वीर्यदान महादान-5

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

विक्की कुमार पूरे नाश्ते के दौरान हम तीनों दुनिया जहान की, राजनीति की बातें करते रहे। वे दोनों बातचीत में एक्सपर्ट थे, किसी भी विषय पर बात करने को तैयार। पर दोनों उस विषय पर बात नहीं कर रहे थे जिसके लिये हम आये थे। मेरा मन नहीं लग रहा था कि साले टाईम खराब कर रहे हैं पर मजबूरी थी, कि मैं सभ्यता के तकाजे के कारण कुछ बोल नहीं सकता था। ऐसे लग रहा था जैसे समय रेंग रहा, था रह-रहकर गुस्सा आ रहा था कि क्यों फटाफाट नाश्ता खत्म नहीं कर लेते हैं। एक बार तो उस वेटर पर भी मैंने गुस्सा निकाल दिया जो बहुत देर से चाय लाया। अखिरकार वह समय आ ही गया, जब नीता ने इशारा किया कि चलो अब कमरे में चलते हैं। मेरी जान में जान आई, मैं तो तत्काल उठकर खड़ा हो गया, और फिर संजय भी। अंत में मैंने पूछा कि किसके कमरे में चलें, तो संजय ने कहा कि आपके कमरे में ही ठीक रहेगा। नीता ने हमसे कहा कि आप कमरे में पहुँचें, मैं एक मिनट में आई। हम कमरे में पहुँचे तो मैंने संजय से कहा- मैं थोड़ा नर्वस महसूस कर रहा हूँ। तो संजय ने जवाब दिया कि हम तीनों भी एक जैसा ही फील कर रहे हैं, किन्तु चिन्ता मत करो सब ठीक हो जायेगा। फिर मैंने देखा नीता एक छोटा सा बैग लेकर आ गई थी। मैंने आश्चर्य से देखा, तो वह मुस्काराते हुए बोली- मेरे कपड़े हैं, अब दो दिन इसी कमरे में जो रहना है। मैंने महसूस किया कि वास्तव में मेरे बजाय संजय ज्यादा नर्वस था, शायद उसके सामने उसकी बीवी की चुदाई होने वाली थी। अब मैंने संजय की ओर प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ देखा कि अब आगे क्या करें, तो उसने कहा- मैं तो सामने सौफे पर बैठा हूँ, आप लोग शुरु करें। मैं उठकर बिस्तर के पास आकर खड़ा हो गया, नीता भी उठकर मेरे पास आई किन्तु फिर अचानक वह संजय के पास गई व उसे एक लम्बा सा चुम्बन दिया व फिर मेरी बाहों में आ गई। मैंने देखा कि उसका शरीर बहुत गर्म था, मैंने पूछा तो उसने बताया- यह शरीर की गर्मी है जो तुम्हें बाहर निकालनी है। फिर मैंने उससे कहा- अब तुम्हें संजय की ओर नहीं देखना है, समझना कि इस कमरे में सिर्फ हम दोनों ही है, और कोई नहीं। इसके जवाब में उसने मुझे अपनी बाहों में कस कर दबा दिया। फिर हम एक दूसरे के शरीर को पागलों की तरह टटोलने लगे। मैंने आहिस्ता से उसकी साड़ी हटाने की शुरुआत कर दी। यह साड़ी का क्या गजब आविष्कार किया है। सलीके से पहने तो महिला बहुत खूबसूरत व सेक्सी लगती है, किन्तु चुदाई के समय उतारने में समय लगने के कारण बड़ी कोफ्त होती है। जैसे तैसे साड़ी हटाई तो उसके बाद बड़ा ही दिलकश नजारा सामने था। अब नीता मेरे सामने ब्लाउज व पेटीकोट में खड़ी थी। ऐसा लग रहा था जैसे दो छोड़े छोटे खरबूजे कपड़े में ढककर रखे हों। कुछ देर कुच-मर्दन करने के बाद मुझे लगा कि सबसे पहले उसका ब्लाउज व पेटीकोट हटा देना चाहिये क्योंकि वे व्यवधान उत्पन्न कर रहे थे। सबसे पहले उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। फिर उसके ब्लाउज हुक खुलना शुरु कये, साला ब्लाउज उसके बदन पर इस कदर चिपका हुआ था जैसे कि चमड़ी हो, पर थोड़ी मेहनत के बाद सारे हुक खोल दिये। अब मेरे सामने थे अंगिया में 38 के बंपर आकार के स्तन, अरे बाप रे मैं तो उन्हें देखकर ही पागल हो गया। एक स्तन को पकड़ने के लिये भी दो दो हथेली की जरूरत लग रही थी। मैंने उसे उकसाते हुए कहा कि इतने बड़े कैसे किये, तो नीता ने बेझिझक कहा- पहले संजय प्रतीदिन मालिश करता था, इसलिये बड़े भी हो गये व अभी तक ढीले नहीं पड़े। अब मेरे सामने एक दिलकश नजारा था, मेरे सामने नीता एक खूबसूरत ब्रा पेंटी में खड़ी थी। इतने बड़े स्तनों को मैंने जिन्दगी में पहली बार छुआ था। नीता की ब्रा पर कम्पनी का स्टीकर लगा हुआ था, जो मैंने हटाया व उससे पूछा कि क्या नई खरीदी? तो उसने कहा- हाँ, तुमसे मिलने के लिये मैंने लेटेस्ट स्टाईल की खरीदी है। पहले मेरे मन में आया की देखूं संजय क्या कर रहा है। पर फिर सोचा कि अगर वह नर्वस दिखा तो, हो सकता है कि उसे देखकर मैं भी नर्वस हो जाऊँ इसलिये उसे उसके हाल पर ही छोड़ना ठीक होगा। अब मैंने अपना पूरा ध्यान नीता के स्तनों व चूत में ही लगा दिया। नीता ने मुझसे कहा- यह तो बहुत नाइंसाफी है कि मेरे तो कपड़े आपने उतार दिये किन्तु आप अभी तक पहने हो। मैंने- उतार दो, तुम ही उतार दो। उसने मेरी टीशर्ट व जींस उतार दी, अब मैं उसके सामने अंडरवियर में था, व वह ब्रा पेंटी में। मैंने सोचा कि थोड़ी देर इसी में मजा लेते हैं। मैंने उसे पलंग पर लेटा कर उसके पैरों से चुम्बन लेते हुए ऊपर की ओर चलता रहा जब उसकी चूत की ओर बढ़ा तो वह तड़फ उठी। फिर उसकी नाभि, व फिर दोनों स्तनों व उसके बाद गर्दन, होंठ इत्यादि का चुम्बन लिया तो वह तड़फने लगी, उसने अपने दोनों हाथ बढ़ाकर मेरी अंडरवियर उतार दी, अब मैं उसके सामने नंगा खड़ा था। उसने आगे बढ़कर मेरा लण्ड मुंह में ले लिया, ‘हे भगवान…’ कर कर मैं सिहर उठा। ऐसा दिव्य अनुभव मैंने जिन्दगी में कभी नहीं लिया था। क्योंकि शालिनी से तो मैं यह उम्मीद भी नहीं कर सकता था कि वह मेरा लण्ड मुंह में लेगी, कारण उसे तो मेरे लण्ड को छूने में भी मजा नहीं आता था। अब नीता ने मेरा लण्ड आइस्क्रीम की तरह चूसना शुरु कर दिया। मैं तो दिल्ली से शिमला तक अपना लण्ड खड़ा लेकर ही आया था,  ऊपर से नीता ने उसे चूसकर मेरे दिमाग को सातवें आसमान पर पहुँचा दिया, मुझे लगा कि अब मेरा वीर्य स्खलन हो ही जायेगा, तो मैंने नीता को इशारा किया कि अब होने वाला है, तो उसने कहा- हो जाने दो। मुझे बड़ा अजीब लगा कि मैं उसके मुंह में वीर्य छोड़ दूँ किन्तु उसने मुंह से निकालने का मौका ही नहीं दिया व मेरा स्खलन हो गया। एक पल को मुझा लगा कि वह मेरे वीर्य को पी जायेगी, लेकिन वह तत्काल खड़ी होकर बाथरुम में चली गई व कुल्ला कर दिया। उसके पीछे मैं भी वहाँ पहुंच गया व अपने लण्ड को पानी से धो डाला। फिर उसे बाहों में लेकर थेंक्यू कहा- नीता डारलिंग, तुमने आज मुझे एक नया अनुभव दिया। तो उसनें कहा अभी तो शुरुआत है, आगे देखो क्या होता है। हम दोनों बाहर आये व नीता फिर से संजय के पास गई और उसे चूमते हुए कहा- डार्लिंग क्या तुम हमें जाइन करोगे? तो संजय ने कहा- अभी नहीं, बाद में ! अब नीता बिस्तर पर ब्रा-पेंटी में ही लेट गई क्योंकि उसके अंतर्वस्त्र उतारे बिना ही मेरा लण्ड तो ठण्डा पड़ गया था। अब मैंने आहिस्ता से उसकी अंगिया व कच्छी दोनों उतार दिये। तौबा… क्या दिलकश नजारा था। गोरी नीता के वक्ष पर दो पहाड़ दिख रहे थे, मेरा ईमान खराब हो गया, मैंने हौले हौले निप्प्ल को मुंह में लिया, तो नीता धीमे धीमे सीत्कारने लगी। वह आहिस्ता से मेरे लण्ड पर भी हाथ फेरने लगी, व उसे दोबारा से खड़ा कर दिया। जैसे ही मेरा लण्ड पूर्ण खड़ा हो गया तो उसने उसे पकड़कर अपने स्तनों की घाटियों में उसे प्रविष्ट करा दिया, मुझे भी मजा आने लगा। अब जैसे जैसे मैं अपने लण्ड को आगे पीछे कर उसके स्तनों की दरारों में घर्षण करने लगा, तो वह मारे खुशी के चिल्लाने लगी, व मुझसे कहा कि डारलिंग… बहुत मजा आ रहा है। मैं भी उसके दोनों स्तनों को मसलते हुए लण्ड को आगे पीछे करने लगा। करीब दस मिनट बाद मुझे लगा की स्खलन हो जायेगा तो मैंने कहा- नीता यार… यहीं छोड़ दूँ? तो उसने कहा- बिल्कुल… मैं यही चाहती हूँ। अब मैं पागल हो चुका था, मेरा फव्वारा छुट गया और उसके उन्नत स्तन पूरे भीग गये। इसके बाद बाथरुम जाकर सफाई की और उसके बाद बिस्तर पर लेटकर फोरप्ले शुरु किया तो दोनों फिर से गर्म होकर चुदाई तैयार हो गये। जब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया तो सोचा कि उसकी चूत मारूँगा पर इस बार नीता उल्टी लेट गई व एक तेल की शीशी को मुझे पकड़ाते हुए कहा- इसे मेरी गाण्ड के छेद में लगाओ। मैंने तब से पहले कभी गाण्ड नहीं मारी थी… अजी गाण्ड तो छोड़ो मैं तो शालिनी की चूत भी ढंग से नहीं मार पाया था। मैंने सोचा कि जब यह गाण्ड मरवा रही है, तो फिर मुझे भी मजे ले ही लेना चाहिये, मैंने उससे कहा- जानू, आज से पहले मैंने कभी गाण्ड नहीं मारी है। कहानी जारी रहेगी।

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000