मुंहफ़ट पड़ोसन कोमल की चूत चुदाई -1

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दोस्तो, मैं हरियाणा का हूँ, मैं 33 वर्षीय कोई हट्टा-कट्टा या छह या सात फीट वाला आदमी नहीं हूँ। मेरा कद पांच फुट छ इंच है तथा मैंने अपने लिंग को कभी नापा नहीं है.. लेकिन इतना कह सकता हूँ कि मेरा रंग ज्यादा गोरा नहीं है.. बॉडी शेप भी ना तो ज्यादा वजनदार है.. ना ही पतला हूँ। हाँ.. दिखने में मैं भी अच्छा लगता हूँ।

मैं घर से बाहर रहता हूँ, मैंने किराये पर रहने के लिए फर्स्ट फ्लोर पर छोटा सा कमरा लिया हुआ था। कुछ समय बाद एक नए किराएदार आए जिन्होंने मेरे सामने खाली पड़ा कमरा किराये पर ले लिया। इनके दो बच्चे थे.. एक लड़का व एक लड़की जो दो से पांच वर्ष के थे।

कुछ समय तक तो हम आमने-सामने रहते हुए भी बात नहीं करते थे.. लेकिन एक दिन उनके घर पर उसके आदमी की अनुपस्थिति में उसका देवर आया। तब मौसम सर्दी का था तथा दोनों एक ही रजाई में नजदीक-नजदीक बैठे-बैठे एक-दूसरे को रजाई के अन्दर में छेड़ रहे थे।

तभी अचानक मैं अपने कमरे से निकला.. तो मेरी नजर उनकी हरकतों पर पड़ी और उस दिन मेरे मन में कोमल के प्रति सेक्स करने की इच्छा करने लगी.. लेकिन डर लग रहा था कि अगर मकान-मालिक को पता लग गया तो कमरा तो खाली करवाएगा ही.. साथ ही साथ में गली मोहल्ले में बेइज्जती होगी सो अलग.. और कोई भी उस कालोनी क्या पूरे शहर में मुझे कोई किराए पर कमरा नहीं देगा।

जहाँ तक उस औरत ‘कोमल’ की बात है, वह सांवले रंग की 28 वर्षीय सेक्सी महिला है.. उसका कद लगभग पांच फुट.. कूल्हे 36″ कमर लगभग 30″ सीना 33-34″ का तो था ही.. वह कभी सलवार कुर्ता और कभी साड़ी पहनती थी, शायद कभी-कभी पैन्ट टाइप का पहनावा भी पहनती थी।

उसका पति ज्यादा तन्दरूस्त नहीं था। उसका आदमी ठेकेदारी के तहत पानी वाले जहाजों की वैल्डिंग का काम साल में दो-तीन महीने करता था। बाकी समय में दोनों पति-पत्नी टेलर से सूट-सलवार सिलने के लिए लाते और सिलाई करके दे आते थे, इसी तरह वे दोनों अपना जीवन यापन करते थे।

कुछ दिनों तक मैं ऐसे रहा.. जैसे मुझे उससे कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि मैं एक हरियाणा राज्य का सरकारी कर्मचारी हूँ और मेरी नौकरी भी जा सकती थी। वह भी हरियाणा की कुम्हारिन थी और सास ससुर और देवर से अलग रहती थी।

लेकिन उस दिन की घटना के बाद मेरे मन में उथल-पुथल रहने लगी और मैं अपने डीवीडी प्लेयर पर पुराने दर्द भरे गाने अपनी आदत अनुसार सुनता रहता था। तभी मेरे भाग्य ने पलटा खाया और धीरे-धीरे उसके आदमी से मेरी बातचीत होने लगी.. लेकिन कोमल अब भी मुझ पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी। कुछ महीनों के बाद उसका आदमी पानी वाले जहाजों की मरम्मत (वैल्डिंग) करने के लिए मद्रास चला गया।

एक दिन वह शाम को दरवाजे पर अपने बच्चों के साथ बैठी थी और मैंने पुराने गाने लगा रखे थे। वह कभी बच्चों को खिलाती व कभी हल्का मुस्कराती। मेरे मन में उसके प्रति उसको चोदने की इच्छा होने लगी। उस दिन वह सूट सलवार में बैठी थी.. लेकिन मेरा ध्यान तो उसकी चूचियों पर जा टिकता।

मैंने मौका देखकर हिम्मत करके उसकी तरफ आँख मार दी.. लेकिन कोमल ने कुछ नहीं कहा.. ना ही वह गुस्सा हुई। मैंने सोचा शायद आज ही काम बन जाएगा। फर्स्ट फ्लोर पर हम दोनों और उसके छोटे-छोटे बच्चे ही थे.. जिस कारण मैंने हिम्मत करके उसके पास बैठ गया, उसे भी कोई आपत्ति नहीं हुई और धीरे से मैंने कोमल के पैर को छुआ.. कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई..

फिर उसने मेरे से बात करनी शुरू कर दी। मुझे मेरी तरफ से सब कुछ ठीक नजर आ रहा था। मैंने हिम्मत करके उसकी चूचियों को धीरे से छू दिया.. मुझे उसकी चूचियों का स्पर्श ऐसा लगा जैसे किसी रुई को छू लिया हो।

लेकिन अगले ही पल उसने गुस्से में मुझसे कहा- तुम मेरी चूत मारना चाहते हो? मुझे तो जैसे करंट लग गया.. सब नशा जैसे एकदम से उतर गया और मैं उसके पास से जल्दी से उठकर अपने कमरे में चला गया और सोचने लगा अगर इसने मकान मालिक या मालकिन को बता दिया तो वो सब हो ही जाएगा.. जिसका मुझे पहले ही डर था। मुझे कुछ सूझा नहीं और मैंने पुराने दर्द भरे गाने लगा कर सुनने लगा।

अगले दिन सुबह ब्लैक पैन्ट व ब्लैक शर्ट पहन कर ड्यूटी चला गया।

शाम को जब मैं डरता-डरता कमरे पर आया तो धीरे-धीरे कमरे में घुस कर पुराने गाने लगा लिए। मैंने अपने कमरे पर आधा पर्दा लगा लिया और कोमल की तरफ देखा भी नहीं। मुझे डर था कि कहीं उसके ससुराल वाले आकर मुझे पीटने ने लग जाएँ और पुलिस में दे दें।

लेकिन तभी मेरा पर्दा थोड़ा सा किसी ने खोला। मैंने देखा कि कोमल सामने खड़ी थी और मुस्करा रही थी। मैं उसके भरे-पूरे बदन को देख रहा था और अब मेरा सब डर गायब हो गया। उसकी मस्त मस्त आँखों को.. भरे-भरे गालों.. मस्त-मस्त चूचियों को देख कर अन्दर ही अन्दर पागल सा हो रहा था।

अगले ही पल उसके शब्द सुनाई दिए- मुझे आपके दर्द भरे गानों से ऐसा लग रहा है कि आप बहुत दु:खी हैं और सोचा कि क्यों न आज रात आपको कुछ सुख दे दूँ।

यह मेरे लिए तो ऐसा था जैसे कामदेवी ने एक ही पल में स्वर्ग दे दिया हो। सब कुछ साफ़ हो गया था और मुझे उसके साथ लेटने का मौका मिल गया था, मैंने कोमल को कहा- आप रात को अपना दरवाजा बंद नहीं करना।

मैंने बड़ी मुश्किल से रात के 11:30 बजे तक इंतजार किया और सीढ़ियों का दरवाजा बंद कर लिया ताकि मकान मालिक या मालकिन ऊपर न आ सकें। मैंने उसका दरवाजा हल्के से खटखटाया लेकिन दरवाजा अन्दर से बंद था।

मैंने कहा- एक बार आपसे जरूरी बात करनी है। उसने दरवाजा खोल कर मुस्कराते हुए पूछा- सच? मैंने कहा- हाँ..

दोनों बच्चे सो गए थे.. मैं बिस्तर पर साइड में बैठ गया। हल्की-हल्की सर्दी होने के कारण उसने कहा- रजाई में पैर ढक लो.. ठण्ड लग जाएगी। अब मुझे 100% पक्का हो गया था कि आज तो कोमल को.. जिसने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी.. चोदने का पूरा मौका मिल जाएगा।

उसके ब्लाउज में उसकी चूचियाँ भरी-भरी ऐसी मस्त लग रही थीं कि जैसे अभी पकड़ कर मसल दूँ। मैंने सबसे पहले उसके पैरों से पैर रजाई के अन्दर से लगाने शुरू कर दिए, वह कुछ नहीं बोली। धीरे-धीरे मैंने उसकी साड़ी के अन्दर और अधिक पैर घुसाना शुरू कर दिया और उसकी जांघों तक ले जा कर सहलाना शुरू कर दिया।

वह मेरी तरफ देख कर मुस्कराई फिर क्या था एक रजाई और उठा कर बच्चों पर डाल दी और उसके बिल्कुल नजदीक बैठ गया और उसके कंधे के पीछे से हाथ डाल दिया।

कोमल बोली- बच्चे उठ जाएंगे.. मैंने कहा- अब बच्चे सो गए हैं.. मैं धीरे-धीरे करूँगा। मैंने उसकी ठुड्डी को पकड़ते हुए उसके लाल-लाल होंठों पर हल्का सा चुम्बन कर दिया।

फिर उसको बिस्तर से नीचे खड़ा करके देखने लगा। कोमल लाल साड़ी में मस्त लग रही थी। उसकी कमर उफ्फ्फ्फ़.. क्या मारू लग रही थी। उसकी चूचियाँ ब्लाउज में से ऐसे लग रही थीं कि मेरे लंड में करंट सा दौड़ गया.. कमर और उसकी नाभि जैसे उसकी चूत का छोटा रूप हो।

अब मैंने सबसे पहले कोमल की साड़ी उतार दी.. जैसे कोई सुहागरात को उतारता है। मैंने साड़ी को उतारते हुए उसके चारों तरफ चक्कर लगाया..

उसकी उठी हुई गाण्ड पेटीकोट में से ऐसे लग रही थी कि अभी अपना 6 इन्च लम्बा लंड पीछे से डाल दूँ लेकिन सारा मजा अधूरा रह जाता। फिर मैंने उसका ब्लाउज निकाल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया।

कोमल को मैंने अपनी बाँहों में ले लिया और उसके लाल-लाल रसीले होंठों को जम कर चूसा। कभी गालों को काट लेता.. कभी उसकी कमर पर चुटकी काट लेता.. और वह चिहुँक उठती ‘ऊईईईईई ईईईई..’

जैसे ही वह ऊईईई ईईईई.. करती.. मैं उसके होंठों को होंठों में पकड़ लेता जिससे उसकी आवाज बाहर निकल ही नहीं पाती थी। दस-पंद्रह मिनट तक ऐसे ही चलता रहा, अब मेरा लण्ड सब्र खोता जा रहा था, मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसके पेटीकोट का नाड़ा झटके से खोल दिया और दूसरे ही पल उसके होंठों को होंठों में लेते हुए ब्लाउज के बटनों पर हाथ रखते हुए झटके से खींच दिए और उसकी चूचियों के निप्पलों को सहलाने लगा।

वह चूचियों पर हाथ पड़ते ही ‘सिस्स्स्स..’ करने लगी। उसकी चूचियाँ मक्खन जैसी नर्म थीं और कोमल भी.. वो मेरा साथ दे रही थी.. मैंने उसके चूतड़ों से कच्छी उतार दी और उसकी नमकीन चूत पर हाथ फेरने लगा।

अब मैंने कोमल को पूरी नंगी कर दिया था, वो मेरे सामने पूरी की पूरी नंगी थी और उसकी मदहोशी भरी सांसें ‘आह्हह्ह.. आह्ह्ह ..आह्ह्ह..’ साफ़ सुनाई दे रही थीं। उसकी चूत जोकि बड़ी ही टाईट लग रही थी.. हल्का-हल्का पानी छोड़ रही थी।

मैंने कोमल को बिस्तर पर सीधा लिटाया और उसकी दोनों टाँगें चौड़ी करके जो चूत का नजारा देखा.. क्या मस्त लग रहा था.. जैसे किसी कुंवारी लड़की की चूत हो।

कहानी जारी है। [email protected]

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