Nayi Dagar, Naye Humsafar – Episode 7

मैं जैक को किस करने देने वाली हु ये सुनकर राहुल को सदमा लगा। शायद मुझे प्यार करने लगा था या फिर एक अच्छा इंसान होने के नाते उसे लगा मैं गलत कर रही हु।

मैं भी क्या कर सकती थी, मैं जब अपने नए सफर पर निकली थी तो शपथ के अनुसार मैंने कभी राहुल को चाहा ही नहीं था। ये तो जैक था जिसने मेरा मन पहली ही नजर में मोह लिया था। ये मेरा निजी फैसला था कि मैं किसको चूमने की इजाजत दू। ना चाहते हुए भी मुझे राहुल का दिल तोड़ना था।

राहुल ने सैंड्रा को फ़ोन कर दिया कि मैं जैक के साथ जाने को रेडी हूँ। राहुल ने मुझे बताया कि थोड़ी देर में जैक मुझ लेने बाहर पार्किंग में आएगा। उसकी नज़रे अभी भी मुझे रोक रही थी। मेरा दिल भी उसकी हालत देख पिघल रहा था पर सामने जैक की नीली नीली आँखें आते ही सब बदल गया। मैं केबिन से बाहर गयी।

थोड़ी देर से मैं पार्किगं में आ गयी। जैक थोड़ी ही देर में मुझे लेने आ गया था। उसने आज बटन डाउन शर्ट पहन रखी थी और साथ में जीन्स।

जैक:: “वाह, आज तुम बहुत शानदार लग रही हो।”

मैं : “थैंक यू, तुम भी बहुत अच्छे लग रहे हो।”

जैक: “आओ बैठो, बताओ कहाँ जाना हैं?”

मैं उसे उस जगह पर ले गयी जहा कल नहीं गए थे। फिर हमने लंच किया और फिर घूमने निकल पड़े। आज ज्यादा जगह तो थी नहीं तो जल्द ही निपट गए। कार में बैठने से पहले मौका देख मैंने माउथ स्प्रे इस्तेमाल कर लिया, वो मुझे चूमने के लिए कभी भी बोल सकता था तो तैयार रहना था

हम कार में बैठे थे और फिर मौका देख कर उसने वो संवेदनशील मुद्दा निकाला।

जैक: “तुमने कुछ फैसला किया मेरे कल के प्रस्ताव के बारे में?”

उसने मुझे चूमने के लिए बोला तो था पर कहा चुमना चाहता हैं वो तो बताया ही नहीं। हो सकता हैं गालो पर, या माथे या हाथ पर चूमना चाहता हो। हालांकि मुझे भी पता था वो मेरे होंठो की ही बात कर रहा था। फैसला तो मैं बहुत पहले ही ले चुकी थी कि मुझे क्या करना हैं।

मैंने उसके हलके गुलाबी होंठो को देखा और शर्माते हुए हां बोल दिया। उसकी मुस्कान और चौड़ी हो गयी। मैंने अपने हाथ की हथेली को उल्टा कर उसकी तरफ बढ़ा दिया। उसने अपने नाजुक होंठ से मेरे हाथ को चूमा। वो अब थोड़ा आगे सर को लाया और मैंने अपना ललाट आगे कर दिया। उसने ख़ुशी ख़ुशी मेरे माथे को चुम लिया।

मैं फिर सीधा हो गयी। वो एक बार फिर आगे बढ़ा तो मैंने पहले दायां और फिर बायां गाल आगे कर दिया और उसने मेरे गालो को चुम लिया। मैंने उसको छेड़ते हुए कहा “ठीक हैं, हो गया ”

उसने शरारती मुस्कान के साथ अपने होंठो पर ऊँगली से इशारा किया। मैं अपनी आँखें बंद कर उसके होंठो का अपने होंठो से मिलने का इंतजार करने लगी। जब से उसके गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ देखे थे उनको चूमना चाहती थी , वो समय आ गया था ।

मैंने उसके मुलायम होंठो को अपने होंठो पर छूते हुए महसूस किया और मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसने दो पलो के लिए अपने होंठो में मेरे होंठ भरे और छोड़ कर पीछे हट गया। मैंने आश्चर्य से अपनी आँखें खोली, इतना इंतजार और फिर इतना सा छोटा चुंबन। मेरी तो तड़प भी पूरी नहीं मिटी थी।

शायद मेरी तरह वो भी मुझे तड़पा रहा था।

मैंने खुद ही अपने होंठ उसकी तरफ बढ़ाने शुरू कर दिए, ये देख वो भी अपने होंठ आगे बढ़ाने लगा। हम दोनों के होंठ आपस में टकराये और हमने एक दुसरे के होंठ को अपने होंठो में भरने की होड़ सी मचा दी । शुरू के एक दो मिनट तक हम सिर्फ एक दूसरे के होंठो का रस चुस रहे थे।

फिर हमारी प्यास और बढ़ने लगी और हम अपनी जुबान का इस्तेमाल करते हुए होंठो के साथ उसे भी चूसने लगे । वो मेरे जीवन का अब तक का सबसे अच्छा चुंबन था। उसके वो नाजुक होंठ मैं छोड़ना ही नहीं चाहती थी। मेरे टाइट शर्ट में मेरे मम्मे और भी फुल गए और मेरे शर्ट के बटन खिंच कर टूटने की स्तिथि में आ गए। शर्ट का कसाव मेरे सीने पर एक दम से बढ़ गया था।

लगभग पांच मिनट तक हम एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले चुंबन लेते रहे। जब हम एक दूसरे से दूर हटे तब तक मेरे हाथ कापने लगे थे।

जैक: “ये चुम्बन मैं कभी नहीं भूलूंगा। ”

मैं: “मैं भी।”

जैक: “आज रात को ही मैं और सैंड्रा दूसरे शहर जा रहे हैं दूसरी जगह भी घुमनी हैं, इसीलिए इंडिया आया हूँ । काश तुम भी आ पाती मेरे साथ।”

मैं: “मैं भी तुम्हे मिस करुँगी।”

जैक: “तुम मेरे साथ अभी मेरे होटल रूम पर चलोगी?”

मैं: “क्यों क्या काम हैं?”

जैक: “ऐसे ही। शांती से बैठेंगे। चिंता मत करो हम दोनों ही होंगे वहा । सैंड्रा और जोसफ ऑफिस में ही होंगे अभी।”

क्या वो होटल रूम में मेरे साथ कोई शरारत करने वाला था। मैंने तो शपथ ली थी कि अब ऐसे किसी लफड़ो में नहीं पड़ूँगी। मैंने उसको मना कर दिया पर उसने एक बार फिर अपनी नीली आँखों का जादू चलाया और मुझे आग्रह किया और मैं मना ही नहीं कर पायी।

हम दोनों अब उसके होटल रूम में पहुंच गए थे। हम दोनों एक दूसरे के सामने मुँह कर पास पास बैठे थे और बिना बात किये एक दूसरे की आँखों में झांक रहे थे। जल्द ही हम दोनों के होंठ एक बार फिर एक दूसरे के करीब आये और हम एक और गहरे लम्बे चुंबन में खो गए।

पहले की तरह एक बार फिर मेरे शरीर में हलचल शुरू हो चुकी थी। मेरे मम्मे फुल गए थे और इच्छा हुई की अपना शर्ट खोल कर वो खिंचाव बंद कर दू। हमने अब चूमना बंद किया और मेरी नजर बिस्तर पर गयी। मुझे पुरानी बात याद आ गयी। अब मैं और जैक इतना खुल चुके थे कि मैं उससे बिना झिझक अपने सवाल पूछ सकती थी।

मैं: “तुम इतने बड़े होकर भी अपनी माँ के साथ सोते हो?”

जैक “सैंड्रा को मैं माँ की बजाय दोस्त मानता हु। ”

मैं: “मगर हैं तो तुम्हारी माँ, जवान बेटा अपनी माँ के साथ सो सकता हैं क्या?”

जैक:”मुझे पता हैं तुम क्या पूछना चाहती हो। हां, मैं सैंड्रा को चोदता हूँ। मैंने अपना कौमार्य सैंड्रा के साथ ही खोया था। उसके बाद अपनी कॉलेज की फ्रेंड को भी चोदा हैं। बस एक सपना हैं, तुम्हे चोदने का। ”

उसने बिना झिझक के सब कुछ बोल दिया।

मैं: “मैं शादी शुदा हु, मेरा एक बच्चा भी हैं। ”

जैक: “तो क्या हुआ, सैंड्रा भी शादीशुदा हैं। किसी से बात करते वक़्त आप अपना मुँह चलाते हो उसी तरह चोदते वक्त आप शरीर का दूसरा अंग चलाते हो। दोनों में कोई फर्क नहीं हैं। इतना मत सोचो, लाइफ को एन्जॉय करो।”

उसने बेधड़क अपने हाथों से मेरे शर्ट के सारे बटन खोल दिए और उसमे से मेरा ब्रा और झांकते मम्मे दिखने लगे। उसने अपने नाजुक होंठ मेरे झांकते मम्मो पर रखे और चूमना चाटना शुरू कर दिया। मैं आँख बंद किये सिसकिया भरने लगी।

तभी दरवाजा खुला और जोसफ कमरे में दाखिल हुआ। मेरी नजरे जोसफ की तरफ गयी और जैक ने मुझे चाटना छोड़ा।

जोसफ: “ओह, हो हो। ये क्या चल रहा हैं ?”

मैं तुरंत अपने शर्ट के बटन फिर से बंद करने लगी।

जैक:”जोसफ, प्लीज सैंड्रा को मत बताना। ”

जोसफ: “जैक तुम थोड़ी देर के लिए बाहर जाओ।”

जैक चुपचाप कमरे से बाहर चला गया।

मैंने अपना शर्ट बंद कर लिया था और उठ कर जाने लगी, पर जोसफ की भारी बाजुओं ने मुझे रोक लिया।

जोसफ: “तुम्हे जरूर राहुल ने भेजा होगा, जैक को फंसा कर डील पाने के लिए ।”

मैं अचम्भित हो उसे देखने लगी, वो क्या समझ रहा था।

मैं: “राहुल का इस से कोई लेना देना नहीं। ये मेरा और जैक का निजी फैसला था। डील का इससे कोई संबंध नहीं हैं।”

जोसफ: “मैं जैक नहीं हूँ, जो आसानी से उल्लू बन जाऊंगा। तुम्हे तुम्हारा बॉस राहुल इस्तेमाल कर रहा हैं। तुम एक अच्छी औरत हो सम्भल जाओ।”

मैं: “तुम गलत सोच रहे हो। ऐसा कुछ नहीं हैं। ”

जोसफ:: “राहुल को बोल देना, अगर सैंड्रा को तुम्हारे और जैक के बारे में पता चल गया तो डील कैंसल हो जाएगी।”

मैं: “क्या? प्लीज सैंड्रा को मत बताना फिर। राहुल को पता भी नहीं मैं यहाँ जैक के साथ क्या कर रही हु ।”

जोसफ: “तुम ये साबित कर दो, मैं सैंड्रा को नहीं बताऊंगा। सैंड्रा और जैक आज रात को ही कुछ दिनों के लिए घूमने जाने वाले हैं। उनके

वापिस आने तक डील पर फैसला होगा। कल तुम मुझे इसी रूम में दस बजे मिलो और साबित कर दो कि तुम सही और मैं गलत हु। ”

मैं परेशान सी कमरे से बाहर निकली। जैक ने मुझे रोका, मैंने परेशान निगाहो से उसकी तरफ देखा। उसने मुझसे पूछा क्या हुआ पर मैं कुछ जवाब नहीं दे पायी। उसने मुझे वही रुकने को बोला और अंदर कमरे में जोसफ से सवाल जवाब करने गया। मैं चुपचाप वहा से चली गयी । शायद मेरी गलती की वजह से राहुल की डील टूट सकती थी।

मेरी एक गलती की वजह से राहुल को बहुत बड़ा नुक्सान हो सकता था। अभी चार ही बजे थे, मुझे ऑफिस जाकर राहुल को ये नयी बात बतानी थी। मेरे एक कदम से वो और दूसरे कर्मचारी भी प्रभावित होने वाले थे।

मैं सीधा उसके केबिन में गयी। वो मुझे ऊपर से नीचे देखने लगा। आजतक उसने मुझे अपने केबिन में इस तरह ऊपर से नीचे नहीं देखा था। जैक ने जब मेरे शर्ट के बटन को खोल शर्ट मेरी स्कर्ट से बाहर निकाल दिया था उसके बाद वापिस आते वक्त मुझे मौका ही नहीं मिला शर्ट को वापिस स्कर्ट में डाल पाऊ।

शायद राहुल मेरे बिखरे कपड़े को देख अनुमान लगा रहा था कि मैं जैक के साथ क्या कर के आयी हु। उसकी रूही तो पहले ही किसी की हो चुकी थी, क्या उसकी दूसरी रूही भी बेवफा हो चुकी थी।

राहुल मेरे कपड़ो की हालत देख मेरे बारे में शायद कुछ और ही सोच रहा था। मैंने उसको सच्चाई बताने की कोशिश की।

राहुल: “क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ?”

मैं: “तुम समझ रहे हो वैसा कुछ भी नहीं हैं। ”

मैंने उसको सब कुछ बता दिया कि कैसे बिना कुछ किये ही जोसफ ने मुझे जैक के काफी करीब देख लिया था और उसको ग़लतफ़हमी हो गयी कि ये तुम्हारी चाल हैं। राहुल भी सब बातें सुन थोड़ा परेशान हो गया था।

पता नहीं परेशानी डील के खतरे में पड़ने की थी या मेरे जैक के हाथों इज्जत गवा देने की संभावना में। शायद उसे ये लगा कि जोसफ ने मुझे और जैक को कही चुदते हुए रंगे हाथो तो नहीं पकड़ लिया।

मैं: “मुझे कल जोसफ ने होटल रूम में बुलाया हैं।”

राहुल: “क्यों?”

मैं: “वो चाहता हैं कि मैं उसे साबित करू कि इसमें तुम्हारी कोई चाल नहीं हैं, बल्कि ये मेरा निजी फैसला हैं।”

राहुल: “तुम्हे वहा जाने की कोई जरुरत नहीं। जोसफ का क्या भरोसा। सैंड्रा और जैक भी आज रात को बाहर जाने वाले हैं। जोसफ रूम में अकेला होगा।”

मैं: “राहुल, मैंने ही ये सब बिगाड़ा हैं अब मुझे ही सुधारना होगा।”

राहुल: “अगर डील बचाने के लिए तुम वहा जा रही हो तो उसकी कोई जरुरत नहीं। मैं सैंड्रा से बात कर सब संभाल लूंगा ज्यादा से ज्यादा क्या होगा डील नहीं मिलेगी तो भी कोई बात नहीं। हम सब लोग मेहनत कर एक डेढ़ साल में कवर कर लेंगे। तुम चिंता मत करो।”

मैं: “मुझे सिर्फ एक मौका दो, मैं शायद संभाल लुंगी। वरना होनी को टाल नहीं सकते।”

राहुल: “प्रतिमा मेरी बात मानो तो तुम मत जाओ। ”

मैं: “मेरी चिंता मत करो, मैं जोसफ को कल यकीन दिला दूंगी कि वो गलत हैं।”

राहुल: “अपना ध्यान रखना और जरुरत पड़े तो मुझे फ़ोन कर देना।”

मेरे साथ अगले दिन होटल में क्या होने वाला हैं वो तो कल ही पता चलेगा अगले भाग में।

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