मेरी दूर के रिश्ते की चुदक्कड़ बुआ-1

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यह वो कहानी है, जिसमें जब चुदास दिमाग़ में भर जाती है.. तब ना कोई उम्र और ना ही कोई रिश्ते का ख्याल रहता है… सिर्फ़ और सिर्फ़ सेक्स.. दिमाग में हर तरह से सेक्स ही सेक्स छाया हुआ होता है। दोस्तो मैं चुदाई का शौक़ीन हूँ.. लेकिन मर्यादा को समझने वाला लड़का हूँ। परन्तु जब एक सुन्दर.. चिकनी.. बिना बालों की चूत सामने हो और चोदने के लिए बुला रही हो.. तो क्या मर्यादा.. और क्या रिश्ता.. आदमी सब भूल कर बस उस चूत का ही हो जाता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।

मेरे पापा ऑफिस में काम करते हैं। उनकी टाइमिंग 9 से 6 की है.. लेकिन घर आते-आते 8 बज जाते हैं। मम्मी सोशल सर्विस में समय पास करती हैं और दिन में बाहर ही रहती हैं। मैं कॉलेज से आकर सारा दिन घर में अकेले ही होता हूँ। मेरी दूर की बुआ जब हमारे घर 2 हफ्ते रहने के लिए आईं तो मुझे मालूम नहीं था कि आने वाला समय मेरे लिए कभी.. एक ना भूलने वाला समय होगा।

मुंबई शहर में रहने वाली खुले ख्यालों वाली और थोड़ी बोल्ड किस्म की बुआ मेरे पापा से 15 साल छोटी कोई 29 साल की थीं। कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के के जैसे मेरी उम्र 21 साल की थी।

मेरी बुआ दिखने में सुंदर हैं.. लेकिन उसका ड्रेस पहनने का तरीका ऐसा है कि कोई भी देखता ही रह जाए, एकदम हॉट एंड सेक्सी लगती हैं।

मैं कई बार उसको तिरछी नजरों से देखता हूँ और ये बात उसको भी पता है.. लेकिन वो इस का जवाब सिर्फ़ मुस्कुरा कर देती है। शायद वो किसी मौके का इंतज़ार कर रही है। लेकिन मैं सिर्फ़ उसको देखता ही हूँ.. दिल में उसको चोदने का ख्याल नहीं आया.. क्योंकि मुझे रिश्ते का डर है।

एक दिन मैं कॉलेज से कोई एक बजे ही वापस आ गया.. उस वक्त घर पर कोई नहीं था.. सिर्फ़ बुआ थीं.. जो कि शायद अभी-अभी सो कर उठी थी और रसोई में चाय बना रही थी। मुझे देख कर रसोई में से बोली- बॉबी तुम चाय पियोगे?

मैंने कहा- हाँ.. बना दो बुआ।

थोड़ी देर में बुआ दो कप ले कर आ गई और मेरे सामने बैठ गई।

उसने सिर्फ़ नाइटी पहन रखी थी.. जिसका गला काफ़ी बड़ा था.. जब वो चौकी पर कप रख रही थी.. तो उसकी नाइटी में से उसके दो गोरे-गोरे मम्मे दिखने लगे.. मम्मों के ऊपर कोई ब्रा नहीं थी.. एकदम टाइट छोटे-छोटे निप्पल.. एक सेकंड में ही मैंने सब कुछ देख लिया और लण्ड ऐसा टनटनाया कि पिंजरा तोड़ने को तैयार हो गया।

लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और सामने वाली खिड़की की तरफ देखने लगा।

बुआ समझ गई कि मैंने उसकी चूचियों को देख लिया है और मैं शर्मा गया हूँ। वो मेरे सामने बैठ गई और बातें करने लगी.. बोली- बॉबी.. आज तुम बड़ी जल्दी घर आ गए?

मैंने कहा- हाँ बुआ.. आज टीचर नहीं आया और कोई ज्यादा काम भी नहीं था इसलिए जल्दी आ गया।

फिर वो बोली- तुम्हारे इधर बहुत मच्छर हैं.. देखो मुझे काट लिया.. तभी अचानक उसने अपनी नाइटी को ऊपर उठा दिया.. अब उसकी चिकनी जाँघ मेरी आँखों के सामने थी।

मैं एकदम पसीने-पसीने हो गया।

वो बोली- बॉबी.. क्या हुआ.. तुम ठीक तो हो?

‘हाँ.. मैं ठीक हूँ.. ज़रा गर्मी है ना इसलिए पसीना आ रहा है।’

वो बोली- तुम जितने भोले लगते हो उतने हो नहीं..।

‘क्यों क्या हुआ..?’ मैं बोला।

‘मैं चाहूँ.. तो तुम्हारे पापा को सब कुछ बता सकती हूँ..’

‘मैंने क्या किया है..?’ मैं बोला।

‘रात को तुम बाथरूम की खिड़की से क्या देख रहे थे?’

मैं एकदम सकते में आ गया। रात को जब मैं बाथरूम के बाहर से निकल रहा था.. तो कुछ आवाज़ सुन कर रुक गया था। फिर मैंने खिड़की में से देखा तो बुआ एकदम नंगी खड़ी थी। उसकी मोटी और गोरी-गोरी गाण्ड मेरी तरफ़ थी.. जिस पर साबुन का झाग लगा हुआ था। ना जाने बुआ अपनी गाण्ड को क्यों आगे-पीछे हिला रही थी। तभी अचानक कोई चीज़ नीचे गिरी.. मैंने देखा वो एक मोमबत्ती थी.. मैं समझ गया.. बुआ मोमबत्ती से अपनी चूत मार रही थी। उनके मुँह से ‘सस्स्स्सस्स उफफफफफ्फ़ ऊऊऊऊ आह अह्ह्ह..’ की आवाज़ निकल रही थी।

जब वो मोमबत्ती उठाने के लिए झुकी.. तो उसकी चूत ओर गाण्ड का सुराख एकदम मेरी आँखों के सामने था.. एकदम चिकनी चूत.. कोई बाल नहीं.. चूत का मुँह एकदम मेरी आँखों के सामने.. उफफफ्फ़.. मेरा लण्ड एकदम खड़ा हो गया था।

शायद तभी बुआ ने मुझे देखा होगा। मैं तो चूत देखने में मस्त था। लेकिन फिर भी बुआ ने मोमबत्ती उठा कर अपनी चूत की प्यास बुझाई।

अब इधर बैठ कर मुझको डरा-धमका रही है।

मैं भी हिम्मत करके बोला- बुआ, मैं भी बता दूँगा कि तुम मोमबत्ती से अपनी चूत मारती हो।

वो एकदम खिलखिला कर हँस पड़ी- मेरे बॉबी.. तुम तो नाराज़ हो गए.. मैं तो मज़ाक कर रही थी यार..। देखो ये सेक्स एक ऐसी चीज़ है.. जिसको तुम कंट्रोल नहीं कर सकते.. तुम भी तो मुठ मारते हो ना.. मैंने देखा है तुमको मुठ मारते हूए.. तो क्यों ना हम मिल कर इसका मज़ा लें.. इतना कह कर वो मेरे पास आकर बैठ गई और अपना हाथ मेरी छाती पर रख कर सहलाने लगी।

अब मेरा लण्ड माने नहीं मान रहा था। मैंने भी अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा और दबाना शुरू कर दिया।

अब उसके मुँह से ‘आआआअह.. आआआआआहह.. उउउह.. स्स्स्स्सहह..’ की आवाजें आनी शुरू हो गई थीं।

‘बुआ तुम बहुत सेक्सी हो.. उसदिन तुम्हारी चूत देखने के बाद.. मैंने दो बार मुठ मारी थी..’ मैंने कहा।

वो बोली- तुम तो चूतिया हो.. जब चूत तुम्हारे सामने थी.. तो तुम्हें मुठ मारने की क्या ज़रूरत थी।

ये कह कर उसने अपने हाथ से पैन्ट के ऊपर से मेरे ही मेरे लण्ड को पकड़ लिया और बोली- वाह.. मोटा है.. मज़ा देगा.. तुम्हारे अंक्ल की तो छोटी सी लुल्ली ही है.. ना साले से मज़ा आता है और ना ही उसे ठीक से चोदना आता है।

‘फिर तुम क्या करती हो..’ मैं भी अब खुल गया था।

‘अपनी बुआ से ऐसा सवाल पूछते हो.. शरम नहीं आती..’ बोली और हँसने लगी।

‘अब तुमसे कैसी शरम.. अब तो सारे काम बेशरमी से करने हैं.. बोलो ना बुआ जान..।’ मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए पूछा।

‘किसी से कहना मत.. मैं कभी-कभी कॉल-गर्ल का काम भी कर लेती हूँ.. पैसे भी बन जाते हैं और चूत की प्यास भी बुझ जाती है।’

मैं ये सुन कर दंग रह गया, बुआ और कॉल-गर्ल? अब तो खुल कर मज़ा लूटना है.. मैंने सोचा।

‘तो तुम कॉल-गर्ल हो? मैंने पूछा।

‘सिर्फ़ पार्ट-टाइम और वो भी सिर्फ़ विदेशियों से चुदती हूँ.. जो बाहर से आते हैं… उनके लिए.. मालूम है एक घंटे के 5000 लेती हूँ।

‘5000..?..ऐसा क्या करती हो 5000 बहुत ज्यादा होते हैं…’ मैंने पूछा।

‘तुम नहीं जानते.. कभी ब्लू-फिल्म देखी है.. गोरे लोग वैसे ही चुदाई करते हैं इंडियन की तरह नहीं कि सलवार उतारी.. लण्ड को चूत में डाला.. 8- 10 धक्के मारे.. और बस चुदाई हो गई।

‘तो मेरी प्यारी बुआ.. आज फिर कुछ अपना जलवा दिखाओ ना..’ मैं बोला।

वो मुस्कराई और बोली- तो ठीक है.. अब जो मैं कहूँ.. वो करते जाना.. मना मत करना..

‘ओके..’ मैं बोला।

मैं एक नया अनुभव लेने के लिए खुद को तैयार करने लगा।

आप जब तक अपना लण्ड मुठियायिए.. मैं तब तक बुआ की चुदासी चूत को चोदने की तैयारी करता हूँ। बस बाकी की कथा लेकर कल फिर हाजिर होता हूँ। नमस्कार..

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