जाट पुलिस वालों ने खेत में चोदा-4

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अभी तक आपने पढ़ा … मैंने उसकी फ्रेंची में लगे उसके प्रीकम को चाट लिया। अब उसने मेरा मुँह अपने लौड़े के नीचे लटके आंडों में दे दिया जहाँ जांघों पर हल्के बाल भी थे। मैं उसके आंडों को चूसने लगा.. वो भी आनन्द में डूब गया और उसकी आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई और लाल होंठ खुल गए.. वो अपने आंडों को चुसवाने का मजा ले रहा था।

तभी बाहर से किसी आदमी की आवाज़ आई- अरै कुनसा है भीतर? (अरे कौन है अंदर)

हम तीनों एक बार के लिए सहम गए, जब तक हम संभल पाते एक 50-52 साल का आदमी झोपड़ी के अंदर दाखिल हुआ.. होंठों पर बड़ी बड़ी मूंछें, हल्की फीके हरे रंग की पूरी बाजू की शर्ट जो उसने अपने डोलों तक ऊपर कसी हुई थी और नीचे एक नीले रंग का टी.टी. का अंडरवियर पहना हुआ था जिसमें से उसके लंड का उभार हिलता हुआ हमारे सामने आकर थम गया था.. उसने कंधे पर फावड़ा डाल रखा था और घुटनों तक के पैर पानी में भीगे हुए थे…

हम समझ गए कि यह खेत का किसान है..

दोनों पुलिस वालों को देखकर वो अचंभे से बोला- अरै कलयुग की औलादों.. इतने बुरे दिन आगे के थारे (तुम्हारे इतने बुरे दिन आ गए) लड़कियाँ मिलनी बंद हो गी.. के (क्या)

हम तीनों कुछ देर तो हक्के बक्के उसको देखते रहे, फिर प्रवीण कुछ संभलते हुए बोला- ना दादा.. हम तो बस यूं ही थोड़ा दिल बहला रहे थे इसके साथ… लेकिन ये तो लड़की से भी ज्यादा मजा़ दे रहा है.. यकीन ना हो तो आप भी ट्राई कर लो!

वो बोला- ना भाई.. तुम ही कर लो.. जब हो जाए तो बता दियो, मैं बाहर ही बैठा हूँ.. यह कहकर वो झोपड़ी के बाहर निकल गया। अब तक प्रवीण और जगबीर दोनों के ही लंड आधे सो चुके थे लेकिन तुरंत ही प्रवीण ने जगबीर को बोला- आ जा तू भी चुसवा ले अब..

कहते ही जगबीर प्रवीण की जगह उसी अवस्था में बैठकर लंड चुसवाने लगा और प्रवीण ने अपनी पैंट पूरी निकाल कर फ्रेंची और बनियान भी निकाल दी। अब वो पूरा नंगा होकर मेरे पीछे खड़ा हो गया.. मैं जगबीर का लौड़ा मस्ती से चूसे जा रहा था।

इतने में प्रवीण ने अपने मजबूत हाथों से मेरी गांड को ऊपर किया और मेरी पैंट के हुक को खोलने लगा। मैंने मदद करते हुए हुक खोला और पैंट नीचे कर दी, मैंने गहरे नीले रंग की फ्रेंची पहनी थी जिसमें मेरी गोरी जांघें बिल्कुल लड़कियों जैसी लग रही थीं।

प्रवीण ने अपने सीधे हाथ से मेरी जांघिया को नीचे खींच दिया और मेरी गांड का छेद उसकी आखों के सामने आ गया। वो मेरे नर्म मुलायम चूतड़ों को हाथों से दबाता हुआ इस्स इस्स करने लगा और अपनी उंगली मेरी गांड में डाल दी।

मुझे हल्का सा दर्द हुआ.. उसकी उंगली बहुत ही मोटी और सख्त थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब उसने उंगली मेरी गांड में अंदर बाहर करनी शुरु की और मेरी गांड में लंड लेने के लिए खुजली बढ़ने लगी.. एक तरफ मैं जगबीर का लौड़ा चूस रहा था दूसरी तरफ गांड हिला हिलाकर प्रवीण उंगली से चुद रहा था।

अब प्रवीण घुटनों पर बैठता हुआ अपने मोटे लंड का सुपाड़ा मेरी गांड पर लाकर रगड़ने लगा.. उसका लौड़ा फिर से उफान पर आ गया और देर न करते हुए उसने अपने लंड की टोपी मेरी गांड के बंद गोल छेद पर ऱखी और मेरी गांड को दबोचते हुए इतनी जोर का धक्का मारा कि एक ही झटके में उसका लंड मेरी गांड में अंदर तक जा फंसा।

दर्द के मारे मैंने जगबीर के लंड पर दांत गड़ा दिए… दांत उसको चुभ गया तो उसने ज़ोर का तमाचा मेरे मुंह पर जड़ दिया, बोला- साले आराम से देख कर चूस.. खाएगा क्या लौड़े को..

अब प्रवीण ने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से पकडते हुए चोदना शुरु किया। दो मिनट बाद मेरी गांड उसके लंड के नशे में डूब गई और हम तीनों की सिसकारियों से झोंपड़ी गूंजने लगी.. माहौल कामवासना से भर गया, जगबीर की आंखें बंद हो गईं और उसका लंड अकड़ता हुआ मेरे मुंह में दूध की पिचकारी मारने लगा.. मैं उसके रस को पी गया।

लेकिन प्रवीण अभी भी मेरी गांड को गचा गच पेल रहा था.. जगबीर ने आंख खोलकर सामने देखा तो वो किसान दरवाजे में खड़ा हुआ सब देख रहा था। जगबीर ने कहा- अरे दादा, ले लो मज़े.. लुगाई भी नहीं देती होगी इतने.. जितने ये दे देगा…

वो कुछ सेकेंड्स तक सोचता रहा और फिर बोला- हरामखोरो, मेरा जी (मन) तो नहीं कर रहा था लेकिन तुमको देखकर घने (काफी) दिन बाद लंड मैं (में ) इतना जोश आया है.. कहकर उसने फावड़ा नीचे पटक दिया और जगबीर को हटने के लिए बोला।

जगबीर के उठते ही वो मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। नीले टी.टी के अंडरवियर में उसका लंड मेरी आंखों के सामने तना हुआ मचल रहा था.. किसी छेद में जाने के लिए.. और वो थे मेरे होंठ.. जब उसने अंडरवियर नीचे किया तो उसका काले रंग का मोटा लंड जिसका गहरा गुलाबी सुपारा था, मेरी नाक के सामने लटक गया।

उसने हवस भरे अंदाज में अपना लंड मेरे गालों पर और होठों के आस पास फिराया और इस्स इस्स करता हुआ मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। उसका लंड 5 इंच से थोड़ा ज्यादा लंबा था लेकिन मोटा बहुत था इसलिए उसको मुंह में भरने के लिए मैं भी बेताब था।

अब उसने मेरा मुंह खुलवाया और अपना मोटा लंड मेरे मुंह में देकर गांड को आगे पीछे हिलाता हुआ चुसवाने लगा। पीछे से प्रवीण मेरी गांड के अंदर घुसने को हो रहा था.. उसके लंड के धक्के मुझे आगे धकेल रहे थे जिससे उस किसान का लंड मेरे गले तक चला जाता था और मेरा मुंह उसके आंडों में जाकर लग रहा था, दोनों ही अपने जोश में मेरा मुख और गांड चोदन कर रहे थे और मैं आगे और पीछे से मोटे लौड़े लेता हुआ आनन्द विभोर हो रहा था।

पीछे से पुलिस वाले जवान जाट प्रवीण का मोटा लंड और आगे से मजबूत शरीर वाले किसान का लौड़ा.. मेरी वासना तृप्त हो रही थी.. फिर एकाएक प्रवीण मेरी कमर पर झुक गया और बालों भरी छाती से मेरी कमर को कंधे तक कवर करते हुए मुझ पर अपना भार डालते हुए तेज तेज लंड को गांड में घुसाने और निकालने लगा जैसे कोई कुत्ता एक कुतिया को चोदता है।

उसकी इस क्रिया से मैं जन्नत की सैर करने लगा और किसान के लंड को होठों से भींचते हुए जोर जोर से चूसने लगा, उसके हाथ भी मेरे सिर पर आकर मेरा मुंह लंड में घुसाने लगे और दो मिनट बाद प्रवीण जोर जोर से आह.. आह.. करते हुए अपने थन के दूध की धार मेरी गांड में छोडता हुआ मेरी पीठ पर पसर गया जिसके भार से मेरा मुंह भी नीचे बैठे किसान की जांघों के बीच में जाकर फंस गया और उसके लंड को पूरा गले तक निगल गया जिससे मिले आनन्द के कारण उसने भी मेरे मुंह में अपने वीर्य की धार मार दी और मेरा सिर जांघों में दबोचकर मुझे अपना गर्म गर्म वीर्य पिला दिया।

आह.. क्या अहसास था वो.. इतना मज़ा कि मैं भी लंड को हिलाए बिना ही वहीं घास फूस पर झड़ गया.. किसान थक कर झोपड़ी की दीवार के सहारे लग गया और प्रवीण अपना लंड मेरी गांड से निकालता हुआ उठ कर अपने कपड़े उठाकर पहनने लगा.. उसने जगबीर को चलने के लिए कहा जो पहले से ही संभल चुका था..

प्रवीण ने फ्रेंची से अपने सोये हुए लंड को ढका, पैंट पहनकर सैंडो बनियान पहन ली और शर्ट को कंधे पर डालते हुए निकलने लगा तो नीचे अध नंगा पड़ा किसान बोला- भाईयों इसनै तो सच में ही लुगाई से ज्यादा मजा दे दिया..

यह सुनकर दोनों पुलिस वाले हंसने लगे और बोले- कोई बात नहीं दादा.. फिर कभी चक्कर लगाएँगे आपकी झोंपड़ी का.. कहकर दोनों निकलने लगे और बोले- चल रंडी तू भी उठ ले.. तुझे दिचाउं में पटक देंगे..

मैं भी कपड़े पहनकर उनके साथ निकल चला और 10 मिनट बाद उन्होंने मेरी दुखती हुई गांड के साथ मुझे गांव में छोड़ दिया।

वैसा सैक्स उससे पहले या बाद में मैंने कभी नहीं किया है। कहानी पर अपनी राय देना न भूलें.. [email protected]

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