प्रेम संग वासना : एक अनोखा रिश्ता -2

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फिर शुरू हुआ हमारी बातों का सिलसिला और हम कभी मैसेज में तो कभी फोन पे घंटों बातें करने लगे। उसने बताया कि यहाँ वो अकेली ही रहती थी और उसका होम टाउन उसने हिमाचल बताया और यह भी बताया कि यहाँ उसके ज़्यादा दोस्त भी नहीं हैं। और यही बात मेरा प्लस पॉइंट हो गई उसे पाने के लिए।

अब बारी थी हमारे मिलने की हमने एक जगह और समय प्लान किया और इंतज़ार करने लगे उस दिन का जिस दिन हमें मिलना था। वो दिन भी आ गया, हम मिले और वो मिलना मेरी ज़िंदगी का सबसे खास लम्हा बन गया, हुआ यूँ कि जैसे ही उसने मुझे देखा वो दौड़ कर आई और मेरे गले लग गई जैसे वो बरसों से मुझे जानती हो। और ऐसे ज़ोर से लिपटी कि करीब दस मिनट तक वो ऐसे ही रही।

मैंने महसूस किया कि उसकी पकड़ थोड़ी ज़्यादा ही टाइट थी और साँसें उखड़ी और मदहोश… हम फिर अलग हुए और फिर एक रेस्तराँ में चले गए।

उस दिन वो क्या कयामत लग रही थी उसने उस दिन स्लीवलेस ब्लू कलर का फ्रॉक और उसी से मैचिंग सारी चीजें पहनी हुई थी। एक तो गोरा बदन और उस पर नीली ड्रेस, नीली आँखें, नीले सैंडल, नीला ब्रेसलेट और एक और बात उसने अपने बाल के कुछ हिस्से भी नीले रंग से कलर कराये थे!

पूरी की पूरी क़ातिल लग रही थी वो उस दिन… जो भी उसे देखता, बस देखता ही रह जाता। उस दिन उसे देखकर मुझे पहली बार यह महसूस हुआ कि यही वो सपना है जिसे मैं आज तक ढूंढ रहा था और आखिरकार भगवान ने मुझे आज इसे दे ही दिया।

काफी देर हम एक दूसरे से बातें करते रहे और फिर मुझे लगा जैसे अब कहीं वो जाने के लिए न बोल दे तो मैंने उसे कहा- चलो मूवी देखते हैं? उसने घड़ी देखी, अभी शाम के 5:30 हो रहे थे, उसने कहा- मूवी देखने में कोई प्रोब्लम नहीं है पर मुझे मूवी देखना पसंद नहीं है लेकिन हाँ, अगर तुम कहो तो कहीं पार्टी करते हैं। मैंने आश्चर्यचकित भाव से उससे पूछा- कहाँ?

‘तुम यहाँ अकेले रहते हो या किसी के साथ?’ उसने पूछा। ‘नहीं, मैं अकेले रहता हूँ। लेकिन मेरे घर पर लड़कियों को लाने का पर्मिशन नहीं है।’ मैंने जवाब दिया। वो थोड़ा सा मुस्कुराई और बोली- तुम्हें मेरे फ्लैट पर चलने में तो कोई प्रोब्लम नहीं है? या किसी से पर्मिशन तो नहीं लेनी? और बहुत ज़ोर से हंसी। मैं झेप कर रह गया।

उसने कहा- चलो मेरे घर पे चलते हैं, वहीं पे पार्टी करेंगे और खूब मजे करेंगे। मैं एक बात यहाँ आप को बता दूँ कि हमने अपना मिलना ऐसे दिन फिक्स किया था कि हम दोनों का साप्ताहिक अवकाश था उस दिन और उसके एक दिन बाद भी। आपको बता दूँ कि बहुराष्ट्रीय कम्पनी में 2 दिन का साप्ताहिक अवकाश होता है।

‘तुम्हें रात में मेरे घर पे रुकने में कोई प्रोब्लम तो नहीं है?’ उसने फिर मुझसे पूछा। मैंने ‘नहीं’ में उसको जवाब दिया और हम निकल गए उसके घर के लिए। रास्ते में हमने खाने पीने का ढेर सारा समान लिया और उसके घर जाने के लिए हमने ऑटो लिया, चल दिये अपनी मंज़िल की तरफ।

मैंने उससे पूछा- तुम ड्रिंक करती हो? उसने ना में जवाब दिया लेकिन दूसरे ही पल उसने कहा- आज ट्राई करूँ क्या? ‘तुम ड्रिंक करते हो?’ उसने पूछा। मैंने कहा- मैं केवल बीयर पीता हूँ! तो उसने कहा- ठीक है, फिर आज बीयर ले चलते हैं, अगर मैं नहीं पी पाई तो तुम पी लेना।

मुझे उसकी बात अच्छी लगी और मैंने ऑटो को एक वाइन शॉप पर रुकने को कहा। मैंने जाकर वहाँ से 2 बीयर और एक रेड वाइन की बोतल ले ली और ऑटो में आ कर बैठ गया। कुछ ही देर में हम उसके घर पहुँचे!

क्या घर था उसका, वो जहाँ रहती थी, एकदम आलीशान… उसने वो पूरा घर ही किराए पर ले रखा था। खैर उसका घर कुछ यूँ था कि घर में घुसते ही एक छोटा कमरा जहाँ शू रेक था, उसके बाद एक बड़ा सा ड्राईंग रूम जहाँ से तीन तरफ का रास्ता था, एक बेड रूम का, एक किचन का और एक स्टोर रूम का। घर में घुसते ही एक सीढ़ी ऊपर जाती थी।

हम घर में गए और ड्राईंग रूम में एक बड़ा सा सोफा लगा था, उस पर जाकर बैठ गए, फिर कुछ देर बाद उपासना उठी और सारा सामान फ्रिज में और किचन में सेट किया और फिर दोनों के लिए पानी और चाय बना कर लाई। मैंने पूछा- तुम इतने बड़े घर में अकेले रहती हो? तुम्हें डर नहीं लगता? उसने कहा- नहीं, डर कैसा? बल्कि मुझे तो यहाँ अकेले रहने में मज़ा आता है, जैसे पूरे घर में मैं अकेली और सब कुछ मेरा, जैसे जी चाहे रहो, जब जो जी चाहे करो, कोई रोकने वाला नहीं, कोई टोकने वाला नहीं।

मैं तो उसके इस उत्तर से एक पल के लिए स्तब्ध रह गया और उसको एकटक देखने लगा। उसने कहा- क्या हुआ? मैंने ‘कुछ नहीं’ बोला।

फिर उसने बताया- मेरी फ़ैमिली बहुत बड़ी है, जब कोई मुझसे मिलने आता है घर से तो उसके साथ काफी लोग आते हैं तो 1 या 2 रूम कम पड़ते हैं इसलिए मैंने बंगला ही किराए पर ले लिया। अब तक हम चाय खत्म कर चुके थे, वो उठी और बर्तन किचन में रखे और कहा- मैं चेंज कर के आती हूँ।

करीब बीस मिनट बाद वो आई, एकदम अलग लग रही थी, मैं तो सोचने लगा कि इसके कितने रंग हैं, जब भी मिलती है एक नए रंग के साथ। इस वक़्त वो एक गाउन में थी लाइट ऑरेंज कलर के और पूरी की पूरी सजी हुई जैसे उसे किसी पार्टी में जाना हो।

मैंने उसे पूछा- ये क्या है? तो उसने कहा- क्यों पार्टी नहीं करनी क्या? मैंने कहा- हाँ करनी तो है लेकिन उसके लिए इतना सजने की क्या ज़रूरत है, हम कहीं जा थोड़े ही रहे हैं, घर पे ही तो पार्टी करनी है। वो हंसी और कहा- पार्टी कहीं भी हो, फील पूरी पार्टी वाली ही आनी चाहिए।

उस वक़्त उसे देख कर मैं तो अपना आपा ही खोने लगा था, खैर कैसे भी मैंने अपने आपको संभाला और कहा- तो फिर मेजबान और मेहमान दोनों तैयार है तो शुरू करे पार्टी? उसने कहा- यहाँ नहीं। ‘फिर कहाँ, कहीं और चलना है क्या?’ मैंने पूछा। उसने कहा- नहीं घर में ही, लेकिन थोड़ा वेट करो।

और थोड़ी देर बाद वो मुझे सीढ़ियों से ऊपर ले गई वहाँ दो रूम थे एक बाथरूम और एक टॉइलेट। एक रूम थोड़ा छोटा था, ऐसा लग रहा था गेस्ट रूम है और दूसरा तो जैसे लग रहा था पार्टी हाल है, वैसी ही लाइट भी लगी थी उसमें और म्यूजिक इन्स्ट्रूमेंट्स भी थे, एकदम पार्टी फ्लोर!

हम अंदर दाखिल हुए तो देखा वहाँ पहले से ही 30-35 लोग थे। अंदर जाते ही सबने एक साथ उसको हैप्पी बर्थ डे विश किया और तब जाकर कहीं उसने मुझे बताया कि आज उसका जन्मदिन है। मैं तो झेंप कर रह गया कि मेरे पास उसको देने के लिए कोई गिफ्ट नहीं था।

फिर भी मैंने भी उसे विश किया और वहीं एक तरफ किनारे हो कर खड़ा हो गया। वहाँ जितने भी लोग थे, सारे ऑफिस के ही थे शायद उसी के टीम मेम्बर्स, मैं अकेला था और किसी को जानता भी नहीं था तो चुपचाप अकेले किनारे खड़ा था।

अब सारे लोग मिल कर केक काटने की तैयारी में जुट गए और फिर पूरे शोर के साथ उसने केक काटा। वो दिन शायद जन्मदिन उसका था पर भगवान मेरे साथ था, जिसकी कल्पना भी मैंने नहीं की थी, आज वही सब हो रहा था मेरे साथ। उसके केक काटने के बाद उसने पहला टुकड़ा उठाया, सीधे मेरे पास आई और मुझे खिलाया, आधा अपने भी खाया, मुझे एक ज़ोरदार हग किया। फिर केक काट कर सबको दे दिया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई और पूछा- कैसा लगा सरप्राइज़?

मैं क्या बोलता, मैंने कहा- तुम्हें पहले बताना चाहिए था, बताओ एक मैं ही हूँ जो तुम्हारे लिए कोई गिफ्ट नहीं लाया और सभी कुछ न कुछ लेकर आए हैं। उसने बड़े ही प्यार से मेरे कंधे पर सर रखा और कहा- मेरे आज का सबसे अच्छा गिफ्ट तो तुम हो, जो मेरे साथ हो आज के दिन!

फिर वो अपने कुछ दोस्तों के पास चली गई और पार्टी शुरू हो गई, काफी देर तक पार्टी चलती रही और फिर एक एक कर के सभी अपने घर चले गए आखिर में मैं और वो बच गए।

कुछ देर बाद मैंने भी उससे कहा- मैं चलता हूँ! तो उसने कहा- ऐसे कैसे? आज तुम्हें मेरे साथ पूरी रात रहना है, और अभी तो बीयर पीनी है तो तुम कहीं नहीं जा रहे। मैं कुछ समझ नहीं पाया, शायद यह मेरा वहम था या हक़ीक़त, जो भी था बहुत हसीन था।

उसके बाद हमने पूरा रूम साफ किया और वहीं बैठ कर बातें करने लगे। थोड़ी देर बात करने के बाद उसने कहा- चलो अंदर चलते हैं। मैंने कहा- हम अंदर तो हैं। तो उसने बताया- नहीं इस रूम से अटैच एक बेडरूम भी है लेकिन किसी को पता नहीं है।

मुझे वो उस रूम में ले गई जो बाहर से पता ही नहीं चल रहा था कि रूम है… एक सुंदर सा रूम जिसमें लाल रंग का राउंड बेड लगा हुआ था और उस बेड पर सफ़ेद रंग के पर्दे, एक बड़ा सा टीवी और नीचे मोटा सा क़ालीन… एकदम फिल्मों जैसा।

वो मेरा हाथ पकड़ कर ले गई और बेड पे बैठा दिया, फिर बाहर जाकर कुछ स्नैक्स और बीयर और रेड वाइन की बोतल ले आई और मुझे कहा सर्व करने को! वो वाशरूम में चली गई और जब तक वो बाहर आई ड्रिंक तैयार थी। वो मेरे पास आ कर बैठ गई और कुछ सोचते हुए वो बेड से उठी और मेरा हाथ पकड़ कर नीचे बैठ गई और मुझे प्रपोज़ किया।

जब उसने ऐसा किया तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया, उसने बताया कि जब उसने मुझे पहली बार देखा था तभी उसको मैं पसंद आ गया था लेकिन उसको हिम्मत नहीं हुई कि वो मुझसे बात करे। मेरे काफी देर तक शांत रहने के बाद जब उसे कोई जवाब नहीं मिला तो उसने पूछा- क्या मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ या मेरा प्रोपोज़ल पसंद नहीं आया?

कुछ सोचने के बाद मैंने उसे कहा- मुझे तुम भी पसंद हो और तुम्हारा प्रोपोज़ल भी, मैं भी तुम्हें तभी से चाहता हूँ जब तुम्हें पहली बार देखा था… बस मुझे अपनी किस्मत पे भरोसा नहीं हो रहा है कि तुम्हारे जैसी लड़की मुझसे प्यार कर सकती है। वो खूब ज़ोर से हंसी और कहा- तुम बहुत हैंडसम हो लेकिन तुम्हारी एक बात है जो तुमको सबसे अलग करती है, वो तुम्हारी सादगी और जो भी तुम्हारे दिल में है वो तुम्हारे चेहरे पर भी है जिसे कोई भी पढ़ सकता है।

उसने बताया कि खासकर जब लड़के मुझे देखते हैं तो उनकी नज़रों में मुझे मेरे लिए वासना दिखती है लेकिन जब मैंने तुम्हें देखा तो मुझे ऐसा बिलकुल भी नहीं लगा, मुझे लगा, हो सकता है यह मेरा वहम हो! फिर दूसरे दिन भी वही और जब हम शॉप में मिले तो मुझे यकीन हो गया कि तुम मुझे वासना वाली नज़रों से नहीं देखते और उसी पल मुझे तुमसे प्यार हो गया और मैंने सोचा कि इस बारे में मैं तुमको अपने जन्मदिन पे बताऊँगी।

मैं बेड से उठा और उसको उठा कर अपने गले से लगा लिया। ऐसा लगा जैसे कि प्यासे के पास सागर खुद आ गया है, उसने भी मुझे बहुत ज़ोर से पकड़ रखा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! पांच मिनट बाद हम अलग हुए और फिर बेड पर बैठ कर ड्रिंक उठाया।

मैंने उससे मज़ाक में कहा- तुम मेरे साथ ड्रिंक कर रही हो, कहीं मैं तुम्हारा फ़ायदा न उठा लूँ? उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली- तो उठा लो फायदा… मैं भी तो यही चाहती हूँ, जब दिल तुम्हें दे दिया है तो शरीर कौन सी बड़ी चीज है।

और हंसते हुए हम बीयर पीने लगे।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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