हरजाई मधु मेरी मम्मी

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यह बात उस समय की है, जब मैं बहुत छोटा था, मेरे घर में मैं अपने माता-पिता के साथ रहता था। मेरी माँ का नाम मधु और पापा का नाम रमेश था। उस वक्त मधु की उम्र 34 साल थी, मेरे मोहल्ले के एक भैया जिसका नाम नारायण था वो अकसर हमारे घर आता था।

एक दिन मैंने उसे मधु से बात करते हुए सुना- कभी घर से निकलो तो जन्नत की सैर कराऊँ!’ मधु ने बोला- समय मिलने दो! एक दिन मधु ने मुझसे बोला- चलो चिंटू.. घूम कर आते हैं! उसने इशारा करके मधु की ओर देखा और मुस्कुरा दिया।

मधु ने भी उसका मुस्कुरा कर ही जबाब दिया, उसने इशारा करके मधु को आगे चलने को बोला। थोड़ी देर वो थोड़ी पैदल चलने पर वो अपनी होंडा बाइक लेकर आया और मधु को बैठने को बोला। मधु ने मुझे बीच में बैठा कर बाइक के पीछे चुपचाप बैठ गई, थोड़ी देर तक कोई नहीं बोला।

फिर मधु ने धीरे से पूछा- जगह सेफ तो है ना.. बेटा है मेरा! उसने बोला- चिंता ना करो मैं हूँ ना! उस आदमी ने मुझसे पूछा- बेटा वीडियो गेम खेलते हो? मैंने प्यार से बोला- हाँ.. मुझे मारियो बहुत पसंद है।

फिर उसने बोला- ठीक है चलो तुम्हें मारियो खिलाते हैं, तब तक मैं तुम्हारी माँ के साथ खेलूँगा.. ठीक है! मैंने बोला- हाँ.. फिर उसने मुझे एक वीडियो-गेम पार्लर में छोड़ा और बोला- बेटा तुम यहाँ.. आराम से वीडियोगेम खेलो.. हम एक घन्टे में आएँगे!

उसने शॉप वाले को 100 का नोट पकड़ाया और साथ में मुझे खाने के लिए चॉककलेट भी दिया। मधु सब देख रही थी। फिर वो बाइक पर बैठ कर आगे चले गए।

मैंने उन्हें जाते हुए देखा, तो वो लोग बाजू में बन रहे निर्माणाधीन इमारत के अन्दर चले गए, मधु उसके पीछे-पीछे चली गई। मैं अब अन्दर आकर बैठ गया, लेकिन वीडियो-गेम सैट खाली ही नहीं हो रहा था। दुकानदार ने मुझे आधा घन्टे इन्तजार करने को बोला।

मुझे बहुत ज़ोर से सू-सू आ रही थी तो मैंने दुकानदार से पूछा- भैया मुझे सू-सू करना है! उसने बोला- उधर जाके पीछे वाली बिल्डिंग के सामने कर लो… यह वही बिल्डिंग थी, जहाँ उस आदमी का बाइक खड़ा था। मैं वहाँ जाकर सू-सू करने लगा। तभी मुझे मधु के हँसने के आवाज आई।

मैं भी धीरे-धीरे घर की सीढ़ियों मे चढ़ गया, क्योंकि वो इमारत अभी बन रही थी तो उसमें कोई भी नहीं था। जहाँ से आवाज़ आ रही थी, मैं सामने से सीढ़ी के ऊपर चला गया और चूंकि उस इमारत में ईंटों के बीच में कई जगह रिक्त स्थान होते हैं वैसे ही एक होल से मैंने एक कमरे में झाँक कर देखा तो मधु और वो आदमी नारायण वहाँ बैठे थे।

वो आदमी खड़े होकर सिगरेट पी रहा था और मधु एक खटिया जो कि शायद चौकीदार की होगी, वहाँ बैठी थी। सिगरेट पीते-पीते वो मधु के पास आया और उसका साड़ी का पल्लू गिरा दिया। मधु के बड़े-बड़े दूध जो कि आधे बाहर आ रहे थे, देखने लगा।

नारायण ने बोला- कसम से यार क्या चीज़ हो! मधु ने मुस्कुरा कर बोला- तो जल्दी करो ना…! नारायण ने अब सिगरेट फेंक कर मधु को खड़ी कर दिया और गले से लगा लिया। उसके दोनों हाथ मधु के गोल-गोल चूतड़ों को मसल रहे थे। मधु उससे लिपट गई थी।

नारायण के हाथ मधु के चूतड़ मसलते हुए कभी उसकी साड़ी को ऊपर उठा देते थे। फिर उस आदमी ने पीछे से ही मधु के ब्लाउज का हुक खोल दिया और मधु शर्मा गई और अपना मुँह छुपा लिया। ब्लाउज खोलने के बाद मधु फिर से उससे लिपट गई और उसे अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया।

नारायण ने भी उससे पीछे से सहलाना चालू कर दिया। मधु अब सफ़ेद रंग की ब्रा में थी और उसका गोरा बदन साफ दिख रहा था। करीब 5 मिनट के बाद नारायण ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और मधु की गाण्ड को अपनी तरफ खींच कर उसके दूध जो करीब एक-एक खरबूजे के नाप के थे, दबाने और मसलने लगा।

मधु अब अपने हाथों से उसके गालों को सहलाने लगी। नारायण ने अपने हाथ नीचे ले जाकर मधु के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया। मधु अब पूरी नंगी हो गई थी।

उसके नीचे वाली जगह पर नारायण ने देखा कि वहाँ पर एक भी बाल नहीं है, तो नारायण ने बोला- वाह मेरी जान.. चिकनी..! नारायण ने अब जोर-जोर से मधु के दूधों को दबाना शुरू कर दिया उसके निप्पलों भी चूस रहा था। मधु के चूचुकों के सामने एक काले रंग का गोल निशान था जिसे देखने में भी बड़ा मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर के बाद नारायण ने बोला- नीचे जाओ ना..! मधु ने बोला- नहीं.. मुझे घिन आती है..!

ऐसा कह कर नारायण से लिपट गई। नारायण ने थोड़ी देर उसकी कानों में पता नहीं क्या बोला मधु नीचे खटिया में बैठ गई। नारायण उसके सामने खड़ा हो गया, मधु ने अपने हाथ से नारायण के पैन्ट की चैन खोल दी। नारायण ने अब अपना पैंट का बटन खोल कर अंडरवियर में आ गया। मधु ने उसका अंडरवियर नीचे कर दिया। नारायण के पूरे शरीर में बाल थे। यहाँ तक कि उसके लण्ड में भी..!

वो पूरा दानव लग रहा था, अंडरवियर हटते ही उसका लंड जो करीब एक बिसलरी की बॉटल जितना लंबा और उतना ही मोटा होगा, बिल्कुल तना हुआ बाहर आ गया। मधु उससे हाथों से सहला रही थी, उसके बाद मधु ने उसे अपने साड़ी से साफ किया और मुँह में लेकर चूसने लगी।

नारायण अब मधु के बालों को सहला रहा था और उसके मुँह से ‘आ..ह. आह.. मधु..’ की आवाज़ आ रही थी। मधु भी अब पूरी तरह गरम हो गई थी और ‘लॅप.. लॅप’ उसके लौड़े को चूस रही थी। उसकी लार से वो काले सर्प की तरफ डरावना दिख रहा था।

करीब 10 मिनट बाद मधु बोली- नारायण अब जल्दी.. आओ.. मुझसे सब्र नहीं हो रहा…

नारायण ने मधु के पावों के बीच आ गया और उसके बुर को चाटने लगा। मधु अब सीधी लेट गई और अपने दूध दबाने लगी। उसके मुँह से सिसकारियाँ आने लगी’। नारायण अपनी 2 उँगलियाँ मधु के बुर के अन्दर डाल कर अन्दर-बाहर कर रहा था। मधु सिसकारी लेते हुए बोली- बस.. बस.. नारायण मेरा आने वाला है जल्दी डालो…!

य्ह सुनते ही नारायण ने अपना करीब 11 इंच का लवड़ा का सुपारा जो करीब 3 इंच की गोलाई का एक टमाटर के बराबर रहा होगा, मधु की बुर में लगा दिया और ज़ोर से धक्का मार कर अन्दर कर दिया। मधु के सिसकारी निकल गई- ओइईई माआआ मर गई.. धीरे कर..ओ..!

नारायण अब धीरे-धीरे अपने लवड़े को अन्दर-बाहर करने लगा और बीच-बीच के मधु को चुम्बन कर रहा था। लगभग 5 मिनट तक ऐसा करने के बाद मधु बोली- नारायण मेरा काम खत्म हो गया..! नारायण ने बोला- मेरी जान आज तुझे जन्नत के सैर कराऊँगा..! अब वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।

मधु ने बोला- मुझे अब ऊपर आने दो! ऐसा बोलते ही नारायण ने उसकी बुर से अपना हलब्बी निकाल लिया और चित्त लेट गया।

अब मधु उसके ऊपर आ गई, उसने पहले नारायण के लवड़े को पकड़ कर अपनी बुर के अन्दर डाल दिया और उसके ऊपर कूदने लगी। बीच-बीच मे वो अपने गाण्ड को गोल-गोल घुमाती थी। नारायण के मुँह से आवाज़ आ रही थी- मेरी जान.. बहुत बढ़िया..!

वो मधु के दोनों दूध दबा रहा था। मधु की गोरी गाण्ड और नारायण का काला लंड और काला अंग का मिलन कहर ढा रहा था। करीब 5 मिनट के बाद मधु थक गई और बोली- बस..! नारायण ने उससे गोद में उठाया और मधु के होंठों से अपने होंठों को चूमने लगा। अब नारायण मधु की गाण्ड को हाथों से सहला रहा था। फिर उसने मधु को घोड़ी बना दिया और उसके पीछे से डालने लगा, लेकिन वो जा नहीं रहा था, क्योंकि मधु थोड़ी मोटी थी।

नारायण ने मधु को बोला- जान.. जरा आगे की तरफ थोड़ा सा झुको..! मधु आगे की तरफ झुक कर अपने हाथों से अपने गाण्ड को फैला कर बोली- आओ.. अब..! नारायण ने अपना लवड़ा मधु के चूत में फिर से घुसा दिया और जोर-जोर से ठापें मारने लगा। पूरा कमरा ‘ठप्प-ठप्प’ की आवाज़ से गूँज रहा था।

नारायण मधु के लटकते-हिलते दूधों को जोर से पकड़ कर दबा रहा था। बीच-बीच में वो मधु की गाण्ड पर चपत भी लगाता और मधु ‘अया.. अया’ के आवाज कर रही थी। नारायण अपने दोनों हाथों से उसके दूध को पकड़ के जोर से ठाप पर ठाप मारे जा रहा था।

अब मधु चुदते हुए बोली- बस नारायण.. अब नहीं.. जलन हो रही है..! नारायण ने अपना लंड निकाल कर उसमें फिर ठोक दिया। मधु के मुँह से आवाज़ आ रही थी- बस.. बस मर जाऊँगी मैं… जान..!

नारायण पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था। करीब 5 मिनट के बाद नारायण मधु के ऊपर लुढ़क गया। दोनों पसीने-पसीने हो गए थे और हाँफ़ रहे थे, फिर नारायण का लवड़ा स्वतः ही बुर से बाहर आ गया। मधु ऐसे ही लेटे रही और उसकी बुर से नारायण का माल धीरे-धीरे बाहर आने लगा।

मधु ने उसे छूकर बोला- अरे फिर तुमने तो अन्दर ही डाल दिया.. कहीं रुक गया तो..! नारायण ने बोला- अरी रुक गया तो बोल देना रमेश को.. उसका ही है… मधु बोली- हाँ.. वैसे भी तुम्हारे एक को तो पाल ही रहा है…!

ऐसा बोल कर दोनों हँसने लगे। मधु ने अब नारायण की छाती पर सर रख दिया और नारायण उसे सहलाने लगा। फिर मधु खटिया से उठी और पास में ही बैठ कर सू-सू करने लगी। सू-सू करते समय नारायण का माल भी बाहर आ रहा था।

मधु की बुर पूरी तरह से लाल और फूली हुई दिख रही थी। मूतने के बाद मधु नारायण के पास लेट गई। नारायण अब सिगरेट सुलगा चुका था और पी रहा था। मधु नारायण की छाती के बाल सहलाते हुए बोल रही थी।

‘जान चलो ना कहीं लंबा घूमने का प्रोग्राम बनाओ.. मैं रमेश से मायके जाने का बहाना बना लूँगी…’ नारायण ने बोला- करते हैं प्रोग्राम थोड़ा वक्त दो… मधु अब नाराज़ होकर कपड़े पहनने लगी थी, बोली- बस तुम्हारा लंड शान्त हो गया, अब मेरी कहाँ कदर…! नारायण ने उसके हाथों को पकड़ लिया, बोला- नहीं जान ऐसा नहीं..!

एक बार फिर अपने ऊपर लेटा कर उसकी गाण्ड को सहलाने लगा। उसका सोया हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया था, मधु ने उससे हाथों मे लेकर बोली- बड़ा शैतान है यह.. मानता ही नहीं.. अभी इतनी उल्टी की और फिर खड़ा हो गया..! फिर दोनों हँसने लगे।

नारायण ने मधु के दोनों पाँव ऊपर किए, मधु ने अपना साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर लिया था और नारायण ने फिर 25 मिनट तक चुदाई की। उसके बाद मधु बोली- बस.. अब चिंटू को भी लाना है, तुम मुझे छोड़ दो..उधर.. और अब मुझे तभी बुलाना, जब कही लंबा घूमने का प्रोग्राम हो.. वरना चोदने नहीं दूँगी…

नारायण अब तक कपड़े पहन चुका था। मैं भी दबे पाँव वहाँ से बाहर आ गया और गेम पार्लर में ऐसी एक्टिंग करने लगा, जैसे मैं गेम खेल कर उनका ही इन्तजार कर रहा था। नारायण ने बाइक पर बैठा कर बोला- चिंटू गेम खेल लिया? मैंने बोला- हाँ..! फिर उसने बोला- तुम्हारी माँ ने भी आज अच्छा गेम खेला। मैंने बोला- कौन सा वाला? तो उसने कहा- कुछ नहीं बेटा ऐसे ही बोल दिया।

मधु ने कहा- उसे चींटी काट रही थी, कोई गेम नहीं खेला! फिर उसने हमें एक जगह छोड़ दिया, वहाँ से मधु ने ऑटो कर लिया और घर पहुँच कर बोली- चिंटू अगर तुम्हें ऐसे ही गेम खेलना है, तो यह बात किसी को भी मत बताना.. अपने पापा को भी नहीं… मैंने उसकी हाँ में हाँ मिला दी।

आशा करता हूँ कि आप लोगों के लंड का पानी जरूर बाहर आया होगा। [email protected]

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