चूत पर चोदने वाले का नाम नहीं लिखा जाता-3

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नेहा वर्मा दस मिनट बाद मैंने उनकी चूत में गरम-गरम रस डाल दिया और इस दौरान वो भी दोबारा झड गई थीं। मेरा लंड अभी तक उनकी चूत के अन्दर था, थोड़ी देर बाद हम अलग हुए। मैंने कहा- भाभी मन नहीं भरा है..! वो बोलीं- तो करते रहो। मैंने कहा- पहले तुम्हें इस लंड महाराज की सेवा करनी होगी..! उसने उसे हाथ में लेकर सहलाना चालू किया। मैं उसके स्तन के निप्पल को मसलने लगा। उनके निप्पल भी अब टाइट होने लगे थे। उन्होंने मेरे लंड को चूमा फिर मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था। मैं भी बोल रहा था, “भाभी आज इसे पूरा पी लो और जोर से चूस… पूरी जीभ से चाट.. खा लो न.. खूब जोर से लो प्लीज..!” वो भी “उम्म्मम्म” करके लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी। उसने अपनी जीभ से मेरा पूरा लंड साफ कर दिया और उसे वापस ‘फ्रेश-बनाना’ की तरह कर दिया और चूस-चूस कर अब उसने मेरा लंड गरम लोहे की तरह बना दिया। मैं उसके और उसके स्तनों से खेल रहा था। वो भी अब कड़क हो गई थी। “अब तुमको फिर मज़ा देता हूँ..! और उससे बोला- अब मैं तुम्हें डॉगी-स्टाइल में चोदूँगा। वो बोलीं- कैसे? मैंने कहा- अरे पागल आज तक ऐसे नहीं करवाया तो क्या मस्ती मिली रे.., रोज नए-नए स्टाइल से चोदने का आनन्द लेना चाहिए मेरी जान..! नेहा भाभी बोलीं- तो करो… नए-नए स्टाइल से आज मेरे ऊपर.. देखूं तो सही..! मैंने उसे उसके दोनों हाथ को साइड में रखी टेबल पर जमा दिए और बोला- अब थोड़ा झुक जाओ। फिर मैंने उन्हें डॉगी-स्टाइल में खड़ा कर दिया और पीछे से उनके दोनों स्तन को पकड़कर मसल डाला और अपना लंड उनकी दोनों जाँघों के बीच में डालकर अपने लंड को उनकी चूत पर थोड़ा रगड़ा और उसे गर्म किया। फिर मैंने अपना पूरा लंड एक ही झटके में अन्दर डाल दिया और मेरे हाथ उनके स्तन को मसल रहे थे, निप्पलों को पकड़ कर खींच रहा था.. मसल रहा था..। इस स्टाइल में उन्हें दोनों तरफ से इतना मज़ा आ रहा था कि वो “अह्ह्ह्ह” करती जा रही थीं, “करते रहिए रुकिए नहीं..!” अब मेरा लंड उनकी चूत में स्क्रू की तरह चला गया था और फिट हो गया था, इससे उन्हें बहुत अधिक उत्तेजना हो रही थी। मुझे भी जबरदस्त आनन्द आ रहा था। अब मैंने उनसे कहा- अब मेरी ‘हॉर्स-पावर’ देखो तुम्हें घोड़े की तरह चोदूँगा। मैंने अपनी पोजीशन के लिए उनके स्तन को जोर से पकड़ लिया और धक्का देने लगा। वो भी अपनी गांड को पीछे कर कर के मेरा पूरा लंड खाना चाहती थी। अब मैं भी जोर-जोर से धक्के देने लगा। उसके गोल-गोल चूतड़ों को धक्के देने में मज़ा आ रहा था। वो बोल रही थी, “चल मेरे घोड़े फटा-फट और जोर से और जोर आज तेरी भाभी मस्त हो गई है.. शिशिर आज मान गई.. तुझको.. आज  तक इतना जोर का मज़ा नहीं आया..! अब मेरा वक़्त आ गया था। मैं कभी भी अपना लोड छोड़ सकता था और वो भी अब झड़ने वाली थी। मैंने अब उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर धक्के देना चालू किया और वो भी काफी उत्तेजित हो कर चिल्ला रही थी, “आःह ओफफ्फ्फ्फ़ ईईस्स्स्स और जोर से धक्का मारो मेरी चूत फाड़ दो….!” फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए। फिर तो मैंने भाभी को कई बार और कई तरीकों से चोदा और उस दिन के बाद से यह चुदाई अभी जारी है। मुझे पता है कि भाभी के और भी कई यार हैं, जिनसे वो चुदवाती हैं, पर मेरी जगह उनकी ज़िन्दगी में एक ख़ास मुकाम रखती है। अब नेहा यानि मैं सच कहूँ आज चुदाई में मज़ा बहुत आया, पर दिल कर रहा था अभी कुछ और भी हो.. घर में कोई था नहीं और मेरे पति सुनील वैसे ही देर से आने वाले थे इसलिए कुछ और खेलने का मन कर रहा था। मैंने कहा- भैया, मैं नहा लेती हूँ, सब साफ़ कर लूँ.. फ्रेश हो जाऊँ…! शिशिर बोला- ठीक है दी..! मैंने कहा- दी.. क्यों बोला..! तो वो बोला- आपने भी तो भैया कहा..! मैं हंस दी, चलो ठीक है.. देवरजी.. पर दी बोलोगे तो भी चलेगा.. मैं समझूँगी मेरे भैया ने मुझे चोदा। मैंने शिशिर को बताया नहीं, पर आपको तो पता है कि मेरा एक कजिन मुझे चोदना चाहता था, सो आपकी सलाह पर मैंने उससे चुदवा लिया था। घर की बात घर में, सो मेरे कजिन ने मुझे चोदा था। ख़ैर मैं उस से बोली- इस हिसाब से तो तू बहनचोद हुआ..! वो भी जोर से हँसा और बोला- ऐसा ही सही.. तो तू मेरी रंडी बहना हो गई..! अब मैं नहाने चली गई..बाथरूम का दरवाज़ा खुला ही था। मैं नंगी ही नहाने लगी। मुझे शैतानी सूझी, मैंने कहा- देवर जी आओ आप भी नहा लो ना..! सो वो भी नंगा ही अन्दर बाथरूम में आ गया और हम दोनों साबुन लगा कर खूब नहाए। नहाते-नहाते शिशिर का लंड फिर जवान होने लगा था। मैंने शिशिर का लंड पकड़ कर अपने चूत में ले लिया और हम खड़े-खड़े बाथरूम में ही चुदाई करने लगे। ऊपर शावर से पानी की धार.. नीचे से लंड की मार.. मज़ा आ रहा था। तुम कभी आए तो अपुन ऐसे ही चुदाई करेंगे बाथरूम में…! खैर चुदाई जारी थी, फिर हम दोनों झड़ गए। शिशिर नहा कर बाहर निकल गया, मैं नहाती रही। शिशिर मुझे नहाते देख रहा था, तभी वो बोला- भाभी तुम्हारे चूतड़ तो बहुत मस्त हैं यार…. तो गांड भी बहुत शानदार होगी। चल जल्दी बाहर आ तेरी गांड मारनी है। मैं मन ही मन बहुत खुश हुई कि चलो एक और दौर होगा, पर ऊपर-ऊपर से कुछ डरते हुए बोली, “नहीं यार गांड नहीं… सुना है गांड मारने में बहुत दर्द होता है; गांड नहीं चाहो तो चूत चोद लेना..!” वो बोला- नहीं.. जल्दी बाहर आ.. आज तेरी गांड भी मारनी है। मैं तो ऐसे ही ऊपर-ऊपर से कह रही थी, सत्य यह है कि मुझे तो गांड मराने में बहुत ही मजा आता है सो मैं भी जल्दी से बाहर आ गई। मैं बाहर आ गई तो शिशिर बहुत खुश हुआ, बोला- भाभी तुम कितनी अच्छी हो.. मेरा कितना कहना मानती हो.. मुझे कितना साथ दे रही हो..! मैंने कहा- चल अब मक्खन मत मार.. गांड मारनी है तो मार ले..! मैं प्रेम से गांड मराने लगी, वो भी प्यार से गांड मार रहा था। अचानक उसने पूरा लंड बाहर निकाल कर पूरा का पूरा एक झटके से मेरी गांड में डाल दिया, तो एकदम से मेरा मूत ही निकल गया। हम दोनों ही जोर-जोर से हंसने लगे। चुदाई के बाद मैं शर्माने जैसा नाटक कर के शिशिर से बोली- मुझे अब बहुत शर्म आ रही है.. मैं न.. कितनी गन्दी हूँ… मैं कितनी बेशरम हो गई थी और तुमने भी आज मुझे कितना रगड़ा है। तो शिशिर बोला- नहीं भाभी, आप बहुत अच्छी हैं और मैं आप से बहुत प्यार करता हूँ और शरमाओ मत.. ये सब नेचुरल हैI शिशिर बहुत खुश था। उसने मुझे हर तरह से रगड़ा था, मैं भी खुश थी कि मेरे तीनों छेद खूब भरे थी.. खूब अच्छे से चुदाई हुई थी। भरपूर चुदाई के आनन्द के बाद हमने सोचा कि अब वापस चलना चाहिए तो दोनों ने कपड़े पहने और एक-दूसरे को खूब प्यार किया और वादा किया कि हम फिर मौक़ा मिलते ही इस सब को फिर से करेंगे और बार-बार करेंगे। अब जब भी मेरे पति बाहर जाते हैं, शिशिर चोदने की जिद करता है। मैं भी कभी-कभी उसे मौक़ा देती हूँ, पर बाकी मेरे ढेरों और यार भी तो हैं… उनको भी तो अवसर देना होता है न…! खैर आप आइएगा.. आपको भी निराश नहीं करूंगी। अपने विचार कहानी के नीचे डिसकस में ही लिखें !

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