रॉंग नम्बर वाली लौंडिया को जमकर चोदा- 1

फ्री चैट गर्ल स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मुझे एक लड़की मिसकाल करती थी. जब मैंने उसे फोन किया तो उसने बातें करनी शुरू कर दी. कामुकता भरी बातों का मजा आप भी लें.

दोस्तो कैसे हो आप सब! एक बार फिर से मैं आप सबकी खिदमत में हाजिर हूँ. मेरी पहली कहानी एक चुत में दो लंड उस कहानी को आप लोगों ने बहुत पसंद किया और काफी लोगों ने मेल भेजे व सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स किए. आपके इतने प्यार के लिए मैं तहे दिल से सभी का शुक्रगुजार हूँ.

जिन पाठकों ने मेरी उस सेक्स कहानी को नहीं पढ़ा है मैं उन्हें अपने परिचय दे देता हूँ. मैं गुड्डू इलाहाबाद से हूँ.

मेरी इस नई फ्री चैट गर्ल स्टोरी के सभी पात्र और जगह का नाम आदि काल्पनिक हैं. मगर ये मेरी अपनी सच्ची कहानी है. अगर किसी भी व्यक्ति की जीवन शैली इस कहानी से प्रभावित होती है तो यह महज़ एक इत्तेफ़ाक़ होगा.

ये कहानी बिल्कुल सच घटना पर आधारित है. बस इसमें थोड़ा मिर्च मसाला लगाया है ताकि स्वाद बढ़ जाए.

ये रसभरी फ्री चैट गर्ल स्टोरी थोड़ा धीरे धीरे आगे बढ़ेगी. मगर इसे पढ़ने वाला मर्द मुठ मारने पर और औरत या लड़की चुत या बुर में उंगली करने पर मजबूर हो जाएगा. इतना भरोसा मुझे है.

जैसे कि कहानी के नाम से पता लग ही रहा कि इस सेक्स स्टोरी की नायिका फोन पर मिली थी. तो हुआ यूं कि एक रात मेरे नंबर पर अनजान नंबर से मिस कॉल आई. मैंने उस कॉल को पहले तो नजरअंदाज कर दिया. मगर जब दो तीन बार आया, तो मैंने कॉल बैक किया.

उधर फोन पर लड़की थी- हैलो कौन! मैंने कहा- आप कौन हैं मोहतरमा … कब से मिस कॉल पर मिस कॉल किए जा रही हैं! उधर से- सॉरी ये नंबर मेरे मोबाइल में बिना किसी नाम के सेव था. तो देख रही थी कि किसका नंबर है?

मैं- हम्म अच्छा … तो देख लिया! वो- अभी कहां! मैं- तो देखो कैसे देखना है? वो- तो दिखाओ. मैं- बताओ क्या देखना है? वो- जो दिखाना चाहो.

उसकी इतनी बेबाक बातचीत के अंदाज का मैं कायल हो गया और अचानक से मेरी हंसी छूट गई.

उसने मुझे हंसने की वजह पूछी.

मैंने कहा- कुछ नहीं बस यूं ही … वैसे आप हो कौन? मेरे पूछने पर उसने कहा- मैं आपको नहीं जानती हूँ … और तुम भी मुझे नहीं जानते हो. बस ये नंबर मेरे मोबाइल में था … किसका है … क्यों है … मैं खुद नहीं जानती हूँ, बस बात करना चाहती थी. सो कर रही हूँ. मैंने कहा- यार एक बात बताओ आप एक अंजान लड़के से बात क्यों कर रही हो और क्यों बात करना चाहती थीं.

दोस्तो, इस सवाल पर उसका जवाब बड़ा अजीब था.

उसने कहा- मैं गांव की लड़की हूँ. स्कूल कॉलेज भी नहीं करती, कहीं घूमने टहलने भी नहीं जाती … कहीं गई भी, तो बस किसी की शादी में … या फिर बीमार हुए तो डॉक्टर … या कभी मार्केट, वो भी अम्मी या दादी के साथ ज़िंदगी बोरिंग सी है. वैसे किसी से बात करने की सोचती हूँ, तो डर लगता है कि कहीं किसी से बता देगा तो या फिर वो मेरे बारे में क्या सोचेगा … मेरे अम्मी अब्बू की और मेरी बेइज़्ज़ती होगी … वगैरह वगैरह. सो किसी अजनबी से बात करके टाइम पास भी हो जाएगा और हर बात के लिए हर तरह से बची भी रहूँगी.

उसकी ये बात सुनकर मैं बड़ी सोच में पड़ गया कि क्या कहूँ … क्या ना कहूँ, पर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थी कि जिस तरह से ये लड़की अपने बारे में बता रही है, उससे ये तो पक्का है कि फोन सेक्स करेगी. बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने भी बात को आगे बढ़ाया.

मैंने कहा- खैर … आप जो भी बोल रही हो, सही है कि किसी अजनबी से कुछ भी बोल लो, किसी भी तरह की बात कर लो … कोई टेंशन भी नहीं है. उसने कहा- हां वही तो. मैं- तब तो मेरी तुम्हारी खूब जमेगी … सॉरी आपकी और मेरी.

वो- आहा … कोई बात नहीं, हम एक दूसरे से तुम करके बात करेंगे, तो अच्छा है … वरना मज़ा नहीं आएगा. मैं- कैसा मज़ा? वो- बात करने का! मैं- अच्छा.

वो- लेकिन हम एक दूसरे को अपने घर का या गांव का एड्रेस बता देना चाहिए … कहीं हम आस पास के निकल आये तो! मैंने कहा- वैसे भी मेरा नंबर तुम्हें कैसे मिला! वो- अभी बताया तो! मैं- ओ हां. वो- तो ठीक है … पहले तुम बताओ तुम कहां रहते हो … क्या नाम है. मैंने बताया- मेरा गुड्डू नाम है … मैं कहरा में रहता हूँ. वैसे मैं हूँ मुंबई में … मगर कहरा में मेरा घर है. वो- हम्म … मैं ना तुम्हारे गांव को जानती हूँ … ना तुमको. मैंने पूछा- और तुम! उसने कहा- मेरा नाम गुड़िया है, मैं नबाव गंज की हूँ.

मैं समझ रहा था कि ये लड़की झूठ बोल रही है, पर मैंने सोचा जाने दो.

मैंने कहा- चलो ठीक है और बताओ? वो- क्या बताऊं? मैं- कुछ भी … जैसे अभी क्या कर रही हो? वो- कुछ नहीं … बस लेटी हूँ … और तुम! मैं- मैं भी लेटा ही हूँ.

वो- अच्छा … अभी तक सोए नहीं! वो- जल्दी नींद कहां आती है! मैं- क्यों? वो- अब क्यों का क्या मतलब है … नहीं आती और क्या. मैं- हां पर क्यों नहीं आती … इसकी वजह तो होगी! वो- अच्छा तुम क्यों जाग रहे हो अभी तक! मैं- वो … मैं तो सो रहा था … तुम्हारे फोन से मेरी नींद खुल गई.

फिर वो इस तरह हिचकिचाते हुई बोली- ये मैं … मैं क्या कर रही हूँ. मैं- मैं बताता हूँ ना कि तुम क्यों जाग रही हो? वो- हां बताओ.

उसने उत्सुकता से पूछा तो मैंने कहा- बात ये है कि तुम अभी बिस्तर (बेड) पर अकेली हो और उम्र के इस मोड़ पर तुम्हें एक साथी चाहिए … साथ कोई है नहीं इसलिए तुम्हें नींद नहीं आ रही है. है ना..! वो- ऐसा नहीं है … तुम न जाने क्या सोच रहे हो … ऐसा कुछ भी नहीं है.

उसकी बातों में खुशी झलक रही थी, ऐसा मुझे साफ समझ में आ रहा था कि वो हंस भी रही है. मेरा तीर निशाने पर लगा है … यही सोच कर मैंने बात आगे बढ़ाई.

मैं- अच्छा ऐसा नहीं है … तो ज़रा तुम्हीं बताओ कि ये रात रात भर नींद ना आना … किसी की यादों में खो जाना, ये सब क्या है. उसने मज़ाक़िया लहज़े में पूछा- तो तुम किसकी यादों में खोए हुए हो? मैं- उसका चेहरा अभी मेरे मन में साफ तो नहीं है, पर कोई है जो मेरी तन्हाई को दूर कर सकती है, बस उसी की यादों में खोया हूँ. वो- ओहो तो ऐसा है. मैं- हां और मैं ये भी जानता हूँ कि तुम्हारा भी कुछ ऐसा ही है.

वो- हम्म … खैर छोड़ो … ये बताओ तुम करते क्या हो? मैं- मैं एक कंपनी में सुपरवाइजर हूँ.

उससे इस तरह से बात होती रही और फिर ऐसे हमारी बातचीत शुरू हो गयी.

उस दिन हमने काफ़ी सारी बातें की, उन बातों में उसने ये भी पूछा कि मैं उसके साथ धोखा (बेवफ़ाई) तो नहीं करूंगा.

इस बात पर मैंने कहा- देखो हम दोस्ती रखेंगे, तुम जैसा चाहो बात करो, चाहो तो मिल भी सकते हैं … मगर ये मत सोचना कि हमें प्यार हो जाएगा. शादी के चक्कर में पड़ोगी तो … वो सही नहीं है.

इस पर उसने भी साफ साफ कह दिया कि मैं ऐसा कुछ नहीं चाहती हूँ … शादी की बात तो क्या, मैं तो मिलना भी नहीं चाहती हूँ. बस फोन बात कर लो, यही बहुत है.

फिर ऐसे ही हम दोनों की कई दिनों तक बात होती रही. मगर कब तक एक जवान लड़का लड़की यूं ही बात करेंगे.

फिर एक दिन मालिक की कृपा हो ही गयी.

उसने बातों बातों में कहा- मान लो अगर हम मिले, तो तुम क्या करोगे!

मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका अब नहीं मिलेगा. बेटा गुड्डू अब इसे छोड़ना नहीं है … आज इसकी चुत तो गीली कर ही दे, इसको अपनी याद में चुत में उंगली करने पर मजबूर कर दे.

मैंने कहा- अगर हम मिले तो प्यार की बारिश में तुम भीग जाओगी. इतना प्यार करूंगा कि तुम मेरी दीवानी बन जाओगी. उसने बड़े प्यार से पूछा- अच्छा! वो कैसे.

मैंने अब वक़्त गंवाना सही नहीं समझा.

मैं- वो ऐसे कि जब तुम मेरे पास आओगी, तो मैं तुम्हें सबसे पहले अपनी बांहों में भर लूंगा और गले से लगा लूंगा. उसने कहा- फिर!. मैं- फिर क्या! फिर तुम्हारी आंखों में आंखें डाल कर तुम्हें जी भर के देखूंगा … और …

उसने बीच में टोक दिया- और क्या! मैं- और फिर बहुत कुछ करूंगा. वो- क्या करोगे? मैं- तुम जो चाहोगी. वो- मैं तो चाहूँगी कि तुम कुछ ना करो. मैं- तो कुछ नहीं करेंगे.

वो- तुम एक लड़के हो, मुझे अकेले पाकर ऐसे ही जाने दोगे? मैंने कहा- तुम्हें क्या लगता है? वो- मुझे नहीं लगता कि तुम मानोगे. तुम मुझे किसी हाल में नहीं छोड़ोगे.

ये लड़की चालू लग रही थी, अब तक उससे बात करके इतना तो मैं समझ ही गया था कि ये क्या चाहती है.

मैंने कहा- ये सच है कि जब हम इस तरह कहीं अकेले में मिलेंगे तो मैं खुद को रोक नहीं पाऊंगा तुम्हें प्यार करने से. लेकिन ये भी सच है कि मैं तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ भी नहीं करूंगा. क्योंकि मज़ा तो तब है, जब दोनों रजामंद होकर मज़ा लें. वो- हां ये बात सही है. तुम्हारी इस बात ने सच कहूँ तो मेरा दिल जीत लिया है.

मैं- हम्म … तो कब मिल रही हो. मैंने मौके पर चौका लगा दिया. वो- सोचेंगे. मैं- मतलब? वो- हां … सोचेंगे कब मिलना है. वैसे भी तुम कहां हमसे मिल पाओगे. मैं- तुम अगर अपना सही एड्रेस बताओगी तो मैं ज़रूर आ सकता हूँ.

वो- आकर क्या करोगे? मैं- तुम्हें प्यार. वो- कैसे? मैं- तुम्हारे होंठों को चूम कर. वो- क्या … क्या कहा तुमने? मैं- हां तुम्हारे होंठों को चूम कर. तुम्हें अपनी बांहों में भर कर.

वो- अच्छा होंठों को चूम कर बांहों में भरके … और क्या करोगे! मैं- तुम्हारे बदन के एक एक हिस्से को प्यार से चूमूंगा. वो- ऊओ..हो … तुम कुछ ज़्यादा ही एडवांस हो रहे हो. मैं- ये क्या … ये तो कुछ भी नहीं है … जब मिलोगी न … तो इतना प्यार करूंगा कि तुम पागल हो जाओगी.

वो- ऐसा क्या करोगे? मैं- तुम्हारे होंठों को चूमते हुए तुम्हारी गर्दन पर चूमूंगा, तुम्हें बांहों में ऐसे क़ैद कर लूंगा, चूमते हुए तुम्हारी गर्दन से धीरे धीरे तुम्हारे सीने तक पहुंच जाऊंगा. वो- अच्छा.. मैं- हम्म … और जब तुम्हारे सीने पर चूमूंगा तो … वो- तो क्या? मैं- तो तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा? वो- हम्म … बहुत अच्छा लगेगा.

उसके मुँह से ये सुनते ही मैं उछल गया- सच में! वो- हां सच में. मैं- तुम चाहती हो … मैं ये सब करूं? वो- हां. मैं- ऊओह … सच में … तब तो मज़ा आ जाएगा.

वो- तो और क्या क्या करोगे? मैं- तुम्हारे सारे कपड़े बारी बारी से निकाल दूंगा और तुम्हारी चूचियों को खूब चूसूंगा. वो- अरे ये क्या तुम अचानक ये कैसे बोल रहे हो. मैं- कैसे मतलब … तो कैसे बोलूं! वो- नहीं … तुम अचानक सीने से चूचियों पर आ गए!

उसके मुँह से चूचियां शब्द सुनते ही मेरे लंड में सनसनी मच गयी.

मैं- अच्छा चूचियों को चूचियां और बुर को बुर नहीं तो क्या बोलना है! वो- तुम तो वाकयी आगे ही बढ़ते जा रहे हो. मैं- क्यों तुम्हें ऐतराज़ है मेरे आगे बढ़ने से?

इस पर वो कुछ देर चुप रही.

मैं- बोलो … क्या हुआ चुप क्यों हो! वो- कुछ नहीं.

मैं- तुम्हें ये इस तरह से मेरा बोलना अच्छा नहीं लगा क्या? अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हारे शरीर के हिस्सों को उनके असली नाम से नहीं, बल्कि हर हिस्से का नाम कुछ अपनी तरफ से रख लेंगे. उसने कहा- वो कैसे? मैंने उससे कहा- जैसे तुम्हारी चूचियों को… वो- क्या … क्या नाम दोगे मेरी चूचियों को! मैं- उन्हें ना … मैं तुम्हारी दोनों बांहें कहूँगा.

इस पर वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी. मैंने कहा- क्या हुआ? और मैं भी हंसने लगा.

उसने हंसते हुए मुझसे कहा- चलो ठीक है और … और बाक़ी को क्या बोलोगे? मैं- तुम्हारी बुर को बिट्टी बोलूंगा. वो- हां चलो ठीक है. फिर बताओ और क्या करोगे?

अब मैंने अनजान बनते हुए पूछा- हां तो मैं कहां पहुंचा था? वो- तुम मेरी दोनों बांहों को चूस रहे थे. ये कहते हुए वो हंस भी रही थी.

मैं- हां तो तुम्हारी बांहों को बारी बारी से खूब चूसूंगा … और उनके निप्पलों को दांत से काटूंगा. हाथों से सहलाऊंगा दबाऊंगा … फिर चूसूंगा … और इतना ज्यादा चूसूंगा कि तुम्हारी बिट्टी को पसीना आ ज़ाएगा. वो- मतलब! मैं- मतलब ये कि तुम्हारी चूचियों को चूसते चूसते तुम्हारी बुर गीली हो जाएगी.

इस बार वो चुप रही.

मैं- क्या हुआ बोलो? वो- कुछ नहीं. मैं- तुम अचानक चुप क्यों हो गयी. वो- नहीं कुछ नहीं … तुम ना सबका सही सही नाम लो … बुर को बुर और चूची को चूची ही बोलो.

उसके मुँह से इस तरह बुर चूची जैसे शब्द सुन कर मुझे मज़ा आ गया.

मैंने भोलेपन से पूछा- क्यों क्या हुआ? वो- नहीं … ऐसे ज़्यादा अच्छा लगेगा.

अब तो मैं समझ गया था कि आज इसकी चुत में खुजली बढ़ गयी. अब मज़ा आने वाला था. मेरा लंड तो पैंट में फुंफकारें मारने लगा था.

मैं समझ गया था कि बस किसी तरह से इसको लंड मिल जाएगा, तो ये लेने के लिए राजी हो जाएगी. मगर अभी ये इतना सरल नहीं था.

देखते हैं कि आगे क्या होता है. इस रॉंग नम्बर वाली लौंडिया फ्री चैट गर्ल स्टोरी में आपको बड़ा मजा आने वाला है. प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें. [email protected]

फ्री चैट गर्ल स्टोरी जारी है.