अर्ज़ किया है

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कॉलेज से निकलते ही किताब सीने से लगा लेती हो

वाह वाह !

कॉलेज से निकलते ही किताब सीने से लगा लेती हो, हम क्या मर गये हैं जो खुद ही दबा लेती हो!?


बहुत अच्छी फ्रेंड थी वो मेरी

अचानक से मेरे लिए ख़ास हो गई

ज़िंदगी भर फेल होती थी कम्बख़्त

प्रेग्नेन्सी टेस्ट में पास हो गई!


जब जब जुबाँ पर तेरा नाम आता है, कसम से यह हाथ नीचे चला जाता है, तुझ बिन मैं जी नहीं पाऊँगा, एक बार तो करवा ले जानेमन, वरना हिला हिला कर ही मर जाऊँगा!


ग़ालिब ने अपनी बीवी तो चोदते हुए अर्ज़ किया…. बेगम जब भी हम चोदते हैं… तुम पाद देती हो! यह क्या तुम हमारे चोदने की दाद देती हो !?!


औरत को अपनी चूत की गहराई पे नाज़ है, तो हमें भी अपने लंड की लम्बाई पे फख्र है! अगर उसकी चूत शबनम का शवाब है, तो हमारा लंड भी लखनऊ का नवाब है!


हमने तो अपने दिल में अरमान संजोये थे कि

उनकी सलवार का नाड़ा खोलेंगे

उनकी ब्रा के हुक खोलेंगे

उनकी पेंटी की एलास्टिक खींचेंगे

पर उनकी बेवफाई तो देखो

वो तो नंगी ही चली आईं!


जान से भी ज़्यादा उन्हें प्यार किया करते थे!!

पागलों की तरह उन्हें याद किया करते थे!!

अर्ज़ है..

जान से भी ज़्यादा उन्हें प्यार किया करते थे!!

पागलों की तरह उन्हें याद किया करते थे!!

अब तो उन राहों से भी नहीं गुजरा जाता.. जहाँ बैठ कर उनकी ब्रा में हाथ डाला करते थे!!


वो 500/- रुपये मांगती रही… हम 250/- पे ही अड़े रहे!

वो नाड़ा बाँध के चली गई… हम लंड पकड़ के खड़े रहे!

मुठ के लिए ही हम रह गए… किस्मत हमारी हार गई हाय ग़रीबी मार गई… हाय ग़रीबी मार गई!!


अर्ज़ किया है – महफ़िल में हमारे जूते खो गये

तो हम घर कैसे जायेंगे ?

महफ़िल में हमारे जूते खो गये

तो हम घर कैसे जायेंगे ?

किसी ने कहा-

आप शायरी तो शुरू कीजिए इतने मिलेंगे कि आप गिन नहीं पायेंग…


उस्ताद छोटूमल साहब ने आजकल की लड़कियों का हौंसला देखते हुए एक शेर अर्ज़ किया है, गौर फरमाइएगा!

वक़्त कहता है मुझे गंवा मत,

दिल कहता है मुझे लगा मत,

प्यार कहता है मुझे आजमा मत,

और आजकल की गर्लफ्रेंड कहती है: “डाल-डाल, तू घबरा मत!”


उस्ताद छोटूमल साहब ने रोते हुए अपने एक दोस्त को बताया- यार, क्या बताऊँ तुझे, कभी कभी शायरी मंहगी पड़ जाती है।

दोस्त- क्या हुआ उस्ताद, ऐसा क्यूँ बोल रहे हो?

उस्ताद साहब- यार कल मैंने अपनी गर्ल-फ्रेंड को बड़े शायराना अंदाज़ में बोला:

“जानू कैसे निकलती है जिस्म से रूह,

बता तो सही,

तो उस कमीनी ने ज़ोर से मेरे टट्टे दबा दिए!”


उस्ताद छोटूमल साहब का अपनी प्रेमिका के ऊपर लिखा गया एक शेर, जो बेचारे की मजबूरी साबित करता है।

रोज़ सपने में आती हो,

नींदें हमारी उड़ाती हो,

चड्डी हमारी कौन धोएगा जानेमन,

जो रोज़ रात को आकर भिगो जाती हो!


उस्ताद छोटूमल साहब एक दिन ग़रीब लोगों के उपर प्रवचन करते हुये कहते हैं-

ग़रीब आदमी की भी क्या ज़िंदगी होती है…

पैंट खरीदता है तो जूते फट जाते हैं..

जूते खरीदता है तो शर्ट फट जाती है…

सब कुछ एक साथ खरीदता है  तो गांड फट जाती है..


एक बार एक मशहूर रण्डी सलमा ने सब्जी मंडी में दो फुट लंबी मूली देखकर सब्जी वाले उस्ताद छोटूमल साब से पूछा- अमा साहब, यह क्या नाचीज है?

सब्जी वाले उस्ताद छोटूमल साब- जी मोहतरमा, यह हमारे लिए तो मूली है पर आपके लिए मामूली है।


उस्ताद छोटूमल साहब प्रवचन करते हुये कहते हैं- शादी की गाँठ तो आसमान में ही बँध जाती है…

इंसान तो सिर्फ़ पेटीकोट सलवार और ब्रा की गाँठ खोलने के लिए ज़मीन पे भेजा जाता है…


उस्ताद छोटूमल साहब से उनके चेली सलमा बेगम ने पूछा- इन्सान अपने को सबसे ज्यादा असुरक्षित कब महसूस करता है?

उस्ताद छोटूमल साहब ने जवाब दिया- जब वो किसी ऐसे शौचालय में बैठा हो जिसके दरवाजे में कुण्डी ना हो!


उस्ताद छोटूमल साहब की शायरी:

महबूब मेरे… महबूब मेरे…

तेरी मस्ती में मुझे जीने दे…

बहुत दूध है तेरे सीने में…

मुझे दबा दबा के… पीने दे…!


निप्पल मिला तो चूसना शुरू

दीवार मिली तो मूतना शुरू

ज़ुबान फिसली तो माँ-बहन शुरू

गांड मिली तो उंगली शुरू

फ़ोकट की मिली तो पीना शुरू

लण्ड हाथ आया तो हिलाना शुरू

चार दोस्त मिले तो गांड मस्ती शुरू

लड़की मिली तो चुदाई की प्लानिंग शुरू

ऐसा मैसेज मिले तो फॉरवर्ड करना शुरू…


उनकी शादी हिन्दी टीचर से हुई, दिखने में बिल्कुल छुई-मुई.. जैसे ही उन्होंने चूत की तरफ़ हाथ बढ़ाया, वहाँ विस्पर लगा पाया.. पत्नी जी ने उनसे कहा- असुविधा के लिए खेद है, मेरे प्रियतम उदास ना होइए.. पीछे की तरफ दूसरा छेद है..!!


मोहब्बत तो किसी एक से करूँगी

हो सके तो किसी नेक से ही करूँगी

लेकिन जब तक न मिलेगा वो आठ इंच का

‘ट्राई’ तो हर एक का करूँगी !


लंड पे ऐतबार किसको है

मिल जाये चोदने को चूत तो इंकार किसको है

कुछ मुश्किलें है चूत पाने में दोस्त

वरना मुठ मारने से प्यार किसको है !


तूफानों में छतरी नहीं खोली जाती,

ब्रा से पहले पैंटी नहीं खोली जाती,

वियाग्रा खाना शुरू कर मेरे दोस्त,

क्योंकि ज़ुबान और उंगली से

औरत नहीं चोदी जाती !


तीन अलग अलग लोगों द्वारा ताजमहल पर शायरी

छड़ा कुंवारा:

तकदीर में है मगर किस्मत नहीं खुलती ताजमहल तो बनाना चाहता हूँ मगर मुमताज नहीं मिलती!

आशिक:

तकदीर में है मगर किस्मत नहीं खुलती, मुमताज मिल तो गई है, ताजमहल भी बनाना चाहता हूँ! मगर मुमताज शादी नहीं करती!

शादीशुदा:

तकदीर में है मगर किस्मत नहीं खुलती ताजमहल तो बनाना चाहता हूँ, मगर मुमताज नहीं मरती!


चोदत चोदत जग मुआ, चोदू भया ना कोय, सांडे के तेल से मालिश करा, लंड तुरंत चोदू होय!


कल चोदे सो आज चोद, आज चोदे सो अब, बीवी तो चुदती रहेगी, पड़ोसन चोदेगा कब?


ऐसी लड़की चोदिये, लंड अपना आपा खोए, औरों से चुदी न हो, बीवी ऐसी होए!


बड़ा हुआ तो क्या हुआ, तेरा लंड हुजूर, हमने भी तो लड़कियों से मज़े लिए भरपूर!


करत-करत चुदाई से, लंड होत बलवान, चूत में आवत जात से, लंड बने महान!


कुंवारी कली ना चोदिये, चुद के करे घमंड, चुदी-चुदाई चोदिये जो लपक के लेवे लंड!


चूत चोदने में क्या मज़ा, चूत में गंदा पानी, मर्द है तो मुट्ठ मार, कह गया सन्त चुदवानी!


चोदते-चोदते सुबह हो गई लंड में पड़ गए छाले, चूत फट के गुफा हो गई, वाह रे चोदन वाले!


दूर गाँव में एक बस्ती है, जहाँ की रंडियाँ बड़ी सस्ती हैं, उनकी गांड में इतनी मस्ती है, जितना चोदो, उतना हंसती हैं!


चूत चूत सब एक सी, एक ही चूत का रंग, बड़े प्रेम से चोदिये, चौड़ी हो या तंग! चौड़ी हो या तंग, चूत के चोहनहारा, ऐसी चोदो चूत, गांड से चले पनारा! कहत कवि गिरराज, चूत की महिमा ऐसी, सुकड़ गये सब लंड, चूत वैसी की वैसी! [email protected]


कब तब सम्भालोगी यौवन को, इसको ढल जाना होता है, और किस पल ये ढल जाएगा, कौन ठिकाना होता है! . तुम सुन्दर हो, इस बात का ही हर एक दीवाना होता है, ये सुंदरता गर चली गई तो फिर तो पछताना होता है, कब तक सम्भालोगी यौवन को, इसको ढल जाना होता है! . तुमने कितनों को चाहा मन में, ये सच अनजाना होता है, जब तक ना तुम स्वीकार करो, हर शख्स बेगाना होता है, कब तक सम्भालोगी यौवन को, इसको ढल जाना होता है! . तुम आज ज़रा सा कह भर दो, पल में फ़साना होता है, प्रेम निमंत्रण को ना कहना, ये दिल का ठुकराना होता है, कब तक संभालोगी यौवन को, इसको ढल जाना होता है! . कब तक डरोगी जमाने से, ये ज़माना ऐसे ही रोता है, ये तन मन सौंप दो मुझको, फिर डर तो बहाना होता है, कब तक सम्भालोगी यौवन को इसको ढल जाना होता है! . जब ढल जाएगा ये यौवन, फिर से ना आना होता है, कोई खास नहीं होती मुश्किल, बस प्यार जताना होता है, कब तक सम्भालोगी यौवन को, इसको ढल जाना होता है! . अपना कर तो देखो मुझको, फिर क्या अफ़साना होता है, सब न्यौछावर कर देने में ही, तो प्यार लुटाना होता है, कब तक सम्भालोगी यौवन को, इसको ढल जाना होता है!


मुद्दत के बाद देखा तो बदली हुई थी वो, ना जाने क्या हादसा हुआ, सहमी हुई थी वो, उसने मुझे देख के अपना चेहरा छुपा लिया, पर उसकी चाल बता रही थी कि ताज़ी ताजी चुद कर आ रही थी वो!


आज कल के कुछ बाबा : दिन में हरि ओम रात में कंडोम दिन में पूजा और आरती रात में विद्या और भारती दिन में स्वाहा रात में आहा आहा!


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