ममेरी बहन की चूत और गान्ड की सील तोड़ी

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मैं पिछले 5 सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। आज उन्हीं से प्रेरणा लेकर मैं आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरी यह कहानी पूर्णतया सच्ची है, मैं अपने साथ बीते इन हसीन पलों को आप लोगों के साथ बाँटना चाहता हूँ।

पहले मैं अपना परिचय दे रहा हूँ। मेरा नाम महेश है.. मैं गोरखपुर (उ.प्र.) का रहने वाला हूँ और पिछले 5 सालों से दिल्ली में रह रहा हूँ। मेरी उम्र 28 साल की है और मेरा लण्ड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है। अभी मेरी शादी नहीं हुई है तो आप समझ सकते हैं कि अभी मैं लण्ड का निजी तौर पर इस्तेमाल करके काम चला रहा हूँ।

घटना अभी एक महीने पहले की है जब मेरी मामा की बड़ी लड़की अंजलि.. जिसकी उम्र 22 साल की है और जो हुस्न की मलिका है.. बैंक का एग्जाम देने दिल्ली आई थी। मेरे मामा जी के घर पर नाना-नानी, मामा– मामी और उनके दो बच्चे अंजलि और अनुज हैं। नाना जी वृद्ध हो चुके हैं और मामा का अपना व्यापार है और अनुज अभी 12 साल का है.. जिसकी वजह से अंजलि को दिल्ली अकेले आना पड़ा। हालांकि जाते टाइम उसे मेरे साथ जाना था.. लेकिन 10 दिन बाद जाना था।

मैं अंजलि को लेने दिल्ली स्टेशन गया.. ट्रेन अपने सही वक्त पर आई और जब बहुत दिनों के अंजलि मेरी नजरों के सामने आई.. तो मैं उसे देख कर हैरान रह गया.. क्योंकि मैंने उसे आज से चार साल पहले देखा था.. तब वो एक मासूम बच्ची सी लगती थी और अब.. आह्ह.. अब तो उसे देख कर किसी बुड्ढे का भी लण्ड खड़ा हो जाए.. क़माल का हुस्न.. 34-28-32 का फिगर देख कर स्टेशन पर ही मेरा मन बेचैन होने लगा।

अभी मैं उसी के ख्यालों में ही खोया था कि अचानक वो मुझसे गले मिलने लगी। उसकी 34 साइज़ की चूचियां मेरे सीने पर चुभ रही थीं.. अचानक उसने मेरे कान में कहा- भाई अब आप ख्यालों से बाहर आ जाओ.. अभी मैं कुछ वक्त के लिए यही हूँ। उसके इन शब्दों ने जैसे मुझे नींद से जगा दिया हो.. मैं उसे लेकर अपने फ्लैट पर गया.. जो वन बीएचके का फ्लैट है।

फ्लैट पर पहुँचते ही मैंने उसे फ्रेश होने के लिए कहा और मैं उसके ब्रेकफास्ट के इंतज़ाम में जुट गया। कुछ देर बाद जब वो बाथरूम से निकली तो उसने टी-शर्ट और लोवर पहन रखा था.. जिसमें से उसकी चूचियाँ और उसकी मोटे चूतड़ का आकार साफ दिख रहा था। हालांकि उसके आने के पहले मेरे दिल में उसके लिए कोई ग़लत ख्याल नहीं था.. पर जबसे उसे स्टेशन पर देखा, दिल के किसी कोने में उसे चोदने का ख्याल बस गया था।

मेरा ऑफिस 3 दिन के लिए बंद था तो काम की कोई प्राब्लम नहीं थी। हम दोनों ब्रेकफास्ट करने लगे। मेरी नज़रें बार-बार उसकी चूचियों पर जा रही थी.. जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया। ब्रेकफास्ट करने के बाद मैंने अपना लण्ड टेबल के नीचे हाथ से अपनी अंडरवियर में दबा दिया, उसके बाद बाथरूम में जाकर मैंने उसके नाम की मुठ्ठ मार कर अपने आपको शांत किया।

ब्रेकफास्ट करने के बाद मैं उसको बाइक से दिल्ली घुमाने के लिए निकल गया और डिनर करके ही हम लोग घर आए। उस दिन हमने खूब मस्ती की और रास्ते भर उसकी चूचियां मेरी पीठ पर गड़ती रहीं.. जिससे मेरा लंड बेकाबू हो रहा था और मैं उसे छुपा रहा था। मुझे यह डर भी था कि अगर इसने देख लिया तो मेरे बारे में ना जाने क्या सोचेगी।

घर पहुँचने के बाद हमने कपड़े बदले और उसने इस बार टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहन लिया.. जिससे उसकी गदराई हुई जांघें और खिलती जवानी साफ दिख रही थी। बिस्तर एक ही होने के नाते हम दोनों उस पर बैठ कर टीवी देखने लगे.. कोई रोमाँटिक इंग्लिश मूवी आ रही थी। थोड़ी देर बाद मूवी में चूमा चाटी का सीन आ गया.. जिसे देख कर मैंने उसकी तरफ देखा तो पाया कि वो पहले से ही मेरी तरफ देख रही थी और वो हँस कर फिर से मूवी देखने लगी।

उसकी हँसी ने मुझे और बेचैन कर दिया। जब मूवी में ज़्यादा रोमाँटिक सीन आने लगा.. तो वो सोने का कह कर लेट गई और मैंने टीवी और लाइट बंद कर दी.. बस नाइट बल्ब जलने दिया।

वो आँख बंद करके सीधी लेट गई। कुछ देर तक में उसकी चूचियों के पहाड़ों को देखता रहा। उसकी चूचियों के मस्त उभार मेरे लण्ड को खड़ा करने के लिए काफ़ी थे। नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी.. जबकि अंजलि अब तक सो चुकी थी।

रात के 12 बज चुके थे और तब तक उसकी चूचियाँ के उभारों ने मेरा लण्ड मेरे आपे से बाहर कर दिया था। लण्ड मेरा पज़ामा फाड़ने के लिए तैयार था। मैं काफ़ी देर तक लण्ड सहलाता रहा और फिर अंजलि को आवाज़ दी..

जब मुझे पक्का यकीन हो गया कि अंजलि सो चुकी है.. तो मैंने सोने का नाटक करते हुए अपना एक हाथ उसके टी-शर्ट ऊपर उठ जाने के कारण खुले पेट पर रख दिया। जब थोड़ी देर तक कोई हलचल नहीं हुई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैंने अपना हाथ डरते हुए उसके उभारों पर रख दिया। फिर थोड़ी देर बाद उसे धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया और उसकी टी-शर्ट को आहिस्ता-आहिस्ता उठाने लगा।

अब तक मेरी धड़कन घंटे की तरह बजने लगी थीं। उसने टीशर्ट के नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी। मेरे दिल में ख्याल आया कि कहीं अंजलि भी तो यही नहीं चाहती। यह ख्याल आते ही मैं उसकी चूचियों को और तेज सहलाने लगा और उसके गुलाबी रसभरे होंठों को अपने होंठों में क़ैद करके चुम्बन करने लगा।

थोड़ी देर में मैंने देखा कि अंजलि जो कि सोने का नाटक कर रही थी.. मेरा साथ देने लगी और मुझे पागलों की तरह किस करने लगी। इसके बाद मैंने उसकी मस्त चूचियों को मसलना शुरू कर दिया और उसके होंठ चूसने लगा.. धीरे-धीरे मैं उसे चूमते और चाटते हुए नीचे आने लगा और मैंने उसके टी-शर्ट और शॉर्ट्स अपने हाथ से निकाल दिए, अब वो सिर्फ़ पैन्टी में थी..

पहले मैंने उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर चुम्बन किया और फिर अपने मुँह में भर के चूसने लगा। वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी.. तो मैंने देर ना करते हुए उसकी पैन्टी और अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपना लण्ड उसके मुँह के पास ले जाकर उसे चूसने के लिए कहने लगा.. थोड़ी ना नुकुर के बाद उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया।

अब मैं सातवें आसमान पर था, उसने मेरे लण्ड को मुँह में ले आइसक्रीम की तरह चूस कर और भी मोटा कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

फिर मैंने उसे लिटाया और देर ना करते हुए उसके दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए और अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी, जब उससे नहीं सहा गया.. तो उसने खुद ही लण्ड उसकी चूत में डालने का इशारा किया.. और मैंने भी देर ना करते हुए उसकी कमर पकड़ कर लण्ड उसकी गीली चूत में पेल दिया।

अभी मेरे लण्ड का सुपारा ही अन्दर गया था कि वो चिल्लाने लगी और कहने लगी- उई माँ.. मैं तो मर गई.. भैया प्लीज़ अपना लण्ड निकाल लो.. मुझे नहीं करवाना है.. आपका बहुत मोटा है और प्लीज़ निकाल लो..

मैंने उसकी परवाह किए बगैर उसके होंठों को अपने होंठों से क़ैद करके लगातार 3-4 झटके में अपना लण्ड उसकी चूत की गहराई में पेल दिया। उसकी आँखों से आँसू निकल आए और मुझे अपने लण्ड पर कुछ गरम तरल सा महसूस हुआ.. मुझे लगा कि इसकी सील टूट गई है और यह उसी से निकले हुए खून की गर्माहट है।

हम दोनों थोड़ी देर इसी अवस्था में लेटे रहे और जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने अपना लण्ड आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर मैं ही वो मेरा पूरा साथ देने लगी.. और ‘अहह.. उहह.. हमम्म्मह.. आआआआ..’ की आवाजें निकालने लगी। थोड़ी देर में ही उसकी पकड़ टाइट हो गई और उसकी चूत ने अपना पहला कामरस छोड़ दिया।

मैं फिर भी नहीं रुका.. करीब 15 मिनट की लगातार चुदाई के बाद जब मेरा भी रस निकलने वाला था.. तो उसने मुझसे उसकी चूत में ही झड़ कर उसकी गरम चूत को शांत करने को कहा। बस थोड़ी देर में ही मैंने स्पीड बढ़ा दी और अपने लण्ड के गरम रस से उसकी चूत भरनी शुरू कर दी जिससे उसकी चूत बर्दाशत ना कर सकी और दूसरी बार अपनी जवानी का रस निकाल दिया।

मैं थोड़ी देर उसके ऊपर ही लेटा रहा और फिर उसके बगल में लेट गया। उस पूरी रात में उसे खूब चोदा और अगले 10 दिनों तक यही सिलसिला जारी रहा। इसी बीच मैंने उसकी गाण्ड की भी सील तोड़ कर उसे गाण्ड मरवाने का मज़ा भी दिया और लिया। अब वो जब भी दिल्ली आती है.. तो अकेले ही आती है और आज भी उसे में खूब चोदता हूँ।

आप लोगों को मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी.. ज़रूर बताइएगा.. और मुझे ईमेल कीजिएगा। [email protected]

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