प्रशंसिका ने दिल खोल कर चूत चुदवाई -6

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000

सुबह आठ बजे करीब रचना ने मुझे उठाया तो वो नहा धोकर कपड़े पहन कर तैयार हो चुकी थी और अपने और मेरे लिये चाय लिये हुए थी। मैंने उसे कपड़ों में देखा तो मैं बोल उठा- यार, हमारे तुम्हारे बीच में यह तय था न कि हम लोग जब तक यहाँ है नंगे ही रहेंगे? ‘क्या मैं चाय लेने नंगी ही जाती?’ ‘ओह सॉरी यार…’ मैं बोला।

‘अच्छा चलो उठो, ऑफिस जाने की तैयारी करो।’ ‘अरे साथ नहाने का मन कर रहा था और तुम पहले से नहा चुकी हो।’ ‘कोई बात नहीं, एक बार फिर मैं नहा लूँगी तुम्हारे साथ… पहले टट्टी वगैरह करो कि वो भी मेरे साथ ही करोगे?’ वो बोली।

फिर मैं फ्रेश हुआ तब तक वो भी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गई। हालाँकि रचना थी काफी मोटी फिर भी मुझे उसके साथ मजा आ रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे को रगड़-रगड़ के नहलाया और नहाते ही नहाते एक बार केवल चूमा चाटी हुई।

उसके बाद मैं ऑफिस के लिये तैयार हो गया। ऑफिस जाने से पहले मैंने रचना को दो तीन पोर्न साइट के नाम बता दिया और मैंने इमोशनिली उससे एक वादा कर लिया कि जो मुझे बाद में काफी महंगा पड़ गया। मैंने रचना से बोला कि साईट पर जा कर बताई हुई साईट देखो और जो क्लिप तुम्हें अच्छी लगेगी और तुम करना चाहोगी, मैं तुम्हारा साथ दूँगा, जैसा कि तुम मेरा साथ दे रही हो।

दोपहर दो बजे करीब मैं खाना लेकर लौटा, हमने साथ साथ खाना खाया। खाना खाने के बाद मैंने ही पहल करके पूछा कि उसने कोई क्लिप देखी या नहीं। तो उसने लेपटॉप खोला और दो क्लिप डाउनलोड करके रखी थी, उसमें से उसने मुझे एक दिखाई, जिसमें लड़की कई आसन से चुदवा रही थी।

क्लिप देखते देखते हम दोनो भी गर्म हो चुके थे। मैं दूसरी क्लिप भी देखना चाह रहा था, लेकिन उसने अपना लैप टॉप बन्द कर दिया और मेरे जिस्म से खेलने लगी और मेरे जिस्म से खेलते-खेलते वो मुझे पलंग तक ले गई और मुझे पलंग पर धकेल दिया।

उसके इस तरह करने से मैं पलंग पर गिर गया, मेरा आधा जिस्म पलंग पर और आधा पलंग के बाहर! वो नीचे बैठी और मेरी दोनों टांगों को उसने पलंग पर रखा और पैरों को फैलाते हुए उसने अपनी जीभ मेरी गांड की छेद में लगा दिया और अपनी जीभ की नोक को मेरे गांड के छेद के अन्दर डालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन असफल रहने से उसी से मेरी गांड को चाटने लगी। इस तरह मेरी गांड चाटे जाने के कारण मुझमें झुरझुरी सी होने लगी।

उसके बाद वो मेरे अण्डों को मुँह में भर लेती एक हाथ से लण्ड को सहलाती। करीब दस मिनट तक वो ऐसे ही करती रही, मैं अगर उठने की कोशिश करता तो वो इशारे से मुझे न उठने की हिदायत देती। उसकी बात मानने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था। आखिर में उसके सामने मेरे लंड ने हार मान ली और मेरे मुँह से निकला- रचना, मैं झड़ने वाला हूँ।

इतना सुनना था कि उसने अपने मुँह को मेरे लंड के सामने सेट करके खोल दिया और अपने हाथ से मेरे लंड को तेजी तेजी रगड़ने लगी। लंड महराज का जलवा खत्म हो चुका था, एक पिचकारी छूटी जो सीधा उसके खुले हुए मुँह के अन्दर चली गई, जो रस सीधे उसके खुले मुँह में गिरा उसको तो वो गटक गई और बाकी को उसने चाट-चाट कर साफ कर दिया। अब मेरा लंड मुरझा चुका था।

वो उठी और सीधे मेरे सीने पर चढ़ गई, उसके भारी वजन से मेरा दम घुटने लगा था। तो मैंने उसे बताया तो उसने अपना वजन मेरे ऊपर से हल्का किया और मुझसे बोली- डियर तुमको वाइल्ड सेक्स पसंद है ना? सॉरी, सेक्स में गन्दापन पसंद है न? कैसा लगा?

‘बहुत पसंद आया!’ मैंने बोला- मैं तुम्हें नहीं बता सकता तुमने जो किया, उसमें कितना मज़ा आया। ‘तो मेरा ईनाम?’ ‘हाँ हाँ… जो तुम बोलो?’ ‘ठीक है, जो मैं कहूँगी वो तुम मानोगे और बिल्कुल भी विरोध नहीं करोगे।’

मुझे यह अब तक नहीं समझ में आया कि वो मुझसे क्या करवाना चाहती है। मुझे भी वाइल्ड सेक्स ही पसंद है। लेकिन दोस्तो आगे जब आप पढ़ोगे तो आप का भी माथा ठनक जायेगा कि क्यों मैंने उसे पोर्न साईट के बारे में बताया। और आप सभी मुझे ढेरो गालियाँ दोगे।

खैर! मेरे हाँ करने पर वो बोली- तुम भी मेरी गांड चाटो और चूत जब तक चाटो जब तक कि मेरा माल न निकल जाये और उस रस को तुम पूरा पूरा न चाट जाओ, जैसे मैंने तुम्हारा चाटा। मुझे क्या ऐतराज हो सकता था!

रचना ने मेरे हाथ पीछे की ओर बांध दिए। मैंने पूछा- यह क्या, मेरे हाथ क्यों बांध दिये? वो बोली- डार्लिंग, तुमने कहा था कि तुम पोर्न साईट देखो और उसके बाद उन साईट की तरह चुदने का खेल खेलना चाहती हो तो तुम मेरा पूरा साथ दोगे। इसलिये अब कोई सवाल जवाब नहीं। ‘ठीक है मैं तुमसे कोई सवाल नहीं करूंगा।’

लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि मैं उससे वादा करके फंस गया हूँ क्योंकि मुझे सपने में भी अनुमान नहीं था कि वो क्या करने वाली है। क्योंकि अब तक जितनी मिली थी जिनके साथ मैंने सेक्स किया था, वो ऐसा कुछ नहीं कर पाई, जो रचना मेरे साथ करने वाली थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

खैर फिर वो पलंग पर पट लेट गई और अपने दोनो हाथों से गांड को फैला दी और बोली- राजा, मैं तेरी कुतिया और तुम मेरे कुत्ते हो। आओ मेरे कुत्ते अपनी कुतिया की गांड चाटो और फिर ये कुतिया तुम्हें और मजा देगी। मैं उसकी गांड चाटने लगा। रचना और मैं ऐसे एक दूसरे से खुल गये थे जैसे कि हम एक दूसरे को बरसों से जानते हों।

जब उसकी गांड मेरे थूक से गीली हो गई तो वो उठी, मेरे पास खड़ी हुई और अपनी उँगली को अपनी गांड से रगड़ती और फिर वो उँगली मेरे मुँह के अन्दर डाल देती। इस तरह करने के बाद उसने मुझे सहारा देकर खड़ा किया और पलंग पर लेटा दिया और मेरे हाथ को खोल दिए और फिर हाथ और पैरों को पलंग से बाँध दिया। ‘यह क्या कर रही हो?’ उसने मेरे मुँह में उँगली रख कर शान्त रहने का इशारा किया और बोली- डार्लिंग परेशान न हो, तुम्हें यह कुतिया खूब मजा देगी। एक दिन में तुमने मुझे वो मजा दिया है कि मैं बता नहीं सकती और अब मेरी बारी है। और तुम्हें अपने तरीके से मजा देने की ताकि तुम मुझे भूल न पाओ!

कहकर रचना मेरे मुँह पर चढ़ कर बैठ गई, मैं अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाट ही रहा था कि एक हल्की से धार उसके पेशाब की मेरे जीभ से टकराई मैं अपने मुँह को हिलाकर हटाना चाह रहा था, पर मेरे मुँह से गूँ-गूँ-गूँऊ ऊ ऊऊउ के अलावा कुछ नहीं निकला। ‘जानू इसे पीयो।’

‘हूँ ऊँ…’ पर मेरी आवाज़ निकल नहीं पा रही थी और वो इतनी मोटी थी और ऊपर से मेरे हाथ पैर बंधे थे। जब तक मैं स्थिर नहीं हो गया तब तक उसने अपनी धार रोकी रही और मेरे स्थिर होते ही वो धीरे-धीरे अपनी धार छोड़ने लगी और जिसे गटकना मेरी मजबूरी थी। जब तक उसकी पेशाब का एक-एक बूँद मेरे हलक से नीचे नहीं उतरा तब तक वो वैसे ही मेरे मुँह पर चढ़ी रही।

फिर वो मेरे मुँह से हटी तब मेरी सांस में सांस आई। मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन…

मैं सोच ही रहा था कि तभी वो मेरे पास आकर बोली- परेशान क्यों होते हो? अगर मैं तुम्हें अपना मूत पिला सकती हूँ तो मैं तुम्हारा मूत भी पी सकती हूँ, गुस्सा मत हो, अभी तक तुमने जो कहा जो किया वो सब मैंने हँसते हुए किया।

उसकी बात सुन कर मैं भी शान्त होने लगा। ‘तुम मेरी गांड मारना चाहते हो, तुम वो भी करना। लेकिन मुझे यह करना था तो मैंने किया।

उसने लेपटॉप खोलकर दूसरी क्लिप दिखाई। जो अभी उसने मेरे साथ किया था, ठीक उसी तरह उस क्लिप में था। मैंने उससे कहा- तुम मुझे बता देती तो शायद मैं तुम्हारी बात भी मान लेता। ‘नहीं कभी तुम तैयार नहीं होते… मैं जानती हूँ।

कह तो वो ठीक ही रही थी। ‘ठीक है…’ अन्त में मैं बोला- अब इस लंड पर तरस खाओ और इसकी सवारी करो। वो मेरे तरफ देखते हुए बोली- तुम गुस्सा तो नहीं हो? ‘नहीं बाबा… लेकिन अब मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड प्यार से नहीं झटके से डालूँगा, जिससे तुम्हें बहुत दर्द होगा।’

‘कोई बात नहीं, मैं तुम्हारे लिये हर दर्द सह लूँगी। मेरी चूत तुम्हारे लंड को अपने अन्दर लेने के लिये तैयार है। तुम जिस तरह से चोदना चाहो उस तरह से चोदो। बस रात को मेरी गांड मारना!’ कहकर उसने मेरे हाथ और पैर खोल दिये।

फिर लैपटॉप में जिस पोजिशन से लड़का लड़की को चोद रहा था हर पोजिशन से रचना मुझसे चुदवा रही थी, कभी पीछे से मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी तो कभी अपनी दोनों टांगों को अपने से चिपका कर मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी और उत्तेजक आवाज के साथ मेरा हौंसला बढ़ा रही थी- चोदो अपनी कुतिया को चोदो। जब तक हूँ मैं तुम्हारे साथ हूँ, मुझे रंडी बना कर चोदो। मैं तेरे लिये रंडी भी बनने को तैयार हूँ।

कहते-कहते मैं वो ढीली पड़ गई और मेरा भी माल आने वाला था, मैं लंड को उसके पास ले गया उसने बड़े ही अराम से लंड को अपने मुँह में लिया और रस की एक एक बूँद को चाट कर साफ किया और फिर मुझे आँख मारकर अपनी चूत की ओर इशारा करते हुए उसे साफ करने को कहा। मैं भी उसकी बात को रखते हुए उसकी मलाई को साफ कर गया।

हम लोग सुस्त हो चुके थे। हम लोग के पास केवल खाना खाना और चुदम-चुदाई के खेल के अलावा कुछ नहीं था। कुछ देर बाद रचना ही बोली- शरद, हम लोग घूम कर आते हैं।

उसकी बात सुनकर मैं उठा और बाथरूम में मुँह हाथ धोने लगा और पेशाब करने जा ही रहा था कि वो नीचे बैठ गई और लंड को मुंह में ले ली। मैंने तुरन्त ही उसे हटाया और एक किनारे करते हुए बोला- कोई बात नहीं, जब वक्त आयेगा तो तुम पी लेना। ‘ठीक है।’ कह कर मेरे लंड को पकड़ कर मुझे पेशाब कराने लगी।

फिर हम लोग तैयार होकर दिल्ली घूमने निकल गये। पूरे रास्ते वो मुझसे चिपक कर चलती रही। आते समय उसने खाना पैक करवाया और मुझसे वाइन खरीदने के लिये कहा। हाँ, अब जो कुछ भी खरीदना था उसके पैसे वो खुद ही दे रही थी।

मैंने वाइन के बदले बियर की बात कही तो आँख मारते हुए बोली- आज वाइन हम दोनों साथ ही पियेंगे। मुझे पता नहीं था कि वो इतनी वलर्गर निकलेगी। जो उसने मेरे साथ किया था, वो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था या फिर गिलास में मूत नापने वाली घटना से ही मुझे समझ जाना चाहिये था।

चलिये दोस्तो, जो हुआ सो हुआ! आप भी मुझे गालियाँ देकर अपनी भड़ास निकाल लीजिये क्योंकि अब आगे भी जो मेरे साथ होने वाला था वो भी मेरी कल्पना से परे था।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000