तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-4

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Teen Buddon Ne Meri Seal Todi-4

तभी दादाजी ने ज़ोर से बायां वाला मम्मा दबा दिया.. मेरे मुँह से ‘अहह’ निकल गया…

तो दादा जी ने कहा- क्या हुआ निकी?

मैंने जाने कैसे कह दिया- कुछ नहीं…

उसके बाद तो जॉन्सन अंकल और दादा जी तो जैसे खुल ही गए और दादा जी ने ज़ोर-ज़ोर से मेरे मम्मों को दबाना चालू कर दिया.. और मैं ‘अहह.. उहह.. सी..’ की आवाज़ निकालने लगी।

मुझको बहुत गर्मी और न जाने कैसा अजीब सा लग रहा था.. पर मैं उन्हें मना नहीं कर पाई।

तभी जॉन्सन अंकल ने, जो मेरा हाथ पीछे से पकड़े हुए थे.. उन्होंने उसी हाथ को और पीछे ले जाकर मेरे हाथ में सीधा एक बहुत मोटा और लंबी रॉड जैसी चीज़ के ऊपर रख दिया।

वो चीज इतनी गरम थी कि जैसे लोहा तप रहा हो… इतना मोटा कि मेरी मुट्ठी में नहीं आ रहा था, मुझे समझ में आ गया कि यह उनका लण्ड है…

मैंने पहली बार किसी मर्द का इतना बड़ा लण्ड पकड़ा था।

इसके पहले एक-दो बार ग़लती से कहीं-कहीं ऐसे ही किसी को मूतते हुए देखा था और मैंने सहेलियों के साथ कुछ ब्लू-फिल्म देखी थीं.. तो इसके बारे में सब पता तो था.. पर आज पहली बार.. वो भी तीन मर्दों के साथ इस तरह का मौका मिला था, वो भी सब 60 साल के आस-पास के बुड्डे.. ओह.. माय गॉड…

इतने में मेरा हाथ पकड़े हुए अपने लण्ड को मेरे हाथ से ऊपर-नीचे रगड़वाने लगे मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी.. और मुझे कुछ अन्दर ही अन्दर हो भी रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

तभी दादा जी ने सीधे मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे एक मम्मे को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने से लगे। तभी मैंने महसूस किया कि मेरे पैर के तलवों को दूसरे अंकल चाट रहे थे.. मुझे अब कुछ-कुछ होने सा लगा और मेरा मन मेरे संयम से बाहर निकलने लगा। तभी दादा जी मेरे मम्मों को छोड़ कर मेरे कानों को चाटने लगे।

कहते हैं.. वहाँ से बहुत उत्तेजना बढ़ती है और ऐसा ही हुआ.. जाने क्यूँ.. अब तो ऐसा लग रहा था कि मुझसे कोई प्रतिरोध ही नहीं हो रहा हो।

इतने में दादा जी ने मुझसे कहा- निकी कैसा लग रहा है अब?

मैंने कुछ नहीं बोला तो फिर बोले- बताओ ना निकी.. तुमने कहा था कि हर बात मानूंगी.. नहीं तो प्रोमिस टूट जाएगा बोलो न…

मैंने कहा- पता नहीं…

तो दादा जी बोले- रूको अभी तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा.. प्रोमिस.. नहीं तो हम चले जाएँगे।

यह कहते हुए उन्होंने अपना लण्ड निकाल के मेरे गालों में रगड़ने लगे। उसकी महक मेरी साँसों में घुलने लगी थी।

तभी दादा जी ने मेरे होंठों को चूमा और उन्हें चाटने लगे। इधर जॉन्सन अंकल मेरे हाथ से अपना लण्ड रगड़वा रहे थे उनका लण्ड और लंबा हो गया और मोटा भी इतना कि मेरा मन मचलने लगा था।

इतने में दूसरे अंकल.. जो दादा जी के साथ थे.. वो तो सीधे मेरे ऊपर ही चढ़ गए और मेरे दोनों मम्मों को मेरी टी-शर्ट के ऊपर से जम के दबाने लगे और वो जो बोले.. उसके बाद तो जैसे मुझ पर गाज ही गिर गई हो।

मैं पहली बार ये सब सुन रही थी…

वे बोले- क्या मस्त दूध हैं निकी के.. बड़े-बड़े.. यार इसकी नाभि तो देखो और पतली कमर.. मुझे लगता है ये बहुत चुदी हुई है….

मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरे बारे में ये ऐसा बोलेंगे कि तभी दादाजी ने भी कहा- हाँ ये निकी.. खेली-खाई तो लग रही है … और फिर वे मुझसे बोले- निकी सच बताना.. अब हमसे मत शरमाना.. कितने लोगों से चुद चुकी हो? बताओ ना डार्लिंग…

जैसे ही दादाजी ने मुझे ‘डार्लिंग’ बोला.. मैं स्तब्ध रह गई….

मेरे मुँह से अपने आप जबाव भी निकल गया- किसी से नहीं.. आई एम वर्जिन..

इसके साथ ही.. ना चाहते हुए मेरे मुँह से ये भी निकल गया- मेरा ये पहली बार है..

इतना सुनते ही जॉन्सन अंकल बोले- तो निकी.. तुम आज पहली बार फकिंग करवाओगी!

मैंने कुछ नहीं बोला.. तभी दादा जी मेरे होंठों के बीच में अपना लण्ड रगड़ने लगे।

मुझे गुदगुदी सी हो रही थी कि तभी दूसरे अंकल ने इतने ज़ोर से मेरे मम्मों को दबा दिया कि मुझसे सहन नहीं हुआ.. और जैसे ही मैं चिल्लाई ‘अहह मम्मी..’ कि दादा जी ने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और बोले- चूसो निकी.. बहुत मज़ा आएगा…

कुछ देर तक तो वही अपने हलब्बी लौड़े को मेरे मुँह में आगे-पीछे करते रहे। फिर ना जाने कैसे अपने आप मेरी जीभ उनके लण्ड में चलने लगी और मैं उनका लवड़ा चाटने लगी।

तभी दादा जी ने बोल भी दिया- यारों हम जीत गए.. जो प्लान बनाया था.. वो सच में हिट हो गया.. देखो ये बहुत ही सेक्सी लड़की है.. देखो इसने क्या मस्त तरीके से मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया यार.. तुम लोग बेकार में ही डर रहे थे.. पर मैंने कहा था ना.. कि उसे बस एक बार कह दो.. तो वो मना नहीं करेगी और अगर उसको छू लो.. तो वो पागल हो जाएगी…

मैं हतप्रभ सी उनकी तरफ देख रही थी।

उन्होंने कहा- जॉन्सन.. मैं उस दिन की बताऊँ.. जब ये तेरे भतीजे जैक्सन के साथ पार्क में लिपटी हुई थी.. वो इसे चूम रहा था और इसके मम्मों को भी खूब दबा रहा था.. मैं तभी इसकी हालत देख कर समझ गया था कि ये तो गजब की सेक्स बॉम्ब है… देखो अब.. मुझे सब साफ़ भी हो गया है।

वैसे तो सब दादाजी ने ये सब बोल भी दिया था। लेकिन ये सच था कि उस दिन पार्क की हरकत मेरी भूल थी और ये लोग बस उसी गलती का फायदा उठा रहे हैं और वो भी पहले से ही योजना बना कर मुझे दबोचे हुए थे।

अब तो कुछ होना-जाना नहीं था और उत्तेजना से मेरी हालत और भी खराब हो रही थी…

तभी दूसरे वाले अंकल मेरी टी-शर्ट ऊपर करने लगे और ब्रा को मेरे मम्मों से ऊपर गले तक चढ़ा दिया.. अब मेरा पूरा पेट नंगा हो कर साफ़ दिखने लग गया था। मेरी ब्रा गुलाबी रंग की थी.. तो उसे देख कर तीनों एक साथ बोले- बाप रे.. इसके क्या मस्त मम्मे हैं यार…

दादा जी ने कहा- कभी 18 साल की लड़की के मम्मे देखे हैं.. तुम लोगों ने.. ऐसे मस्त मम्मों को तो मैंने भी कभी कल्पना में नहीं सोचा था.. वाऊ…

जॉन्सन अंकल ने कहा- इतनी कम उम्र की ऐसी आइटम.. मैंने सपनों में भी नहीं सोची थी.. निकी.. सच में तुम क्या मस्त चीज़ हो यार.. तुम्हारे क्या मस्त उठे हुए मम्मे हैं.. माय गॉड…

दूसरे वाले अंकल भी बोले- यार मैंने भी आज तक इतना मस्त माल नहीं देखा.. मैं 60 साल से ज़्यादा का हूँ पर इस उम्र में मेरी किस्मत में ऐसा माल लिखा होगा.. मुझे तो यकीन ही नहीं होता.. ऐसा लगता है कि इसके मम्मों को तो कच्चा ही खा जाऊँ…

तभी दादा जी बोले- चलो हम तीनों अपने अंडरवियर बनियान सब उतार दो और अब निकी को इतना मज़ा दो कि जिंदगी में ये हमें भूल ना पाए…

और उनकी आहट से मुझे पता चला कि उन तीनों ने अपने सब कपड़े उतार दी और नंगे हो गए.. ये सोच कर ही मेरा दिमाग़ सुन्न हो गया…

अब दादा जी ने मेरे लोवर के ऊपर से ही सीधे मेरी दोनों टाँगों के बीच में अपना मुँह रख दिया और ज़ोर से मेरी चूत को चूम लिया। आज पहली बार किसी मर्द ने मेरी उस जगह को चुम्बन किया था।

फिर दादा जी बोले- ऊपर से ही बड़ी मस्त खुश्बू आ रही है.. निकी की चूत की… वे मेरे लिए इतना गंदा से गंदा बोल रहे थे.. जो मैंने सिर्फ ब्लू-फिल्म में ही सुना था…

मुझे ये सब सुनते ही न जाने क्या हो जाता.. तभी जॉन्सन अंकल बोले- अब निकी के कपड़े उतार देते हैं इसको भी नंगी कर दो.. तब इसके साथ चोदने में मज़ा आएगा…

तो दूसरे वाले अंकल बोले- ऊपर के कपड़े मैं उतारूँगा…

दादाजी ने कहा- ठीक है.. नीचे के मैं उतारता हूँ…

तभी दादा जी ने मुझसे कहा- निकी तुम अब आँखें खोल लो।

मैंने ‘ना’ में सिर हिलाया तो बोले- खोल लो आँखें.. तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा.. नहीं तो तुम कहोगी तो हम चले जाएँगे.. प्रोमिस.. चलो खोलो आँखें.. निकी खोलो ना…

मुझे बहुत शर्म आ रही थी.. जाने क्या लग रहा था.. आँखें खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी, पर उनकी ज़िद में मैंने अपनी आँखें जैसे ही खोलीं.. मेरा दिमाग बिल्कुल ही चलना बंद हो गया…

मेरा आपसे निवेदन है कि मेरी कहानी के विषय में जो भी आपके सुविचार हों सिर्फ उन्हीं को लिखिएगा।

मेरी सील टूटने की कहानी जारी है।

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