गलतफहमी-16

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नमस्कार दोस्तो.. गोवा टूर से लौटने के बाद रोहन मेरे वादे का इंतजार कर रहा था, लेकिन उससे पहले हमारे पेपर हो गए और जब रिजल्ट आया तो हम चारों ही बहुत कम नम्बरों से पास हुए थे। हमारे घर वाले हमें होशियार समझते थे, और बोर्ड कक्षा में हमारा कम नम्बर से पास होना उन्हें अच्छा नहीं लगा, सभी को घरों में खूब डाँट पड़ी और घूमने फिरने में भी पाबंदी लग गई। ऐसे में हम लोगों का मिलना-जुलना भी बहुत कम हो गया।

छुट्टियों के बाद फिर स्कूल के दिन आये। हम चारों ने इस बार पढ़ाई पर पूरा फोकस करने की कसम खाई। इस साल हमें कोर्स का चयन भी करना था, तो मैंने और विशाल ने मैथ्स और प्रेरणा और रोहन ने साईंस सब्जेक्ट लिया। अब हम अपने-अपने प्यार से थोड़े दूर थे। स्कूल में हम एक दूसरे को देख लेते थे या बातें हो जाती थी पर कक्षा में पढ़ाई में पूरा मन लगता था। साल भर अच्छी पढ़ाई का नतीजा था कि हम सभी के अंक अच्छे आये। इस बीच हमारा थोड़ा बहुत मिलना और मस्ती करना जारी रहा।

अब हम अगली कक्षा में पहुँच गये थे, ये बोर्ड कक्षा होने के साथ ही हमारा भविष्य तय करने वाला साल भी था, इसलिए सभी पढ़ाई के लिए गंभीर थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था, पर रोहन से दूरी की बेचैनी मुझे खाये जा रही थी। और उससे किया वादा भी तो पूरा करना था.

आधा साल गुजर जाने के बाद मेरे हाथ एक ऐसा मौका आया जिसे मैं कदापि नहीं गवाँ सकती थी। अक्टूबर में मेरा अठारवाँ जन्मदिन आ रहा था और इत्तेफाक से उसी समय दीवाली की छुट्टियाँ भी पड़ रही थी। तो मैंने रोहन से मुलाकात के लिए प्लान करने को कहा, रोहन ने एक दो दिन में प्लान भी बना लिया। उसके एक पड़ोसी जॉब करते थे, और वे छुट्टी में दीवाली मनाने गाँव जाते थे और दिया जलाने के लिए चाबी रोहन के घर छोड़ देते थे। तो रोहन ने प्लान किया कि हम उसी घर में मुलाकात कर लेंगे। मैं खुशी के मारे पागल सी हो गई।

मुझे स्कूल में लेट से भर्ती किया गया था, इसलिए मैं बारहवीं पढ़ने के दौरान ही अठारह की हो रही थी और रोहन बचपन में एक साल अपनी तबीयत के चलते फेल हुआ था। इसलिए वो भी अठारह को हो चुका था। अब हम जवान हो चुके थे, अधिकारिक रुप से भी और कुदरती रूप से भी। मेरा शरीर अब कोमल से कामुक हो गया था। आँखों में नशा और अदाओं में शोखियाँ आ गई थी। हाईट दो इंच और बढ़कर 5 फुट 5 इंच की हो गई थी।

मैं घर से सज धज कर गुलाबी रंग की फ्राक टाईप की ड्रेस पहन कर रोहन के पास पहुंची. रोहन जिस तरह पहली बार अपने घर में मेरा इंतजार कर रहा था, उसी तरह वो यहाँ भी बेचैन था। मेरे पहुंचते ही उसने मुझे दरवाजे के अंदर खींचा और दरवाजा बंद करते ही मुझसे लिपट गया। उसने मुझे एक गिफ्ट दिया जिसे मैं खोलने लगी पर रोहन ने कहा इसे तुम बाद में देखना।

हम दोनों कुछ देर एक दूसरे से चिपके रहे।

फिर मैंने रोहन को खुद से थोड़ा दूर किया और अपने कपड़े उतारते हुए कहा- लो रोहन.. आज तुम्हारी तपस्या का फल मिलने का वक्त आ गया है। और मैं अपने कपड़े उतार के मूर्ति बनकर खड़ी हो गई, उसके सामने मेरी खूबसूरत नंगी टांगें थी, हर अंग तराशा हुआ मेरी आँखों में नशा था, और मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में सामने खड़ी थी, मुझे इस हालत में देखकर किसी का भी मन बेईमान हो उठेता.. पर रोहन में गजब का धैर्य था।

रोहन कुछ कह पाता, इससे पहले ही मैंने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया, मेरे निप्पल सख्त हो चुके थे, मैं चाह रही थी कि रोहन उन्हें मसल डाले, और मुझे उम्मीद भी थी कि मुझे इस हालत में देखकर रोहन मुझ पर टूट पड़ेगा, पर उसने मेरी तरफ सिर्फ देखा लेकिन इस बार शरीर को नहीं बल्कि मेरी नजरों से नजरें मिला कर कहा- हाँ कविता, मैं भी तुम्हें पाना चाहता हूँ, पर तुम एक बार और सोच लो।

इस बार मैंने उसे धक्का मार कर बिस्तर में बिठा दिया और मैं खुद बिस्तर के नीचे बैठ गई, अभी रोहन पैर लटका के बिस्तर पर बैठा था और मैंने उसके सामने बैठ कर उसके लिंग को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा- रोहन तुम बहुत सोचते हो, कब क्या हुआ मुझे नहीं पता..! लेकिन अब मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ।

अब रोहन का हाथ मेरी नंगी पीठ को सहला रहा था, और मैं उसके छ: इंच के सख्त हो चुके लिंग को कपड़ों के ऊपर से ही सहला रही थी। रोहन और मैं एक दूसरे को बार-बार ‘आई लव यू…’ बोल रहे थे।

फिर मैंने शर्माते लजाते हुए उसकी पैंट की चैन खोली और लिंग बाहर निकाल लिया। पहले तो मैं उसके छ: इंच लंबे, ढाई इंच मोटे और काले लिंग को देखकर स्तब्ध रह गई। फिर उसे एक बार अच्छे से पकड़ा और चूम लिया, उसका सुपारा ढका हुआ था, लिंग सीधा तना हुआ था, नसें स्पष्ट परिलक्षित हो रही थी, ये पल मेरे लिए खुशनुमा, रोमांचक और कौतुहल भरे पल थे।

मैं एक बार आगे-पीछे करते हुए लिंग के सुपाड़े को ओपन किया, मेरे इतना करते तक रोहन बेचैन हो उठा। उसने मेरे चेहरे को दोनो हाथो से थाम लिया और मेरे होंठ चूसने लगा, फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और लिंग पर ले जाने लगा, तब मुझे अचानक से शर्म आ गई और मैंने उससे खुद को छुड़ा लिया और खड़े होकर, उसकी ओर पीठ करके अपने हाथों से चेहरा छुपा लिया। पता नहीं रोहन से इतनी मुलाकातों के बाद भी मैं क्यों शरमा रही थी।

रोहन ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा और सहलाने लगा. मेरे नंगे बदन पर उसके हाथो का स्पर्श मुझे पागल किये जा रहा था। पर रोहन और मेरी ये पहली मुलाकात तो नहीं थी, फिर भी चुदाई का ये पहला मौका था इसलिए मैं ज्यादा बेशर्म भी नहीं हो सकती थी।

फिर रोहन ने पीछे से ही मेरे मम्मों को पकड़ा और सहलाते हुए दबा दिया। मैं उत्तेजना और शर्म से दोहरी हो गई और पलट कर रोहन के सीने में अपना चेहरा छुपा लिया। रोहन अभी भी पूरे कपड़े पहने हुए था। रोहन मेरी पीठ से लेकर कमर तक हाथ चला रहा था, उसका सख्त लिंग मेरी नाभि में दस्तक दे रहा था और मैं इसी मुद्रा में रोहन के शर्ट का बटन खोलने लगी। पूरे बटन खुलते ही रोहन ने शर्ट उतार फेंकी और दूसरे ही पल अपनी बनियान भी शरीर से अलग कर दिया।

अब मेरा हाथ अनायास ही उसके लिंग पर चला गया और मैं उसे आगे पीछे करने लगी, रोहन के मुंह से एक आहह निकल गई और मैं अपनी योनि पर रोहन के स्पर्श के लिए तड़प रही थी। पर रोहन ने उस ओर ध्यान ही नहीं दिया, वो बेचारा तो अभी मम्मों को ही सहलाने में व्यस्त था, मेरा मन लिंग को चूसने का भी हो रहा था, पर रोहन ने उसके लिए भी नहीं कहा।

और तब मेरे सब्र का बांध टूट गया, तो मैंने खुद ही अपनी पेंटी को निकाल दिया। यह देख कर रोहन तुरंत घुटनों पर आ गया और मेरी योनि को महज तीन-चार इंच की दूरी से देखने लगा, सूँघने लगा, शायद वह यह नजारा हमेशा के लिए अपनी आँखों में भर लेना चाहता था।

मैंने आँखें बंद करके मुंह फेर लिया और अपने दोनों हाथों से रोहन के बालों को सहलाने लगी, रोहन ने एक बहुत ही नाजुक सा चुम्बन मेरी योनि को किया.. मेरे मुख से सिसकारी निकल गई।

तभी रोहन ने उस जगह पर एक और चुम्बन अंकित किया और कहा- कविता तुम किसी अप्सरा से कम नहीं हो.. ये तुम्हारी योनि के ऊपर उगे रेशमी मुलायम बाल, और सिर्फ एक लकीर जैसी योनि की दरार मुझे पागल बना रही है. और फिर तीसरा चुम्बन करते हुए कहा- यार इतनी चिकनी कोमल और कामक्रीड़ा के लिए तड़प रही इस योनि से अमृत की कुछ बूँदें भी टपक पड़ी हैं, और उसका स्वाद भी कितना अच्छा है मैं बयाँ नहीं कर सकता।

अब तो मैं अपने शर्म और उत्तेजना की वजह से खड़ी भी नहीं रह पाई और मैं जाकर बिस्तर पे उलटा लेट गई।

कुछ पलों में ही रोहन ने अपनी पेंट और अंडरवियर निकाल फेंकी, और मेरे पास आ गया, तब तक मैं नजर छुपा कर उसे ध्यान से देख रही थी। अब उसका खुला लिंग देख कर, और माँ की बातों की सहवास से लड़की माँ बन जाती है, को याद करके डरने लगी। भले ही छ: इंच का लिंग ज्यादा बड़े लिंगों की गिनती में ना आता हो, पर यह मेरा प्रथम संसर्ग था, तो मेरे लिए वो किसी हलब्बी लंड से कम ना था।

मैंने अपना डर रोहन के ऊपर जाहिर नहीं होने दिया और चुपचाप ऐसे ही पड़ी रही, फिर रोहन ने मेरी ऐड़ी से मुझे चूमना चालू किया और फिर मेरे मुलायम उभरे कूल्हों को चाटा और मसला भी! फिर अपना यह क्रम जारी रखते हुए उसने मेरी पीठ पर जीभ फिराई और फिर कन्धों को चूमते हुए उसने मुझे सीधा किया और माथे से चूमते हुये फिर नीचे की ओर उतरने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, पर मन में एक शंका ये थी की रोहन ने इतने अच्छे से सेक्स करना कहाँ से सीखा। पर मैंने उस शंका को अपने भीतर ही दबा लिया, और उस पल का आनन्द लेने लगी।

रोहन मेरे हर अंग को जीभ से सहलाते हुए मेरे मम्मों तक पहुंच चुका था और उसने मेरे उभारों के चारों ओर अपनी जीभ को घुमाना जारी रखते हुए मेरे सख्त भूरे निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच फंसा के रगड़ दिया। अब तक मेरे शरीर का रोंआ-रोंआ खड़ा हो चुका था, जैसे हम ठंड में ठंडे पानी से नहाते हैं मेरे रोंयें वैसे ही प्रतीत हो रहे थे, पर अभी ठंड नहीं लग रही थी, अभी तो गर्मी के मारे कूलर चलने के बावजूद पसीने आ रहे थे।

मैं तो यह भी सोच रही थी कि मेरा पसीने से भीगे शरीर को रोहन जिस शिद्दत से चाट रहा था, यह उसके प्यार को प्रदर्शित कर रहा था। मेरी आँखें बंद थी और हाथ रोहन के बालों को सहला रहे थे। रोहन अब नाभि में अपना जीभ घुमा रहा था, और फिर आगे बढ़ गया, पर योनि या उसके आस-पास को बिना चाटे ही जांघों पर पहुंच गया। मैं फिर तड़प उठी, पर कुछ कह ना पाई, वो जांघों से होते हुए पूरी टांग को चाटता हुआ मेरे पैर के अंगूठे को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं तो पागल ही हो गई, मेरी योनि ने रस बहा दिया, मुंह से सिसकारियाँ निकल गई.

फिर रोहन वापिस मेरे पैरों को चूमता हुआ मेरे योनि पर आकर रुका… अब वो उसे चाटने वाला था तो मैंने रोहन को कुछ पल रोका और कपड़े से योनि के रस को पोंछ कर उसके चाटने लायक साफ कर दिया. अब रोहन के पैर मेरे सर की तरफ थे, तो मैंने उसके लंड को ढूंढ कर पकड़ा और आगे पीछे करने लगी, फिर लंड को अपने मुंह की ओर खींचा तो रोहन समझ गया कि मैं क्या चाहती हूँ और उसने 69 की पोजिशन अच्छे से सेट कर ली।

अब वह मेरी चूत को लगातार सहलाये जा रहा था, मैंने बिना कहे ही टांगें फैला ली और रोहन ने जैसे ही मेरी चूत पर ऊपर से नीचे तक जीभ फिराई, मैं ‘इइइइसस्स्स…’ करके तड़प उठी और रोहन के लिंग को धीरे से ही पर एक बार में मुंह में भर लिया. उसके लिंग से पेशाब की गंध आ रही थी, स्वाद भी कसैला सा था, शायद वीर्य की कुछ बूँदें भी मुहाने पर थी, पर ये सब बहाने मुझे लंड चूसने से रोकने लिए नाकाफी थे। वो जैसा भी था मेरा था और मैं अपने उस लाड़ले प्यारे लंड को बेपनाह मोहब्बत और शिद्दत के साथ प्यार करने और चूसने लगी.

उधर रोहन मेरी योनि को चाट-चाट के दरार को बढ़ाने की कोशिश कर रहा था, वो योनि के ऊपर के रेशमी बालों को भी दांतों में दबा कर खींच देता था। उसकी यह हरकत मुझे रोमांचित कर देती थी। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

मैंने उसके लंड को आहिस्ते से मुंह में लिया था, पर अब उत्तेजना की वजह से मैं उसे अपने मुंह से चोदने जैसा चूस रही थी। कभी सुपारा चूसती तो कभी मुंह से निकाल कर आँड चूसती, मैं आनन्द के सागर में गोते लगाते हुए चरम खुख की प्राप्ति करने ही वाली थी कि मैंने रोहन को खुद से अलग किया और अपने पुराने चितपरचित अंदाज में योनि को सहलाने लगी और उंगली घुसाने लगी. रोहन भी शायद हस्त मैथुन का आदी था, तो उसने भी अपना लंड पकड़ कर हिलाना शुरु किया, हम एक दूसरे के आमने सामने थे, हम कुछ ही पलों में चरम पर पहुंच गये, हम अकड़ने लगे, बड़बड़ाने लगे ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और मेरी चूत ने एक फव्वरा छोड़ा जो मेरी टांगों पर बह गया पर रोहन का फव्वरा सीधे मेरे सीने पर आ गिरा, एक दो बूँद मेरे होंठों पर भी आ गया, मेरा सीना उसके वीर्य से भीग गया.

कुछ देर तक हम झटके ले लेकर झड़ते रहे, फिर रोहन ने खुद मेरे शरीर को कपड़े से साफ किया, और अब हम दोनों ही एक दूसरे से शरमा गये, मैंने अपनी पेंटी और ऊपर बिना ब्रा के टॉप पहन लिया और रोहन ने अपना अंडरवियर और बनियान पहन लिया।

अभी हमारे पास दिन भर का वक्त बाकी था, तो हमने एक दूसरे को ‘आई लव यू…’ कहा और थैंक्स कहते हुए लिपट कर बिस्तर पे लेट कर बातें करने लगे। हम लोग पिछली बातों को याद करने लगे। मैंने रोहन को की रिंग के बारे में पूछा कि उसे वह कैसा लगा, रोहन ने मुझे चूमते हुए ‘बहुत अच्छा लगा जान, थैंक्स…’ कहा। मैंने अपना कान पकड़ते हुए सारी गलतफहमियों के लिए एक अदा के साथ सॉरी कहा. उसने हंस कर कहा- मैं हमेशा अच्छी बातें याद रखता हूँ, और बूरी बातें भूल जाता हूँ। तुम भी भूल जाओ।

मुझे उसके इस जवाब से बहुत सुकून मिला।

फिर मैंने रोहन से पूछा- तुमने सैक्स की इतनी सारी कला कहाँ से सीखी है? कहीं तुमने पहले भी तो सैक्स नहीं किया है? तो उसने कहा- तुम पहली लड़की हो जिसके बारे में मैं सोचता हूँ, और जिसे मैंने छुआ है।

कहानी जारी रहेगी.. आप अपनी राय इस पते पर दे सकते हैं.. [email protected] [email protected]

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