भावना और कंचन भाभी की चूत चुदाई -2

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अब तक आपने पढ़ा.. घर पहुँचते ही दोनों बारी-बारी से गले लगीं। एक मस्त खुश्बू आ रही थी दोनों के बदन से.. थोड़ी देर बात करने के बाद उन्होंने बताया कि आज खाने का प्लान नहीं है.. केवल दारू और चखना ही काफी रहेगा। मेरे लिए व्हिस्की और अपने लिए वोडका लाकर रखी थी। पनीर का अच्छा सा चखना बनाया था। बस हम सब बैठ कर पीने लगे। दो पैग पीने के बाद भावना मेरी गोद में आकर बैठ गई.. उन लोगों को नशा अब चढ़ने लगा था। अब आगे..

आआहह.. क्या बताऊँ दोस्तो.. जब वो अपना बड़ा सा पिछवाड़ा मेरी गोद में रख कर बैठी.. तो कितना मजा आया.. मेरा मन तो उसी वक्त किया कि पीना छोड़ कर उस चोद दूँ। मेरा लण्ड बिल्कुल खड़ा था.. वो मेरी गोद में बैठ कर मेरे गले में एक हाथ डाल कर झूल गई। वो मेरे कानों को अपने होंठों से काट रही थी.. जिससे मेरा पूरा शरीर झनझना गया।

फिर मैंने उसके गालों को पकड़ कर होंठों को किस किया, आह्ह्ह.. क्या रसीले होंठ थे.. दारू में डूबे हुए। अब भावना मुझे अपना पैग पिलाने लगी.. तो मैंने रोक दिया- ऐसे नहीं.. अपने मुँह से पिलाओ। वो एक घूंट मुँह में भर कर मुझे चूमने लगी.. जिससे उसके मुँह की वोडका हम दोनों पीने लगे।

कंचन को यह देख कर बहुत मज़ा आ रहा था, वो मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई, मेरे सर को पीछे झुका के खुद नीचे झुक कर मेरे होंठों को चूसने लगी। तब तक भावना मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरे सीने पर चुम्बन करने लगी। आअह्ह्ह्ह्ह.. क्या बताऊँ दोस्तो.. दो-दो मस्त हसीनाओं के बीच में कैसा लग रहा था। ऐसा कि जन्नत बस यही है और कहीं नहीं.. मैं भी हाथ पीछे करके उसकी गाण्ड को मसलने लगा। अब तक हम तीनों को बहुत मस्ती छा गई थी।

कंचन बोली- मैं बाथरूम से आती हूँ। और वो चली गई। तब तक मैं भावना को अपनी गोद में उसका मुँह आगे की तरफ कर के पीछे से पकड़ कर चूची मसल रहा था और पीछे से गले पर किस कर रहा था। अब एक हाथ से से चूची.. और एक हाथ से चिकने पेट को सहला रहा था। मैंने उसके गाउन की डोरी खोल दिया जिससे आगे से पूरा सिनेमा ओपन हो गया। अब मैं अपनी उंगली से नाभि सहला रहा था, नीचे मेरा लण्ड भावना की मोटी गाण्ड में लगा हुआ था।

तब तक कंचन भी आ गई, हम लोगों ने बैठ कर एक-एक पैग और लिया। आआह्ह.. इतने में ही वो दोनों नशे से पूरा बहकने लगी थीं। कंचन ने मेरे बगल में बैठ कर मेरा हाथ लेकर अपने मस्त चूचों पर रख दिया जिन्हें मैं मसलने लगा।

‘आअह्ह्ह.. आह्हह..’ उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। तब तक भावना मेरे पैरों के पास बैठ कर मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लण्ड सहलाने लगी, बोली- निकालो इसे.. सुनीता और अर्चना से बड़ी तारीफ सुनी है इसकी.. मैंने कहा- खुद ही निकाल के देख लो।

इधर मैंने कंचन का भी गाउन खोल कर अलग रख दिया। अब दोनों हसीनाएँ केवल ब्रा-पैंटी में थीं। भावना ने मेरा पैन्ट खोल के नीचे कर दिया, अब मैं केवल अंडरवियर में था। कंचन के पीछे हाथ कर के मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। आआह्ह.. क्या मस्त चूचियाँ थीं यार.. चूचियाँ नहीं बल्कि चूचे बोलना चाहिए।

अब उसने थोड़ा ऊपर उठ कर अपना एक चूचुक मेरे मुँह में दे दिया और मेरे सर को अपनी छाती पर दबाने लगी। नीचे भावना ने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया, मेरा मस्त मोटा लण्ड देख कर उसे मज़ा आ गया- वाऊ.. क्या मस्त लण्ड है… कंचन.. देख इसका मस्त लण्ड.. आह्ह यार आज तो सच में बहुत मज़ा आएगा। कंचन ने कहा- आह हाँ.. सच में यार..

कंचन ने झट से झुक कर मेरे लण्ड का सुपारा अपने मुँह में भर लिया और अपना मुँह ऊपर-नीचे कर के चूसने लगी। इधर भावना की पैंटी मैंने उतार दी। अह्ह.. क्या मस्त फूली हुई चिकनी चूत थी यार.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब मैं भावना की चूत को सहलाने लगा, नीचे कंचन मेरा लण्ड चूसने में मशगूल थी.. इधर भावना ने खड़े होकर अब अपनी चूत मेरे मुँह के पास ला दी, मैं इशारा समझ गया कि यह चूत चुसवाना चाहती है। मैंने भी उसके बड़े चूतड़ों को अपनी तरफ खींचा और अपने मुँह में उसकी रसीली चूत को भर लिया।

जितनी ज़ोर से नीचे कंचन मेरा लण्ड चूस रही थी.. उसी जोश से मैं भी भावना की चूत को चूस रहा था। तभी मैं नीचे हाथ कर के कंचन के मम्मों को मसलने लगा। ‘आअह ह्ह्ह..’ कंचन सिसियाई।

मैं पूरी तरह से मदहोशी में था। इधर भावना अपनी कमर हिलाने लगी थी, तब मैं समझ गया कि अब उसकी मंजिल ज्यादा दूर नहीं है। मैंने कंचन की चूचियों को छोड़कर भावना के मोटे बड़े मस्त चूतड़ों पर हाथ रखा और अपनी ओर दबाया, उसके चूतड़ों को फैलाकर मैं उसके छेद पर उंगली से रगड़ने लगा.. जिससे वो पागलों जैसी अपनी बुर मेरे मुँह से रगड़ने लगी, उसने मेरा सर अपने मोटी जाँघों में दबा लिया था।

मैं आगे उसकी चूत चूस रहा था.. पीछे उसकी गाण्ड में उंगली डाल दी। जैसे ही उंगली को गाण्ड में थोड़ा सा घुसाया.. वो अपनी चूत मेरे मुँह में और दबाने लगी। नीचे कंचन की मस्त चुसाई से मेरे लण्ड का पानी भी निकलने वाला था पर मैं किसी तरह रोके हुए था। अब मैं भी हल्का-हल्का झटका उसके मुँह में मार रहा था।

इधर भावना अब कभी भी झड़ सकती तभी मैं उसकी गाण्ड में उंगली और अन्दर करके हिलाने लगा और आगे से उसकी बुर ने अपना धैर्य खो दिया और वो हिलक कर झड़ने लगी। मैं भी पूरी जीभ अन्दर तक कर के उसके रस को चाट गया। ह्हह.. दोस्तो.. क्या मस्त नमकीन पानी था।

लेकिन मैंने उसकी गाण्ड से उंगली नहीं निकाली थी। भावना बोली- गाण्ड से उंगली तो निकालो.. बाथरूम से आती हूँ। मैंने कहा- क्या करने जाना है? बोली- पेशाब करने। मैं बोला- ऐसे ही खड़े खड़े कर दो, बोलो तो फिर चूत चूस कर मूत भी निकाल दूँ। वो बोली- क्या सच में ऐसा कर सकते हो.. मुझे बहुत मन है कि बुर चुसवाते हुए चेहरे पर मूत दूँ और लण्ड चूसते हुए मुँह में मुतवा लूँ।

उसका इतना कहना था कि मैंने लपक कर उसकी चूत फिर से मुँह में भर ली। साथ ही मैं नीचे कंचन के मुँह को अपने लौड़े से ज़ोरों से चोदने लगा। कंचन बीच-बीच में मेरी दोनों गोटियों को भी सहला रही थी।

अब भावना की गाण्ड से उंगली निकाल कर उसके मस्त मोटे चूतड़ों पर हल्की-हल्की थपकियाँ मारने लगा। तभी वो बोली- अब मूत निकलेगा अजय आआह्ह्ह्ह्ह.. इसी के साथ उसके मूत की नमकीन धार निकलने लगी और भावना मेरा सर चूत पर दबा कर मूतने लगी। ‘आआह्ह्ह्ह्ह..’ उसके मूत से मेरा पूरा चेहरा गाला गीला हो गया।

भावना के मूत के छींटे कंचन पर भी पड़े.. तो कंचन बोली- साली आखिर मूत ही दिया… अजय.. अब तुम इसे अपना लण्ड चुसाओ और इसके मुँह में ही अपना पानी निकालना.. साली रण्डी..

अब हम लोग सोफे से उतर कर नीचे कालीन पर आ गए, दोनों ने मुझे लेटा दिया, भावना ने मेरे मूसल जैसे लण्ड को अपने रसीले होंठों में ले लिया, उसकी गाण्ड मेरे हाथों की पहुँच में थी। इधर कंचन मेरे गले के अगल-बगल पैर करके अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख दिया, वो मेरे सर के बालों को सहलाने लगी, मैं अपनी जीभ उसकी मस्त चूत पर फेरने लगा.. जिसमें से पहले से ही पानी आ रहा था।

उधर भावना मेरे लण्ड को मस्त तरीके से चूस रही थी, वो काफी ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी मानो आज उसे आखिरी बार चूसने को लौड़ा मिला हो। इधर मैं कंचन की गाण्ड को दबा रहा था और उसकी गाण्ड के छेद को सहला रहा था। कंचन बोले जा रही थी- अजय जान मेरी.. खा जाओ इस चूत को.. पी जाओ पानी.. आह्ह.. आज तक तुम्हारे भैया ने नहीं चूसी है इस बुर को.. और जोर से अजय.. और ज़ोर-ज़ोर से.. वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी।

तभी मैं हाथ आगे करके भावना की गाण्ड को सहलाने लगा.. तो भावना मेरी ओर देख कर मुस्करा दी, मैं भी उसकी गाण्ड को सहलाते हुए चूत तक पहुँच गया, मैंने उसकी पूरी चूत को अपनी हथेली में लेकर मसल दिया। जैसे ही चूत को दबाया.. उसके मुँह का दवाब मेरे लण्ड पर बढ़ गया।

इधर अपने एक हाथ ऊपर कर के कंचन के चूचों को सहला रहा था, कभी पूरे हाथ में लेकर.. तो कभी केवल उंगलियों से चूची को हल्का हल्का मसल रहा था।

मैं कभी उसके निप्पल उमेठ देता ज़ोर से.. तो कंचन के मुँह से उसकी हल्का सी सिसकारी निकल जाती.. जो बहुत ही मादक सिसकारी लग रही थी।

अब कंचन बुरी तरह से अपना कमर हिलाकर मेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ रही थी। मैंने जीभ को टाइट करके उसकी बुर के छेद में घुसा दिया था। अन्दर से बहुत गर्म थी साली की चूत.. वो लगातार ‘आअह्ह्ह.. आहह्ह्ह..’ करती जा रही थी। मैं समझ गया कि कंचन को बहुत मज़ा आ रहा है।

उधर नीचे भावना के मुँह को मैं लगातार चोदे जा रहा था। दो-दो मस्त हसीनाओं के बीच और इतनी देर लण्ड चुसाई के बाद मैं अब कभी भी झड़ सकता था। तभी मेरे लण्ड ने जवाब दे दिया और भावना के मुँह में मेरी एक पिचकारी निकली, मैं झड़ने लगा.. मेरा लण्ड पानी छोड़ रहा था और मैं मुँह में उसके चोदे जा रहा था। जब तक मैंने अपने लौड़े की अंतिम बून्द को नहीं निकाल दिया.. तब तक मैंने भावना का मुँह हचक कर चोदा।

दोस्तो, यह एक सच्ची घटना है.. मेरे साथ चुदने को व्याकुल इन भाभियों की चुदास कितनी गजब की थी आप खुद ही अंदाज लगा कर मुझे बताइएगा। आपके पत्रों का इन्तजार रहेगा। कहानी जारी है। [email protected]

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