गांव की देसी दीदी की चूची और चूत

मेरा नाम सौरभ (बदला हुआ) है, मैं अन्तर्वासना डाट कॉम का बहुत बड़ा फ़ैन हूँ। यहाँ के अनुभवों से ही मैंने लड़की को लाइन में ला कर चुदाई करना सीखा है। इस चीज़ के लिए मैं अन्तर्वासना डाट कॉम का तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ।

यह कहानी तब की है जब मैं कॉलेज के पहले साल में था। मेरे घर में मैं और मेरी मम्मी रहती थीं। मेरी मम्मी भी काम करने जाती थीं। मेरी मम्मी गाँव से घर में रहने के लिए एक औरत ले कर आईं.. जिसकी उम्र लगभग 28 साल की थी। उसका नाम संध्या था और उसके पति ने उसको 4 साल पहले छोड़ दिया था।

पहले तो संध्या और मैं आपस में कम बातें किया करते थे.. किंतु समय के साथ-साथ वह मेरे साथ घुल-मिल गई थी, अब मेरी उससे बहुत अच्छे से पटने लगी थी। मैं उसको दीदी कह कर बुलाता था।

एक बार की बात है.. मेरी माँ को शहर के बाहर अचानक 4 दिन के लिए जाना पड़ा.. तो उन्होंने मुझे कॉल करके बता दिया और चली गईं। मैं जब घर आया तो संध्या दीदी घर पर अकेली थी।

उस दिन संध्या दीदी ने बहुत ही सेक्सी ऑरेंज कलर की साड़ी पहनी हुई थी.. जिसमें से उसकी ब्लैक कलर की ब्रा मुझे साफ-साफ दिखाई दे रही थी, उस दिन उसके 38 नंबर के चूचे काफ़ी सुंदर दिख रहे थे, वो वाकयी काफ़ी हॉट दिख रही थी, उसके मस्त गोरे गाल, आँखों में काजल, कमर तक लंबे बाल.. सच में वो एक मस्त माल के जैसे दिख रही थी।

अब तक हम दोनों नॉर्मल थे.. लेकिन उस दिन से ही मेरी नियत उसके कामुक जिस्म पर फिसल गई थी।

उस रात खाना खाने के बाद जब हम दोनों सोने गए तो उसने बोला- घर में सिर्फ़ हम दोनों ही हैं तो क्यों ना एक ही कमरे में सो जाते हैं।

वैसे भी मुझे अकेले सोने की आदत नहीं है तो मैंने ‘हाँ’ बोल दिया, हम दोनों एक ही बिस्तर में सोने आ गए। उसने मुझसे बात ही बात में पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं? मैंने कहा- नहीं है.. ‘क्यों..?’ ‘अभी तक ‘वैसी’ कोई मिली नहीं है।’

उसने कहा- ‘वैसी..’ मतलब किस टाइप की लड़की चाहिए.. बताओ मैं तुम्हारे लिए खोजूंगी। मैंने उस बात को टालना चाहा लेकिन उसने ज़िद ही पकड़ ली। तो मैंने कहा- पहले आप प्रोमिस करो कि मैं जो बताउँगा वो आप किसी की नहीं बताओगी और गुस्सा भी नहीं करोगी। उसने कहा- प्रोमिस.. फिर मैंने कहा- मुझे आपके जैसी लड़की चाहिए।

मैंने उसकी आँखों.. बालों.. कमर की अच्छे से तारीफ की और फिर हम दोनों के बीच किस की बातें होने लगीं। तभी मैंने धीरे से उनके होंठों अपने होंठ रख दिए और एक हाथ उसकी चूचियां दबाने लगा। शायद उसे अच्छा लगने लगा।

फिर उसने मुझे अचानक मुझे ज़ोर का धक्का मारा और कहने लगी- ये क्या कर रहे हो.. किसी को पता चलेगा तो क्या होगा..? हम जो कर रहे हैं ये ग़लत है।

पर मैंने ठान लिया था कि आज दीदी को चोद रहूँगा। मैंने दीदी के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- प्लीज़ दीदी आज बस आप अपने दूध पीने दो बस.. उसके आगे कुछ नहीं करूँगा और कभी कुछ नहीं करूँगा।

यह बोल कर मैं उसके ब्लाउज को ऊपर करके.. उसके गोरे मम्मों पर कड़क भूरे-भूरे निप्पलों को अपने जीभ से छेड़ने लगा। दीदी ने पहले इसका विरोध किया और बोलने लगी- छोड़ो मुझे..

लेकिन मेरी आग के सामने दीदी हार गई और खुद भी शायद उस आग में जलने लगी। मुझे भी पता था कि किसी औरत की चूत का द्वार खोलने के लिए पहले उसके दूध और दबा कर और उसे प्यार से चूस कर ही उसे गर्म किया जाता है।

मैं मस्ती में उसके मम्मों को चूसने लगा, उसके दूध को पीते-पीते मैंने उसकी पेंटी में हाथ डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसने भी चुदास के चलते अपने पैर खोल दिए। जैसे चूत का द्वार खोला जाता है.. मैं भी ठीक वैसे ही करने वाला था।

मेरे बहुत बोलने पर उसने बोला- इस बात का किसी को पता नहीं चलना चाहिए। मैंने भी ‘हाँ’ में सिर हिला दिया। उसके बाद दीदी ने अपनी साड़ी उतारी और मैं भी अपना लोवर और टी-शर्ट उतार कर फिर से बिस्तर में आ गया।

फिर दीदी ने अपना अधखुला ब्लाउज पूरा खोला.. उसके बाद तो फिर जैसे मैं उनके ऊपर भूखे शेर के जैसे झपट पड़ा।

मैं उनकी लटकी हुई ब्रा को ऊपर करके उनके दूध दबाने लगा। मुझे पता था कि दूध दबाने से उसको मज़ा आएगा और कुछ ही देर में ये अपने हाथ से मुझे अपना दूध पिलाएगी।

वही हुआ.. कुछ देर बाद दीदी इतनी गर्म हो गई कि उसने मुझसे निप्पल को चूसने को कहा। मैंने बोला- आप अपने हाथ से पिलाओ।

दोस्तो, जब लड़की अपने हाथ से अपना जिस्म परोसती है ना.. तो उसका मज़ा कुछ अलग ही होता है। उसने वैसा ही किया.. खुद अपनी उंगली से निप्पल पकड़ कर मेरे मुँह में लगा दिया। मैंने उसकी चूची को पीते-पीते दूसरे हाथ से दूसरी चूची मसलना चालू किया। मुझे पता था कि अब दीदी गर्म हो चुकी है।

मैंने अपना हाथ धीरे से उनके पेटीकोट के अन्दर से उनकी चूत पर रख दिया। हाथ लगते ही मुझे पता चल गया था कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी।

मेरे हाथ रखने पर उसका कोई विरोध नहीं होता देख मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। अब दीदी को मज़ा आने लगा। फिर मैंने आव देखा ना ताव.. दीदी का पेटीकोट खींच कर निकाल फेंका। अब दीदी सिर्फ़ लाल पेंटी में थी और मैं सिर्फ़ नीले कलर की अंडरवियर में था।

फिर मैंने दीदी को किस किया.. दीदी भी मेरा साथ देने लगी। मैंने पहली बार किसी औरत को नंगी देखा था। मैं जोश जोश में दीदी को चूमने के साथ काटने भी लगा।

दीदी भी जोश में कहे जा रही थी ‘सीसी.. आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. सौरभ पागल हो गए हो क्या?’

मैंने कुछ नहीं सुना.. और दीदी की चूची पीने में लगा रहा। फिर मैंने दीदी के कान में कहा- दीदी मुझे आपकी रसमलाई खानी है। दीदी को पहले तो समझ में नहीं आया, उसने कहा- रसमलाई किधर है? मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा और इशारा करते हुए बोला- मुझे इससे निकलने वाला रस और इसकी मलाई खानी है।

दीदी ने शैतानी वाली मुस्कान दी और अपनी टाँगों को फैला दिया। मैंने देखा कि दीदी की मोटी-मोटी जाँघों के बीच से बहुत ही प्यारा सफेद रस मानो अमृत के समान टपक रहा था। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैंने आव देखा ना ताव.. और एक झटके में ही दीदी की लाल रंग की पेंटी उतार फेंकी। अब मैंने दीदी की मोटी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया और खुद दीदी की रेशमी चूत के पास घुस गया। दीदी की चूत से बहुत ही प्यारी महक आ रही थी।

दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी, दीदी ने मेरी मुंडी को अपनी चूत में घुसा लिया। फिर मैंने बड़े मजे से दीदी का गर्म-गर्म रस और मलाई का सेवन किया।

दीदी ने भी मज़े की प्रतिक्रिया की, कमरे में उनकी मादक सीत्कार ‘आह.. आह.. आह.. सी.. सी.. ओह.. और ज़ोर से.. ह्ममम.. फैलने लगी थी। फिर अचानक दीदी ने मेरे मुँह को ज़ोर से अपनी चूत में दबाया और ज़ोर से चिल्लाते हुए छूट गई। मैंने भी दीदी की चूत को चाट कर साफ कर दिया।

दीदी की आँखें अभी भी बंद थीं और मैं दीदी की चूचियों के साथ खेल रहा था। दीदी के भूरे कड़क निप्पल बहुत अच्छे लग रहे थे।

मैं दीदी के निप्पलों के साथ खेल रहा था तो कुछ ही पलों में दीदी फिर से गर्म होने लगी थी, इस बार दीदी मस्ती में आ चुकी थी।

अब की बार एक जवान औरत मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी, मैं उसके जिस्म की गर्माहट महसूस कर रहा था, उसके दूध मेरी निगाहों के सामने झूल रहे थे। उसने एक निप्पल अपने हाथों से पकड़ कर मेरे मुँह में भर दिया और मेरे होंठों को किस करने लगी।

दीदी ने मेरे होंठों को किस करते-करते मेरे लंड को पकड़ लिया और मेरे लवड़े के साथ खेलने लगी। उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के सुपारे को पकड़ा और अपने दोनों मोटे-मोटे दूधों के बीच में रख कर रगड़ने लगी।

मैं जन्नत की सैर कर रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। दीदी ने मेरे लवड़े के सुपारे को अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। मैंने दीदी से कहा- मुझे आपकी चूत और चाटनी है।

उसने रजामंदी दे दी तो मैंने दीदी से 69 के पोज़ में आने के लिए कहा, हम दोनों 69 में आ गए। अब मैं दीदी की चूत का सेवन कर रहा था और दीदी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।

कुछ मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद दीदी ने कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. तू मेरी प्यास को जल्दी बुझा दे। उनकी चुदास को देखते हुए मैंने दीदी को सीधे लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया।

मैंने दीदी से कहा- आज आपको चोदने में बहुत मज़ा आएगा। दीदी ने कहा- हाँ, असली मज़ा तो अब आने वाला है।

मैंने देर ना करते हुए दीदी की चूत की फांकों में अपने लंड का सुपारा रख दिया और दीदी की चूत में झटका मारा तो मेरा लंड दीदी की रस से भीगी चूत में स्टाक से घुस गया, उनकी एक आह्ह.. निकल गई पर एक दो झटकों में ही उनकी चूत ने लंड को हजम कर लिया और अब दीदी भी मज़े के साथ-साथ मेरे हर एक झटके का जबाव अपनी गांड उठा देने लगी।

‘आह.. आह.. उई उई उई आह..’ पूरे कमरे में दीदी की मादक और कामुक सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी, उनकी चूत से ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाज़ आ रही थी। काफी देर तक मैंने दीदी को उसी पोज़ में चोदा.. फिर दीदी मेरे लंड के ऊपर आ कर बैठ ग, मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में अड़ा हुआ था, दीदी ने लंड को अन्दर-बाहर करते हुए झटके देने शुरू कर दिए।

मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, दीदी के दो बड़े-बड़े मम्मे मेरे सामने मस्ती में झूल रहे थे, मैं दोनों मम्मों को आपस में सटा कर दबाने लगा। दीदी ने आँखों में नशा भरते हुए मुझसे कहा- ले.. खा ले मेरी चूचियों को.. आह्ह.. बहुत दूध भरा है इनमें.. आज सारा दूध पी जाओ सौरभ। मैं भी पूरे जोश के साथ दीदी के दोनों निप्पलों को बारी-बारी से चूस रहा था।

अचानक से दीदी ने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा ली, अब मुझे हद से ज़्यादा मज़ा आने लगा था और मेरा पानी लगभग झड़ने ही वाला था।

मैंने भी दीदी के दूध को ज़ोर से पकड़ लिया और मैं अपनी कमर को उठाते हुए उनकी चूत में लंड को चांपते हुए झड़ गया। मेरे माल की गर्मी से दीदी भी झड़ चुकी थी।

उसके बाद मैंने दीदी से कहा- अब मुझे आपकी गांड का स्वाद भी चखना है। कुछ देर बाद दीदी ने कुतिया बन कर अपनी गांड भी मराई, मैंने उस दिन दीदी की सुबह 4 बजे तक 3 राउंड चुदाई की थी। उस दिन से मैं उसे दीदी नहीं संध्या कह कर बोलने लगा। और उसके बाद मम्मी के आने तक हम लोगों ने दिन-रात चुदाई के मज़े लिए।

दोस्तो, सच बताऊँ.. जो मजा 28 साल की चुदक्कड़ औरत को चोदने में आया.. वो मुझे शायद किसी लौंडिया की चूत चोदने में नहीं आ सकता था।

मैं अपनी हिंदी सेक्स कहानी को यहीं विराम देता हूँ। बस आप मुझे अपने प्यार भरे मेल करते रहिए और मुझे बताइए कि आपको मेरी यह सच्ची घटना कैसी लगी। [email protected]