोड़ दिया।

मैं पसीने में तर-बतर था, वो भी भीगी हुई थी।

वो दिन था और आज का दिन है, मैं हॉस्टल की कई लड़कियों के साथ एंटरटेनमेंट कर चुका हूँ, इसके लिए मेरी माँ को कोटि कोटि प्रणाम !

ही ही ही ही..

पर.. एक बात है.. रीटा जैसी कोई नहीं आई..

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