कॉलेज गर्ल की चुदाई की कहानी हिंदी में

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कहानी के पहले भाग गई थी चुदाई की कहानी सुनने, लंड लेकर आ गई में आपने पढ़ा कि कैसे मुझे अपने एक पाठक से कॉलेज गर्ल की चुदाई की कहानी हिंदी में सुनने के लिए मिली। अब उनकी कहानी उन्हीं के शब्दों में:

मेरा नाम गुरमीत सिंह है, मैं मूलरूप से हिसार (हरियाणा) के पास ही एक गाँव का रहने वाला हूँ। मैं अपनी चुदाई की कहानी हिंदी में आपको बताने जा रहा हूँ.

यह आज से लगभग 15 साल पहले की है। मैं पंचकूला में किसी कंपनी में इंटरव्यू के लिए आया था। इंटरव्यू में कैंडिडेट ज्यादा थे और इंटरव्यू रात के 9 खत्म हुआ। मुझे हिसार की बस चंडीगढ़ से मिलनी थी जो कि रात 10 बजे की थी। मैं ऑटो पकड़ कर जैसे तैसे चंडीगढ़ बस स्टैंड पहुंचा लेकिन मेरी नज़रों के सामने ही आखरी बस निकल गई।

अब समस्या ये थी कि मैं सारी रात बस स्टैंड पर बिताऊं या फिर कोई और उपाय करूं। पहले तो मैंने बस स्टैंड के सामने 22 सेक्टर के एक ढाबे पर खाना खाया। मुझे याद था कि मेरा एक पुराना दोस्त 35 सेक्टर में रहता था और मेरे पास उसका पता भी था। मैं एक रिक्शा पकड़ कर 35 सेक्टर पहुँच गया लेकिन मेरी बदकिस्मती या किस्मत से वो वहाँ से शिफ्ट हो गया था और उसके मकान मालिक के पास उसका नया पता नहीं था। उन दिनों मोबाइल का भी कोई ज्यादा प्रचलन नहीं था जो मैं उसको संपर्क कर पाता।

मैंने वापिस बस स्टैंड आने की सोची लेकिन रिक्शा वाले ने इंकार कर दिया। मैं पैदल ही चल दिया। मेरे से थोड़ी सी दूर एक आइसक्रीम की रेहड़ी से आइसक्रीम लेकर दो लड़कियाँ काइनेटिक स्कूटर पर चली। वो जैसे ही मेरे पास से गुजरी तो पता नहीं क्या हुआ उनके स्कूटर के आगे शायद कोई पत्थर आ गया और वो गिर पड़ीं। सुनसान सड़क पर कोई और सहायता भी नहीं थी, मैंने भाग कर उनको उठाया लेकिन एक लड़की को बाईं टांग में चोट ज्यादा लगी थी और वो खड़ी नहीं हो पा रही थी। आस-पास कोई डॉक्टर या केमिस्ट शॉप भी नज़र नहीं आई। उन्होंने मुझे रिक्वेस्ट की कि उनका घर पास में ही है और मैं उनको स्कूटर पर बिठा कर उनके घर छोड़ दूँ।

मैंने स्कूटर सम्भाला और जिस लड़की को चोट लगी थी उसे बीच में बिठाया और दोनों को लेकर उनके घर पहुँच गया। घर क्या था एक अच्छी-खासी आलीशान कोठी थी।

इस दौरान मैंने महसूस किया कि जो लड़की मेरे पीछे बैठी थी, उसने शायद थोड़ी सी शराब भी पी रखी थी।

कोठी के अंदर दाखिल हो कर जैसे ही वो लड़की चलने को हुई तो उसे दर्द हुआ और वो गिरने ही वाली थी कि उसने मुझे पकड़ लिया लेकिन मेरी कमीज़ फट गई। मैंने भी उसे कमर में दोनों हाथों से सहारा दे कर ऊपर उठाया और तो हम दोनों की छातियाँ आपस में लगभग मिल ही गईं। ये सब अचानक और पलक झपकते ही हो गया।

मैंने उस लड़की की एक बाजू अपने कंधे पर डाली और अपना एक हाथ उसकी कमर में, बिल्कुल ऐसा ही दूसरी तरफ से दूसरी लड़की ने किया और हम उसे सहारा देते हुए अंदर ले चले। उस लड़की का कमरा पहली मंजिल पर था तो हमें उसे ऊपर ले जाने में कुछ दिक्कत भी हुई।

जैसे ही हम ऊपर उसके कमरे में पहुंचे और उसे बिठाने लगे तो उसका संतुलन बिगड़ गया और हम तीनों ही बेड पर एक दूसरे के साथ चिपटे-चिपटे गिर पड़े।

इस सारी खींचतान में उस लड़की के लगभग हर अंग पर मेरे हाथ लग चुके थे और जब उसे पकड़े हुए हम उसे ऊपर ला रहे थे तो उसकी कमर के दूसरी तरफ से दूसरी लड़की के मम्मों से भी मेरे हाथ पूरी तरह रगड़ खा रहे थे।

थोड़ी देर हम बेड पर वैसे ही पड़े रहे क्योंकि हमारी भी सांस फूल गई थी। फिर जब हम थोड़ा व्यवस्थित हुए तो तब मुझे मेरी स्थिति का ध्यान आया और एक पल में ही मेरे दिमाग में सारी सिचुएशन घूम गई और मेरे पैन्ट में कैद आदमी ने एक जोरदार अंगड़ाई मारी और टाइट हो गया।

वो लड़की और मैं लगभग एक ही समय बेड पर बैठ गए तो पहली बार हमारी नज़रें मिली तो उसने अपनी नज़रें झुका ली।

तभी दूसरी लड़की दर्द से कराही तो हमे उसकी चोट का ध्यान आया। मैंने उन्हें बोला कि अपने घर से अपने मम्मी-पापा या किसी और को उठा ले तो उसने बताया कि घर में कोई नहीं है, मम्मी पापा अमृतसर मत्था टेकने गए हुए हैं और एक नौकर और ड्राईवर दिन में ही आते हैं।

जब उसके पैर की तरफ ध्यान गया तो देखा कि वो पूरा खून से भर गया था। दूसरी लड़की जो कि उसकी सहेली थी और मैं उन दोनों को बहनें ही समझ रहा था, इतना खून देख कर घबरा गई। फिर मैंने समझाया तो उसने उसकी पाजामी ऊपर उठा कर चोट को देखना चाहा लेकिन पाजामी तंग होने के कारण ऊपर नहीं हो सकी और साथ में लड़की को दर्द भी हुआ।

अब परिस्थिति ऐसी थी कि पाजामी को उतार कर दूसरी कोई ढीला-ढाला कपड़ा डालने से ज्यादा ज़रूरी था कि पहले चोट को देखा जाए और फिर उसके इलाज के बारे में सोचा जाए। लेकिन ये निर्णय तो उसी को ही लेना था जिसको चोट लगी थी। दूसरी लड़की ने मुझे कमरे से बाहर जाने को कहा, मैं जैसे ही जाने लगा तो उसने मुझे रोक दिया और खुद ही अपनी पाजामी उतार दी। दूसरी लड़की से मेरी नज़रें मिली और उसने शर्म से नज़रें झुका ली।

हमने चोट को देखा तो वो घुटने से थोड़ा ऊपर लगभग एक इंच का घाव था और उसमें से खून बहना अब थोड़ा कम हो गया था। मैंने उनसे पूछा कि घर में कोई फर्स्ट-एड किट है तो उन्हें नहीं पता था लेकिन उन्होंने बताया कि बाथरूम में डिटोल पड़ा है। घर में रुई भी नहीं थी।

तब उन्होंने मुझे एक पुरानी चुन्नी निकाल कर दी। मैंने चुन्नी फाड़ कर उसके जख्म और टांग को साफ़ करना शुरू किया। इसके लिए मुझे उसकी टांग को पकड़ कर उसके सामने तो बैठना ही था। जैसे ही मेरे हाथ ज़ख्म तक पहुंचे और मैंने घुटने तक आई कमीज़ को थोड़ा ऊपर किया तो मेरी नज़र उसकी टांगो के बीच चली गई और मैंने देखा कि उसने पेंटी नहीं पहन रखी थी। उसने भी मुझे भांप लिया और तब हमारी नज़र मिली।

ज़ख़्म साफ़ करते-करते मेरे पैन्ट में कैद लंड भी कड़क हो गया और उसकी नज़र भी उस पर पड़ गई। जब मैंने उसे अपनी पैंट की तरफ देखते पाया तो वो मुस्कुरा दी और फिर मैं भी मुस्कुरा दिया।

ज़ख्म की सफाई के बाद उसका दर्द भी कुछ कम हो गया। घर में ज़ख्म पर लगाने के लिए कोई दवाई वगेरह भी नहीं थी। मैं दूसरी लड़की के साथ उनकी रसोई में गया और थोड़ी सी हल्दी तेल में गर्म कर ले आया और साथ ही हल्दी मिला दूध ले आया।

मेरे बार-बार कहने पर भी उसने दूध नहीं पिया। मैं समझ गया कि इसने ड्रिंक की हुई थी और इसीलिए दूध से मना कर रही थी।

अब मैंने चुन्नी का एक छोटा सा टुकड़ा फाड़ा और उसे तेल में भिगो कर उसके ज़ख्म पर रख दिया। फिर मैंने चुन्नी ले कर उसे ज़ख्म पर बांध दिया। इस प्रक्रिया में मैंने उसकी कमीज़ काफी ऊपर कर दी थी और मुझे उसकी चूत के साफ़-साफ़ दर्शन हो रहे थे। इधर मेरे लंड महाराज भी टाइट हो रहे थे उधर वो भी मेरी इस स्थिति पर मंद-मंद मुस्कुरा रही थी। सामने खड़ी उसकी सहेली भी हमारी इस कशमकश का आनन्द ले रही थी।

जब मैं पट्टी बांध कर फारिग हुआ तो उसने अपनी सहेली को बोला कि दर्द हो रहा है और इशारा किया। वो रसोई में गई और फ्रिज में से ठंडा पानी ले आई। सामने अलमारी में से व्हिस्की की बोतल निकाली और एक लार्ज पेग बना कर उसको दे दिया। वो पूरा पेग एक ही बार में खाली कर गई। फिर उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने मना कर दिया और गिलास में रखा दूध मैंने पी लिया।

रात का एक बज गया था और नींद किसी को भी नहीं आ रही थी। अब हम बैठ कर बातें करने लगे। इतना सब होने के बाद हमारा परिचय होना शुरू हुआ। वे दोनों कॉलेज गर्ल थी, जिसको चोट लगी थी उसका नाम सिम्मी था और उसकी उम्र 21 साल थी और वो पोलिटिकल साइंस में एम. ए. कर रही थी। उसकी सहेली निशा जिसकी उम्र भी 21 साल थी ने एम.बी.ए में एडमिशन लिया था लेकिन अभी उसकी क्लासेज शुरू नहीं हुई थी, वो जालंधर की थी और यहाँ पढ़ाई के लिए आई थी।

फिर उन्होंने मेरा परिचय पूछा तो मैंने अपने परिचय में यह बताया कि मैं ग्रेजुएट हूँ और नौकरी ढूंढ रहा हूँ और इसी सिलसिले में चंडीगढ़ आया था पर यहाँ मुझे कोई और जानता नहीं। बातों बातों में जब मैंने यह बताया कि मैंने पंजाब पुलिस में ए. एस. आई. की पोस्ट के लिए टेस्ट पास कर लिया है और अब इंटरव्यू का इंतज़ार कर रहा हूँ तो सिम्मी खुश हो गई और उसने बताया कि उसके पापा भी पुलिस में हैं।

इस 15-20 मिनट की बातचीत में सिम्मी को नशा होने लगा। उसने मेरे से पूछ लिया कि क्या मेरी कोई गर्लफ्रेंड है तो मैंने न बोल दिया और उसने तुरंत ही बोल दिया कि क्या मैं उन दोनों का फ्रेंड बनना चाहूँगा। मैंने हैरानी से पूछा- दोनों का क्यों? तो सिम्मी ने बोला कि दोनों सहेलियों में बहुत प्यार है और मैं अगर केवल एक का बॉयफ्रेंड बनता हूँ तो दूसरी का दिल न टूट जाए।

मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से निशा की तरफ देखा जो अब तक लगभग चुप थी तो उसने अपनी नज़र नीची कर ली। मैं समझ गया कि वो सहमत है।

मैंने सिम्मी से कहा कि मैंने कपड़े बदलने हैं, क्या कोई पजामा या कैपरी वगेरह मिल सकता है तो निशा उठ कर गई और एक कैपरी ले आई। मैं बाथरूम चला गया। जब मैं बाथरूम से वापिस आया तो निशा कमरे में नहीं थी और सिम्मी अपने ऊपर चादर ले कर लेटी हुई थी। सिम्मी ने मुझे बोला कि उसके एक कंधे में भी शायद गिरने के कारण दर्द हो रहा है। वहीं सामने ही नारिएल का तेल रखा है मैं उसके कंधे और बाजू की थोड़ी मालिश कर दूँ।

जब मैं तेल उठा कर मालिश के लिए उसके सिरहाने बैठा तो मैं देख कर हैरान हो गया कि उसने अपनी कमीज़ पहले ही उतार दी थी। जब मैंने पूछा कि उसे शर्म नहीं आई तो उसने बोला की मेरी असली चीज़ तो तुमने जी भर कर देख ली तो अब शर्म कैसी।

मैंने उसकी मालिश शुरू कर दी। मैं उसकी कमर के पास बैठ कर धीरे धीरे बाजू पर तेल लगाने लगा। फिर मैंने कंधे के पीछे तेल लगाने के लिए उसको करवट लेने के लिए कहा। जैसे ही उसने करवट ली तो सारी चादर उतर गई और दो चार सेकिंड में ही मेरा लंड कड़क हो गया। खैर मैंने मालिश जारी रखी।

फिर लगभग 10 मिनट बाद सिम्मी ने बोला कि मैं ब्रा का हुक खोल दूँ। फिर वो खुद ही सीधी हो गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक मम्मे पर रख दिया। मैंने उसे बोला कि उसको दर्द है और चोट भी लगी हुई है तो वो बोली कि अब तो यहाँ भी दर्द है।

मैं भी एक मर्द हूँ कहाँ तक कण्ट्रोल करता, मैंने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।

अब सिम्मी ने मेरे कैपरी के ऊपर से ही मेरे लंड को दबाना शुरू कर दिया और फिर उसने मुझे कैपरी उतारने को कहा। मैं कैपरी उतार कर बैठने ही वाला था कि उसने बोला कि अब बाकी के कपड़े उतारने के लिए कोई और आएगा। मैंने भी पूछ लिया कि निशा कहाँ गई तो सिम्मी ने निशा को आवाज़ दी।

निशा एकदम आ गई जैसे दरवाज़े के पास ही खड़ी थी। मैंने देखा कि निशा ने भी अपने कपड़े बदल लिए थे और वो एक मैक्सी में थी। देखने से लग रहा था कि मैक्सी के नीचे उसने कुछ नहीं डाला था। निशा हमारे पास आ कर खढ़ी हो गई तो सिम्मी ने हुक्म दिया कि वो एकदम से मेरे कपड़े उतार दे।

निशा ने मुझे खड़े होने का इशारा किया और नज़रें झुकाए हुए मेरी बनियान और अंडरवियर उतार दिया। अब सिम्मी ने मुझे बोला कि अब करो जो करना है।

मैं सिम्मी के पास बैठ कर उसके मम्मे चूसने लग पड़ा। निशा पास में ही खड़ी थी, सिम्मी ने उसे प्यार से पुचकारते हुए कहा- साली अब तुझे भी बताना पड़ेगा कि तुझे क्या करना है? निशा ने अपनी मैक्सी उतार दी, सिम्मी ने अपने टांगें खोल दी। निशा सिम्मी की टांगो के बीच में आ गई और सिम्मी की चूत चूसने लगी। इधर सिम्मी ने मुझे इशारा किया और मैंने अपना लंड सिम्मी के मुंह में डाल दिया और वो लोलीपोप की तरह चूसने लगी।

फिर सिम्मी ने निशा के सिर पर दो बार हल्की चपत मारी। निशा उठ कर सिम्मी के ऊपर आ गई और दोनों 69 की अवस्था में आ गई। सिम्मी निशा की चूत चूस रही थी और निशा सिम्मी की। फिर सिम्मी ने निशा की गांड पर चपत मारी तो निशा ने चूतड़ ऊपर उठा दिए। सिम्मी ने मेरा लंड खींच कर मुझे इशारा किया और मैंने लंड निशा के पीछे से उसकी चूत पर लगा दिया। दो बार लंड फिसल गया। तीसरी बार नीचे से सिम्मी ने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर निशा की चूत पर लगा कर धक्का मारने को बोला।

मैंने जैसे ही थोड़ा जोर लगाया लंड एकदम निशा के अंदर चला गया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ अभी मैंने 5-7 धक्के ही लगाये थे कि निशा एकदम नीचे को हो गई जिससे उसकी चूत सिम्मी के मुंह से जा लगी। मैंने जैसे ही धक्के लगाने शुरू किये तो मुझे लगा कि नीचे से सिम्मी की जीभ निशा की चूत और मेरे लंड के मिलन बिंदु पर रगड़ खा रही है यह बड़ा ही ज़बरदस्त सुखद अहसास था। अगले दो चार झटकों में ही निशा छूट गई और सारा डिस्चार्ज सिम्मी के मुंह में चला गया।

निशा एकदम ही सिम्मी के ऊपर से हट गई और सिम्मी ने मुझे इशारा किया। मैं फटाफट सिम्मी की चूत की तरफ पहुंचा और चूत पर लंड रख कर दनादन झटके लगाने शुरू कर दिए। मुझे कहने में कोई संकोच नहीं कि 4-5 झटकों में ही मेरा लंड सिम्मी के अंदर ही छूट गया। मैंने सिम्मी की तरफ़ देखा तो उसने बताया कि उसका तो पहले ही काम हो चुका था।

अब तक रात के 3 बज चुके थे, वहीं बेड पर ही हम तीनों सो गए।

मेरी सुबह 10 बजे आँख खुली। मैंने देखा कि कि मेरे आसपास कोई नहीं था और मैं नंगा ही लेटा था पर किसी ने मेरे ऊपर चादर डाल दी थी।

तभी सिम्मी बाथरूम से फारिग हो कर बाहर आ गई। आते ही उसने मेरे माथे पर चुम्बन लिया और मुझे धन्यवाद बोला और सॉरी भी बोला। मैंने कहा- धन्यवाद की कोई ज़रूरत नहीं। वो परिस्थिति ऐसी थी कि कोई भी आपकी मदद करता। लेकिन सॉरी किस लिए? तो उसने बोला- आपकी कमीज़ फट गई। मैं बोला- इसमें आपका कोई कसूर नहीं था। मैं उठ कर बाथरूम चला गया।

जब मैं बाथरूम से फारिग हो कर वापिस आया तो मैंने देखा कि निशा ने बेड पर ही नाश्ता लगा दिया था जो कि उन्होंने पास ही किसी होटल या ढाबे से मंगवाया था।

नाश्ता करने के बाद निशा ने बोला कि वो मार्किट जा रही है और आधे घंटे में आएगी। मैं और सिम्मी बैठ कर बातें करने लगे।

उसने बोला कि रात को सेक्स के बाद नींद बहुत गहरी आई तो मैंने पूछ लिया कि आप दोनों सहेलियों की अंडरस्टैंडिंग बहुत है तो सिम्मी ने बोला की किसी पुरुष के साथ सेक्स उन्होंने पहली बार किया है लेकिन उनके पास कई पोर्न सी. डी. हैं हिंदी में और वो अक्सर उन्हें देख कर लेस्बियन सेक्स करती हैं। तब हमारा सबसे ज्यादा साथ देता है खीरा जिससे हम अपनी तसल्ली करवाती हैं।

सिम्मी ने ये भी बताया कि वो शराब नहीं पीती पर एक दो बार अपने पापा की बोतल से शरारत ज़रूर की है

तभी निशा भी मार्किट से आ गई। वो मेरे लिए दो कमीज़ खरीद कर लाई थी और साथ ही सिम्मी के लिए दवाई भी लाई थी। मैंने पूछा कि ये दो कमीजें क्यों? उसने कहा- एक वो जो आपकी फट गई थी और दूसरी उसकी तरफ से पहले प्यार का गिफ्ट!

इतने में उसके पापा का फोन आ गया, उसने अपने पापा को सारी घटना के बारे में जानकारी दी कि कैसे एक अनजान व्यक्ति ने उनकी सहायता की। उसके पापा ने मुझसे फ़ोन पर बात करवाने को कहा। उन्होंने मुझे बोला कि मैं आज वहीँ रुक जाऊं और वो शाम तक अमृतसर से वापिस आ जाएंगे।

फिर मैंने फ़ोन के बाद सिम्मी को बोला कि मैं नहीं रुक सकता तो उसने भी ज्यादा मजबूर नहीं किया। सिम्मी ने मुझे अपना फ़ोन नंबर दिया और बोला कि जब नौकरी के लिए इंटरव्यू आये तो मैं उनको तुरंत संपर्क करूं ताकि वो मेरी कोई सहायता कर सकें।

थोड़ी देर और हम अपने परिवार आदि की बातें करते रहे। उसने बताया कि उसकी एक और बहन है जिसकी शादी हो चुकी है और वो अपने परिवार के साथ गुरुग्राम में रहती है और वहीं जॉब करती है। फिर मैंने उनसे अलविदा ली।

किस्मत की बात कि उसी सप्ताह मुझे इंटरव्यू का पत्र मिला। मैंने सिम्मी को फ़ोन किया तो उसने उसके पापा से मिलने को बोला। अगले ही रविवार मैं उनके पापा से मिला, उन्होंने कहीं से सिफारिश लगाई और मैं सेलेक्ट हो गया।

लगभग एक डेढ़ साल तक हमारी कभी फ़ोन पर और कभी आमने सामने बातें और मुलाकातें होती रही। सिम्मी के घर वालों को मेरे से मिलने से कोई ऐतराज़ नहीं था और मैं उनके घर भी आता जाता था। हम कई बार पिक्चर आदि भी देखने चले जाते थे। हमने कई बार जब भी मौका मिला सेक्स भी खूब किया। खास बात ये थी कि हमारा पिक्चर और सेक्स का कार्यक्रम निशा के बिना नहीं बनता था और वो हमारे साथ ही होती थी।

जैसे ही सिम्मी का एम.ए. का परिणाम आया तो उसके पापा ने मेरे साथ उसकी शादी करने का प्रस्ताव रखा। मैंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया क्योंकि इन्कार करने का कोई कारण ही नहीं था।

शादी के 6 महीने बाद तक भी हमने और निशा ने कई बार ग्रुप सेक्स किया। फिर उसकी एम.बी.ए. पूरी हो गई और गुरुग्राम में जॉब लग गई। शादी के डेढ़ साल बाद हमारा बेटा हुआ। तभी निशा की शादी भी हो गई। डिलीवरी के कारण सिम्मी शादी में नहीं जा पाई थी और मैं अकेला ही जालंधर गया था।

बाद में वो अपने हस्बैंड के साथ हैदराबाद चली गई। बेटे के 2 साल बाद सिम्मी ने एक सुंदर बेटी को जन्म दिया।

शादी के लगभग 5 साल तक हम अलग घर ले कर रहे। जब हमारी शादी को 5 साल हो गए थे तो सिम्मी के पापा की तबियत खराब रहने लग पड़ी और उन्होंने जल्दी ही बिस्तर पकड़ लिया। हम उनकी देखभाल के लिए उसी घर में शिफ्ट हो गए। बेड पर पड़े-पड़े ही वो नौकरी से रिटायर भी हो गए और फिर लगभग एक साल बाद उनका देहांत हो गया।

इस दौरान मेरी साली जो गुरुग्राम में रहती थी परिवार सहित इंगलैंड चली गई और वहीं बस गई।

अब हमारे पास भगवान के दिए सारे सुख हैं, कोठी है, उसका एक हिस्सा हमने किराये पर दिया हुआ है और हम अपनी सेक्स लाइफ को अब भी पूरा एन्जॉय करते हैं। दोस्तो, चुदाई की कहानी हिंदी में कैसी लगी अपने विचार या आलोचना भेजें! [email protected]

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