बेटा बोल कर चुत चुदवा ली आंटी ने

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दोस्तो, अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज का मैं नियमित पाठक हूँ। बहुत दिन से सोच रहा था कि मैं भी अपनी आप बीती आप सबको सुनाऊँ.. लेकिन टाइम नहीं मिल पा रहा था।

मेरा नाम विक्की है। मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ। मैं देखने में ठीक-ठाक हूँ.. लेकिन थोड़ा चंचल और हँसमुख हूँ तो लड़कियां बहुत जल्दी पटा लेता हूँ। मैंने बहुत लड़कियों को चोदा है। लेकिन यह कहानी उन सब चुदाई से हट कर है।

बात आज से 3 साल पुरानी उस वक्त की है.. जब में बी.कॉम के फर्स्ट इयर में था। उस टाइम मैंने अपने दोस्तों के साथ हमारे कॉलेज के पास ही एक रूम ले लिया था। इस कमरे में हम 2 दोस्त रहते थे, हमारे बगल वाला रूम खाली था।

एक दिन उसमें एक परिवार रहने आया। उस परिवार में एक अंकल थे और उनकी वाइफ थीं.. जो दिखने में बहुत माल किस्म की थीं। वो आंटी इतना झक्कास माल थीं कि उनको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। वो देखने से दो बच्चों की माँ नहीं लगती थीं। उनकी उम्र भी अभी भी 35 की जगह 24 साल की लगती थी।

मेरी भी अभी 21 साल की ही थी। उनके इस कदर कामुक दिखने के बावजूद मैंने उनको चोदने की कभी नहीं सोची। मगर मेरा एक दोस्त था जो उनकी गदराई जवानी पर कुर्बान था, वो रोज-रोज उनको पटाने की योजना बनाता रहता था।

मैं पढ़ाई में अच्छा था और मेरे पास चुतों की कमी भी नहीं थी। इसलिए मैं हमेशा उन आंटी को नज़रअंदाज करता रहता था। धीरे-धीरे हम सब आपस में घुल-मिल गए और हमारा खाना भी वो ही बनाने लगी थीं।

एक दिन आंटी को कुछ काम से हरियाणा जाना पड़ा। चूंकि अंकल की जॉब थी तो उनकी मजबूरी थी, वो ऑफिस नहीं छोड़ सकते थे। आंटी ने मेरे को बोल दिया- बेटा, तू मेरे साथ चल! मैं उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गया।

मैं सफर से बहुत थक गया था तो मैं वहाँ पहुँचते ही खाना खा कर सो गया। मेरी रात में आंख खुली तो मैंने देखा कि आंटी मेरे साथ ही बिस्तर पर सो रही थीं, मैंने उनको अपनी बांहों में जकड़ रखा था।

मैं ये सब देख कर आपा खो चुका था और मेरा लंड भी खड़ा हो गया था। मैं आंटी के स्तनों पर हाथ घुमाने लगा और उनके चूचे दबाने लगा।

धीरे-धीरे कब मेरा हाथ उनकी चुत पर पहुँच गया.. मुझको पता ही नहीं चला। मैं उनको किस करने लगा तो मुझको लगा कि वो जाग गई हैं।

मैंने झटके से हाथ हटाया और सोने की एक्टिंग करने लगा। उनके जागने से मेरी तो गांड फट गई थी कि अब क्या होगा.. लेकिन वो नार्मल रहीं। वो दस मिनट बाद उठ गईं और मुझको जगाने लगीं। अब तो मेरी बिल्कुल से फट गई कि अब क्या होगा, मैं बुरी तरह से डर गया था।

लेकिन उन्होंने मुझको बोला- विक्की उठ मेरे साथ चल.. मुझको बाहर पेशाब करने जाना है। मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है.. लेकिन तब भी मेरी हिम्मत नहीं हुई।

मैं उनकी चुत देखना चाह रहा था.. लेकिन बाहर अंधेरे में मुझे कुछ नहीं दिखा। वो सूसू करके आकर सो गईं। अब मैं भी चुपचाप आकर सो गया.. क्योंकि सुबह के 4 बज गए थे और बाकी लोग उठने वाले थे।

उस दिन के बाद आंटी मुझको सेक्सी नज़र से देखने लगी थीं। ऐसा लगने लगा था मानो उनकी आंखें बोल रही हों कि आ विक्की आ.. चोद दे मुझको! इतना सब हो जाने पर भी मुझे मौका नहीं मिल पा रहा था। कुछ दिन बाद हम गाँव से वापिस आ गए।

फिर एक दिन मैं अपने रूम पर आया तो कोई नहीं था, आंटी अकेली थीं। मैंने पूछा- सब कहाँ गए? तो बोलीं- किसी शादी में गए हैं। मैंने पूछा- आप क्यों नहीं गईं? वे बोलीं- रात में तेरा खाना कौन बनाता?

इस तरह कुछ देर बात करके मैं अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद उनकी आवाज़ आई- विक्की मेरा सर दर्द कर रहा है तू बिजी न हो तो थोड़ा दबा देगा बेटा?

मैं आकर उनका सर अपनी गोद में रख कर दबाने लगा। उन्होंने ढीला सा सूट पहन रखा था.. जिसमें से उनके चूचे साफ दिख रहे थे। क्योंकि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। मैं उनका सर दबाते-दबाते उनके चूचों को घूर रहा था।

उन्होंने ये देख कर बोला- क्या देख रहा है? मैं बोला- कुछ नहीं। वो बोलीं- उस रात तो बहुत दबा रहा था.. आज क्या हुआ?

मैं समझ गया कि वो क्या चाहती हैं, मैंने झट अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए.. और उनके चूचों को दबाने लगा। वो चुदासी हो उठीं और बोलीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मजा आ रहा है.. तू बाकी सब छोड़ और अब जल्दी से मेरी चुत फाड़ दे विक्की.. मैंने आज तक जवान लंड नहीं लिया है।

मैं उनको चूमता रहा और अपनी उंगली उनकी हुई चुत में डाल कर मजे लेता रहा, वो एक बार झड़ चुकी थीं।

अब मैंने उनको पूरी नंगी किया, मेरे कपड़े तो उन्होंने पहले ही उतार दिए थे। मैंने उनकी टांगें ऊपर कर दीं और अपना लंड एक झटके में उनकी चुत में आधा घुसा दिया। मेरे एकदम के प्रहार से वो दर्द से तड़फ उठीं ‘उएई.. माँ.. आहह.. सीई सी..’ वो अजीब सी आवाजें निकालने लगी थीं, मुझको भी कुंवारी चुत से ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मैंने एक और धक्का मारा और अपना लम्बा लंड उनकी चुत में पूरा घुसा दिया, उनकी जोर की आवाज़ निकली- उ ई माँ फाड़ दी मेरी चुत.. मैं लगातार उनको चोदता रहा और दस मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।

अब हम दोनों एक-दूसरे से संतुष्ट हो चुके थे।

इसके बाद उनकी चुत चोदने का मौका खुल कर मिलने लगा, मैंने उनकी बहुत चुदाई की।

अब मेरा लंड नॉएडा आने के बाद मानो शांत सा ही हो गया था।

लेकिन अपनी अगली स्टोरी में मैं आपको बताऊँगा कि वो आंटी कैसे मेरे गले की हड्डी बनी और मैंने किस तरह इस समस्या से निजात पाई। आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा। [email protected]

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