कोमल के साथ वो रात

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दोस्तो, अन्तर्वासना पर मेरी यह पहली कहानी है. आशा है कि आप लोगों को पसंद आएगी.

मेरा नाम मानस है लेकिन सब मुझे बाबा ही बुलाते हैं. मेरा अपना खाद्य सामग्री निर्माण बड़ा कारखाना है मेरे कारोबार में जरूरतमंद अविवाहित, तलाकशुदा और विधवा को काम देने में मैंने शुरू से प्राथमिकता दी है. मैंने अब तक सौ से अधिक लड़कियों को चोदा है. स्कूल में ही मुझे रजिया नाम की मुझे 8 बरस बड़ी लड़की ने सेक्स का पहला पाठ पढ़ा दिया था. उसने मुझे अपने छोटे छोटे बूब्स चूसने को कहा था.

बाद में मेरे ही सामने मेरे एक दोस्त साजिद जो स्कूल का सबसे बड़ा छात्र था के साथ उसने सेक्स किया. ये दोनों ही काफी बड़ी उमर में स्कूल में दाखिल हुए थे, रिश्ते में दूर के भाई बहन भी थे.

खैर यह तो हुई बचपन की बात. मैंने पहला सेक्स बारहवीं में अपने से उम्र में बड़ी छात्रा के साथ किया. उसका नाम कोमल था, वो मेरे घर के पास रहती थी. वो अक्सर मुझे देखती थी लेकिन हमारे बीच कभी प्यार वाली कोई बातचीत नहीं हुई थी. लेकिन एक दिन उसने उसके घर के पीछे से गुजरते हुए मुझे अचानक ‘आई लव यू’ बोला और घर की तरफ भाग गई.

मेरी तो किस्मत खुल गई थी. वह एक कमसिन किशोरी थी. जवानी में कदम रखती हुई उस बाला का चेहरा इतना सुन्दर है कि जिसको देखने के बाद हर कोई उसे अपने दिल में उतारना चाहेगा. सुंदर तो थी पर जवानी ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था. उसके उरोज उभरना शुरू हो गये थे और उसके टाप या कुर्ते में से उनका उभार साफ़ दिखता था.

उसको देख कर कोई भी कह सकता है कि उसका नाम उसको बिल्कुल ही सूट करता है. उसका रंग गोरा और ऊँचाई पांच फ़ुट छः इन्च की है. उसकी स्कर्ट के नीचे दिखतीं गोरी गोरी चिकनी टांगें किसी को भी दीवाना बना देती थी. कोमल थी भी बड़ी शोख और चंचल. उसकी हर अदा पर में मर मिटता था, मुझसे बड़े कई लड़के उसके दीवाने थे और वो मेरी दीवानी.

जल्दी ही हम एकदूसरे से घुल मिल गए. कोमल की उमर बीस साल की थी. मैं उससे उम्र में छोटा था. पड़ोसी थे, इसलिए किसी को हमारे बातचीत करने पर कोई दिक्कत नहीं थी. उसकी हमउम्र भाभी जरूर उसे छेड़ती थी कि उसने प्रेमी छोटा क्यों चुना है, पर वो हंस देती.

उसके परिवार में एक शादी थी जिसमें पूरा परिवार कानपुर गया था सिवाय कोमल और उसकी अस्सी साल की दादी और एक विधवा बुआ के, जो घर के मंदिर में ही रहती थी. कोमल इनकी और घर की देखभाल के लिए रुक गई थी. रात को कोमल के पिताजी ने पापा को फ़ोन करके मुझे उनके घर के बाहर बने बरामदे में सोने के लिए कह दिया था ताकि घर सुरक्षित रहे.

कोमल को भी उन्होंने फ़ोन करके बता दिया था. रात को में दस बजे उनके घर पहुँचा तो दादी सो चुकी थी. बुआ ने घर के बाहर बने बरामदे में सोने के लिए मेरा बिस्तर लगा दिया था और वो भी मंदिर में सोने चली गई जो घर के सबसे अंत में था.

बुआ के सोते ही कोमल बाहर आ गई. हम फ़्रेंच किस करने लगे, मैं एक हाथ से उसके बालों, गर्दन और कमर को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी जांघें सहलाने लगा. हमारे होंठ और जीभ एक उनके दूसरे से लिपट गये.

15 मिनट तक किस करने के बाद उसने कहा- मानस यहाँ नहीं, बेडरूम में चलो! मैंने कहा- चलो जान! वो मुझे बेडरूम में ले गई, वो आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे!

बेडरूम में जाकर मैंने उसे पीछे से पकड़ कर अपने से जकड़ लिया और उसके बूब्स दबाने लगा और उसकी गर्दन और कंधे पर किस करने लगा. धीरे से उसके कान पर लव बाइट किया तो तिलमिला उठी और घूम कर मेरे सीने से लिपट गई, मैं उसकी पीठ और चूतड़ों को सहलाता रहा और वो मुझे कस कर पकड़े खड़ी रही.

फिर मैंने उसका चेहरा जो उसने मेरे सीने में छुपा लिया था, वो ऊपर किया और हम किस करने लगे. मैंने उसके बूब्स सहलाते सहलाते उसकी कुर्ती उतार दी और ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा.

वो आआआआ करने लगी.

फिर मैंने एक हाथ उसके सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर रखा तो वो पहले से ही गीली हो गई थी. मैंने चूत को थोड़ा सहलाया, फिर उसके सलवार को उतार दिया और वो मेरे सामने केवल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी.

मैंने उसे सर से लेकर पांव तक शरीर हर एक भाग को चूमा, वो मेरे हर एक किस पर सिसकती जाती थी.

फिर वो बोली- मुझे और मत तड़पाओ डियर! अब मुझसे सब्र नहीं होता!

उसने मेरे सारे कपड़े फ़टाफ़ट निकाल दिये और मेरे लंड को पकड़ के सहलाने लगी. अब मैंने अपने लंड को उसके मुंह में दे दिया. पहले तो उसने मना किया काफ़ी मनाने के बाद वो मान गई और मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. मैं तो मानो की सातवें आसमान में सैर कर रहा था, उस अहसास का बयान मैं नहीं कर सकता कि मैं कैसा महसूस कर रहा था.

उसके चूसने से मेरा लंड काफ़ी सख्त हो गया, मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था.

फिर मैंने उसे उठाया, हम बिस्तर पर गये, मैंने उसकी ब्रा और पेंटी उतार दी और उसको लिटा कर उसे फ़िर चूमना शुरु किया. फिर उसके बूब्स, क्या कयामत थे, उन्हें दबाया और उसकी निप्पल को चूसा.

वो एकदम लाल हो गये. फिर थोड़ा नीचे होकर मैंने उसकी नाभि में जीभ घुमाई तो वो मेरे बालों को पकड़ कर मुझे हटाने लगी.

फिर मैं थोड़ा और नीचे हुआ और उसके दोनों पैरों को खोल कर उसकी चूत पर मैंने अपने होंठ रखे और चूम लिया. वो बोली- कितना तड़पा रहे हो मानस!

मैंने उसकी क्लीन शेव चूत को बड़े मज़े लेकर चाटा. अब वो चुदने को तैयार थी, मैंने उसकी टांगों को फ़ैला कर उसकी चूत में धीरे धीरे लंड को घुसाना शुरू किया, उसे काफ़ी तकलीफ़ महसूस हो रही थी.

झिल्ली फटते वक्त उसकी चीख निकल गई. मैं रुक गया. पहली बार किसी मर्द का लंड उसके चूत में जो गया था.

मैंने उसकी तकलीफ़ को समझते हुए धीरे धीरे लंड को अंदर डाला, अब तो उसे भी मजा आने लगा और थोड़ा ऊऊऊ आआआ ईईई की आवाज़ के साथ वो पूरा मजा ले रही थी, मैं भी छोड़ना नहीं चाहता था.

अब मैंने उसे ऊपर ले लिया, मेरा लंड अपनी चूत में लिये आगे पीछे हो रही थी और ‘आह्ह्हा कम ओन आ आह’ कर रही थी. उसके चूचे उछल रहे थे, उन्हें देख कर मेरा हौसला और बढ़ गया, वो मेरे सीने को सहलाते हुए झटके लगा रही थी और साथ साथ में चुम्बन भी कर रही थी, मैं उसके गोरे गोरे उभार भी दबा रहा था. समझ में नहीं आ रहा था कि वो मुझे चोद रही है या मैं उसे चोद रहा हूं! वो ऐसे ही दो बार झड़ गई और बोली- बस, अब और नहीं!

तो मैंने कहा- कोमल अभी तो तुम्हारा ही हुआ है मेरा नहीं.

और मैं फिर उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी लाल लाल चूत में लंड डालकर उसे चोदने लगा. थोड़ी देर में उसे चोदते चोदते मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. उसकी चूत चिकनी हो गई.

फिर हम एक दूसरे को चिपक कर रिलेक्स होकर बिस्तर पर लेट गये.

अभी मन नहीं भरा था, बीस मिनट के बाद मैंने फिर अपना लण्ड उसके मुंह में डाला और खूब चुसवाया.

हमने 69 की पोजिशन ली और जब वो लण्ड चूस रही थी मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदना शुरु किया. खास कर दूसरी बार तो इतना मजा आया कि मैं बता नहीं सकता क्योंकि अबकी बार लण्ड बहुत देर तक चोदता रहा, लण्ड को झड़ने में काफ़ी समय लगा और मुझे और उसे भरपूर मजा देता रहा.

अब हम दोनों को नींद आ रही थी, हम उसी हालत में सो गये. सुबह जल्दी उठ कर मैं बरामदे में आकर सो गया.

इसके बाद भी हम दो दिन तक तक सेक्स का आनन्द लेते रहे.

फिर तो गन्ने और अरहर के खेतों में मैंने उसे कई बार चोदा.

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