लौड़े की तकदीर-1

अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा प्रणाम.. जनाब.. मैं अपनी एक कहानी आपके समक्ष लाने जा रहा हूँ.. जो मुझे आज तक समझ नहीं आई कि लड़कियाँ और औरतें चाहती क्या हैं। चलो आप सब का वक़्त क्यों जाया करूँ.. मैं एक 27 साल का युवक हूँ.. चूंकि मैं हिमाचल से हूँ.. तो फिट भी हूँ।

यह कहानी उस वक़्त की है.. जब मैं चंडीगढ़ पढ़ने के लिए आया था, मेरी उम्र 23 साल थी। इधर जल्दी ही मेरे 3 दोस्त बन गए.. एक सच्ची बात कहूँ कि उस वक़्त तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.. ना ही मैंने इस बारे में कभी सोचा था, बस मैं अपने में मस्त रहता था.. शाम को पैग-शैग लगा कर सो जाता था।

मेरे दोस्त कुलदीप.. राहुल.. पुनीत तीनों की गर्लफ्रेण्ड थीं.. साले आते-जाते फोन पर ही चिपके रहते थे। वहीं मज़ाक-मजाक में मैं उनको छेड़ देता था.. फोन छीन लेता था.. ज़ोर से कहता कि देख वो तेरी वाली जा रही है.. इस सब में मुझे बहुत मज़ा आता..

मेरी यह मज़ाक वाली आदत उनकी गर्ल-फ्रेंड्स को भी पता थी। धीरे-धीरे वो भी मुझसे कभी बात करने लगी थीं। उन्होंने मेरा फोन नम्बर भी ले लिया था, जब भी उनकी लड़ाई होती.. तो मुझे फोन करतीं.. ‘वो फोन नहीं उठा रहा.. प्लीज़ आशु.. उसको बोलो..’

वे इस तरह कभी रात को लड़ते.. कभी दिन में लड़ते.. और पंचायत मुझे करनी पड़ती। सारे बन्दे मुझसे प्यार करते थे.. तो मेरे कहने पर उनकी सुलह भी हो जाती।जब मैं उनकी इन हरकतों से फ्री होता था.. तो मेरे पास सिर्फ सोने का काम ही बचता था।

एक दिन पुनीत ने बताया- मुझे मेरी गर्लफ्रेंड निहारिका ने मिलने बुलाया है.. और उसने कहा है कि तुम दोनों भी साथ चलो। तो मैं और राहुल चले गए।

निहारिका पठानकोट के पास थी हमको वहाँ पर पहुँचने में 5 घंटे लगे। वहाँ हमने दो कमरे ले लिए होटल में और पुनीत को निहारिका का फोन आया और वो उसे लेने चला गया।

हम दोनों ने उसके कमरे में खूब पर्फ्यूम छिड़का.. एक कामोत्तेजक गोली भी उसे दी कि भाई आज अपना दम दिखा कर रहना.. ज़रा वक्त लगा कर खेल करना।

जैसे ही निहारिका आई.. मैं हैरान.. परेशान.. वो बहुत ही खूबसूरत थी.. पर उसका फिगर देख कर मैं थोड़ा परेशान हो गया।

वो तो एक मस्त माल लग रही थी.. 36डी-32-42 का फिगर था। एक नज़र में तो मैंने सोचा कि पुनीत तूने ग़लत लड़की को चुना है। वो लड़की काम औरत ज़्यादा लग रही थी। उसने आकर हमसे बात की और हमारे द्वारा बिना नाम बताए भी उसने हमें पहचान लिया।

वो मुझसे आँख में आँख डाल कर बात कर रही थी और मैं हैरान था कि पहली बार किसी और की गर्लफ्रेंड उसके दोस्तों से मिले.. तो इतना भी नहीं होता.. थोड़ी बहुत शर्म तो होती ही है।

कॉफ़ी पी कर वो अपने कमरे में चली गई।

मैंने राहुल से कहा- अब क्या करें..

वो तो साला फोन पर लग गया.. मैं अकेला था तो अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड बियर के साथ हो लिया.. मैं 3 बोतल पी कर गाड़ी में ही सो गया।

मैं तीन घंटे बाद उठा तो देखा तीनों लंच पर मेरा इन्तजार कर रहे थे.. मैं उठ कर उनके पास गया और देखा कि निहारिका का चेहरा ऐसे लग रहा था.. जैसे आधा खून निचुड़ गया हो.. उसकी आँखें पूरी लाल.. जैसे पता नहीं कितनी पी रखी हो। मैं थोड़ा कन्फ्यूज़ था।

खैर.. हम लोग खाना खा रहे थे और मैंने नोटिस किया कि पुनीत शर्मा रहा है.. जैसे किसे चीज़ से शर्मिंदा हो और नज़रें नहीं मिला रहा था।

वैसे मेरा कोई सेक्स अनुभव नहीं था लेकिन मैंने सेक्स पर बहुत कुछ पढ़ रख रखा था। लड़की जो मेरा शौक था कभी अपनी भी शादी होनी थी.. ये शौक आज भी है..

पुनीत निहारिका को छोड़ने चला गया।

तब राहुल से मैंने कहा- यार निहारिका थोड़ी बड़ी नहीं लगती?

राहुल ने भी ‘हाँ’ कहा और फिर मैंने भी कह दिया- मुझे तो पूरी चुदक्कड़ सी लगती है.. जैसे पता नहीं कितनी चुद चुकी है। राहुल भी यही कहना चाहता था.. मैंने कहा- चल यार.. जब दिल आया गधी पर तो परी क्या चीज है। अब पुनीत का दिल जाने और वो। राहुल- वो नेचर की बहुत अच्छी है..

उतने में पुनीत आ गया।

अब बारी थी उससे पूछने की कि क्या-क्या हुआ?

उसने बताया- उसने तो मेरा लौड़ा फाड़ने को रख दिया था।

ऊपर से चुदाई का मूड भी था। कोई 5 मिनट तक चुम्बन करने के बाद दोनों ने कपड़े उतारे और निहारिका को खूब गरम किया।पुनीत ने बताना शुरू किया कि जैसे ही कमरे में गए.. वैसे ही कुण्डी लगा कर मैंने निहारिका को चुम्बन करना शुरू कर दिया। लंच से जाते वक्त ही गोली खा ली थी..

उतने में मैंने पूछा- भाई खून कितना निकाला.. सील तोड़ी होगी ना तूने..

कहता हैं काफ़ी निकाला.. और रुमाल से साफ़ किया.. जो निहारिका यादगार के तौर पर अपने साथ ले गई है।

मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि हमें चूतिया बना रहा है.. अब जब साफ़ ही दिख रहा हो.. तो कोई भी समझ जाएगा कि बंदा झूठ बोल रहा है।

उसने बताया- मैंने एक घंटे तक लगातार निहारिका को चोदा.. वो चीखती चिल्लाती रही। मैंने पूछा- क्या चिल्ला रही थी?

तो बोला- वो माआअर डाला.. हइई माअर डाला.. ह.. . अब और मत करो कह रही थी.. कसम से यार बहुत मज़ा आया उसके नरम-गरम बदन को मसलने और चोदने मैं- मैंने तो उसको घोड़ी बना कर चोदा.. उसकी चूत फाड़ कर रख दी। अभी उसको दवाई देकर आया हूँ।

इस तरह हम बातें करते-करते वापिस आ गए।

अगले दिन मैं छुट्टी लेकर अपने गाँव चला गया.. कोई हफ़्ते बाद लौटा..

चूंकि हिमाचल में मैं पंजाब का नम्बर नहीं चलता था.. तो कोई बातचीत न हो सकी थी।

जब वापिस आया तो देखा निहारिका के मैसेज पड़े थे.. मिस्ड कॉल के मैसेज भी थे। मैंने मैसेज देखा उसमें लिखा था कि पुनीत मुझसे बात नहीं करता.. फोन नहीं उठाता.. प्लीज़ आशु उसको बोलो.. मुझसे बात करे.. ऐसी बेरूख़ी ना दिखाए..

अब मैंने पुनीत को कॉल की और निहारिका से बात करने को कहा।

पुनीत मुझ पर भड़क उठा.. कहता मैंने उससे बात नहीं करनी.. वो औरों से भी बात करती है.. उसका किसी और के साथ भी अफेयर है। मैंने उससे प्रेम किया था और जब मैं उसको चोद रहा था.. उसी दिन चुदाई के आखिरी वक्त.. उसके पास किसी यार का फोन आया था.. इसलिए मेरा और उसका रिलेशन उसी वक़्त ख़त्म हो गया था जिस दिन उसे चोदा था।

यह सुन कर मैं हैरान था.. पर लगा चलो मेरा आइडिया सही था कि निहारिका खेली-खाई लगती है।

कुछ देर बाद निहारिका ने कॉल की.. मैंने उठाई और निहारिका को खरी-खोटी सुना दीं।

मैंने उससे कभी दुबारा कॉल ना करने को भी कह दिया। अब दोस्त के लिए सब कुछ हाजिर है.. मगर फिर भी निहारिका के मैसेज मुझे आते थे। वो मुझे एक अच्छा दोस्त मानती थी जबकि मैं उससे बचने का प्रयास करने लगा था।

वो कभी-कभी शाम को कॉल भी करती थी.. जो लगभग उस दिन आती थी.. जिस दिन मैंने पी होती थी। मैं उसको खूब लताड़ता और कहता- मैंने पी रखी है.. प्लीज़ डोन्ट टॉक टू मी.. बिना उसकी बात सुने.. मैं फोन काट देता था।

दोस्तो, यह सिलसिला लगभग एक साल तक चलता रहा। एक दिन रविवार को मैं अपने कमरे में सोया हुआ था। दिन के कोई 2 या 3 बजे होंगे.. कि अचानक मेरा फोन बजा.. तो मैंने सोचा किसी दोस्त ने अपना नम्बर बताने को फोन किया होगा।

वो दिन मैं कभी नहीं भुला सकता.. उस दिन मैंने एक लड़की कहूँ या औरत को.. वो कहा.. जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। वो फोन था निहारिका का था.. और वो बात आज भी मुझे शब्द दर शब्द याद है..

मैं- हैलो.. दूसरी तरफ़ से किसी महिला की आवाज़ आई- हैलो.. मैं- कौन? वो- पहचान लो.. मैं- देखो ना तो मैं तुम्हें जानता हूँ.. ना ही मेरी कोई गर्ल-फ्रेण्ड है.. आप बताओ.. कौन बोल रही हो?

मेरे दिमाग़ में निहारिका लग तो रही थी.. पर मैं पक्का नहीं था कि वो होगी।

‘मैं निहारिका बोल रही हूँ..’

मैं गुस्से में बोला- क्यों फोन किया..? एक बार समझ में नहीं आता क्या.. दुबारा फोन मत करना। वो- प्लीज़ आशु.. एक बार बात कर लो.. मैं तुम्हें कुछ पुनीत के बारे में बताना चाहती हूँ.. मैं- बोलो जल्दी से.. वक्त नहीं है मेरे पास.. वो- तुम्हें पता है.. उस दिन जब मिले थे तब क्या हुआ था? मैं- हाँ पता है..

वो- बताओ पुनीत ने मेरे बारे में क्या कहा था?

मैं गुस्से में बोला- कैसी लड़की हो तुम.. अपनी उस रात के बारे में मुझसे सुनना चाहती हो? वो- तुम बताओ तो.. उसने जो भी कहा.. मैं- तो सुनो..

दोस्तो, निहारिका ने मुझसे पूरी दास्तान सुनने के बाद जो बताया था और उसके बाद जो हुआ वो मेरे लिए एक अजीब वाकिया था.. क्या था वो.. ये सब जानने के कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें। कहानी अगले भाग में समाप्य। [email protected]