प्यार का इन्तजार

यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। केवल मनोरंजन के लिए लिखी गयी है.

ये बात है सन 2007 की।

लगभग पैंतीस छत्तीस साल की एक महिला रजनी एक सोफे पर बैठी किसी का इंतजार कर रही है। कुछ ही देर में एक लड़की आती है नाम है मानसी।

वो आयी और बैठते हुये पूछा- आप ठीक हो?

“ओह हां, ठीक हूं, मैं बस कुछ सोच रही थी।” हड़बड़ाते हुये कहा उसने.

तो नैनसी ने पूछा- किस बारे में?

“जब मैं छोटी थी। मुझे लगता है कि तुम उस बारे में नहीं सुनना चाहोगी।” कहा उसने.

तो नैनसी बोली- बिलकुल जानना चाहती हूं।

ये सुनकर रजनी मुस्कुरायी और एक गहरी सोच में डूब गई और कुछ देर बाद मुस्कुराते हुये बोली- तो सुनो।

बात है सन 1983 की।

उस वक्त मेरी उम्र केवल काफी कम थी जब मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई।

उनके जाने के बाद मां ने मुझे पालने के लिये एक ऐसा काम चुना जो मैं सीधे सीधे तुम्हें नहीं बता सकती।

मेरी मां ने अपना ज्यादातर समय अपने बेडरूम में बिताया। हालांकि मैं उस समय कम उम्र की थी लेकिन अपनी मां को ऐसे गिरते हुए देखना मुझे बहुत दुखी करता था।

ये सब सहन करते हुये सात आठ साल बीत गये।

अब मैं जवान हो चुकी थी और जवानी दहलीज़ पर कदम रखते ही मेरी किसी के साथ आंखें चार हो गयीं। उसका नाम मान सिंह था। वो फ़ौज में था। मध्यम, गोरा, काले बाल, पतली काया, बहुत सुंदर।

हमने कई बार प्यार किया था … लेकिन केवल आंखों से।

एक दिन मुझे खबर मिली कि उसकी प्रमोशन हुई है. तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई और मैं उसे बधाई देने के लिये जैसे उड़ते हुये उसके घर गई. तब मुझे पता लगा कि वो भी अपनी जिंदगी में अकेला है।

जब मैं पहुंची तो देखा कि वो सोफे पर सोया हुआ था। मैंने उसे जगाया तो उसने मुझे देखा और थोड़ा उचककर मेरे होठों को चूम लिया।

जैसे ही उसने मुझे चूमा कि मैं भी नीचे झुकती चली गयी और हमारा वो चुम्बन गहरा, और गहरा होता गया।

अचानक उसने मेरे कपड़े उतारने चाहे तो मैंने उसे रोककर पूछा- क्या ये सही है? इस पर उसने कहा- तुम्हारा दिल क्या कहता है?

मैंने बिना कुछ सोचे-समझे ही कहा- मुझसे प्यार करो, मैं तुम्हारे साथ एक होना चाहती हूं।

सुनते ही उसने मेरा कुर्ता उतार दिया और मैंने उसकी शर्ट। अब हम एक-दूसरे के शरीर को सहला रहे थे।

थोड़ी ही देर में मेरी ब्रा और पैंटी उतारकर उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया. फिर मुझे चूमने लगा वो!

उसके होंठ मेरे होठों से शुरू होकर मेरी गर्दन से फिसलते मेरी चूचियों तक पहुंच गये।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरा दिल एक ही वक्त में बहुत तेज़ और बहुत धीमा चल रहा था। मैं बहुत नर्वस थी लेकिन इतना मज़ा कभी महसूस नहीं किया था मैंने।

मैंने भी उसका शरीर चूमना शुरू कर दिया।

अब मैंने उसकी पैंट को खोलकर उतारा और फिर उसका अंडरवियर भी उतार दिया।

अब वो सीधा बैठा और मुझे अपने तने लंड पर बैठाकर उसे मेरी चूत में सरका दिया।

जैसे ही लंड मेरे अंदर गया कि मेरे मुख से तेज चीख निकल गई।

मुझे एकदम बहुत तेज दर्द हुआ जैसे मेरी चूत में किसी योद्धा ने तीखा भाला घुसा दिया हो.

दर्द के मारे मैं उठने लगी तो उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ा और मेरी चूचियां सहलाते हुए मुझे चूमने लगा।

कुछ देर बाद मुझे कुछ राहत महसूस हुई और मैं अपने-आप ही उसके लंड पर ऊपर नीचे होने लगी।

और इस तरह धीमी गति से मेरी चुदाई शुरू हो गई।

उसके हाथ मेरी चूचियों पर थे और वो उन्हें धीरे-धीरे से रगड़ रहा था। उसने मेरी गर्दन पर चुंबन किया और मेरे निप्पलों को चूसने लगा।

मैं उसके लंड को अपनी चूत में धड़कता फड़कता हुआ महसूस कर रही थी।

वो पूरी तरह से अंदर फिट था। ना बड़ा, ना छोटा। उसने मुझे पूरा भर दिया।

मैंने तब खुद से चुदाई की स्पीड बढ़ाई तो उसने रोका और मुझे गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया।

वहां आकर सबसे पहले तो उसने अपने लंड और मेरी योनि पर लगे खून को साफ़ किया और फिर मुझे बिस्तर पर सपाट लिटा दिया। मैं वहां लेट गयी तो उसके हाथ मेरे पूरे नग्न शरीर को सहलाने लगे।

जब वो ऐसा कर रहा था तो मैंने उसके लंड को पकड़कर सहलाना शुरू कर दिया।

फिर उसने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया।

मैं धीमे-धीमे उसे चूसने लगी तो वो आहें भरने लगा।

कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरे मुंह से निकाला और मेरे उपर लेटकर उसे मेरी चूत में सरका दिया। मेरी चूत अंदर तक कस गई क्योंकि उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था। ऐसा लगा जैसे वो फट जायेगी।

जब मेरी चीख निकली तो उसने रुककर मेरी चूचियां सहलाना शुरू किया।

कुछ देर बाद जब मेरी आनन्द मिश्रित आहें निकलने लगीं तो उसने मेरी चुदाई शुरू की। उसके चूतड ऊपर नीचे हो रहे थे. मुझे ऐसा लग रहा था कि वो मेरी चूत में जैसे कील ठोक रहा है.

थोड़ी ही देर में मुझे अपनी चूत में कुछ गर्म-गर्म गिरता महसूस हुआ। ये उसका वीर्य था जिसकी गर्माहट से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद हम उठे और एक दूसरे को साफ़ कर के बांहों में बाहें डाल नंगे ही सो गए।

मैं थोड़ा जल्दी जाग गई थी तो नंगी ही खाना बनाने लगी।

जब मैं खाना बना रही थी तो अचानक वो पीछे से आया और मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरी गर्दन चूमने लगा। फिर वो मेरी चूचियों पर हाथ फिराते हुए उन्हें रगड़ने और निचोड़ने लगा।

फिर शुरू हुआ हमारा किस। एक लंबा और पैशनेट किस।

किस करते-करते ही मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसने मेरे बूब्स।

अब उसने मुझे उठाया और मेज पर ले जाकर अपना लंड मेरी चूत में सरका दिया। वो मेरी चूत की पिछली दीवार को टटोल रहा था। उसके लंड का सिर मेरे गर्भाशय ग्रीवा को आगे पीछे कर रहा था, जिससे एक पॉपिंग की आवाज़ आ रही थी।

थोड़ी देर बाद मेरी जिंदगी का पहला स्खलन हुआ। पहले तो मुझे लगा कि मेरा पेशाब निकला है लेकिन इसमें गंध नहीं थी मतलब ये स्खलन ही था।

ये मेरी जिंदगी का सबसे रूमानी पल था। मैंने अब तक इससे बेहतर कभी कुछ महसूस नहीं किया था।

तभी उसका भी स्खलन हुआ और उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर गहराई तक डाल दिया।

हम काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे।

उसे उसी दिन शाम को वापस जाना था तो हमने एक लंबा किस किया और रेलवे स्टेशन पर चले गए।

वहां हम दोनों ने एक-दूसरे को भरी आंखों से विदा किया। जब ट्रेन आंखों से ओझल हुई तो मैं घर आ गई।

मैं उस दिन को कभी भूल पाऊंगी।

दुर्भाग्य से एक आतंकवादी मुठभेड़ में वो शहीद हो गया। लेकिन वो हमेशा मेरी यादों में रहेगा।

तब से मैंने जीवन को देखने का तरीका ही बदल लिया अब मैं हर पल अपने आखिरी की तरह पल की तरह जीती हूं।

एक लंबी सांस छोड़ते हुए रजनी ने अपनी कहानी खत्म की तो देखा नैनसी की आंखें भरी हुई थीं।

रजनी ने कहा- बेटी, मुझे पता है कि मेरा प्यार अब लौट कर नहीं आयेगा. मगर ना जाने क्यों … मेरी आँखें उसकी राह तकती रहती हैं. मानसी ने रजनी को अपने गले से लगा लिया, बोली- आई लव यू मम्मा! मुझे आप पर गर्व है.

कहानी के बारे में अपनी राय जरूर दें। मेरी मेल आई डी है [email protected]