दूध वाली भाभी की कुंवारी बेटी की चूत चुदाई

बात पिछले साल की है जब मैंने अपने नए मकान में रहना शुरू किया था। मेरे मकान के पास भाई की फैमिली भी रहती है.. वो मेरे सगे भाई नहीं थे.. बस मेरे गाँव के नाते भाई लगते हैं।

उनकी फैमिली में भाई-भाभी.. एक लड़का और दो लड़कियां रहती हैं। उनका लड़का बी.टेक. कर रहा है। वो अभी पहले साल में है और मेरी उससे दोस्ती सी है क्योंकि वो मुझसे कुछ ही साल छोटा था। भाई साब की लड़कियां भी पढ़ती हैं।

भाभी जी की उम्र 45 साल है और लड़कियाँ जवान हो चुकी हैं। बड़ी लड़की का नाम मीनाक्षी और छोटी का नाम प्रियंका है।

भाई साहिब एक्स. सर्विस मैन हैं जो अब सिक्योरिटी की जॉब करते हैं और अक्सर अपनी ड्यूटी पर ही रहते हैं। उनको अपनी ड्यूटी डे-नाइट करनी पड़ती है.. इसलिए घर पर कम ही रहते हैं।

दूसरी तरफ भाभी जी ने घर में दो भैंसे रखी हुई हैं.. जिनका वो दूध बेचती हैं। जिस कारण भाभी जी भी घर पर कम ही रहती हैं। वो सुबह-सुबह चारा लेने के लिए खेत में जाती हैं।

लड़का एक प्राइवेट कॉलेज में जाता है तो उसकी छुट्टी शाम को 5 बजे होती है। उनके घर में कंप्यूटर भी है.. जो कभी-कभार मैं चला लेता था और लड़के को मूवी की सीडीज़ भी ला कर देता था.. उसमें कुछ अडल्ट मूवीज भी होती थीं।

छोटी लड़की पढ़ती है और बड़ी लड़की मीनाक्षी अक्सर घर में अकेली रहती है।

दोस्तो, यह भाई और भाभी के परिवार का बैकग्राउंड था।

मैं उनके घर पर सुबह और शाम को दूध लाने के लिए जाता हूँ और कभी-कभार लस्सी भी ले आता हूँ।

मीनाक्षी जो कि अभी भरी जवानी में थी। उसकी इस भरपूर जवानी ने उसको सताना शुरू कर दिया था। उसको अकेले देखकर मैं उनके घर पर जाता था।

हालाँकि वो मुझे अंकल कहती जरूर थी पर वो पहले दिन से मुझे अजीब सी नज़रों से देखती थी। जब मैं डिब्बे में दूध डालने के लिए बोलता तो वो मुझसे चाय के लिए भी पूछ लेती थी।

शुरू-शुरू में तो मैंने मना किया.. पर जब मुझे पता चला कि वो चुदवाने के चक्कर में है.. क्योंकि वो झाड़ू बुहारते वक्त झुक कर अपनी चूचियां मेरे को दिखा देती थी।

इस बात को समझने के बाद अब मैं भी कह दिया करता कि चाय तो पिला दे.. तो वो चाय बना लेती थी.. जिसको हम दोनों पिया करते।

जब मैं चाय पीता तो वो टीवी ऑन कर लिया करती थी। मैं भी चाय पीते-पीते टीवी भी देख लिया करता था।

एक दिन सुबह-सुबह मैं उनके घर पर गया.. तो घर पर कोई नहीं था सिर्फ़ मीनाक्षी अकेली थी। मैंने कहा- मीनाक्षी दूध डाल दे.. तो बोली- आपको आज ताज़ा दूध पिलाऊँगी। मैंने कहा- अगर तू ताज़ा दूध पिलाएगी तो मैं भी मज़े से पी लूँगा।

उस पर वो बोली- आप थोड़ी देर बैठो, मैं आज अकेली हूँ.. थोड़ी देर में डालती हूँ। मैंने कहा- ठीक है।

बोली- अंकल जी.. आप चाय पीओगे क्या.. मैं अकेली हूँ.. हम दोनों चाय पी लेते हैं। मैंने कहा- ठीक है चाय बना लो।

मैं मन ही मन सोच रहा था आज तो ये 100% चुदेगी क्योंकि बार बार कह रही है कि ‘अकेली हूँ।’

वो चाय बनाने लगी तो मैं भी रसोई में पहुँच गया। उसने चुन्नी नहीं ले रखी थी.. सूट पहना हुआ था। उसके शर्ट का बड़ा गला था जिससे उसके चूचे जो बाहर को निकलने को बेताब से हो रहे थे.. मुझको साफ दिखाई दे रहे थे।

उसने नज़रों ही नज़रों में मुझे घूरा कि मैं उसके चूचे देख रहा हूँ। वो चूत खुजाते हुए बोली- अंकल घर में अकेली बोर हो जाती हूँ.. क्या करूँ?

मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं हूँ ना.. तुझे बोर नहीं होने दूँगा। तो वो बोली- ऐसा क्या करोगे जो आप मुझे बोर नहीं होने दोगे।

तो मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया और उससे पूछा- तू क्या चाहती है? वो बोली- अंकल जी मैं अपने भाई के कंप्यूटर पर फिल्म देखना चाहती हूँ.. पर उसने उसमें पासवर्ड डाल रखा है। मैंने कहा- पासवर्ड मेरे को पता है.. आ जा मैं तेरे को मूवी दिखाता हूँ।

मैंने कंप्यूटर को चालू किया और उससे पूछा- कौन सी मूवी देखेगी? तो वो बोली- आपको जो अच्छी लगे वो दिखा दो।

मैंने कहा- इसमें अंग्रेजी की एक मूवी अच्छी है.. इसमें अच्छी फाइटिंग है। वो बोली- ठीक है।

हम दोनों मूवी देखने लगे.. उसमें काफ़ी सेक्स सीन थे। मूवी में जब लड़का लड़की को अपना चुसा रहा था और वो सेक्स भी कर रहे थे.. तो ये देख कर उसकी गाल शरम से लाल हो गए थे।

मेरा लंड ये सीन देखकर 90 डिग्री पर खड़ा हो गया। वो भी यही चाहती थी कि कब मैं उसको चोदने के लिए कहूँ और कब उसको चोदूँ।

यह सब देखकर मैंने उसको अपनी बांहों में ले लिया.. वो शरम से मेरे सीने पर चिपक गई। मैंने कहा- क्या हुआ.. तो वो बोली- कुछ नहीं.. ये आप क्या कर रहे हैं? मैंने कहा- क्या तुम कुछ नहीं जानती हो?

बोली- मैंने मम्मी को देखा है.. जब वो पापा के साथ सोई हुई थीं तो पापा मम्मी की चूत में उंगली कर रहे थे ओर मम्मी पापा का लंड चूस रही थीं। दोनों ‘आह.. आह..’ कर रहे थे और थोड़ी देर बाद पापा ने मम्मी के मुँह पर सफेद पानी छोड़ दिया ओर पापा मम्मी के ऊपर निढाल होकर लेट गए। मम्मी कह रही थीं कि तुम्हारी यही कमी है.. तुम कुछ कर ही नहीं पाते हो और मेरे को उंगली करके काम चलाना पड़ता है। मैंने सोचा कि इसमें तो बहुत मज़ा आता होगा.. तब मैंने बाथरूम में जाकर उंगली करने की सोची.. पर मेरे को दर्द हो रहा था.. इसलिए मैं उंगली कर ही नहीं पाई।

उसकी बात को मैं बड़े मजे से सुन रहा था और उसके मम्मों को सहलाता भी जा रहा था।

उसके बाद वो बोली- अंकल चूत में लंड डालने पर दर्द होता होगा ना? मैंने कहा- पहली बार थोड़ा सा दर्द होता है.. पर मज़े बहुत आते हैं।

ऐसे बात करते-करते हम दोनों आपस में चिपक गए थे। मैं उसके मम्मे जो कि मुझे बहुत आनन्द दे रहे थे.. को मसल रहा था और मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा रखा था।

वो मेरे लण्ड को हिला रही थी। वो बोली- अंकल जी आप मेरे मम्मों को दबा रहे हो तो मुझे बहुत मजा आ रहा है।

मैंने कहा- मेरी जान मज़े अभी तूने लिए कहाँ.. पर असली मज़े तो मैं तुम्हें अभी दूँगा।

ऐसा कहकर मैंने उसका कमीज़ उतार दिया। उसने सिर्फ़ कमीज़ ही पहनी हुई थी.. क्योंकि वो अभी जवान हुई ही थी और उसने अभी ब्रा पहननी शुरू नहीं की थी।

कसम से यारों मैं तो उसको देखता ही रह गया। क्या मस्त मम्मे थे उसके..

मैंने उसके मम्मों को अपने दोनों हाथों में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू किया.. तो उसकी मादक सिसकारियाँ निकल पड़ीं।

मैं भी मदहोश हो गया था। अब मैं उसके मम्मों को चूम रहा था, उसने मेरे सर को पकड़ रखा था।

फिर मैंने उसकी सलवार में हाथ डाला तो देखा कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने सोचा अब इसको चोदने का सही वक्त आ गया है।

मैंने उससे कहा- तू अपनी सलवार खोल! तो उसने झट से अपनी सलवार खोल दी।

क्या सीन था.. अभी उसकी चूत पर सिर्फ़ देखने भर बराबर ब्राउन बाल उगे हुए थे.. और उसकी चूत ऐसी फूली हुई थी.. क्या बयान करूँ यारों.. मेरा दिल उसको खाने को कर रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मस्त चूत ऊपर की ओर फूली हुए थी और उसकी चूत का दाना काफ़ी बड़ा था।

बिल्कुल कुँवारी चूत.. सील बंद चूत थी उसकी.. मैं उसकी चूत को देखकर मदहोश हो गया था। ऐसी चूत मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी।

मैंने उसकी चूत को मसलना शुरू किया.. तो वो भी मेरे को चूमने लगी। वो मस्ती में ‘आह.. उआह.. उह..’ कर रही थी।

मैंने उसको एक बार गीला कर दिया था.. वो फिर अपनी चूत की तरफ इशारा करके कहने लगी- अंकल जी यहाँ पर मेरे को खुजली हो रही है.. आप कुछ करो न.. मैंने कहा- अब तेरी इस खुजली को ही दूर कर देता हूँ..

ऐसा कहकर मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके नीचे एक पुराना सा कपड़ा.. जो कि वहाँ पर रखा हुआ था.. को उसके नीचे बिछा दिया था ताकि खून के धब्बों से बेडशीट खराब ना हो।

वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने लेटी हुई थी। मैंने अपनी बनियान जो कि मेरे शरीर पर थी.. उसको उतार दिया।

अब हम दोनों नंगे थे मैंने कहा- सरसों का तेल कहाँ पर है? वो बोली- उसका क्या करोगे? मैंने कहा- बस तू बता दे.. फिर तेरे को बताऊंगा कि मैं क्या करूँगा। उसने हाथ से टेबल की तरफ इशारा कर के कहा- उसमें है।

मैंने तेल की शीशी उठा ली और कुछ तेल अपने लण्ड पर लगाया और कुछ तेल उसकी चूत पर लगाया।

फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर रगड़ना शुरू कर दिया। वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और कह रही थी ‘आप और मत तड़फाओ.. अब कुछ करो ना..’

मैंने अपना लंड को उसकी चूत के दाने पर आगे की तरफ धकेल दिया। कसम से यारों.. उसकी चीख ही निकल पड़ी।

यह तो मुझे मालूम ही था.. कि पैक लौंडिया है ससुरी चीखेगी ही। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर उसकी चीख को बंद कर दिया था.. वरना कसम से मैं तो मारा ही जाता।

वो दर्द से तड़फ कर बोली- अंकल जी इसको निकाल दो.. नहीं तो मैं मर ही ज़ाउंगी। मैंने कहा- कोई बात नहीं अब दर्द नहीं होगा।

लेकिन फिर भी वो बोली- नहीं मुझे नहीं चुदवाना.. आप इसको निकाल लो.. नहीं तो मैं माँ को बता दूँगी। मैंने कहा- कोई बात नहीं है.. बस थोड़ी देर रुक जाओ.. मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूँगा। इस पर वो कुछ नहीं बोली।

मैंने उसकी चूत में अभी भी लंड को घुसाए रखा, मेरा लण्ड अभी थोड़ा सा ही घुस पाया था। दो मिनट के बाद मैंने उससे पूछा- अब दर्द हो रहा है?

वो बोली- नहीं.. अब दर्द नहीं हो रहा है पर अब मेरी चूत में दोबारा खुजली शुरू हो गई है.. अब तो आप इसे पूरा घुसा ही दो.. अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता.. चाहे मेरे को कितना ही दर्द क्यों ना हो। इस पर मैंने कहा- कुछ देर और रूको।

मैंने सोचा कि अबकी बार इसकी चूत फाड़ने में कोई देर नहीं करनी है। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और दोबारा से उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया।

वो बोली- अंकल जी अब तो आप मेरी चूत फाड़ ही दो..

मैंने देखा कि अब मौका है.. तो मैंने अपना लंड जो कि उसकी चूत में घुसने को बेकरार था.. उसकी चूत पर टिकाया और उसके मुँह पर अपनी हथेली रखकर.. एक ज़ोर का धक्का लगा दिया।

कसम से यारों मेरा लंड ही जाने की उसको कितना दर्द और सुकून मिला। उसकी चूत से खून की धार निकल पड़ी।

वो कराहते हुए नीचे उंगली से महसूस करते हुए बोली- आपने तो मेरी चूत को फाड़ ही दिया.. इसमें से तो खून निकल रहा है.. अब क्या करूँगी.. अब क्या होगा?

मैंने कहा- मेरी जान ये पहली बार का है जब चुदाई करते हैं तो ऐसे ही चूत फटती है.. अब आगे से ऐसा नहीं होगा। वो बोली- अंकल जी मेरे को बहुत दर्द हो रहा है.. आप प्लीज़ एक बार अपने लंड को निकाल लो।

मैंने कहा- अब मैं नहीं निकालूँगा, अब मैं तेरे दर्द को शांत करके तुझको असली चुदाई का मज़ा देता हूँ।

उसकी खून से भरी हुई चूत ऐसे लग रही थी जैसे कि किसी ने माँग में सिंदूर की शीशी ही उड़ेल दी हो। उसकी चूत लाल लग रही थी।

मैंने उसकी लाल चूत के अन्दर अपना लंड डालना शुरू किया। अभी तक मेरा लंड आधा ही उसकी चूत में गया था, मैं धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा।

उसका दर्द खत्म सा हो चला था.. तभी मैंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और उसकी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया। एक बार वो फिर ऊपर को उछली पर इस बार वो मज़े में उछली थी।

मैंने अब अपने लंड की रफ्तार बढ़ा दी थी, वो अब पूरे मज़े ले रही थी। वो अपनी चूत को ऊपर-नीचे कर रही थी और कह रही थी ‘अंकल जी ये मज़े होते है चुदाई के.. मेरी चूत आपकी हमेशा आभारी रहेगी.. जो आपने इसकी चुदाई की.. अब आपका इस पर पूरा हक है.. आप जब चाहो इसकी चुदाई कर सकते हो.. ये आपकी गुलाम है।’

मैं भी पूरे मज़े से उसकी चुदाई कर रहा था.. मेरे लंड को जन्नत मिल गई थी। मेरा लंड बार-बार उसकी चूत की गहराई में आनन्द ले रहा था। कसम से मेरा लंड बार-बार कह रहा था कि क्या मस्त चूत मिली है। उसकी कसी हुए कुँवारी चूत ने मेरे लंड को निहाल कर दिया था।

वो भी अपने चूतड़ को ऊपर-नीचे कर रही थी। मैं उसके मम्मों को बार-बार चूस रहा था।

मैंने अपना लंड निकाला और उससे कहा- अब तुम नीचे आकर झुक जाओ।

उसने ऐसा ही किया.. फिर मैंने उसके पीछे से चूत में अपना लंड पूरा डाल दिया।

उसे थोड़ा दर्द हुआ.. पर अब उसे मज़े आ रहे थे। मैं लगातार चुदाई कर रहा था।

वो बोली- अंकल जी अब पता नहीं मुझे क्या हो रहा.. मेरी चूत में से कुछ निकलने को हो रहा है। मैंने कहा- मेरे लंड भी कुछ छूटने वाला है।

बोली- आप जो छोड़ रहे हो.. वो मेरी चूत में ही छोड़ देना.. ताकि मेरी चूत को आराम मिले। मेरे लंड ने उसकी चूत में ही अपना लावा छोड़ दिया।

हम दोनों अब निढाल थे.. मैं उसके ऊपर लेट गया। मैंने अपने लंड को अब भी उसकी चूत में ही रख रखा था। उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ रखा था। हम दोनों एक-दूसरे के साथ दस मिनट तक चिपके रहे।

मैंने कहा- अब हमें साफ-सफाई कर लेनी चाहिए। वो एकदम उठ खड़ी हुई और बोली- हाँ शायद मेरी माँ आ जाएगी।

हम दोनों उठे.. और मैंने अपना लंड जो कि खून से और मेरे और उसके लावे से सना हुआ था.. उसको एक कपड़े से साफ किया और उसने अपनी चूत को भी साफ किया।

चूत की हालत बिगड़ गई थी। उसके बाद मैंने कपड़े पहने और उसने खून से भरे हुए कपड़े को बाहर घर के पीछे जहाँ पर गंदगी पड़ी हुई थी.. वहाँ डाल दिया और सफाई करके नहाने चली गई।

मैं भी अपने घर पर चला गया।

मैं थोड़ी देर बाद आया तो फिर वो घर पर अकेली थी, उसकी माँ घर पर नहीं आई थी। मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?

तो बोली- कसम से तुमने मुझे और मेरी चूत को निहाल कर दिया। अब मैं आप को राजा कह कर बोला करूँगी। मैंने कहा- ऐसा मत करना.. नहीं तो घर वाले शक करेंगे.. तू मुझे अंकल जी ही कहा कर।

तो बोली- आप तो बहुत समझदार हो। मैंने कहा- समझदार हूँ तभी तो तेरे को चोद पाया।

इस पर वो हँस पड़ी.. और बोली- मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ। मैंने कहा- चाय तो तेरी माँ के हाथों की ही पिऊँगा.. अब मैं चलता हूँ। बोली- कोई बात नहीं.. आप जब चाहें तब पी लेना।

फिर मैंने उसके गालों की एक पप्पी ली और अपने घर आ गया।

दोस्तो.. अब जब वो घर पर अकेली होती है तो मेरे को ‘मिस कॉल’ कर देती है.. ओर मैं उसको चोदने के लिए उसके घर पर पहुँच जाता हूँ। मैंने उसकी चुदाई बड़े मस्त अंदाज में की है।

उसने अपनी दो कुँवारी सहेलियों को भी मेरे से चुदवाया है। वो कहानियां मैं आपको बाद में बताऊँगा।

कहानी कैसी लगी.. ज़रूर बताना। आपका दोस्त आपके संदेश का इंतजार कर रहा है। [email protected]