मेरा गुप्त जीवन- 13

चम्पा के साथ गुज़ारी गई कई रातों की कहानी सिर्फ इतनी है कि हर बार कुछ नया ही सीखने को मिलता था। उसके साथ यौन सम्बन्ध अब प्राय: एक निश्चित और सुचारू ढंग से होने लगा, वो दोपहर को केवल पंखे की ठंडी हवा के लिए आती थी और हम दोनों एक दूसरे से दूर ही रहते थे और यह अच्छा ही हुआ क्यूंकि -2 बार ऐसा हुआ कि मम्मी मुझ को आवाज़ लगाती हुई मेरे कमरे तक आ गई और हम को सोया देख कर वापस चली जाती थी।

यह देख कर हम दोनों अब सावधान हो गए थे और रात में भी हम दोनों थोड़ी देर के लिए कपड़े पूरे उतार कर चुदाई कर लेते थे। चम्पा भी अब पूरी तरह से काम का आनन्द ले चुकी थी और उसकी काम भूख अब काफी हद तक शांत हो चुकी थी। वो हर रात 3-4 बार छूट जाती थी और उसके बाद वो शांत हो कर सो जाती थी और मैं भी 1 बार शुरू रात में छूटा लेता था फिर सुबह की पहली चुदाई में फिर चम्पा को चोदते हुए उसका 2 बार और मेरा 1 बार ज़रूर छूट जाता था।

लेकिन गज़ब की बात यह थी कि चम्पा की चूत को ऊँगली लगाओ तो वह पूरी तरह गीली ही मिलती थी। चम्पा से पूछा तो वो बोली- मेरे पति के साथ सोते हुए मेरी चूत कभी गीली नहीं होती थी और हमेशा ही वो सूखी चूत में लंड डाल कर धक्के मार लेता और जल्दी ही छूट जाता। कभी उसने मेरे कपड़े नहीं खोले, सिर्फ धोती ऊंची करता और लंड अंदर डाल कर जल्दी जल्दी धक्के मार कर छूटा लेता और फिर जल्दी ही सो जाता… और मुझ को गर्मी चढ़ी होती थी जिसको मैं नहाते हुए शांत कर लेती थी।

मैंने पूछा- अच्छा तो बताओ, कैसे शांत करती थी तुम अपनी गर्मी? वो कुछ नहीं बोली और थोड़ी देर बाद कहने लगी- छोड़ो सोमू, तुम क्या करोगे जान कर, यह हम औरतों का गोपनीय राज़ है जो हम मर्दों को नहीं बताती।

‘अच्छा! मैं भी यह राज़ जान कर ही रहूँगा।’ ‘नहीं न… यह औरतों की बातों को जानने की कोशिश न करो मेरे सोमू।’

उस वक्त मैं चुप कर गया और ठीक मौके का इंतज़ार करने लगा। अगले दिन मैं स्कूल के सबसे बड़े लड़के को पकड़ा जो शादीशुदा था, मैं उसको बहला कर स्कूल की कैंटीन में ले गया और उसको बंटे वाली बोतल पिलाई और फिर उसकी तारीफ की जैसे वो बहुत ही सुन्दर और स्मार्ट लड़का है। वो जब खुश हो गया तो उससे पूछा- यार एक बात बतायेगा? उसने कहा- पूछो छोटे सरकार!

‘यार, आज तक यह नहीं समझ आया कि औरतें जब बहुत गरम हो जाती हैं और लंड की प्यासी होती हैं और उनका पति उनके पास नहीं होता तो वे कैसे अपनी गर्मी शांत करती हैं?’ वो मुस्करा दिया और बोला- क्या बात है छोटे सरकार, यह सवाल क्यों पूछ रहे हो? आप का किसी से चक्कर तो नहीं चल रहा? ‘अरे नहीं यार, वो क्या है घर में नौकरानियों आपस में बातें कर रहीं थी कि पति बाहर गया है सो गर्मी चढ़ती है तो शांत कर लेती हूँ! कैसे शांत करती हैं ये औरतें चढ़ी हुई गर्मी?

‘अरे यार सिंपल है, अपनी ऊँगली से चूत के ऊपर दाने को रग़ड़ लेती है और जैसे हम लड़कों का मुठ मारने से छूट जाता है वैसे ही वो सिर्फ ऊँगली से छूटा लेती हैं।’ ‘अच्छा? सच कह रहे हो?’ ‘हाँ भई हाँ, मैंने अपनी पत्नी का कई बार छुटाया जब मेरा जल्दी छूट जाता है तो मैं उसको ऊँगली से छूटा देता हूँ और वो खुश होकर सो जाती है या फिर उसका मुंह से छूटा देता हूँ।’ ‘वो कैसे यार? बता न? अच्छा कुछ खायेगा क्या? एक समोसा ले ले यार!’

समोसा खाते हुए वो बोला- किसी को बताना नहीं यार, यह मुंह का तरीका बहुत कम लोगों को मालूम है। ‘घबरा नहीं यार, मैं तेरा राज़ अपने तक ही रखूँगा। अब बता, यह मुंह का तरीका क्या है?’

और फिर उसने मुझको मुखमैथुन करना सिखाया और कहने लगा- अगर किसी स्त्री का नहीं छूट रहा हो लंडबाज़ी के बाद भी तो यह तरीका एकदम मस्त है और आज़माया हुआ है और कितनी भी सख्त औरत क्यों न हो, काबू में आ जाती है और बार बार देती है चूत!

मैं यह सुन कर एकदम खुश हो गया और सोचा यह तरीका आज ही आज़माऊँगा। किसी तरह स्कूल खत्म हुआ और मैं बहुत बेसब्री से रात का इंतज़ार करने लगा। मुश्किल से टाइम काट कर रात के खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और चम्पा का इंतज़ार करने लगा।

काफी देर बाद वो आई और आ कर अपना दरी वाला बिस्तर बिछा और वहीं लेट गई। यह देख कर मैं बोला- क्या बात है चम्पा? मेरे बिस्तर पर नहीं आ रही क्या? चम्पा बोली- नहीं सोमू, मेरा महीना शुरु हो गया है तो कुछ नहीं कर सकते अगले चार दिन!

यह सुन कर मेरा मुंह लटक गया और मैं एकदम उदास हो गया, फिर सोचा यह 4 दिन भी बीत जाएंगे। यह सोच कर मैं सोने की कोशिश करने लगा। तभी लगा कि चम्पा उठी और बाहर चली गई और थोड़ी देर बाद वो किसी लड़की के साथ वापस आ गई। ध्यान से देखा तो वो रसोई में हमारी बावर्चन के साथ काम करती थी, देखने में कोई ख़ास नहीं थी, थोड़ी मोटी थी लेकिन उसके उरोज और नितम्ब काफी बड़े लग रहे थे।

मुझको समझ नहीं आया कि चम्पा उसको मेरे कमरे में क्यों लाई थी। मैं उठ कर बैठ गया और चम्पा से पूछा- यह कौन है चम्पा? ‘छोटे मालिक, यह तो फुलवा है, यह आज मेरे पास सोयेगी अगर आप को ऐतराज़ न हो?’ ‘पर क्यों?’ मैं बोला। ‘बस यों ही!’ वो मंद मंद मुस्कराने लगी और फिर चम्पा उठी, कमरे का दरवाज़ा बंद कर आई, मेरे बिस्तर पर बैठ गई और उसने इशारे से फुलवा को भी पास बुला लिया।

चम्पा बोली- छोटे मालिक, फुलवा मेरे बचपन की सहेली है और हमारी शादी भी साथ साथ हुई थी। हमारे पति भी एक साथ विदेश नौकरी करने गए थे और हम दोनों तब से ही लंड की प्यासी हैं. जब आपने मुझको पहली बार चोदा था तो फुलवा मेरे चेहरे को देख कर जान गई थी कि मेरी लंड की प्यासी थोड़ी शांत हुई है। और तभी उसके चेहरे की मायूसी देख कर मैंने मन ही मन फैसला किया कि छोटे मालिक को मनवा लूंगी और फुलवा को चुदवा दूंगी। बोलिए, क्या आप फुलवा को भी चोदेंगे? मैं हाथ जोड़ कर आप से विनती कर रही हूँ छोटे मालिक आप फुलवा को भी लंड का सुख दे दो जी!

मैं गहरी सोच में डूब गया कि फुलवा को चोदना ठीक होगा क्या?

मेरे को हिचकते देख कर चम्पा बोली- सोमू मान जाओ ना? मैं बोला- क्या तुम यहाँ रहोगी? तुम्हारे बिना मैं नहीं करूँगा कुछ भी? ‘हाँ हाँ, रहूंगी… तुम दोनों की पूरी मदद करूँगी, बोलो ठीक है न?’ मैंने हामी में सर हिला दिया।

चम्पा ने फुलवा को बाँहों भर लिया और उसके गालों को चूम लिया और मुझको भी होटों पर चूम लिया। उसका इतना करना था कि मेरा लंड टन से खड़ा हो गया।

चम्पा ने फुलवा के कपड़े उतारने शुरू कर दिये, पहले उसकी धोती को उतारा और फिर उसका ब्लाउज उतार दिया। फुलवा का ब्लाउज जब उतरा तो उसके मोटे स्तन उछाल कर बाहर आ गए, बहुत बड़े और सॉलिड थे। उसकी चूचियाँ भी एकदम कड़ी थीं और ख़ास तौर अपनी ओर आकर्षत कर रही थीं और चम्पा ने धीरे से उसका पेटीकोट भी उतार दिया।

फुलवा का सारा जिस्म गोल मोल था, उसका पेट गोल और उभरा हुआ था लेकिन हिप्स और जांघें एकदम सॉलिड थे। उसकी चूत काले बालों से ढकी हुई थी, उसका मुंह झुका हुआ था और शायद सोच रही होगी ‘क्या मैं उसको पसंद करूंगा या नहीं?’

उसका भ्रम दूर करने के लिए मैंने भी अपनी कमीज और कच्छा उतार दिया और मेरा खड़ा लंड यह बताने के लिए काफी था कि मैं उसको पसंद करता हूँ, या यूँ कहो कि मेरा लंड बहुत पसंद करता है।

चम्पा खड़े लंड को देख कर ताली बजाने लगी और जल्दी से उसने मुझ को एक किस कर दी और और मुझको और फुलवा को अपनी दोनों बाहों में भर लिया और फिर फुलवा को लेकर बिस्तर पर आ गई, फुलवा को बीच में और मुझको एक साइड पर और आप दूसरे साइड में लेट गई। फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर फुलवा के स्तनों पर रख दिया दोनों उरोजों को मेरे हाथ द्वारा मसलने लगी। फिर उसके इशारे पर मैं खुद ही यह काम करने लगा और फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर फुलवा की बालों भरी चूत पर रख दिया।

मैंने ऊँगली डाली तो वो पूरी तरह से पनिया रही थी। उसके भगनासा को हल्के से रगड़ा तो फुलवा ने अपनी कमर एकदम ऊपर उठा दी। अब मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरु कर दिया और दूसरे हाथ उसके चूत पर फेरना जारी रखा।

तब चम्पा ने फुलवा का हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया और उसको मुठी में ऊपर नीचे करने को कहा। फिर चम्पा ने मुझको इशारा किया कि मैं फुलवा पर चढ़ जाऊ और मैं झट उसकी टांगों के बीच आकर लंड को उसकी चूत पर रख दिया, कुछ देर लंड को हल्के से चूत पर रगड़ा और फिर चूत के मुंह पर रख कर एक धक्का मारा और घप से लंड चूत की गहराई में खो गया। ऐसा लगा कि वो एक गर्म भट्टी में चला गया हो। मुझको कम्मो और चम्पा के साथ पहली चुदाई की याद आ गई क्यूंकि तब भी दोनों की चूतें भट्टी की तरह गर्म थीं..

अब मैंने चुदाई अपने कंट्रोल में ले ली और धीरे धीरे धक्कों के साथ चुदाई की स्पीड बढ़ाता गया और करीब 5 मिन्ट की चुदाई बाद वो पहली बार छूट गई। उसके छूटने का ढंग कुछ अलग था, छूटने से पहले उसने अपनी कमर को एकदम ऊपर उठाया और मेरी कमर के साथ जोड़ दिया और ज़ोर ज़ोर से कांपना शुरू कर दिया और जब तक वो पूरी तरह नहीं छूटी वो मुझसे चिपकी रही। मेरा लंड पूरा उसके अंदर समाया हुआ था और उसकी चूत का खुलना बंद होना लंड को महसूस हो रहा था, उसके मोटे मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे।

थोड़ा रुक कर मैंने फिर चुदाई शुरू कर दी और धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ाता गया और फुलवा एक बार फिर छूट गई और एकदम ढीली पढ़ गई लेकिन मैंने चुदाई जारी रखी और थोड़े टाइम बाद जब फुलवा तीसरी बार छूटी तो मैं अपने को नहीं रोक सका और उस के साथ मेरा भी फुवारा छूट गया और फुलवा का चेहरा एकदम खुशी से खिल उठा।

हम दोनों थक कर लेट गए और चम्पा फुलवा के होटों को चूसने लगी और उसके स्तनों को दबाने लगी। फुलवा ने ‘थैंक यू’ मुझको आँखों से ही कह दिया।

चम्पा उठी और नीचे बिस्तर बिछा कर लेट गई और फुलवा को मेरे साथ सोने का इशारा करके खुद सो गई। 10-15 मिन्ट बाद मैंने फुलवा को फिर चोदा और उसके दो बार छूटने के बाद मैंने भी छूटा लिया और करवट बदल कर सो गया।

आधी रात को मेरा हाथ फिर फुलवा के नंगे स्तनों पर लगा और फिर मेरा लंड चोदने के लिए तैयार हो गया और मैंने फुलवा की चूत को हल्के से मसला और जब उसकी टांगें फिर अपने आप खुल कर चौड़ी हो गई तो मैं जल्दी से अंदर घुसा और उसकी चूत में लंड को डाल दिया। फुलवा की चूत अभी भी पनिया रही थी, थोड़े धक्कों के बाद वो झड़ गई लेकिन मैं अभी भी मस्ती में था तो आधा घंटा उसको चोदने के बाद ही अपना छुटाया और फिर गहरी नींद सो गया।

सुबह चम्पा ने मुझको जगाया और पूछा कि हम दोनों जाएँ क्या?

मैंने इशारे से कहा कि फुलवा को एक बार और चोदना चाहता हूँ तो फुलवा जो धोती पहन चुकी थी, धोती को उतारने लगी। मैंने इशारे से कहा- रहने दो, धोती ऊपर उठा कर ही चोद दूंगा।

वो फिर मेरे पास लेट गई और मैंने उसको जल्दी ही फिर तैयार कर लिया और उसकी ज़ोरदार चुदाई कर दी और उसका कम से कम 2 बार छूटने के बाद भी मैं नहीं छूटा और उसको कहा- जाओ तुम दोनों, बाकी हिसाब रात को कर लेंगे।

यह सिलसिला 4-5 दिन चला और फिर सिर्फ चम्पा ही आई, कुछ उदास दिख रही थी, मैंने पूछा- उदास क्यों हो चम्पा? वो बोली- फुलवा नहीं आई इसलिए! ‘तो क्या परेशानी है?’ ‘आप से पूछे बगैर हम उसको कैसे लाते?’ ‘अरे इसमें पूछना क्या है? ले आओ न उसको!’

और चम्पा ख़ुशी ख़ुशी चली गई और थोड़ी बाद वो फुलवा को लेकर आ गई। दोनों मेरे पलंग पर बैठ गई मेरी अगल बगल… मैंने पहले चम्पा को चूमा और फिर फुलवा को।

मैं बोला- अब क्या इरादा है चम्पा रानी?

‘आप बुरा तो नहीं मान जायेंगे अगर मैं कहूं कि आप हम दोनों को बारी बारी से चोदो। आप बीच में लेट जाओ और हम दोनों को बारी बारी से चोदो जैसे पहले मुझको और फिर फुलवा को, मंज़ूर है क्या?’ ‘जैसा तुम कहो चम्पा!’

‘चलो फुलवा और सोमू तुम भी कपड़े उतार दो और मैं भी उतार देती हूँ फिर आप बीच में लेट जाना ठीक है?’

‘ठीक है, या ऐसा करो कि मैं बीच में लेट जाता हूँ और तुम बारी से मेरे ऊपर चढ़ जाना और चुदाई का सारा काम तुम दोनों को करना पड़ेगा। मंज़ूर है क्या?’ दोनों ने सर हिला दिया।

पहले चम्पा ने मुझ को मुंह से लेकर लंड तक चूमा और फुलवा मेरे खड़े लंड से खेलती रही। थोड़ी देर बाद फुलवा ने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं एकदम से बिफर गया क्यूंकि पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था, मुझ को लगा कि मेरा लंड फट जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और तब चम्पा मेरे लंड के ऊपर आ गई और मेरे खड़े लंड को हाथ से चूत में डाल दिया और फिर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर से नीचे धक्के मारने लगी।

उसकी चूत से टपक रहा रस मेरे लंड और अंडकोष पर गिर रहा था, मैं भी नीचे से धक्के का जवाब धक्के से दे रहा था। फुलवा मेरी छाती के निप्पलों को चूस रही थी और हम तीनों ही चुदाई में मस्त थे।

तभी चम्पा ने धक्के मारना तेज़ कर दिया और फिर उसने आखरी एक धक्का ज़ोर से मारा और वो मेरे ऊपर पसर गई, उसका रस पूरी तरह से मेरे ऊपर फैल गया और उसके उरोज मेरी छाती में दब गए।

फुलवा ने प्यार से चम्पा को मेरे ऊपर से हटाया और बिस्तर पर लिटा दिया। और फिर वो अपनी मोटी गांड को लेकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और जब लंड उसकी चूत में पूरा चला गया तो वह भूखी शेरनी की तरह से धक्के मारने लगी और जल्दी जल्दी ऊपर नीचे होने लगी। मैं उसकी धक्के की लय को समझ पाता तब तक वो भी झड़ गई और हांपते हुए मेरे ऊपर पसर गई।

दो दो चूतों से निकला रस मेरे ऊपर फैल गया और उस रस से बहुत मादक सुगंध आ रही थी। सारी रात यही क्रम चलता रहा, कभी चम्पा ऊपर और कभी फुलवा ऊपर! दोनों कई बार छूटी और मैं भी 2 बार छूट गया, दोनों में एक एक बार! सुबह हुई तो हम तीनों मस्त नींद में थे लेकिन चम्पा सजग थी और टाइम पर उठ कर फुलवा को लेकर चली गई और जब मेरी चाय ले कर आई तो पलंग की चादर की हालत देख कर उसने झट चादर बदल दी और बोली कि इसको वो खुद धोएगी क्यूंकि चादर पर ढेरों चूत का रस और वीर्य फैला था। चम्पा की होशियारी के कारण हमारा यह खेल निर्विघ्न चलता रहा। कहानी जारी रहेगी। [email protected]