मेरा गुप्त जीवन -60

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कुछ दिन ऐसे ही बीत गए और हम सिर्फ कम्मो, पारो और मैं ही आपस में रोज़ मिल लेते थे रात को.. एक दिन कॉलेज से लौटा ही थी कि कम्मो आ गई और आते ही मुझको एक बहुत सख्त आलिंगन किया उसने, मैंने भी जफ़्फ़ी का जवाब जफ़्फ़ी से दिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसको लबों पर!

मैंने पूछा- यह किस ख़ुशी में किस-विस कर रही हो कम्मो रानी? क्या कोई ख़ास बात है? कम्मो मुस्कराते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, आपका तीर चल गया दोनों पर! मैं बोला- कौन दोनों? कम्मो बोली- वही ताजमहल-1 और ताजमहल-2 पर. मैं बोला- कौन सा तीर यार?

कम्मो बोली- अरे भूल गए क्या? वो प्रेमा और रानी का फ़ोन आया था, वो आज दोनों आई थी मुझसे मिलने। जानते हो क्या हुआ? मैं बोला- जल्दी बताओ क्या हुआ उन दोनों को? ठीक तो हैं न? कम्मो बोली- अरे वो ठीक हैं, आज पक्का हो गया कि दोनों ही गर्भवती हो गई हैं। मैं बोला-अच्छा, वाह, कमाल कर दिया तुमने कम्मो रानी! तुम्हारा मतलब है कि रानी और प्रेमा दोनों ही हो गई हैं गर्भवती। कम्मो बोली- हाँ, दोनों में आपका कीड़ा काम कर गया है। बड़ी खुश हैं दोनों, कल फिर आएँगी तुम्हारा थैंक्स करने और थोड़ा चुदवाने भी, क्यों कर सकोगे उनकी चुदाई को कल भी?

मैं बोला- आने दो ताजमहलों को, उनकी ख़ूबसूरती का नज़ारा करना है। कम्मो बोली- मैं कल का टाइम फिक्स कर लेती हूँ उन दोनों से। एक और केस आया है। मैं बोला- कौन है वह? कम्मो बोली- अपने पड़ोस वाली आंटी है, न उसने आज शाम को मुझको और आपको चाय पर बुलाया है।

मैं बोला- कौन हैं वो? कम्मो बोली- वो ठाकुर साहिब हैं, उनकी धर्म पत्नी है। ठाकुर साहिब बाहर गए है तो वो आज आई थी हमारी कोठी मैं। मैंने उसको चाय वगैरह पिलाई थी उनको, इसलिए आज शाम वो हमको चाय पिलाना चाहती है और आप से मिलना भी चाहती हैं। मैं बोला- कैसे हैं वो? कम्मो हँसते हुए बोली- ताजमहल 3 है, उसको भी बच्चा नहीं हो रहा है बहुत अरसे की शादी के बाद भी! मैं हँसते हुए बोला- फिर सरकारी सांड वाली ड्यूटी?

कम्मो भी हंसने लगी और बोली- मैंने आज उसका भी चेकअप किया है, वो भी तो ठीक है लेकिन फिर भी माँ नहीं बन पा रही? मैं बोला- ठीक है, जैसे तुम कहोगी वैसा ही कर लेंगे यार, चीज़ अच्छी होने चाहिये बस, उसकी कोठी में कितने लोग हैं? कम्मो बोली- ठकुराइन कह रही थी कि एक उसकी नौकरानी है और बाहर चौकीदार है। मैं बोला- तो शाम को उसको अपने घर में ही बुला लेती न? कम्मो बोली- मैंने सोचा कि कभी पड़ोस वाली आंटी से भी बना कर रखनी चाहिये न!

शाम को हम दोनों पड़ोस वाली आंटी के घर गए, आंटी वाकयी में बेहद खूबसूरत थी और मुझको देख कर चहकने लगी, हमारा स्वागत करते हुए बोली- आओ सोमू जी, आपके मम्मी पापा से तो मैं मिल चुकी हूँ कई बार लेकिन आपको कॉलेज जाते हुए ज़रूर देखती हूँ कभी कभी, बड़े स्मार्ट लड़के हैं आप तो। मैं शर्माते हुए बोला- नहीं आंटी कोई ख़ास स्मार्ट नहीं हैं हम, लखनऊ के लड़के और लड़कियाँ तो बहुत ही तेज़ और स्मार्ट हैं जी!

फिर औपचारिक बातचीत के बाद चाय का दौर चला, मैंने ध्यान से आंटी को देखा, वो भी एकदम सफ़ेद रंग और भरे हुए जिस्म वाली औरत थी, उम्र होगी 26-27 साल, उरोज और नितम्ब मोटे और गोल और चेहरे पर लाल रंगत बताती थी कि आंटी काफी सुन्दर हैं और उसका जिस्म भी किसी तरह से ताजमहल से कम नहीं होगा।

मैं चाय पी रहा था, तभी कम्मो और आंटी उठ कर दूसरे कमरे में चली गई। 10 मिन्ट बाद वो वापस आई तो दोनों बड़ी खुश लग रही थी। फिर हम विदा लेकर घर वापस आ गए।

घर आकर कम्मो मेरे पीछे ही आ गई और दरवाज़ा बंद करके बोली- वो सुमिता आंटी कह रही थी कि आप उसको पसंद हैं। जब चाहो उसके साथ समय फिक्स कर लेते हैं। मैं बोला- पर कम्मो, तुमने बताया था कि उसका पति आजकल बाहर गया हुआ है तो उसके आ जाने के बाद यह काम शुरू करें? कम्मो बोली- हाँ वो तो सही है लेकिन एक दो बार उसकी आपसे चुदने की मर्ज़ी है, मैंने कह दिया है कि दो दिन बाद का टाइम रख लेते हैं, वो चाहती है कि उसके घर में आप उसकी चुदाई करो, क्यों ठीक है?

मैं घबरा कर बोला- नहीं, मैं उसके घर में नहीं जाऊँगा। चुदाई होगी तो इसी कोठी में होगी नहीं तो नहीं। कम्मो बोली- ठीक है, यही करना उचित है, लेकिन वो बहनों की प्रॉब्लम है न? कॉलेज से आने के बाद वो घर में जमी रहित हैं न, मुश्किल होती है किसी को बुलाने में!

हम अभी बातें कर ही रहे थे कि बाहर से दरवाज़ा खटका, झट खोला कम्मो ने और सामने पारो को पाया। वो बोली- छोटे मालिक का फ़ोन है घर से!

मैं जल्दी से फ़ोन सुनने के लिए बैठक में गया और हेलो किया तो उधर से गीति और विनी की मम्मी का फ़ोन था, बड़े प्यार से बोली- बेटा कैसे हो तुम सब? मैंने जवाब में कहा- ठीक हैं हम सब! फिर उन्होंने कहा- गीति को बुला दो, ज़रूरी बात करनी है। मैंने अच्छा आंटी जी! और गीति को उसके कमरे से बुलाया।

थोड़ी देर बाद गीति और विनी मेरे कमरे में आईं और बहुत ख़ुशी से बोली- पापा यहाँ आ रहे हैं हम दोनों को गाँव ले जाने के लिए आज ही क्योंकि गीति की सगाई फिक्स हो गई है। हम सबने गीति को बधाई दी।

शाम को उसके पापा और मम्मी आये और दोनों बहनों को वापस ले गए। जाने से पहले दोनों बहनें मेरे कमरे में आईं और मेरा शुक्रिया अदा करने लगी और जाते जाते मुझको लबों पर हॉट किस कर के गई और कम्मो और पारो का भी बहुत शुक्रिया अदा किया।

उनके जाने के बाद हम सबने चैन की सांस ली कि ‘चलो बहनों की प्रॉब्लम भी दूर हो गई, अब हम आज़ादी से कुछ भी कर सकते हैं कोठी में! पारो और कम्मो दोनों बड़ी खुश थी।

कम्मो ने उसी समय प्रेमा और रानी को फ़ोन किया और कहा- आप जब चाहो आ सकती हो! अगले दिन दोनों ने दो बजे का टाइम निश्चित किया।

अगले दिन मैं कॉलेज से टाइम पर आ गया और खान खाकर थोड़ी देर के लिए लेट गया। तभी कम्मो तजमहलों को ले कर आ गई।

बड़ी हॉट चूमाचाटी हुई और फिर दोनों ने मुझको नंगा करके मेरे लंड को पहले तो टीका लगाया और फिर उसके गले में छोटा मोगरे का हार पहना दिया।

मैं कम्मो और पारो बड़े ही आनन्द से मेरे लंड की पूजा का नज़ारा देख रहे थे। दोनों ने मेरे माथे में टीका लगाया और फिर मेरे गले में फ़ूलगेंदे का हार डाला।

कम्मो बोली- आप दोनों छोटे मालिक से शादी कर लो अभी! प्रेमा और रानी हैरानी से बोली- शादी कर लें सोमू से? वो क्यों? कम्मो बोली- ऐसा है, आपके अंदर जन्म लेने वाले बालक का वास्तव पिता तो सोमू ही है न? अगर तुम दोनों उससे गंधर्व विवाह कर लोगी तो आप पर नाजायज़ औलाद की माँ होने का पाप नहीं चढ़ेगा।

दोनों एक दूसरी को देखने लगी।

पारो भी बोली- आप कहाँ कोई सचमुच में शादी कर रहे हो, यह तो केवल नकली शादी है जिसका नाम गन्धर्व विवाह डाल दिया गया है, आप हाँ कर दो बस! दोनों ने हामी भर दी।

कम्मो बोली- चलो, आप सब नंगी हो जाओ। यह कह कर वो रानी की साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी और कम्मो प्रेमा की साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी। थोड़ी देर में वो दोनों नंगी हो गई। यह देख कर मैंने कहा- पंडित लोग भी तो कपड़े उतार दें तो शुभ होगा गन्धर्व विवाह के लिए! यह सुन कर सब बड़े ज़ोर से हंस पड़े।

मेरा लौड़ा तो वैसे ही तना हुआ था यह नया तमाशा देख और झूम उठा! अब चार चूतें मेरे लंड के सामने नंगी खड़ी थी।

तब कम्मो ने कार्यक्रम शुरू किया, सबसे पहले उसने प्रेमा और रानी के माथों पर सिंदूर का टीका लगाया और फिर वही उनके मम्मों और चूत पर लगाया गया। फिर उसने मेरे माथे पर टीका लगाया और मेरी छाती के चुचूकों पर टीका लगाया और आखिर में उसने मेरे लंड पर टीका लगाया।

फिर कम्मो ने प्रेमा और रानी को साथ खड़ा किया और दोनों को हाथ मेरे लंड पर रख देने को कहा।

जब दोनों ने हाथ लंड पर रखा तो वो बोली- आप दोनों मेरे पीछे पीछे बोलो ‘हे हमारे स्वामी लंड जी महाराज जी, आपने कृपा करके हम दोनों को एक एक पुत्र का दान दिया है, इस लिए हम आपके आभारी हैं, हम आज से आपकी गन्धर्व पत्नी बन गई हैं, हमको आगे चल कर भी पुत्र दान देते रहें! तथास्तु!!

कम्मो बोलती रही- अब रानी, यह माला लीजिये और सोमू के गले में डालिये और सोमू, आप यह माला लेकर रानी के गले में डालिये और इसी तरह प्रेमा जी आप भी इसी तरह माला का आदान प्रदान सोमू के साथ करो।

कम्मो बोल रही थी- अब यह विवाह सम्पन हुआ, अब सोमू जी आपकी ये दोनों सुन्दर पत्नियाँ हैं, इनका भोग आरम्भ कर सकते हैं।

यह सुनते ही पारो प्रेमा को पलंग पर ले आई और उसको लिटा दिया और मुझको उसकी चौड़ी जांघों में बिठा दिया और अपने हाथ से खड़ा लंड प्रेमा की गीली चूत में डाल दिया।

जैसे ही मेरा लंड प्रेमा की चूत में गया तो मैंने अपने पुराने ढंग से चुदाई शुरू कर दी और थोड़े समय में ही प्रेमा की चूत का पानी छुड़ा दिया। तभी कम्मो रानी को तैयार करके ले आई और प्रेमा की जगह लिटा दिया और वैसे ही उसकी चूत में मेरा लंड डाल दिया। उसको भी मैंने प्रेम से चोदा और कुछ ही मिनटों में वो भी झड़ गई।

तब मैं उठा और कहा- अब दोनों पंडितों की बारी है, उनको भी लंड देवता की पूजा कर लेनी चाहिए। प्रेमा और रानी ने भी ज़ोर दे कर कहा- इन दोनों को भी लंड देवता का प्रसाद मिलना चाहिए।

और फिर मैंने पहले छोटे पंडित को लंड देवता का प्रसाद दिया और फिर बड़े पंडित साहिब को भी लंड का प्रसाद दिया गया। यह काम हो जाने के बाद हम सब उठे और एक दूसरे को गले लगा लिया।

फिर मैं कमरे के मध्य में खड़ा हो गया और अपने लंड की और इशारा करते हुए बोला- हे अति सुन्दर देवियो, सबके साथ कामक्रीड़ा करके में बहुत भाग्यवान पुरुष बन गया हूँ, इसलिए मैं आप सबकी चूतों को प्रणाम करना चाहता हूँ। यह कह के मैंने सब औरतों को लाइन में खड़ा कर दिया एक एक कर के सबकी चूतों को झुक कर नमस्कार करने लगा।

मुझको यह करते देख कर कम्मो तो हंसी के मारे लोटपोट हो गई और पारो भी मुंह में पल्लू डाल कर हंस रही थी। मैं शांत भाव से अपने काम में मस्त रहा, प्रेमा की चूत को और फिर रानी की चूत को और उसके बाद कम्मो की और पारो की चूत को भी पूरा नमस्कार किया। दोनों ताजमहल भी मेरे तरह से शांत भाव से मेरे नमस्कार का जवाब दे रहे थे।

कम्मो अब संयत हो चुकी थी और उसने प्रेमा और रानी को कहा- अब आपका गन्धर्व विवाह संपन्न हो चुका है और अब आप और आप के बच्चे पाप से मुक्त हैं। मैं बोला- मेरे पति का रोल सिर्फ यहीं तक था और यह अब आपकी श्रद्धा के ऊपर है कि आप मुझको कभी कभी अपनी चूतों के दर्शन करवाती रहें।

मैंने आगे बढ़ कर प्रेमा के नग्न मम्मों को चूमा और रानी के चूतड़ों को भी सहलाया, फिर दोनों के लबों पर एक एक गर्म चुम्मी देकर कहा- अगर कभी आप को ज़रूरत हो तो मुझ गरीब को याद कर लिया कीजिये, मैं आपकी चूत की सेवा के लिए सदा तैयार रहूँगा।

कम्मो ने मुझको दिलासा दी और मुझको लेकर दूसरे कमरे में चली गई। वो हंस रही थी लेकिन मैं सीरियस हो गया था।

वो बोली- छोटे मालिक, आप तो सच मान बैठे, यह तो हम सब मज़ाक कर रहे थे, उन दोनों के साथ चुहलबाज़ी थी और कुछ नहीं।

थोड़ी देर बाद मैं संयत हो गया और कपड़े पहन कर प्रेमा और रानी के पास आ गया। वो दोनों कोकाकोला पी रही थी और पारो मेरे लिए भी ले आई थी।

जाने से पहले कम्मो ने उनको काफी विस्तार से सब कुछ समझाया और जो कुछ भी दिक्कतें आ सकती थी, उनके बारे में भी बताया। फिर वो दोनों अपने घर चली गई। कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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